14-08-2019, 04:33 PM
उलटा कुमुद राज की आँखों में आँखें डाल कर पूछने लगी, "मजाक मत करो राज। मैं कोई सुन्दर नहीं हूँ। अगर मैं सुन्दर होती और तुम्हारे भैयाको पसंद होती तो वह मुझसे इस तरह की उटपटांग बाते न करते। "
कुमुद को इतना करीब पाकर राज की हालत खराब हो रही थी। उसके पजामेमें उसका लण्ड फर्राटे मार रहा था। वह अपने आप को बड़ी मुश्किल से रोक पा रहा था। राज के दिमाग में खून का बहाव एकदम तेज हो रहा था। लगता था कहीं उत्तेजना में उसके बदन में खून की धमनियां फट न जाएँ।
बड़ी मुश्किल से अपने आप को सम्हालते हुए राज ने पूछा "कैसी बातें?" तो कुमुद बोली, "वह हर रात तुम्हारे बारे में....." बोल कर वह शर्मा गयी और बोली, "जाने दो मैं क्या कहूं? मुझे शर्म आती है।" और कुमुद थोड़ी देर चुप हो गयी।
कमरे में थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया। राज और कुमुद की गहरी साँसों की आवाज कमल को साफ़ सुनाई दे रही थी। राज के पजामेमें उसका लण्ड खड़ा हो गया था। कुमुद जब राज से लिपट कर खड़ी थी तब राज का लण्ड कुमुद के पाँव के बिच ठोकर मार रहा था। कमल की बीबी कुमुद ने राज के लण्ड को अपने पॉंव के बिच ठोकर मारते हुए महसूस किया तो वह बोल पड़ी, "अरे राज भैया, तुमभी.....? यह ... क्या है?" यह कह कर कुमुद राज से थोड़ा हट कर खड़ी हुई।
राज बेचारा क्या बोलता? ना तो उससे रहा जा रहा था ना उससे सहा जा रहा था। वह लज्जा से तार तार हो रहा था। उसका भेद खुल गया था। उसके लिए तो अब एक ही रास्ता था। वह एकदम करुणा भरी आवाज में कुमुद से क्षमा मांगते हुए बोला, "भाभी, मुझे माफ़ कर दीजिये। मैं पहले से ही कुछ नर्वस था। आपको देखकर, आपकी सुंदरता से मैं कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। मैंने फिल्मों में तो सुन्दर लडकियां देखि हैं, पर साक्षात् आपके जितनी सुन्दर लड़की आपके अलावा नहीं देखि। प्लीज आप माफ़ कर दीजिये। आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा।"
जब एक औरत अपनी सुंदरता की इतनी भूरी भूरी प्रशंसा सुनती है तो उसे प्रशंसा करने वाले के दोष नहीं दीखते। कमल की बीबी कुमुद अपनी प्रशंसा सुनकर आधा शर्म से और आधा सहानुभूति से राज की और देख कर बोली, "ठीक है बहुत हो गया। मेरी जूठी तारीफ़ करके अब तुम मेरी टांग खींचना बंद करो। मैंने माफ़ किया। बस? "
राज ने कहा, "तो फिर ज़रा हंस भी दो भाभी।"
सुन कर कुमुद हंस पड़ी और राज को कमर में नकली घूँसा मारते हुए बोली, "तुम भी ना, तुम्हारे दोस्त से कम नहीं हो। मुझे लगता है तुम्हारे भाई तुम्हारे बारेमें सच ही कह रहे थे।"
बिस्तर पर लेटा हुआ कमल अपनी बीबी और अपने दोस्त राज के बिच की बातें सुन रहा था।
इस हादसे के बाद राज और कुमुद में थोड़ी और पटने लगी। राज कमल और कुमुद के साथ दो दिन और रुका। जाने से एक दिन पहले शाम को जब सब एक साथ बैठे थे तो कुमुद ने अपने पति कमल से राज के सामने ही बातों बातों में कहा, "कमल, तुम्हारा दोस्त राज, तुमसे कहीं ज्यादा सयाना है।"
