14-08-2019, 03:16 PM
वीना ने अब वो तसवीरे अपने पति संतोष को दिखानी शुरू की और हर तस्वीर को देखने के बाद वो भी वाओ करते हुए तसवीरे अच्छी हैं यह बोलता गया।
वीना: "संतोष, मेरी भी इच्छा हैं की मेरी ऐसी कोई पेंटिंग हो और मैं अपने बेडरूम में लगाउ। कितना अच्छा लगेगा न!"
संतोष: "अच्छा तो लगेग, मगर यह तस्वीर बनवाना कितना महंगा होगा यह पता हैं!"
वीना: "पराग वो पेंटर ज्याद पैसा मांग रहा हैं क्या जो तुम मना कर रहे हो प्रेरणा को। उसकी कितनी इच्छा हैं"
पराग: "वो हमारा पडोसी ही पेंटर हैं, उसकी बीवी प्रेरणा की सहेली हैं तो वो फ्री में बनाएगा, पर"
वीना: "क्या!! फ्री में! ओह माय गोड़। मेरे लिए भी बात करो न,मेरी भी पेंटिंग फ्री में बना दे तो"
संतोष: "अरे वो इनकी अच्छी जान पहचान का पडोसी हैं इसलिए प्रेरणा की तस्वीर फ्री में बना देगा, पर वीणा तुम्हारी तस्वीर क्यों फ्री में बनाएगा वो!"
वीना: "मैं प्रेरणा को पूछती हूं, उसने कौन सी पेंटिंग पसन्द की हैं"
यह कह कर वीणा वापिस बेडरूम में चली गायी। मैंने तो वीणा को हेल्प करने को बुलाय था पर वो तो प्रेरणा को और उत्साहित कर रही थी। संतोष ने मेरे मन की बात पढ़ ली और मेरे कंधे पर हाथ राख कर मुझे समझाने लाग।
संतोष: "मुझे पता हैं तू क्यों दर रहा है। पर यह सोच की वो पेंटर तो कुछ घन्टे ही प्रेरणा को बिना कपड़ो के देखेगा, पर फिर ज़िन्दगी भर तुम वो तस्वीर देख पाओगे। ऊपर से प्रेरणा तुमसे कितनी खुश होगी। बिबी खुश तो हस्बैंड भी खुश रहता है। बनवाने दो एक पेंटिंग, क्या हैं उसमे!"
पराग: "अगर कोई अनजान पेंटर होता तो फिर भी ठीक हैं की फिर कभी उस से नहीं मिलना है। मगर प्रेरणा को एक बार बिना कपड़ो के देखने के बाद फिर वो मिहिर जब भी प्रेरणा को देखेगा तो किस नजर से देखेगा!"
संतोष: "आर्टिस्ट लोगो की नजरे खराब तो नहीं होनी चहिये। पर फ्यूचर में अगर वो देखेगा भी तो प्रेरणा ने तो कपड़े पहने होगे न! तुम प्रेरणा को बोल देना की सीर्फ एक ही पेंटिगं की परमिशन हैं, आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए"
पराग: "प्रेरणा कुछ ज्यादा ही सीरियस है। ४ दिन से नाराज है। मुझे भी लगरहा हैं की उसको एक पेंटिंग तो बनवाने की परमिशन देनी ही होगी"
संतोष: "यहि ठीक हैं दोस्त, संडे का पिकनिक का प्रोग्राम कैंसिल करते हैं, तुम पेंटिंग बनवाओ और ज्यादा टेंशन मत लो, कुछ नहीं होगा"
वीना और संतोष के जाने के बाद भी मैं सोचता रहा की संतोष क्या बोल गया। अगर उसकी बीबी नंगी हो रही होती तो उसको पता चलता। मै सोचा थोड़ा टाइम और दे देता हू।
सैटरडे के दिन छुट्टी थी और मैं प्रेरणा को बाहर मूवी दिखाने ले जाना चाहता था पर वो नहीं मानि। रात को मैंने उसको समझाने की कोशिश की और उसको अलग अलग बातें बोल कर डराने की भी कोशिश की पर सब कुछ बेकार रह। आखिरकार संडे की सुबह मैंने हार मानकर प्रेरणा को परमिशन दे दी की वो अपनी पेंटिंग बनवा सकती है। एक बार तो प्रेरणा को यकीन नहीं हुआ। मगर मेरे फिर कहने पर वो मान गयी और बहुत खुश होकर मेरे गले लग रो पडी। तभी डोर बैल बाजी। प्रेरणा दौड़ते हुए दरवाजा खोलने गायी। नैना आयी थि, प्रेरणा ने उसको कस कर गले लगा लिया और गले लगते हुए ही गोल गोल घुमा दिया। फिर वो दोनों अलग हुये।
वीना: "संतोष, मेरी भी इच्छा हैं की मेरी ऐसी कोई पेंटिंग हो और मैं अपने बेडरूम में लगाउ। कितना अच्छा लगेगा न!"
