14-08-2019, 03:06 PM
पहली दिवाली आने वाली थी और मेरा और प्रेरणा का प्रोग्राम था की हम इस बार हमारे पेरेंट्स के घर जाकर दिवाली मनायेंगे। कुछ दिन वहाँ रह कर दिवाली के बाद हम वापिस अपने फ्लैट पर पहुचे। उस दिन संडे था और हम लोग सुबह सुबह ट्रेन से पहुच गए थे। ब्रेकफास्ट के बाद डोर बैल बाजी। प्रेरणा ने दरवाजा खोला तो नैना और मिहिर थे जो की हमें दिवाली की बधाई देने आये थे।
नैना और प्रेरणा ने गले मिल कर एक दूसरे को बधाई दि। मैं साइड में खड़ा देख पा रहा था की उन दोनों के बूब्स आपस में टकरा कर दब गए थे। इसके पहले की मैं उस नज़ारे के और मजे लेता मिहिर ने आकर मुझे गले लगा लिया और हमने भी एक दूसरे को दिवाली की बधाई दि। हम दोनों गले लग कर अलग हुए तब तक नैना और प्रेरणा दूर हो चुके थे।
मिहिर मुझसे हटा की नैना मेरी तरफ बढि। मैं अपना एक हाथ आगे बढा कर हाथ मिलाना चाहता था पर उसके पहले ही नैना ने अपनी बाहें फैला दि। मुझे यकीन नहीं हो रहा था की नैना मुझको गले लग दिवाली की बधाई देना चाहती है। मैंने भी नैना की मुस्कान से अपनी मुस्कान मिलाते हुए अपनी बाहें फैला दि। नैना ने एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे डाल कर साइड से कंधे से कन्धा मिलाया। इस बहाने ही सही नैना के मुम्मो का एक हल्का सा हिस्सा मेरे शारीर से भी टकराया और मैं तरंगित हो गया। मैं एक सेकंड के लिए अपनी आँख बंद किये उसके परफ्यूम की महाक को सूँघने लाग। उसी वक़्त मैंने देखा की मिहिर भी अपनी बाहें फैलाये प्रेरणा की तरफ बढा। मेरा दिल धड़कना रुक गया पर प्रेरणा ने अपना एक हाथ आगे बढा कर उस से हाथ मिला कर मिहिर के प्लान को वही ख़त्म कर दिया। मै बड़ा खुश हुआ। मुझे नैना को थोड़ा छुने को मिला पर मिहिर को कुछ नहीं मिला था। मुझे मेरी बीवी पर उस वक़्त गर्व हुआ।
हम चारो लोग बैठ कर दीवाली कैसे मनाई वो बताने लाग। प्रेरणा ने उनको थोड़ा नाश्ता भी करवा दिया जो हम घरसे लेकर आये थे। मिहिर ने बताया की प्रेरणा जब कभी अपने हाथ का पका खाना नैना को देती हैं तो मिहिर भी उसको खता हैं और उसको प्रेरणा के हाथ के बने खाने बहुत अच्छा लगता है। प्रेरणा खाना बहुत अच्छा बनाती हैं यह मुझे पता था, मगर मैं तो रोज ही खाता हूँ तो रोज तो तारीफ़ नहीं कर सकता था। मगर उस वक़्त अपने खाने की तारीफ़ सुनकर प्रेरणा ख़ुशी से फुली नहीं समां रही थी। मिहिर ने आगे बढ़ कर खुद ही बोल दिया की प्रेरणा उनको खाने पर कब बुलाएगी। उस दिन तो हम थाके हुए थे तो प्रेरणा ने नेक्स्ट संडे का प्लान फिक्स कर दिया। फिर नैना और मिहिर हुमको आराम करने का बोल कर चले गए।
मैने प्रेरणा से बाद में पूछा की उसने मिहिर को अपने घर पर खाने को क्यों बुलाय जब की वो तो मिहिर से थोड़ी नाराज चल रही है।
