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Adultery साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ... (COMPLETE)
#25
कुमुद एकदम सोच में ड़ूब गयी। थोड़ी देर सोचने के बाद बोली, "शायद तुम ठीक ही कह रहे हो। मुझे इस बात को स्वीकार करना चाहिए। धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा। मुझे अब कमल से कोई शिकायत नहीं करनी है। अगर वह रानी से सेक्स भी करता है तो मैं उसे ज्यादा तूल ना देनेकी कोशिश करुँगी। अब मैं चाहती हूँ की कमल और मैं हम दोनों पहले की तरह ही अपना जीवन बिताएं। मेरा मतलब है पहले की तरह ही सेक्स करें और एक दूसरे को शक की नजर से ना देखें। चलो घर चलते हैं। वहीं जा कर एक दूसरे से साफ़ साफ़ बात करते हैं।


यह कह कर कुमुद ने राज की बांह पकड़ी और अपना सर उसकी बांह से सटाकर चुपचाप बैठ गयी। राज ने भी कुमुद की पीठ सहलाते हुए कुमुद को थोड़ी देर ले लिए बेंच पर शान्ति से बैठ कर चिंतन करने का मौक़ा दिया। ऐसे ही कुछ मिनट बीत गए तब कुमुद उठ खड़ी हुई और राज का हाथ पकड़ कर बोली, "चलो घर चलते हैं। "

राज कुमुद की बात सुनकर दुखी हो गया। वह कुमुद से कुछ देर और प्यार जताना चाहता था। राज का दिमाग कुमुद के इतने करीब बैठने से चकरा रहा था। उसके हाथ कुमुद की छाती पर सैर करने के लिए बेताब हो रहे थे। पतलून में राज का लण्ड भी कड़क हो चुका था। पर राज जानता था की अगर उसने जल्द बाजी की तो थोड़ी बहुत नरम पड़ी हुई कुमुद कहीं फिर से अपना तेवर बदल ना दे। कही बनी बनाई बात पर पानी ना फिर जाय। 

राज ने एक नजर कुमुद की और देखा और अपने मन का दुःख अपनी आँखों से जाहिर करने की कोशिश की। शायद कुमुद भी राज के मन की बात समझ गयी थी। कुमुद ने धीरे से राज का हाथ दबाया और शायद धीरज रखने का इशारा किया। 

धीरे से राज उठ खड़ा हुआ और आगे बढ़कर उसने एक ऑटो रिक्शा रोका। राज ऑटो रिक्शा में कुमुद से एकदम सटकर बैठा और कुमुद का हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे प्यार से सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद राज ने कुमुद की कमर के इर्दगिर्द अपना हाथ घुमा कर उसे अपने सीने से दबा लिया। कुमुद भी अपना सर राज के सीने पर रख कर अपने मन के तरंगों में खो गयी।
 
##

क्यूंकि मोहल्ले में गरबा हो रहा था इसलिए उन्होंने ऑटो रिक्शा घर से थोड़ी दूर पर ही छोड़ दिया। जब राज और कुमुद घर पहुंचे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना रहा। घर में कमल और रानी पहुँच चुके थे क्यूंकि घर अंदर से बंद था। बाहर कोई ताला नहीं लगा था। कुमुद ने राज की और देखा। राज ने अपने होंठों पर उंगली रख कर कुमुद को चुप रहने का इशारा किया। राज फिर धीरे से कंपाउंड की लॉन में से होकर अपने बैडरूम की खिड़की के पास दबे पाँव पहुंचा और खिड़की पर कान देकर अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करने लगा। वह खिड़की राज के बेडरूम की थी। 

अंदर कमल और रानी की आवाजें हलकी सी सुनाई पड़ती थीं। राज ने कुमुद को भी अपने पास बुलाया ताकि अंदर हो रही बात कुमुद भी सुन सके। अँधेरे में कुछ दिखाई तो नहीं पड़ रहा था पर रानी की आवाज राज और कुमुद ने सुनी। रानी की साँसें तेज गति से चल रही थीं। उसकी आवाज रुक रुक कर रही थी। रानी कमल से कह रही थी, "कमल, यह हम ठीक नहीं कर रहें हैं। यह तुम क्या कर रहे हो? थोड़ा रुको, देखो कहीं राज और कुमुद ना जाए।"

फिर कमल की आवाज, "रानी, मैं कब से तुम्हारे यह गोरे भरे हुए बदन को छूने की कल्पना कर के पागल हो रहा हूँ। तुम भी तो कभी से मचल रही हो। तो क्यों हम एकदूसरे की इच्छा की आज मन भर कर तृप्ति कर लें? राज और कुमुद को आने में अभी काफी देर है। अगर राज और कुमुद भी गए तो मैं उनको उनको कुछ कह कर समझा लूंगा। कह दूंगा की वह दूसरे कमरे में ही चले जाएँ और हमें अकेला छोड़ दें।"

रानी, "पागल हो गए हो? अगर वह गए तो आप कुछ मत बोलना, मैं सब सम्हाल लुंगी।"

कमल, "पर अभी तो वह नहीं है ना। तो फिर मान जाओ ना? जाओ ना?"

रानी: "अरे कमल प्लीज तुम मान जाओ ना? ऐसा मत करो, प्लीज? देखो, वह दोनों आने वाले ही होंगे।"

कमरे में थोड़ी देर फिर चुप्पी हुई। शायद कमल रानी के कपडे पकड़ कर उसे अपनी और खिंच रहा था। रानी सहम कर बोली, "हे भगवान्! कमल तुम मानोगे नहीं। चलो ठीक है। लो मैं गयी, बस? खुश? पर अब कपडे मत निकालो।"

कमल: "प्लीज डार्लिंग! अब थोड़ी देर के लिए ही! मान जाओ !"

रानी: "अरे समझो भी! पागल मत बनो। बहुत मौके मिलेंगे। अगर वह दोनों गए तो कपडे पहनने में समय लगेगा और उनको शक हो जाएगा।...... " 

और फिर अंदर बातचीत बंद हो गयी। यह समझना कोई मुश्किल था की बैडरूम में राज की पत्नी रानी और कुमुद का पति कमल एकदूसरे को गाढ़ आलिंगन कर रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे कमल रानी का ब्लाउज खोलकर उसके मम्मे चूस रहा
था।
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RE: साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ... - by usaiha2 - 14-08-2019, 05:16 PM



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