संतोष: "अच्छा तो लगेग, मगर यह तस्वीर बनवाना कितना महंगा होगा यह पता हैं!"
वीना: "पराग वो पेंटर ज्याद पैसा मांग रहा हैं क्या जो तुम मना कर रहे हो प्रेरणा को। उसकी कितनी इच्छा हैं"
पराग: "वो हमारा पडोसी ही पेंटर हैं, उसकी बीवी प्रेरणा की सहेली हैं तो वो फ्री में बनाएगा, पर"
वीना: "क्या!! फ्री में! ओह माय गोड़। मेरे लिए भी बात करो न,मेरी भी पेंटिंग फ्री में बना दे तो"
संतोष: "अरे वो इनकी अच्छी जान पहचान का पडोसी हैं इसलिए प्रेरणा की तस्वीर फ्री में बना देगा, पर वीणा तुम्हारी तस्वीर क्यों फ्री में बनाएगा वो!"
वीना: "मैं प्रेरणा को पूछती हूं, उसने कौन सी पेंटिंग पसन्द की हैं"
यह कह कर वीणा वापिस बेडरूम में चली गायी। मैंने तो वीणा को हेल्प करने को बुलाय था पर वो तो प्रेरणा को और उत्साहित कर रही थी। संतोष ने मेरे मन की बात पढ़ ली और मेरे कंधे पर हाथ राख कर मुझे समझाने लाग।
संतोष: "मुझे पता हैं तू क्यों दर रहा है। पर यह सोच की वो पेंटर तो कुछ घन्टे ही प्रेरणा को बिना कपड़ो के देखेगा, पर फिर ज़िन्दगी भर तुम वो तस्वीर देख पाओगे। ऊपर से प्रेरणा तुमसे कितनी खुश होगी। बिबी खुश तो हस्बैंड भी खुश रहता है। बनवाने दो एक पेंटिंग, क्या हैं उसमे!"
पराग: "अगर कोई अनजान पेंटर होता तो फिर भी ठीक हैं की फिर कभी उस से नहीं मिलना है। मगर प्रेरणा को एक बार बिना कपड़ो के देखने के बाद फिर वो मिहिर जब भी प्रेरणा को देखेगा तो किस नजर से देखेगा!"
संतोष: "आर्टिस्ट लोगो की नजरे खराब तो नहीं होनी चहिये। पर फ्यूचर में अगर वो देखेगा भी तो प्रेरणा ने तो कपड़े पहने होगे न! तुम प्रेरणा को बोल देना की सीर्फ एक ही पेंटिगं की परमिशन हैं, आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए"
पराग: "प्रेरणा कुछ ज्यादा ही सीरियस है। ४ दिन से नाराज है। मुझे भी लगरहा हैं की उसको एक पेंटिंग तो बनवाने की परमिशन देनी ही होगी"
संतोष: "यहि ठीक हैं दोस्त, संडे का पिकनिक का प्रोग्राम कैंसिल करते हैं, तुम पेंटिंग बनवाओ और ज्यादा टेंशन मत लो, कुछ नहीं होगा"
वीना और संतोष के जाने के बाद भी मैं सोचता रहा की संतोष क्या बोल गया। अगर उसकी बीबी नंगी हो रही होती तो उसको पता चलता। मै सोचा थोड़ा टाइम और दे देता हू।
सैटरडे के दिन छुट्टी थी और मैं प्रेरणा को बाहर मूवी दिखाने ले जाना चाहता था पर वो नहीं मानि। रात को मैंने उसको समझाने की कोशिश की और उसको अलग अलग बातें बोल कर डराने की भी कोशिश की पर सब कुछ बेकार रह। आखिरकार संडे की सुबह मैंने हार मानकर प्रेरणा को परमिशन दे दी की वो अपनी पेंटिंग बनवा सकती है। एक बार तो प्रेरणा को यकीन नहीं हुआ। मगर मेरे फिर कहने पर वो मान गयी और बहुत खुश होकर मेरे गले लग रो पडी। तभी डोर बैल बाजी। प्रेरणा दौड़ते हुए दरवाजा खोलने गायी। नैना आयी थि, प्रेरणा ने उसको कस कर गले लगा लिया और गले लगते हुए ही गोल गोल घुमा दिया। फिर वो दोनों अलग हुये।