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Adultery तस्वीर का रहस्य... (COMPLETE)
#34
नैना: "मिहिर तो बोरिंग हैं, कोई खेल खेलता ही नहीं जब की इसमें कितना मजा आता है। अच्छा हुआ तुम मिल गए खेलने के लिये। कभी कभार मैं प्रेरणा के साथ दोपहर में खेलती हू। वो भी इतना एन्जॉय करती जितना तुमने किया"

(
मै और नैना अब बेडरूम से बाहर आये और सोफ़े पर बैठ थोड़ा रेस्ट किया। फिर घडी की तरफ नजर दोड़ै तो घन्टे हो चुके थे।)


नैना: "टाइम का पता ही नहीं चला, हम चले उधार, उनकी तस्वीर बन गयी होगी"

हम दोनों नैना के फ्लैट पर पहुचे। मिहिर अपने कैनवास के पास था पर प्रेरणा वहां नहीं थी। तस्वीर तैयार थी और थोड़ी देर में प्रेरणा बेडरूम से कपड़े पहने बाहर आयी। हमने तस्वीर देखि जो बहुत खूबसूरत बनी थी। मिहिर बोला की उसको थोड़ा टाइम और चाहिए वो कुछ फिनिशिंग टच देगा और उसके बाद हम वो तस्वीर ले जा सकते है।

मै और प्रेरणा घर गए। प्रेरणा अभी भी नरवस लग रही थी। मैंने उसको पूछा की वो ठीक तो हैं तो वो हल्का सा मुस्कुरा दि। - दिन बाद हमें वो तस्वीर मिल गयी और हमने वो अपने बेडरूम में लगा दि। तस्वीर बनने से पहले प्रेरणा जितनी खुश थी, बनने के बद उतनी खुश नहीं थी। शायद प्रेरणा ने भी नहीं सोचा था की तस्वीर बनवाना कितना कठिन होगा और उसके नंग शारीर को एक पराय मर्द छूयेगा। मगर अब तो सब हो चूका था तो मैं उसको नार्मल करने की कोशिश करने लगा। हमने मिहिर को तस्वीर बनने के बदले कोई रुपये तो नहीं दिए थे तो मैंने प्रेरणा को आईडिया दिया की हम कोई गिफ्ट लेकर मिहिर को दे सकते है। प्रेरणा ने यह फैसला मुझ पर छोड़ दिया। मै प्रेरणा को साथ लेकर मिहिर के लिए एक गिफ्ट ले आया और फिर हम मिहिर के घर उसको गिफ्ट देने गए। नैना और मिहिर ने बोला की गिफ्ट की कोई जरुरत नहीं हैं और वो इसे नहीं लेंगा।

मैने मिहिर को फाॅर्स किया की हमें अच्छा नहीं लगेगा अगर हम फ्री में तस्वीर बनवायी तो। मिहिर ने गिफ्ट लेने के बदले एक शरत रख दि।

मिहिर: "तस्वीर बनाने के बदले तो मैं यह गिफ्ट नहीं ले सकता पर गुरु दक्षिणा के तौर पर ले सकता हू। मैं प्रेरणा की कुछ क्लासेज ले सकता हूँ जहा मैं उसको पेंटिंग की जो बारीकिया मुझे पता हैं वो सिखाउंगा। बोलो प्रेरणा चलेगा तुम्हे?" प्रेरणा को तो साप सूंघ गया और वो कुछ नहीं बोलि और मूह नीचे किये शरमाती रहि। वो अभी भी शर्मा रही थी, यह सोच कर की मिहिर ने तस्वीर बनाते उसके नंगे बदन को छुआ था।

पराग: "प्रेरणा क्या हो गया, तुम्हे तो पेंटिंग सिखने की इतनी तलब थी, अब मौका मिल रहा हैं तो सोच रही हो!!"

नैना ने प्रेरणा के पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखा और उसको नार्मल करने की कोशिश की। हम सबको ही प्रेरणा की मानसिक हालत का अंदाज़ा हो गया था। प्रेरणा ने सर ना में हिला कर मन कर दिया। तब मिहिर खुद प्रेरणा की तरफ आगे बढा और नैना दूर हो गायी। मिहिर ने अपना एक हाथ प्रेरणा की पीठ पर रखा और नीचे जमीन को घुरति प्रेरणा की नजरे एक झटके में ऊपर उठि और उसका शारीर कड़ा हो गया। प्रेरणा अब मिहिर की शकल देखने लगी। प्रेरणा तो मिहिर की छुअन से ही सदमे में चली गयी थी। हालांकि अब एक तो उसकी आदत पड़ जानि चाहिए थी, मिहिर तो उसको दिन तक थोड़ा बहुत छु चूका था। 

(
एक तरफ मुझे प्रेरणा को नार्मल करना जरुरी था तो दूसरी तरफ लालच भी था। अगर प्रेरणा अपनी पेंटिंग की क्लास लेगी तो मुझे भी शायद नैना के साथ अपना खेल खेलने का अवसर मिलगा।) मैने डिक्लेअर कर दिया की अगले संडे प्रेरणा अपनी क्लास के लिए मिहिर के पास आएगी। प्रेरणा मेरी शकल देखने लगी जैसे वो तो बिलकुल ही नहीं चाहती थी, पर मुझे पता था की वो शर्म के मारे ना बोल रही
थी।
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RE: तस्वीर का रहस्य - by usaiha2 - 14-08-2019, 03:35 PM



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