14-08-2019, 04:58 PM
कमल की बात सुनकर रानी सोच में पड़ गयी। रानी ने कमल से कुछ सवाल पूछे जैसे, "आपके ख्याल से क्या कारण हो सकता है? क्या आप दोनों में कुछ झगड़ा तो नहीं हुआ? क्या रानी की तबियत तो ठीक है? उसे माहवारी तो नहीं है?" इत्यादि। कमल ने उन सब उन सब का सही उत्तर दिया। तब रानी बोली, "कमल, मुझे सोचने दो। मैं तुम्हें आजकल में सोचकर फ़ोन करुँगी।"
फ़ोन काट कर रानी सोचने लगी की क्या किया जाए जिससे कमल और कुमुद में जो मन मुटाव है उसे मिटाया जा सकता है। रानी ने अपने पति राज से इसके बारेमें बात करना ठीक समझा, हालाँकि कमल ने मना किया था। रानी ने अपने पति राज को सारी कहानी सुनाई और पूछा की राज की क्या राय है।
राज ने रानी से कहा, "मुझे ऐसा लगता है की कमल भैया और कुमुद के बिच कोई ख़ास बात को लेकर यह मन मुटाव हुआ है। इस मसले को हल करने के लिए इसकी जड़ में जाना बहुत जरुरी है। तुमको यह जानना पड़ेगा की आखिर कमल और कुमुद के बिच यह मनमुटाव हुआ क्यों? वह क्या बात थी जिससे कुमुद इतनी नाराज हो गयी की सेक्स की बात तो दूर, वह अपने पति को पास फटकने तक नहीं देती? शायद कमल तुमसे सारी बातें साफ़ साफ़ करने में हिचकिचा रहा है। उसे कहो की किसी भी तरह की झिझक के बगैर वह तुमसे खुल्लम खुल्ला बात करे।"
दूसरे दिन रानी ने कमल से पूछा, "कमल भैया, मुझे लग रहा है आप मुझे सारी बात साफ़ साफ़ बता नहीं रहे हो। आप जरूर मुझसे कुछ छुपा रहे हो या बताने में झिझक रहे हो। अगर आप चाहते हो की इसे सुलझाने में मैं आपकी कुछ मदद करूँ तो आप को मुझे बिना छुपाये पूरी बात सच सच बतानी ही पड़ेगी। अगर आप मुझसे बेझिझक और खुल्लम खुल्ला साफ़ साफ़ बात नहीं करोगे तो मैं कैसे समझूंगी की बात क्या है?"
कमल: "रानी तुम एकदम सही हो। मैं सच सच और सारी बात बताने से डरता हूँ। अगर मैं सच बताऊंगा तो मुझे ऐसे अश्लील शब्द इस्तेमाल करने पड़ेंगे जो तुम्हें अच्छे ना लगे। क्या तुम अश्लील शब्द सुनने के लिए तैयार हो? और दूसरी बात, मैं सच बताना इस लिए भी नहीं चाहता क्यूंकि अगर मैंने सच बताया तो हो सकता है तुम मुझसे बहुत नाराज हो जाओ और मुझे ड़र है की सच जान कर कहीं तुम हमारे साथ रिश्ता ही ना तोड़ दो। अगर तुम्हें सच सच सारी बात जाननी है तो तुम मुझे वचन दो की जो मैं कहूंगा उस बात का तुम बुरा नहीं मानोगी और मेरी बात सुनकर मेरी गलतियों को माफ़ कर दोगी।"
रानी कुछ पल सोचने लगी। फिर बोली, "कमल भैया, ऐसी क्या बात है? अब हमारे सम्बन्ध नाजुक नहीं रहे। वह इतने गाढ़ हो चुके हैं की हम चाहते हुए भी इन्हें तोड़ नहीं सकते। अब कोई औपचारिकता वाली बात नहीं रही। मेरे पति राज तो कहते हैं की तुम्हारे लिए वह उनकी जान भी कुर्बान कर सकते हैं। जब देखो वह आपके ही गुण गाते हैं। तब मेरे बुरा मानने वाली बात ही नहीं रही। आप बेझिझक कहो जो कहना है। इस लिए अगर आपको अश्लील शब्द बोलने पड़ेंगे तो मैं सुन लुंगी और मैं वचन देती हूँ की बुरा नहीं मानूंगी। बस? अब तो कहो की बात क्या है।"
तब कमल ने कहा, "तो फिर सुनो रानी, प्लीज मेरी एक बात मानलो। तुम मुझे कमल भैया कह कर मत बुलाओ। भाई बहन के सम्बन्ध में एक मर्यादा होती है। जब हम सेक्स के बारेमें बात करते हैं तो हमने वह मर्यादा पार कर ली है। हमारा सम्बन्ध भाई बहन, भाई भाभी की सीमाओं को लाँघ कर कहीं आगे बढ़ चुका है। राज मुझे भले ही भाई कहे, तुम मुझे भाई या भैया मत कहना। तुम मुझे सिर्फ कमल कह कर बुलाना। मैं तुम्हें सिर्फ रानी कह कर बुलाऊंगा। ठीक है? तुम्हें कोई एतराज तो नहीं?
