14-08-2019, 03:08 PM
प्रेरणा ने उत्साहित होकर बोली की उसने भी कुछ पेंटिंग की है। यह उसकी वोही पेंटिंग हैं जो की मैं बहुत पहले ही रिजेक्ट कर चूका था। प्रेरणा अंदर से जाकर वो पेंटिंग लेआयी। मिहिर ने उनको देखा और कहा की यह शुरुआत के लिए अच्छी हैं पर प्रेरणा को इसकी कोई ट्रेनिंग लेनी चहिये। मिहिर ने अपने फ़ोन में अपनी एक पेंटिंग का फोटो बताया। उसने उसकी बीवी नैना का स्केच बनाए था। वो स्केच हु-बा-हु नैना से मिल रहा था। हम लोग उसकी स्केचिंग के कायल हो गए। प्रेरणा ने मिहिर से रिक्वेस्ट की वो उसका भी एक स्केच बना दे। मिहिर तुरंत मान गया और अगले संडे का प्लान फिक्स कर दिया की वो प्रेरणा का स्केच बनाएग। प्रेरणा बहुत खुश हुयी।
फिर हमारी जनरल बातें हुयी। जहा नैना बाच्चो के नाम के बारे में बताने लागी।
नैना "हमें एक लड़की चाहिए थी और उसका नाम भी सोच लिया था मेरे और मिहिर के नाम से मिला कर। मिहिर के नाम से "मि" और मेरे नाम से "न" मिला कर "मीणा" नाम बनता है।"
प्रेरणा: "मेरे और पराग के नाम को मिलकर कोई नाम ही नहीं बनता"
नैना: "मेरे और पराग के नाम से बन जायेगा "पाना" यानी पन्ना कर सकते हैं"
प्रेरणा: "मेरे और मिहिर के नाम से बनेगा प्रेमी"l
हँसि मजाक के साथ उन दोनों को विदा किया और एक हसीं शाम समाप्त हुयी।
उस रात एक बार फिर प्रेरणा का चुदने का मन बन गया था। लगातार दूसरे संडे को प्रेरणा का खुद चुदने का मन हुआ था। एक बार फिर मुझे उसने अपने मुम्मे दबाने की इजाजत दे दि। पिछले संडे की तरह इस बार भी मैंने प्रेरणा को चोदने के जाम कर मजे लिये। इस बार मैंने थोड़ी चीटिंग भी की थी। प्रेरणा को छोड कर झाड़ते वक़्त मैंने आँखें बंद कर नैना को ही याद किया था जैसे उसी को ही चोद रहा था। मेरे नए पड़ोसियो का एक फायदा तो मुझे हो ही गया था, की हमारी सेक्स bलाइफ थोड़ी बेहतर हो रही थी। पूरे वीक प्रेरणा बहुत एक्ससिटेड थी की उसका भी स्केच बनेग। अगले संडे वो सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गयी थी। उसने अपना फेवरेट कुरता पहने था जिसमे वो अपना स्केच बनवाने वाली थी। अपनी हेयर स्टाइल भी अच्छे से बना ली।
दिये गए टाइम पर मैं, प्रेरणा और अपने बच्चे को लेकर मिहिर और नैना के फ्लैट पर पहुंच। मिहिर ने अपने ड्राइंग रुम में लाइटिंग उसके हिसाब से सेट कर दी थी। उसके घर में दीवारो पर तसवीरे सजी हुई थी। मिहिर ने प्रेरणा को एक सोफ़े पर बैठा दिया और उसका पॉज फिक्स करने लाग। मिहिर ने प्रेरणा के पॉज ठीक करने के लिए कभी उसके कंधे तो कभी हाथ तो कभी पैर छु कर उसको सीधा किया। मिहिर ने बताया की उसको स्केचिंग के लिए १-२ घन्टे लगेगा।
नैना ने मुझको कहाकी इस बीच वो मेरी कविता सुन कर उसको गाने की कोशिश करेगि। मागर वहा गाना गाने से स्केचिंग में डिस्टर्बेंस होगा तो हमने डीसाईड किया की हम लोग मेरे फ्लैट पर जाएंगे। मैं नैना और मेरे बच्चे के साथ अपने फ्लैट पर आया। बच्चा साइड में खेलता रहा और मैं अपनी कविता को नैनाके साथ डिसकस कर अलग अलग धुन पर उसको गाना गवाने लगा। इस घन्टे के दौरान हम काफी खुल गए थे और बात बात में हम एक दूसरे के कन्धे, हाथ या जाँघो को छु कर एक दूसरे का ध्यान अपनी बात की तरफ दिला रहे थे। नैना ने एक टाइट टीशर्ट के साथ एक टाइट पंत पहने थी। उस टीशर्ट के अंदर से उसके ब्रा के किनारे दीख रहे थे। मैं बातों के बीच बीच में अपनी नजरे नैना के मुम्मो पर गडा कर देख लेता। उसके लिपस्टिक से रंगे गुलाबी होंठों के बीच से सुर बह रहे थे। गाते हुए उसका गाला लहरा रहा था और मैं उसके गोर दमकते हुए चेहरे को इतने क़रीब से देख पा रहा था।
