Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ... (COMPLETE)
#28
राज ने कुमुद की बाहें थामी और कुमुद का हाथ पकड़ कर उसे जैसे खींचकर दूसरे बैडरूम में ले गया। राज ने धीरे से कुमुद को पलंग पर बिठाया और उसके बाजू में बैठ कर कुमुद की हथेली पर अपनी हथेली को मसलते हुए बोला, "डार्लिंग, मैंने तुम्हारा इतना क्रोधित रूप आज पहली बार देखा। कुमुद तुम इस विकराल रूप में भी बहुत अधिक सुन्दर और सेक्सी लग रही थी। अब महेरबानी करके शांत हो जाओ और अपने इस विकराल रूप को वापस सौम्यता में परिवर्तित करो। मैं तुम्हारे इस भयानक रूप से डर रहा हूँ।"

राज की बात सुनकर कुमुद के चेहरे पर बरबस मुस्कराहट की एक रेखा गयी। कुमुद ने अपने आप को सम्हाला और बोली, "राज, मैंने आवेश में आकर बड़ा ही गलत काम कर दिया। बेचारी रानी को मैंने बड़ा ही आहत किया है। मुझे उससे माफ़ी मांगनी चाहिए।" कहकर कुमुद उठ खड़ी होकर दूसरे बैडरूम की और जाने लगी। 

राज ने कुमुद को थोड़ा हल्का सा धक्का मार कर पलंग पर बिठाया और बोला, "यह काम कमल भैया को ही करने दो। पहले आप शांत हो जाओ और मेरी बात सुनो।"

कुमुद ने राज की और देखा और उसकी ठुड्डी एक हाथ से पकड़ी और राज का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ कर राज के मुंह को खिंच कर राज के होठोँ को अपने होठोँ से सटा कर राज को एक गहरा चुम्बन करने लगी। राज भी कुछ बोल ना पाया और कुमुद के रसीले होठों को चूमने और चूसने लगा। राज और कुमुद एक दूसरे से गहरे चुम्बन करने में लग गए। कुछ देर बाद कुमुद राज से अलग हुई और उसे उलाहना देते हुए बोली, "राज, मैं एकदम शांत हूँ। अब मुझे और कोई सिख नहीं चाहिए राज। अब मुझे क्या करना है, मैं जानती हूँ।और अब तुम मेरी बात सुनो। मैं तुम्हें बताती हूँ की तुम्हें अब क्या करना है।

यह कह कर कुमुद ने राज के कान में अपना प्लान सुनाया। कुमुद की बात सुन कर राज के चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी। दोनों ही दूसरे बैडरूम की और चल पड़े। 

कुमुद जब कमरे में दाखिल हुई तो देखा की रानी बेहोश सी पलंग पर लेटी हुई थी और कमल उसके सर पर हलके से प्यार से हाथ फिरा रहा था। कुमुद को आती हुई देख कर कमल थोड़ा सा अचम्भित हुआ। कुमुद ने अपने पति कमल के पास जाकर उसे वहाँ से हटने का इशारा किया और खुद कमल की जगह बैठ गयी। 

कुमुद ने धीरे से प्यार से रानी के सर पर हाथ फिराना शुरू किया और हलके से झुक कर रानी के कानों में बोली, "रानी डार्लिंग, उठो और अपनी बड़ी बहन की ऐसी हरकत के लिए कस कर उसे एक थप्पड़ मार कर उससे बदला वसूलो और अपना मन शांत करो। मैं तुम्हारी बड़ी बहन तुमसे माफ़ी मांग रही हूँ, पर यदि तुमने मुझे माफ़ नहीं भी किया तो भी मैं तुम्हारा दोष नहीं दूंगी। मुझे आपको इस तरह जलील करने का कोई हक़ नहीं था और इस लिए मैं आप की दी हुई कोई भी सजा सहर्ष स्वीकार करुँगी। "

