14-08-2019, 03:37 PM
रात के करीब दस बज चुके थे. माँ ने मुझे खाना दिया और अपने कमरे में सोने चली गईं. मैं खाना खाकर अपने कमरे में गया, पर मेरा ध्यान मेरी दीदी से हट ही नहीं रहा था. मैं उनके कमरे में गया, लाईट जलाई और सीधा उनके बाथरूम में घुस गया. बाथरूम में एक किनारे पे उनकी नाईटी रखी थी, जैसे ही मैंने उसको उठाया, उसमें से उनकी ब्रा और पैन्टी नीचे गिर गई. दीदी की ब्रा और पैन्टी को देख कर मुझपे मदहोशी सी छाने लगी. मैंने ब्रा और पैन्टी को सूंघा. सूंघते ही मुझे नशा सा होने लगा. मैंने पहली बार दीदी को सोचकर मुठ मारी और सारा मुठ उनकी ब्रा और पैन्टी पे गिरा कर सोने चला गया.
अगले दिन जब दीदी वापस आईं तो मैं सो रहा था. जब उठा तो फ्रेश हो कर नाश्ते की टेबल पे गया. दीदी पहले से ही वहां थीं और मुझे घूर रही थीं. मैं समझ गया कि दीदी ने ब्रा और पैन्टी में लगे मेरे मुठ को देख लिया है. दीदी ने कुछ नहीं बोला और अपने कमरे में चली गईं.
अब मैं अपनी दीदी को बहन की नजर से नहीं बल्कि एक जवान लड़की की नजर से देखने लगा. मेरा पूरा ध्यान अब दीदी पे ही रहने लगा. मैं उनकी जवानी की झलक पाने का कोई मौका नहीं गंवाता था. झाडू पोंछा करते वक्त जब वो झुकती थीं तो मैं उनकी चूचियों को गौर से देखता. शायद उन्हें भी पता था कि मेरा ध्यान उन्हीं पर है, इसलिए वो जानबूझ कर ऐसी हरकतें करती थीं, जिससे मेरा ध्यान उन पर जाए.
अगले दिन जब दीदी वापस आईं तो मैं सो रहा था. जब उठा तो फ्रेश हो कर नाश्ते की टेबल पे गया. दीदी पहले से ही वहां थीं और मुझे घूर रही थीं. मैं समझ गया कि दीदी ने ब्रा और पैन्टी में लगे मेरे मुठ को देख लिया है. दीदी ने कुछ नहीं बोला और अपने कमरे में चली गईं.
अब मैं अपनी दीदी को बहन की नजर से नहीं बल्कि एक जवान लड़की की नजर से देखने लगा. मेरा पूरा ध्यान अब दीदी पे ही रहने लगा. मैं उनकी जवानी की झलक पाने का कोई मौका नहीं गंवाता था. झाडू पोंछा करते वक्त जब वो झुकती थीं तो मैं उनकी चूचियों को गौर से देखता. शायद उन्हें भी पता था कि मेरा ध्यान उन्हीं पर है, इसलिए वो जानबूझ कर ऐसी हरकतें करती थीं, जिससे मेरा ध्यान उन पर जाए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