फिर हमारी जनरल बातें हुयी। जहा नैना बाच्चो के नाम के बारे में बताने लागी।
नैना "हमें एक लड़की चाहिए थी और उसका नाम भी सोच लिया था मेरे और मिहिर के नाम से मिला कर। मिहिर के नाम से "मि" और मेरे नाम से "न" मिला कर "मीणा" नाम बनता है।"
प्रेरणा: "मेरे और पराग के नाम को मिलकर कोई नाम ही नहीं बनता"
नैना: "मेरे और पराग के नाम से बन जायेगा "पाना" यानी पन्ना कर सकते हैं"
प्रेरणा: "मेरे और मिहिर के नाम से बनेगा प्रेमी"l
हँसि मजाक के साथ उन दोनों को विदा किया और एक हसीं शाम समाप्त हुयी।
उस रात एक बार फिर प्रेरणा का चुदने का मन बन गया था। लगातार दूसरे संडे को प्रेरणा का खुद चुदने का मन हुआ था। एक बार फिर मुझे उसने अपने मुम्मे दबाने की इजाजत दे दि। पिछले संडे की तरह इस बार भी मैंने प्रेरणा को चोदने के जाम कर मजे लिये। इस बार मैंने थोड़ी चीटिंग भी की थी। प्रेरणा को छोड कर झाड़ते वक़्त मैंने आँखें बंद कर नैना को ही याद किया था जैसे उसी को ही चोद रहा था। मेरे नए पड़ोसियो का एक फायदा तो मुझे हो ही गया था, की हमारी सेक्स bलाइफ थोड़ी बेहतर हो रही थी। पूरे वीक प्रेरणा बहुत एक्ससिटेड थी की उसका भी स्केच बनेग। अगले संडे वो सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गयी थी। उसने अपना फेवरेट कुरता पहने था जिसमे वो अपना स्केच बनवाने वाली थी। अपनी हेयर स्टाइल भी अच्छे से बना ली।
दिये गए टाइम पर मैं, प्रेरणा और अपने बच्चे को लेकर मिहिर और नैना के फ्लैट पर पहुंच। मिहिर ने अपने ड्राइंग रुम में लाइटिंग उसके हिसाब से सेट कर दी थी। उसके घर में दीवारो पर तसवीरे सजी हुई थी। मिहिर ने प्रेरणा को एक सोफ़े पर बैठा दिया और उसका पॉज फिक्स करने लाग। मिहिर ने प्रेरणा के पॉज ठीक करने के लिए कभी उसके कंधे तो कभी हाथ तो कभी पैर छु कर उसको सीधा किया। मिहिर ने बताया की उसको स्केचिंग के लिए १-२ घन्टे लगेगा।
नैना ने मुझको कहाकी इस बीच वो मेरी कविता सुन कर उसको गाने की कोशिश करेगि। मागर वहा गाना गाने से स्केचिंग में डिस्टर्बेंस होगा तो हमने डीसाईड किया की हम लोग मेरे फ्लैट पर जाएंगे। मैं नैना और मेरे बच्चे के साथ अपने फ्लैट पर आया। बच्चा साइड में खेलता रहा और मैं अपनी कविता को नैनाके साथ डिसकस कर अलग अलग धुन पर उसको गाना गवाने लगा। इस घन्टे के दौरान हम काफी खुल गए थे और बात बात में हम एक दूसरे के कन्धे, हाथ या जाँघो को छु कर एक दूसरे का ध्यान अपनी बात की तरफ दिला रहे थे। नैना ने एक टाइट टीशर्ट के साथ एक टाइट पंत पहने थी। उस टीशर्ट के अंदर से उसके ब्रा के किनारे दीख रहे थे। मैं बातों के बीच बीच में अपनी नजरे नैना के मुम्मो पर गडा कर देख लेता। उसके लिपस्टिक से रंगे गुलाबी होंठों के बीच से सुर बह रहे थे। गाते हुए उसका गाला लहरा रहा था और मैं उसके गोर दमकते हुए चेहरे को इतने क़रीब से देख पा रहा था।