कुमुद की बात सुन कर रानी ने धीरे से अपनी आँखें खोली। कुमुद को प्यार से सर पर हाथ फिराते और केश संवारते देख कर रानी की आँखों में आँसू की बाढ़ गयी। रानी सिसक सिसक कर रोने लगी और कुमुद को अपनी और खिंच कर कुमुद के गले लिपट कर बोली, "बहन, गलती तुम्हारी नहीं है। मैं तुम्हारी गुनहगार हूँ। माफ़ी तुम्हें नहीं मुझे मांगनी चाहिए। आपने जो मुझे थप्पड़ मारा वह तो बहुत ही छोटी सजा थी। आप जो कहेंगीं, मैं वह सजा भुगतने के लिए तैयार हूँ। बस आप मुझे माफ़ कर दीजिये।"

कुमुद ने रानी के होठोँ पर उंगली रखते हुए कहा, "चलो ठीक है। तुम मेरी दोषी हो ना? मैं जो कहूँगी वह सजा तुम स्वीकार करोगी? मुझे वचन दो।"

रानी पलंग पर धीरे से बैठ गयी। रानी ने कुमुद के हाथ अपने हाथमें लिये और उसे दबाकर बोली, "मैं मेरी बहन कुमुद को वचन देती हूँ की जो सजा तुम मुझे दोगी वह बिना सोचे समझे स्वीकार करुँगी। तुम मुझे आत्महत्या करने को कहोगी तो वह भी मैं करुँगी। तुम मुझे अपनी, राज की और कमल की जिंदगी से हमेशा के लिए दूर चले जानेको कहोगी तो मैं वह भी करुँगी। मुझे तुम्हारी कोई भी सजा मंजूर है।"

कुमुद ने रानी के हाथों को संवारते हुए रानी को बिस्तर से धीरे से उठाया और अपनी बाँहों में लिया। कुमुद ने रानी से कहा, "देखो बहन, तुम मेरी छोटी बहन और अब मेरी अत्यंत घनिष्ठ और निजी मित्र हो। जैसे हमारे पति एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं वैसे ही हम दोनों भी एक दूसरे के घनिष्ठ हैं। मेरी नजर में सिर्फ तुम ही नहीं, हम चारों एक दूसरे के गुनेहगार हैं। वह ऐसे की यह हमारे दो पति एक दूर से पुरे खुले हुए और एकात्म हैं। ये कोई भी चीज एक दूसरे छुपाते नहीं हैं और करीब करीब सारी खुशियां मिलजुल कर बाँटते हैं। वह एक दूसरे के साथ लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हैं। पर जहां तक पत्नियों का सवाल है वहाँ गड़बड़ हो गयी। अब हम दोनों उनके साथ जुड़ गयीं और हमारी मर्जी भी जरुरी हो गयी। इसलिए हमें भी एकात्म होना होगा और अब हम एकात्म हो भी गए हैं। तो फिर मैं तुम्हें, अपने आपको और बाकी हमारे दोनों पतियों को भी यह सजा सुनाती हूँ की हम चारों एकदूसरे से कोई भी बात नहीं छुपायेंगे और एक दूसरे से कोई पर्दा नहीं करेंगे। हम किसी के कोई भी कार्य का बुरा नहीं मानेंगे और एक दूसरे के साथ मस्ती में रहेंगे। क्या यह बात तुम्हें और हम सब को मंजूर है?"

राज और कमल एक दूसरे की और बड़े अचम्भे से देखने लगे। रानी ने तब कुमुद से शर्माते हुए दबी आवाज में पूछा, "बहन तुम्हारी सजा मंजूर है पर मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ तो मैं तो शर्म के मारे मर ही जाउंगी। मुझे कमलजी के सामने बड़ी शर्म और लज्जा आती है। मैं क्या करूँ
?"
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ... - by usaiha2 - 14-08-2019, 05:23 PM



Users browsing this thread: 4 Guest(s)