रानी तो वैसे ही राज को कमल कह कर ही अपने पति से चुदवाती थी। उसने फ़ौरन कहा, "नहीं, मुझे कोई एतराज नहीं। अब मैं तुम्हें कमल भैया नहीं, कमल कह कर ही बुलाऊंगी और तुम तो मुझे रानी कह कर बुला ही रहे हो।"
कमल: "और दूसरी बात: अब मैं साधारणतया अश्लील माने जाने वाले शब्द जैसे चूत, लण्ड, चोदना इत्यादि शब्दों का प्रयोग करूंगा क्यूंकि जो मैं बताने जा रहा हूँ उस बात में यही शब्द सही लगते है। और मैं चाहता हूँ की अब तुम भी सारी औपचारिकता छोड़ कर मुझसे भी इसी शब्दों का प्रयोग कर के बात करो। क्या ऐसा कर सकोगी?"
रानी असमंजस में पड़ गयी। थोड़ा रुकने के बाद रानी बोली, " मैं और राज, हम पति पत्नी तो ऐसे स्पष्ट शब्दों में ही बात करते हैं। भला आप के साथ मैं ऐसे शब्द कैसे प्रयोग कर सकती हूँ? पर जब आप कहते हैं की बात समझने और समझाने के लिए यह जरुरी है तो फिर ठीक है। मुझे ऐसे शब्द सुनने में कोई आपत्ति नहीं है और अगर आपको कोई हर्ज नहीं है तो फिर ऐसा ही सही। मैं भी वही शब्द इस्तेमाल करने की कोशिश करुँगी।"
फ़ोन काट कर रानी सोचने लगी की क्या किया जाए जिससे कमल और कुमुद में जो मन मुटाव है उसे मिटाया जा सकता है। रानी ने अपने पति राज से इसके बारेमें बात करना ठीक समझा, हालाँकि कमल ने मना किया था। रानी ने अपने पति राज को सारी कहानी सुनाई और पूछा की राज की क्या राय है।
राज ने रानी से कहा, "मुझे ऐसा लगता है की कमल भैया और कुमुद के बिच कोई ख़ास बात को लेकर यह मन मुटाव हुआ है। इस मसले को हल करने के लिए इसकी जड़ में जाना बहुत जरुरी है। तुमको यह जानना पड़ेगा की आखिर कमल और कुमुद के बिच यह मनमुटाव हुआ क्यों? वह क्या बात थी जिससे कुमुद इतनी नाराज हो गयी की सेक्स की बात तो दूर, वह अपने पति को पास फटकने तक नहीं देती? शायद कमल तुमसे सारी बातें साफ़ साफ़ करने में हिचकिचा रहा है। उसे कहो की किसी भी तरह की झिझक के बगैर वह तुमसे खुल्लम खुल्ला बात करे।"
दूसरे दिन रानी ने कमल से पूछा, "कमल भैया, मुझे लग रहा है आप मुझे सारी बात साफ़ साफ़ बता नहीं रहे हो। आप जरूर मुझसे कुछ छुपा रहे हो या बताने में झिझक रहे हो। अगर आप चाहते हो की इसे सुलझाने में मैं आपकी कुछ मदद करूँ तो आप को मुझे बिना छुपाये पूरी बात सच सच बतानी ही पड़ेगी। अगर आप मुझसे बेझिझक और खुल्लम खुल्ला साफ़ साफ़ बात नहीं करोगे तो मैं कैसे समझूंगी की बात क्या है?"
