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Adultery साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ... (COMPLETE)
#24
कुमुद का मन पिघल उठा। उसने राज का हाथ अपने हाथों में लिया तो राज ने हाथ वापस खिंच लिया। कुमुद ने महसूस किया की राज वाकई में बहुत दुखी हो गया था। कुमुद धीरे से उठी और राज का मुंह अपने हाथों में लेकर राज की गोद मैं जा बैठी और अपने होंठ राज के होंठ से मिला दिए। कुमुद को अपनी गोद में पाते ही राज मुस्कराया और उसने कुमुद की पीठ को हलके से सहलाना शुरू किया। फ़ौरन दोनों ही एक गहरे पाश में बांध गए। कुमुद ने फिर धीरे से राज के कानों में कहा, "राज आई एम् सॉरी। मुझे माफ़ करदो।


राज ने कहा, "पहले धक्का मारकर दूर करती हो फिर माफ़ी मांगती हो?"

उस सुनसान नदी के किनारे काफी लम्बे समय तक दोनोँ एक दूसरे के होंठों का रस पान करते रहे। उनकी गरम गरम साँसों की तेज धड़कन के अलावा दूर से गरबा की धुन की आवाज सुनाई दे रही थी। चुम्बन करते हुए राज का हाथ कुमुद की पीठ को सेहला रहा था। धीरे धीरे उसने कुमुद की ब्लाउज के पीछे के बटनों को जब टटोलना शुरू किया तो कुमुद राज से थोड़ा सा अलग हो कर बोली, "राज, यह तुम क्या कर रहे हो? कोई जाएगा।"

राज ने कुमुद को और करीब से कस के पकड़ा और बोला, "यहां कोई भी नहीं है। मैं कितने दिनों से यह करने की लगन लगाकर इंतजार कर रहा हूँ। अब रहा नहीं जाता।" ऐसा कह कर राज ने कस कर कुमुद को अपनी बाहों में लिया और उसे पूरी ताकत और जोश से चुंबन करने में लग गया। उसका एक हाथ कुमुद को जकड़े हुए था और दुसरा हाथ कुमुद की पीठ को सहलाता हुआ कुमुद की कमर के निचे उसकी गांड के फुले हुए गालों को दबा रहा था। 

कुमुद की सांस थम गयी। जब वह थोड़ी देर तक सांस ले पायी तो थोड़ा सा अलग होकर उसने गहरी साँसे ली और फिर राज और कुमुद दुबारा बाहु पाश में बंध गए और फिर एक गहरे चुम्बन में उलझ गए। राज कुमुद के कभी ऊपर के तो कभी निचे के होँठ को बारी बारी से चूस रहा था। पहले तो कुमुद राज को सक्रीय साथ देनेमें झिझक रही थी, पर जब उसने देखा की राज मानने वाला नहीं है तो उसने अपने होठोँ को राज के होठोँ से चिपका दिया और राज के होठोँ को चूमने और चूसने लगी।

कुछ देर बाद कुमुद राज से अपना मुंह हटा कर बोली, "राज, तुम जितने भोले दीखते हो उतने हो नहीं। तुम्हारे भैया तो जैसे हैं वैसे ही दीखते हैं। पर तुम तो छुपी कटार हो। खैर तुम बात सही कर रहे हो। 

कमल पहले से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सुअल है। मैं उसका स्वभाव जान गयी हूँ। मैं जानती हूँ की उसने शादी के पहले और शायद शादी के बाद भी कई औरतों को अपने चंगुल में फंसाया होगा और शायद चोदा भी होगा। पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया और बात वहाँ ही ख़तम हो गयी और हमारा संसार ठीक चलता रहा। पर अब तो बात रानी की गयी। इसी लिए मैं थोड़ी ज्यादा दुखी हो गयी थी। पर तुमने ठीक कहा। जहर जहर को मारता है। पर राज, यह बात चुभती है की मैं जिसे अपनी छोटी बहन मानती हूँ वही मेरे पति के साथ ऐश करना, सॉरी मेरे पति से चुदवाना चाहती है। बोलो मैं क्या करूँ? मैं जानती हूँ कमल नहीं सुधरेगा। या तो मैं कमल को छोड़ दूँ, या फिर उसकी यह आवारा गर्दी बर्दाश्त करूँ। मेरी समझ नहीं आता मैं क्या करूँ?"

राज: "मेरे पास इसका सटीक इलाज है। मैं सच सच बताऊँ, तुमको क्या करना चाहिए? पर तुम मेरी बात नहीं मानोगी। वचन दो की मेरी बात मानोगी।"

कुमुद:, "क्यों नहीं मानूंगी? मैं वचन देती हूँ, की मैं तुम्हारी बात मानूंगी।"

राज: "तो फिर तुमने अभी कहा ना? जहर जहर को मरता है। अगर तुम समझती हो की रानी और कमल तुम्हें जहर देरहे हैं तो तुम भी उनको जहर पिलाओ। "

कुमुद:, "क्या मतलब? साफ़ साफ़ कहो, तुम क्या कहना कहते हो।"

राज: "तो आओ, जो खेल रानी और कमल खेलते हैं, वही खेल हम खेलें।"

कुमुद ने राज की और देखा और हंस पड़ी और बोली, "अच्छा मियाँ? तुम अपना उल्लू सीधा करना चाहते हो?"

राज" "जहर जहर को मारता है। देखो मैं तुम्हें कोई तरह से भटका नहीं रहा। मैं मानता हूँ घर की बात घर में ही रहे तो अच्छा है। क्यों तुम इस जिद पर अड़ी हो की तुम ऐसा नहीं होने देगी? अगर मान भी लिया जाय की कमल रानी को चोदता है तो फिर भी रानी बीबी तो मेरी ही रहेगी. कमल फिर भी तुम्हारा पति ही रहेगा। जैसे ही तुम दोनों यहाँ से गए की बात खतम। अब तुम बात का बतंगड़ ना बनाओ यही मेरी तुम से बिनती है।"
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RE: साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ... - by usaiha2 - 14-08-2019, 05:14 PM



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