कमल जोर से हंसा और बोल पड़ा, "अच्छा? तुझे भी राज पसंद है? मेरा दोस्त है ही ऐसा। अगर वाकई में तुम्हें राज इतना पसंद है तो चल, आज रात राज को हमारे साथ ही सोने के लिए बुला लेते हैं। हम सब मिलकर मौज करेंगे।"
कमल की बात सुन कर राज का मुंह खुला का खुला ही रह गया। कुमुद गुस्से से तिलमिला उठी और कमरे से झाड़ू निकाल कर जोर जोर से चिल्लाकर कमल से कहने लगी, "तुम समझते क्या हो अपने आपको? जो मन में आये सो बोल देते हो?" वह कमल के पीछे झाड़ू ले कर मारने के लिए दौड़ पड़ी। कमल भाग कर घर के बाहर की और दौड़ पड़ा। राज एकदम बिच में आया और कुमुद के हाथ से झाड़ू लेकर कोने में फेंक दिया और कमल के पीछे भागती हुई कुमुद को रोका और अपनी बाहों में खिंच कर दबा कर उसे शांत करने लगा।
उस दिन की तरह राज का लण्ड फिर से एकदम खड़ा होकर कमल की बीबी कुमुद के बदन को टॉच रहा था। इस बार तो दोनों के बदन के हिलने से और राज का कुमुद को अपने काफी करीब दबाने से शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी की राज का लण्ड कुमुद ने जरूर अनुभव किया था। पर इस बार कुमुद इस बारेमें कुछ नहीं बोली और राज की बाहों में कमल को कोसती रही।
राज कमल की और मुड़ा और बोला, "हद है भैया। आप जो कुछ मन में आता है वह बोलते जा रहे हो। ज़रा अपने आप पर नियत्रण रखो। ऐसा बोलोगे तो फिर मैं तुम्हारे घर नहीं आऊंगा।"
कमल ने कहा, "भाई मैं तो जो मनमें आता है वह बोल देता हूँ। मुझे माफ़ करदे पर ऐसे कभी मत कहना की तू मुझसे दूर हो जाएगा।"
कमल और राज गले लग गए। दोनों की आँखें आंसुओं से नम हो गयी।
कुमुद को इतना करीब पाकर राज की हालत खराब हो रही थी। उसके पजामेमें उसका लण्ड फर्राटे मार रहा था। वह अपने आप को बड़ी मुश्किल से रोक पा रहा था। राज के दिमाग में खून का बहाव एकदम तेज हो रहा था। लगता था कहीं उत्तेजना में उसके बदन में खून की धमनियां फट न जाएँ।
बड़ी मुश्किल से अपने आप को सम्हालते हुए राज ने पूछा "कैसी बातें?" तो कुमुद बोली, "वह हर रात तुम्हारे बारे में....." बोल कर वह शर्मा गयी और बोली, "जाने दो मैं क्या कहूं? मुझे शर्म आती है।" और कुमुद थोड़ी देर चुप हो गयी।
कमरे में थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया। राज और कुमुद की गहरी साँसों की आवाज कमल को साफ़ सुनाई दे रही थी। राज के पजामेमें उसका लण्ड खड़ा हो गया था। कुमुद जब राज से लिपट कर खड़ी थी तब राज का लण्ड कुमुद के पाँव के बिच ठोकर मार रहा था। कमल की बीबी कुमुद ने राज के लण्ड को अपने पॉंव के बिच ठोकर मारते हुए महसूस किया तो वह बोल पड़ी, "अरे राज भैया, तुमभी.....? यह ... क्या है?" यह कह कर कुमुद राज से थोड़ा हट कर खड़ी हुई।
