14-08-2019, 03:39 PM
वो मान गईं. मैं दीदी की बुर सहलाने लगा, दीदी की बुर एकदम गीली हो चुकी थी, दीदी बोलीं- देखो अमित हम जो कर रहे हैं, ये सही नहीं है.
मैं कुछ नहीं बोला तो दीदी ने कहा- अब बस करो.
पर मैंने दीदी की एक न सुनी. उनको चूमने के बाद मैंने अपनी पैंट उतारी और अपना 7 इंच का लंड निकाला तो दीदी के होश उड़ गए.
मैंने कहा- दीदी एक बार डालने दो.
दीदी बोलीं- इतना बड़ा.. मुझे मारना है क्या?
मैं बोला- तुम एक बार डलवाओ तो सही, कुछ नहीं होगा.
दीदी के मन में उत्सुकता और डर दोनों था. मैंने दीदी को बेड पर लिटाया और अपना लंड उनकी बुर में धीरे धीरे डालने लगा. वो दर्द से कसमसाने लगीं. फिर मैं जोर जोर से झटके मारने लगा. दीदी चीखने लगीं. मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से दबा दिया ताकि माँ को न सुनाई
मैं कुछ नहीं बोला तो दीदी ने कहा- अब बस करो.
पर मैंने दीदी की एक न सुनी. उनको चूमने के बाद मैंने अपनी पैंट उतारी और अपना 7 इंच का लंड निकाला तो दीदी के होश उड़ गए.
मैंने कहा- दीदी एक बार डालने दो.
दीदी बोलीं- इतना बड़ा.. मुझे मारना है क्या?
मैं बोला- तुम एक बार डलवाओ तो सही, कुछ नहीं होगा.
दीदी के मन में उत्सुकता और डर दोनों था. मैंने दीदी को बेड पर लिटाया और अपना लंड उनकी बुर में धीरे धीरे डालने लगा. वो दर्द से कसमसाने लगीं. फिर मैं जोर जोर से झटके मारने लगा. दीदी चीखने लगीं. मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से दबा दिया ताकि माँ को न सुनाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.