14-08-2019, 03:38 PM
मैंने दीदी को देखा तो हैरान रह गया. उन्होंने एक काले रंग की पारदर्शी सिल्की फ्रॉकनुमा नाईटी, जो सिर्फ उनकी जाँघों तक आ रही थी.. उसे पहनी थी. उसके अन्दर की ब्रा और पैन्टी साफ साफ दिखाई दे रही थी. सिंगल बेड होने के कारण वो मेरे एकदम करीब आकर लेट गईं. दीदी के शरीर से निकलती मादक महक से मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था. दीदी लेटते ही नींद के आगोश में चली गईं. पर उनके शरीर की खुशबू से मेरी नींद उड़ गई थी.
रात करीब एक बजे दीदी ने जब करवट बदली तो उनकी गदराई गांड मेरी तरफ थी. अब मुझसे काबू नहीं हुआ तो मैंने अपना लंड दीदी की गांड के पास कर दिया और धीरे धीरे दबाव बढ़ाने लगा. दीदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
मैंने हिम्मत न होने के कारण आगे कुछ नहीं किया और सो गया. ऐसा करीब 3 दिन चलता रहा.
रात करीब एक बजे दीदी ने जब करवट बदली तो उनकी गदराई गांड मेरी तरफ थी. अब मुझसे काबू नहीं हुआ तो मैंने अपना लंड दीदी की गांड के पास कर दिया और धीरे धीरे दबाव बढ़ाने लगा. दीदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
मैंने हिम्मत न होने के कारण आगे कुछ नहीं किया और सो गया. ऐसा करीब 3 दिन चलता रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.