14-08-2019, 05:05 PM
राज और कुमुद तैयार होकर घर से निकले। कुमुद ने जीन्स और ऊपर एक लूज़ टॉप पहन रखा था। राज ने एक ऑटोरिक्षा बुलाया और कुमुद के साथ बैठ कर साबरमती के किनारे जाने के लिए निकल पड़े। वहाँ पहुँचने पर नज़ारे की सुंदरता देख कुमुद स्तब्ध रह गयी। हमारे देश में इतना खूबसूरत नजारा कम ही देखने को मिलता है। दोनों एक बेंच पर बैठे और नदी को जोश से बहते हुए देखने लगे। राज ने धीरे से कुमुद के हाथ पर अपना हाथ रखा। कुमुद मुड़कर राज की और थोड़ी देर तक देखती रही, पर कुछ बोली नहीं। अपने हाथ के उपरसे राज का हाथ देखा पर पर उसे हटाया नहीं। राज ने धीरे से पूछा "कुमुद आप इतने गंभीर क्यों हो? जब से आप आये हो तबसे मैं देख रहा हूँ की आप कुछ बेचैन से हो। अगर आप मुझे अपना समझते हो तो आपके मनमें जो भी बात हो आप मुझसे बेझिझक बात कर सकते हो।"
राज की इतनी प्रेम भरी और मीठी बात सुन कर कुमुद की आँखें भर आयी। राज ने कुमुद के कंधे पर हाथ रखा और धीरे धीरे वह कुमुद की पीठ को सांत्वना देते हुए सहलाने लगा। कुमुद की आँखों में से अचानक अश्रुओं की धारा बहने लगी। उस ने राज के कन्धों पर अपना सर रख दिया और धीमी सी आवाज में सिसक कर रोने लगी। राज ने कमल की बीबी को अपनी बाहों में ले लिया और बिना कुछ बोले कुमुद की पीठ को सहलाता रहा और उसे सांत्वना देने का प्रयास करता रहा।
कुछ देर बाद जब कुमुद थोड़ी शांत हुई तब उसने कहा, "राज मैं बड़ी उलझन में हूँ। बात कुछ ज्यादा ही नाजुक है और पता नहीं मुझे तुमसे यह बात करनी चाहिए या नहीं।"
राज ने कहा, "कुमुद अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो तुम बड़े इत्मीनान से मुझे अपना निजी मित्र मान कर मुझसे खुले दिल से बात कर सकती हो। तुम मेरे बड़े भाई की पत्नी हो और इस रिश्ते से तुम मेरी बड़ी भाभी हो। पर मैं तुम्हें बड़ी भाभी नहीं मेरी ख़ास करीबी दोस्त या यूँ कहो की मैं तुम्हें अपनी गर्ल फ्रेंड मानता हूँ, और यह बात मैंने छाती ठोक कर कमल भैया से भी कही है। तुम्हें तो कोई एतराज नहीं है न?"
राज की बात सुन कर कुमुद रोते रोते ही बरबस हंस पड़ी और बोली, "राज तुम तो बातों बातों में काफी आगे बढ़ गए! तुमने तो मुझे बगैर पूछे अपनी गर्ल फ्रेंड बना डाला। खैर, जब तुम्हारे भैया को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्यों एतराज होगा? लड़की तो मैं हूँ ही और फिर तुम्हारी फ्रेंड भी तो हूँ। मेरी समझ में यह नहीं आता था की मेरे मन की बात मैं किस से करूँ? मैं तुम्हें अपना मानती हूँ और एक राज ही है जिसे मैं अपने मनके राज़ बता सकती हूँ। मैं खुले दिल से आज मेरे मन की उलझन तुम्हें बताना चाहती हूँ। यह बात कमल, मेरे और एक दूसरी स्त्री के शारीरिक सम्बन्ध के बारे में है।"
राज ने धीरे से कहा, "ओह! तो यह बात है! कुमुद शायद तुम जो कहने जा रही हो वह बात जातीय संबंधों और सेक्स को लेकर है। अगर ऐसा है तो फिर हम दोनों के बिच में जो औपचारिकता की दिवार है वह ख़तम होनी चाहिए। क्यूंकि अगर तुम मुझे आप कहके बुलाओगी या फिर हम दोनों के बिच में खुल्लम खुल्ला बात नहीं होगी तो ना तुम मुझे ठीक से बता पाओगी और ना मैं ठीक से समझ पाउँगा। इस लिए क्या हम खुल्लम खुल्ला बात नहीं कर सकते?"
कुमुद ने मुड़कर राज की और देखा और राज का हाथ अपने हाथों में लेती हुई बोली, "ठीक बात है राज। जब हम इतने करीब आ ही गए हैं तो बेहतर है की अपने मन की बात स्पष्ट रूप से कहें। और हाँ, बात सेक्स के बारे में ही है।"
राज ने कुमुद का हाथ अपने हाथों में दबाते हुए कमल का रानी के साथ आजमाया हुआ पेंच कुमुद के साथ आजमाया और कहा, "जब बात सेक्स की ही है तो फिर हमें एक दूसरे से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए और जो बात हो वह खुल्लम खुल्ला स्पष्ट रूप में बोलनी चाहिए। तो फिर क्या इसके लिए तुम्हे सभ्य शब्दों का ही प्रयोग करना जरुरी है? मैं चाहूँगा की तुम मुझसे स्पष्ट बात करो। सेक्स या फिर साथ में सोना की जगह कहो चोदना, पुरुष लिंग की जगह बोलो लण्ड. स्त्री लिंग की जगह बोलो चूत। तब तो बात में कोई असमंजस नहीं रहेगा। क्यों की अगर ऐसे शब्द बोलने में तुम्हें हीचकीचाहट है तो फिर हम खुल्लम खुला बात कैसे कर सकते हैं? मैं कुछ गलत तो नहीं कह रहा?"