राज बेचारा क्या बोलता? ना तो उससे रहा जा रहा था ना उससे सहा जा रहा था। वह लज्जा से तार तार हो रहा था। उसका भेद खुल गया था। उसके लिए तो अब एक ही रास्ता था। वह एकदम करुणा भरी आवाज में कुमुद से क्षमा मांगते हुए बोला, "भाभी, मुझे माफ़ कर दीजिये। मैं पहले से ही कुछ नर्वस था। आपको देखकर, आपकी सुंदरता से मैं कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। मैंने फिल्मों में तो सुन्दर लडकियां देखि हैं, पर साक्षात् आपके जितनी सुन्दर लड़की आपके अलावा नहीं देखि। प्लीज आप माफ़ कर दीजिये। आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा।"
जब एक औरत अपनी सुंदरता की इतनी भूरी भूरी प्रशंसा सुनती है तो उसे प्रशंसा करने वाले के दोष नहीं दीखते। कमल की बीबी कुमुद अपनी प्रशंसा सुनकर आधा शर्म से और आधा सहानुभूति से राज की और देख कर बोली, "ठीक है बहुत हो गया। मेरी जूठी तारीफ़ करके अब तुम मेरी टांग खींचना बंद करो। मैंने माफ़ किया। बस? "
राज ने कहा, "तो फिर ज़रा हंस भी दो भाभी।"
सुन कर कुमुद हंस पड़ी और राज को कमर में नकली घूँसा मारते हुए बोली, "तुम भी ना, तुम्हारे दोस्त से कम नहीं हो। मुझे लगता है तुम्हारे भाई तुम्हारे बारेमें सच ही कह रहे थे।"
बिस्तर पर लेटा हुआ कमल अपनी बीबी और अपने दोस्त राज के बिच की बातें सुन रहा था।
इस हादसे के बाद राज और कुमुद में थोड़ी और पटने लगी। राज कमल और कुमुद के साथ दो दिन और रुका। जाने से एक दिन पहले शाम को जब सब एक साथ बैठे थे तो कुमुद ने अपने पति कमल से राज के सामने ही बातों बातों में कहा, "कमल, तुम्हारा दोस्त राज, तुमसे कहीं ज्यादा सयाना है।"
कमल जोर से हंसा और बोल पड़ा, "अच्छा? तुझे भी राज पसंद है? मेरा दोस्त है ही ऐसा। अगर वाकई में तुम्हें राज इतना पसंद है तो चल, आज रात राज को हमारे साथ ही सोने के लिए बुला लेते हैं। हम सब मिलकर मौज करेंगे।"
कमल की बात सुन कर राज का मुंह खुला का खुला ही रह गया। कुमुद गुस्से से तिलमिला उठी और कमरे से झाड़ू निकाल कर जोर जोर से चिल्लाकर कमल से कहने लगी, "तुम समझते क्या हो अपने आपको? जो मन में आये सो बोल देते हो?" वह कमल के पीछे झाड़ू ले कर मारने के लिए दौड़ पड़ी। कमल भाग कर घर के बाहर की और दौड़ पड़ा। राज एकदम बिच में आया और कुमुद के हाथ से झाड़ू लेकर कोने में फेंक दिया और कमल के पीछे भागती हुई कुमुद को रोका और अपनी बाहों में खिंच कर दबा कर उसे शांत करने लगा।
उस दिन की तरह राज का लण्ड फिर से एकदम खड़ा होकर कमल की बीबी कुमुद के बदन को टॉच रहा था। इस बार तो दोनों के बदन के हिलने से और राज का कुमुद को अपने काफी करीब दबाने से शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी की राज का लण्ड कुमुद ने जरूर अनुभव किया था। पर इस बार कुमुद इस बारेमें कुछ नहीं बोली और राज की बाहों में कमल को कोसती रही।
राज कमल की और मुड़ा और बोला, "हद है भैया। आप जो कुछ मन में आता है वह बोलते जा रहे हो। ज़रा अपने आप पर नियत्रण रखो। ऐसा बोलोगे तो फिर मैं तुम्हारे घर नहीं आऊंगा।"
कमल ने कहा, "भाई मैं तो जो मनमें आता है वह बोल देता हूँ। मुझे माफ़ करदे पर ऐसे कभी मत कहना की तू मुझसे दूर हो जाएगा।"
कमल और राज गले लग गए। दोनों की आँखें आंसुओं से नम हो गयी।