प्रेरणा ने कहा की मिहिर ने आगे से खुद को इनवाइट कर दिया तो वो फिर मैं ना कैसे बोलती। मैंने भी उसको छेड़ा की वो अपनी तारीफ़ सुनकर थोड़ा पिघल गयी और उनको खाने पर बुला लिया था। प्रेरणा स्माइल करने के अलावा कुछ नहीं कर पायी। उस दिन प्रेरणा बहुत खुश थी, सामने से किसी ने उसके खाने की तारीफ़ की थी। उस रात प्रेरणा का चुदाई का मूड बन गया था। बच्चा होने के बाद से ही प्रेरणा का चुदाई का मूड बहुत कम ही बनता था। मैं ही मेरा मूड होने पर आगे बढ़ कर प्रेरणा को छेडता हूँ और वो एक ज़िन्दा लाश की तरह पड़े रहती हैं। मगर आज अच्छा मौक़ा था। उसका भी मूड था, तो छेड़ते वक़्त मुझको अच्छा रिस्पांस मिलने वाला था। मैंने लगे हाथों उसको पुछ ही लिया की क्या वो मुझे उसके मुम्मे भी दबाने देगी। प्रेरणा मान गयी की मैं उसके मुम्मे दबा सकता हूं, और यहाँ तक की उसने अपना पूरा गाउन उतार दिया था। हमेशा वो गाउन नीचे से ऊपर कर के ही चुदवा लेती थी। मैने थोड़ी देर उसके मुम्मो का क्लीवेज चुमा। ब्रा के बाहर से झाँकते हुए उसके बूब्स के उभार को अपने मुह से चुमने का मजा लिया और फिर प्रेरणा की चुत को अपने मुह से छेड़ा। शादी के बाद शुरू के २ साल तक वो बराबर अपनी चुत को सफाचट रखती थी। फिर वो सफाई कम होती गायी। बच्चा होने के बाद तो वो अपनी चुत के बालो की सफायी करना जैसे भूल ही गयी थी। प्रेरणा की चुत पर बड़े बड़े बाल उगे थे और उसकी चुत चाटते वक़्त बाल मेरे मुह में भी जा रहे थे पर मैं उत्साह के साथ उस मिले हुए अवसर का फायदा उठा रहा था। प्रेरणा सिसकिया मार रही थी और मुझे मजा आ रहा था। मैंने भी उसको मेरा लंड चुसने को बोला मगर उसने मना बोल दिया। शादी के शुरू के एक साल में उसने मेरा लंड जरूर काफी बार चुसा था पर २-३ साल के अंदर वो सब बंद हो चूका था। फिलहाल मैंने उसके गोर बदन को चुमने का भरपुर आनंद लिया। काफी दिनों बाद वो सिर्फ एक ब्रा में लेती थी और मुझे चोदने दे रही थी।
नैना और प्रेरणा ने गले मिल कर एक दूसरे को बधाई दि। मैं साइड में खड़ा देख पा रहा था की उन दोनों के बूब्स आपस में टकरा कर दब गए थे। इसके पहले की मैं उस नज़ारे के और मजे लेता मिहिर ने आकर मुझे गले लगा लिया और हमने भी एक दूसरे को दिवाली की बधाई दि। हम दोनों गले लग कर अलग हुए तब तक नैना और प्रेरणा दूर हो चुके थे।
मिहिर मुझसे हटा की नैना मेरी तरफ बढि। मैं अपना एक हाथ आगे बढा कर हाथ मिलाना चाहता था पर उसके पहले ही नैना ने अपनी बाहें फैला दि। मुझे यकीन नहीं हो रहा था की नैना मुझको गले लग दिवाली की बधाई देना चाहती है। मैंने भी नैना की मुस्कान से अपनी मुस्कान मिलाते हुए अपनी बाहें फैला दि। नैना ने एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे डाल कर साइड से कंधे से कन्धा मिलाया। इस बहाने ही सही नैना के मुम्मो का एक हल्का सा हिस्सा मेरे शारीर से भी टकराया और मैं तरंगित हो गया। मैं एक सेकंड के लिए अपनी आँख बंद किये उसके परफ्यूम की महाक को सूँघने लाग। उसी वक़्त मैंने देखा की मिहिर भी अपनी बाहें फैलाये प्रेरणा की तरफ बढा। मेरा दिल धड़कना रुक गया पर प्रेरणा ने अपना एक हाथ आगे बढा कर उस से हाथ मिला कर मिहिर के प्लान को वही ख़त्म कर दिया। मै बड़ा खुश हुआ। मुझे नैना को थोड़ा छुने को मिला पर मिहिर को कुछ नहीं मिला था। मुझे मेरी बीवी पर उस वक़्त गर्व हुआ।