राज की इतनी प्रेम भरी और मीठी बात सुन कर कुमुद की आँखें भर आयी। राज ने कुमुद के कंधे पर हाथ रखा और धीरे धीरे वह कुमुद की पीठ को सांत्वना देते हुए सहलाने लगा। कुमुद की आँखों में से अचानक अश्रुओं की धारा बहने लगी। उस ने राज के कन्धों पर अपना सर रख दिया और धीमी सी आवाज में सिसक कर रोने लगी। राज ने कमल की बीबी को अपनी बाहों में ले लिया और बिना कुछ बोले कुमुद की पीठ को सहलाता रहा और उसे सांत्वना देने का प्रयास करता रहा।
कुछ देर बाद जब कुमुद थोड़ी शांत हुई तब उसने कहा, "राज मैं बड़ी उलझन में हूँ। बात कुछ ज्यादा ही नाजुक है और पता नहीं मुझे तुमसे यह बात करनी चाहिए या नहीं।"
राज ने कहा, "कुमुद अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो तुम बड़े इत्मीनान से मुझे अपना निजी मित्र मान कर मुझसे खुले दिल से बात कर सकती हो। तुम मेरे बड़े भाई की पत्नी हो और इस रिश्ते से तुम मेरी बड़ी भाभी हो। पर मैं तुम्हें बड़ी भाभी नहीं मेरी ख़ास करीबी दोस्त या यूँ कहो की मैं तुम्हें अपनी गर्ल फ्रेंड मानता हूँ, और यह बात मैंने छाती ठोक कर कमल भैया से भी कही है। तुम्हें तो कोई एतराज नहीं है न?"
राज की बात सुन कर कुमुद रोते रोते ही बरबस हंस पड़ी और बोली, "राज तुम तो बातों बातों में काफी आगे बढ़ गए! तुमने तो मुझे बगैर पूछे अपनी गर्ल फ्रेंड बना डाला। खैर, जब तुम्हारे भैया को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्यों एतराज होगा? लड़की तो मैं हूँ ही और फिर तुम्हारी फ्रेंड भी तो हूँ। मेरी समझ में यह नहीं आता था की मेरे मन की बात मैं किस से करूँ? मैं तुम्हें अपना मानती हूँ और एक राज ही है जिसे मैं अपने मनके राज़ बता सकती हूँ। मैं खुले दिल से आज मेरे मन की उलझन तुम्हें बताना चाहती हूँ। यह बात कमल, मेरे और एक दूसरी स्त्री के शारीरिक सम्बन्ध के बारे में है।"
राज ने धीरे से कहा, "ओह! तो यह बात है! कुमुद शायद तुम जो कहने जा रही हो वह बात जातीय संबंधों और सेक्स को लेकर है। अगर ऐसा है तो फिर हम दोनों के बिच में जो औपचारिकता की दिवार है वह ख़तम होनी चाहिए। क्यूंकि अगर तुम मुझे आप कहके बुलाओगी या फिर हम दोनों के बिच में खुल्लम खुल्ला बात नहीं होगी तो ना तुम मुझे ठीक से बता पाओगी और ना मैं ठीक से समझ पाउँगा। इस लिए क्या हम खुल्लम खुल्ला बात नहीं कर सकते?"
कुमुद ने मुड़कर राज की और देखा और राज का हाथ अपने हाथों में लेती हुई बोली, "ठीक बात है राज। जब हम इतने करीब आ ही गए हैं तो बेहतर है की अपने मन की बात स्पष्ट रूप से कहें। और हाँ, बात सेक्स के बारे में ही है।"
राज ने कुमुद का हाथ अपने हाथों में दबाते हुए कमल का रानी के साथ आजमाया हुआ पेंच कुमुद के साथ आजमाया और कहा, "जब बात सेक्स की ही है तो फिर हमें एक दूसरे से कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए और जो बात हो वह खुल्लम खुल्ला स्पष्ट रूप में बोलनी चाहिए। तो फिर क्या इसके लिए तुम्हे सभ्य शब्दों का ही प्रयोग करना जरुरी है? मैं चाहूँगा की तुम मुझसे स्पष्ट बात करो। सेक्स या फिर साथ में सोना की जगह कहो चोदना, पुरुष लिंग की जगह बोलो लण्ड. स्त्री लिंग की जगह बोलो चूत। तब तो बात में कोई असमंजस नहीं रहेगा। क्यों की अगर ऐसे शब्द बोलने में तुम्हें हीचकीचाहट है तो फिर हम खुल्लम खुला बात कैसे कर सकते हैं? मैं कुछ गलत तो नहीं कह रहा?"