कमल: "रानी तुम एकदम सही हो। मैं सच सच और सारी बात बताने से डरता हूँ। अगर मैं सच बताऊंगा तो मुझे ऐसे अश्लील शब्द इस्तेमाल करने पड़ेंगे जो तुम्हें अच्छे ना लगे। क्या तुम अश्लील शब्द सुनने के लिए तैयार हो? और दूसरी बात, मैं सच बताना इस लिए भी नहीं चाहता क्यूंकि अगर मैंने सच बताया तो हो सकता है तुम मुझसे बहुत नाराज हो जाओ और मुझे ड़र है की सच जान कर कहीं तुम हमारे साथ रिश्ता ही ना तोड़ दो। अगर तुम्हें सच सच सारी बात जाननी है तो तुम मुझे वचन दो की जो मैं कहूंगा उस बात का तुम बुरा नहीं मानोगी और मेरी बात सुनकर मेरी गलतियों को माफ़ कर दोगी।"
रानी कुछ पल सोचने लगी। फिर बोली, "कमल भैया, ऐसी क्या बात है? अब हमारे सम्बन्ध नाजुक नहीं रहे। वह इतने गाढ़ हो चुके हैं की हम चाहते हुए भी इन्हें तोड़ नहीं सकते। अब कोई औपचारिकता वाली बात नहीं रही। मेरे पति राज तो कहते हैं की तुम्हारे लिए वह उनकी जान भी कुर्बान कर सकते हैं। जब देखो वह आपके ही गुण गाते हैं। तब मेरे बुरा मानने वाली बात ही नहीं रही। आप बेझिझक कहो जो कहना है। इस लिए अगर आपको अश्लील शब्द बोलने पड़ेंगे तो मैं सुन लुंगी और मैं वचन देती हूँ की बुरा नहीं मानूंगी। बस? अब तो कहो की बात क्या है।"
तब कमल ने कहा, "तो फिर सुनो रानी, प्लीज मेरी एक बात मानलो। तुम मुझे कमल भैया कह कर मत बुलाओ। भाई बहन के सम्बन्ध में एक मर्यादा होती है। जब हम सेक्स के बारेमें बात करते हैं तो हमने वह मर्यादा पार कर ली है। हमारा सम्बन्ध भाई बहन, भाई भाभी की सीमाओं को लाँघ कर कहीं आगे बढ़ चुका है। राज मुझे भले ही भाई कहे, तुम मुझे भाई या भैया मत कहना। तुम मुझे सिर्फ कमल कह कर बुलाना। मैं तुम्हें सिर्फ रानी कह कर बुलाऊंगा। ठीक है? तुम्हें कोई एतराज तो नहीं?
रानी तो वैसे ही राज को कमल कह कर ही अपने पति से चुदवाती थी। उसने फ़ौरन कहा, "नहीं, मुझे कोई एतराज नहीं। अब मैं तुम्हें कमल भैया नहीं, कमल कह कर ही बुलाऊंगी और तुम तो मुझे रानी कह कर बुला ही रहे हो।"
कमल: "और दूसरी बात: अब मैं साधारणतया अश्लील माने जाने वाले शब्द जैसे चूत, लण्ड, चोदना इत्यादि शब्दों का प्रयोग करूंगा क्यूंकि जो मैं बताने जा रहा हूँ उस बात में यही शब्द सही लगते है। और मैं चाहता हूँ की अब तुम भी सारी औपचारिकता छोड़ कर मुझसे भी इसी शब्दों का प्रयोग कर के बात करो। क्या ऐसा कर सकोगी?"
रानी असमंजस में पड़ गयी। थोड़ा रुकने के बाद रानी बोली, " मैं और राज, हम पति पत्नी तो ऐसे स्पष्ट शब्दों में ही बात करते हैं। भला आप के साथ मैं ऐसे शब्द कैसे प्रयोग कर सकती हूँ? पर जब आप कहते हैं की बात समझने और समझाने के लिए यह जरुरी है तो फिर ठीक है। मुझे ऐसे शब्द सुनने में कोई आपत्ति नहीं है और अगर आपको कोई हर्ज नहीं है तो फिर ऐसा ही सही। मैं भी वही शब्द इस्तेमाल करने की कोशिश करुँगी।"