हम चारो लोग बैठ कर दीवाली कैसे मनाई वो बताने लाग। प्रेरणा ने उनको थोड़ा नाश्ता भी करवा दिया जो हम घरसे लेकर आये थे। मिहिर ने बताया की प्रेरणा जब कभी अपने हाथ का पका खाना नैना को देती हैं तो मिहिर भी उसको खता हैं और उसको प्रेरणा के हाथ के बने खाने बहुत अच्छा लगता है। प्रेरणा खाना बहुत अच्छा बनाती हैं यह मुझे पता था, मगर मैं तो रोज ही खाता हूँ तो रोज तो तारीफ़ नहीं कर सकता था। मगर उस वक़्त अपने खाने की तारीफ़ सुनकर प्रेरणा ख़ुशी से फुली नहीं समां रही थी। मिहिर ने आगे बढ़ कर खुद ही बोल दिया की प्रेरणा उनको खाने पर कब बुलाएगी। उस दिन तो हम थाके हुए थे तो प्रेरणा ने नेक्स्ट संडे का प्लान फिक्स कर दिया। फिर नैना और मिहिर हुमको आराम करने का बोल कर चले गए।
मैने प्रेरणा से बाद में पूछा की उसने मिहिर को अपने घर पर खाने को क्यों बुलाय जब की वो तो मिहिर से थोड़ी नाराज चल रही है।
प्रेरणा ने कहा की मिहिर ने आगे से खुद को इनवाइट कर दिया तो वो फिर मैं ना कैसे बोलती। मैंने भी उसको छेड़ा की वो अपनी तारीफ़ सुनकर थोड़ा पिघल गयी और उनको खाने पर बुला लिया था। प्रेरणा स्माइल करने के अलावा कुछ नहीं कर पायी। उस दिन प्रेरणा बहुत खुश थी, सामने से किसी ने उसके खाने की तारीफ़ की थी। उस रात प्रेरणा का चुदाई का मूड बन गया था। बच्चा होने के बाद से ही प्रेरणा का चुदाई का मूड बहुत कम ही बनता था। मैं ही मेरा मूड होने पर आगे बढ़ कर प्रेरणा को छेडता हूँ और वो एक ज़िन्दा लाश की तरह पड़े रहती हैं। मगर आज अच्छा मौक़ा था। उसका भी मूड था, तो छेड़ते वक़्त मुझको अच्छा रिस्पांस मिलने वाला था। मैंने लगे हाथों उसको पुछ ही लिया की क्या वो मुझे उसके मुम्मे भी दबाने देगी। प्रेरणा मान गयी की मैं उसके मुम्मे दबा सकता हूं, और यहाँ तक की उसने अपना पूरा गाउन उतार दिया था। हमेशा वो गाउन नीचे से ऊपर कर के ही चुदवा लेती थी। मैने थोड़ी देर उसके मुम्मो का क्लीवेज चुमा। ब्रा के बाहर से झाँकते हुए उसके बूब्स के उभार को अपने मुह से चुमने का मजा लिया और फिर प्रेरणा की चुत को अपने मुह से छेड़ा। शादी के बाद शुरू के २ साल तक वो बराबर अपनी चुत को सफाचट रखती थी। फिर वो सफाई कम होती गायी। बच्चा होने के बाद तो वो अपनी चुत के बालो की सफायी करना जैसे भूल ही गयी थी। प्रेरणा की चुत पर बड़े बड़े बाल उगे थे और उसकी चुत चाटते वक़्त बाल मेरे मुह में भी जा रहे थे पर मैं उत्साह के साथ उस मिले हुए अवसर का फायदा उठा रहा था। प्रेरणा सिसकिया मार रही थी और मुझे मजा आ रहा था। मैंने भी उसको मेरा लंड चुसने को बोला मगर उसने मना बोल दिया। शादी के शुरू के एक साल में उसने मेरा लंड जरूर काफी बार चुसा था पर २-३ साल के अंदर वो सब बंद हो चूका था। फिलहाल मैंने उसके गोर बदन को चुमने का भरपुर आनंद लिया। काफी दिनों बाद वो सिर्फ एक ब्रा में लेती थी और मुझे चोदने दे रही थी।