14-08-2019, 03:02 PM
पराग: "अब मैंने तुम्हे डार्लिंग बोलना छोड़ दिया हैं इसका मतलब यह नहीं की दुनिया का हर मर्द शादी के ५ साल बाद अपनी बीवी को डार्लिंग नहीं बोल सकता हैं"
प्रेरणा: "तुम रहने दो, मुझे इस बारे और बात नहीं करनी हैं"
मुझ लग गया की प्रेरणा मुझसे कुछ छुपा रही थी। वो कपड़े चेंज कर रही थी और साड़ी निकाल कर सिर्फ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। उसके बड़े से मुम्मे उसकी ब्रा से बाहर से काफी बाहर दीख रहे थे। मैंने नोट किया की बात करते हुए रोजना के मुकाबले उसके मुम्मे कुछ ज्यादा ही फुले हुए थे।
(प्रेरणा के साथ उस दिन पडोसी मिहिर ने डिटेल में क्या किया था यह उसके पति पराग के लिए एक मिस्ट्री बना हुआ था। जरुर कोई बात थी जो प्रेरणा मुझसे छुपा रही थी और मुझे वो कुरेद कर उस से पूछना था।)
मैं शरारती मूड में आ गया और उस से पुछ ही लिया की मिहिर ने ऐसे कहा से पकड़ लिया की तुम इतना नाराज हो गायी।
प्रेरणा अब अपना साटन का नाईट गाउन पहन कर मेरे पास आकर लेट गयी और लाइट बंद कर दि। मैंने उसकी कमर पर हाथ राख कर पूछा की यहाँ से पकड़ा था क्या।
उसने मेरा हाथ छिटक दिया और मुझसे सोने का बोल दिया। मैंने भी सोचा की अभी वो थोड़ा दुखि हैं तो मैं उसको टाइम देता हूँ और कल पूछुंग।
अगली रात सोते वक़्त मैंने फिर जिक्र छेड़ दिया की कल मिहिर ने उसको कैसे पकड़ा था। मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा तो उसने बोला की मिहिर ने यहाँ हाथ नहीं रखा था।
मैने अब अपना हाथ आगे बढा कर उसके पेट पर राख दिया। उसके पतले गाउन से मैं उसकी नाभि को भी फील कर सकता था।प्रेरणा ने बोला की मिहिर ने एक हाथ से उसको यही से पकड़ा था और वो भी साड़ी के अंदर से। यानी प्रेरणा के नंगे पेट पर से छुआ था।
मैने प्रेरणा को थोड़ा और कुरेद कर पूछा की तो फिर मिहिर का दूसरा हाथ कहा था।प्रेरणा ने मुझे वो इंसिडेंट फिर से याद न दिलाने का बोल कर सोने को बोल दिया।
प्रेरणा कुछ तो छुपा रही थी। कल उसने यह भी नहीं बताया की मिहिर ने उसको पेट से पकड़ा था पर आज बता दिया था। मैंने बाकी का काम कल के लिए छोड़ दिया की अब आगे का मैं उस से कल पूछुंग।
अगली रात प्रेरणा मेरे पास लेटी थी और मैंने उसको एक करवट सुलाया और उसके पीछे लेट कर अपना एक हाथ उसके पेट पर राख दिया। फिर मैंने उस से पूछा की ऐसे ही पकड़ा था न मिहिर ने!
प्रेरणा ने बोला की नहीं, मिहिर ने उसको और कास के पकड़ा था। मैं अब प्रेरणा के पीछे से जाकर चिपक गया और अपने हाथ से उसका पेट पकडे राख। मेरे लंड का हिस्सा सीधा जाकर प्रेरणा की गाँड से चिपक गया और मेरे लंड का मोटापन प्रेरणा के पटले गाउन में उसकी गाँड की दरार में छु गया।
मैने प्रेरणा से फिर पूछा की इस तरह से पकड़ा था मिहिर ने और प्रेरणा ने भरी आवाज में हामी भर। मैं उसके साथ ऐसे ही चिपक कर लेटा रहा और उसके पेट पर हाथ लगाए राख। प्रेरणा की मुलायम गाँड से चिपक कर मेरे लंड को भी शांति मिल रही थी। मैं सोचने लगा की ग़लती से ही सही पर मिहिर ने प्रेरणा के शारीर की नजाकत को अच्छे से फील किया होगा। शायद यही कारण था की प्रेरणा इतनी उन-कफोर्टिब्ले हो गयी थी। मैंने अब उसको पूछा की मिहिर का एक हाथ उसके पेट पर था तो दूसरा कहा था।
प्रेरणा: "तुम रहने दो, मुझे इस बारे और बात नहीं करनी हैं"
मुझ लग गया की प्रेरणा मुझसे कुछ छुपा रही थी। वो कपड़े चेंज कर रही थी और साड़ी निकाल कर सिर्फ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। उसके बड़े से मुम्मे उसकी ब्रा से बाहर से काफी बाहर दीख रहे थे। मैंने नोट किया की बात करते हुए रोजना के मुकाबले उसके मुम्मे कुछ ज्यादा ही फुले हुए थे।
(प्रेरणा के साथ उस दिन पडोसी मिहिर ने डिटेल में क्या किया था यह उसके पति पराग के लिए एक मिस्ट्री बना हुआ था। जरुर कोई बात थी जो प्रेरणा मुझसे छुपा रही थी और मुझे वो कुरेद कर उस से पूछना था।)
मैं शरारती मूड में आ गया और उस से पुछ ही लिया की मिहिर ने ऐसे कहा से पकड़ लिया की तुम इतना नाराज हो गायी।
प्रेरणा अब अपना साटन का नाईट गाउन पहन कर मेरे पास आकर लेट गयी और लाइट बंद कर दि। मैंने उसकी कमर पर हाथ राख कर पूछा की यहाँ से पकड़ा था क्या।
उसने मेरा हाथ छिटक दिया और मुझसे सोने का बोल दिया। मैंने भी सोचा की अभी वो थोड़ा दुखि हैं तो मैं उसको टाइम देता हूँ और कल पूछुंग।
अगली रात सोते वक़्त मैंने फिर जिक्र छेड़ दिया की कल मिहिर ने उसको कैसे पकड़ा था। मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा तो उसने बोला की मिहिर ने यहाँ हाथ नहीं रखा था।
मैने अब अपना हाथ आगे बढा कर उसके पेट पर राख दिया। उसके पतले गाउन से मैं उसकी नाभि को भी फील कर सकता था।प्रेरणा ने बोला की मिहिर ने एक हाथ से उसको यही से पकड़ा था और वो भी साड़ी के अंदर से। यानी प्रेरणा के नंगे पेट पर से छुआ था।
मैने प्रेरणा को थोड़ा और कुरेद कर पूछा की तो फिर मिहिर का दूसरा हाथ कहा था।प्रेरणा ने मुझे वो इंसिडेंट फिर से याद न दिलाने का बोल कर सोने को बोल दिया।
प्रेरणा कुछ तो छुपा रही थी। कल उसने यह भी नहीं बताया की मिहिर ने उसको पेट से पकड़ा था पर आज बता दिया था। मैंने बाकी का काम कल के लिए छोड़ दिया की अब आगे का मैं उस से कल पूछुंग।
अगली रात प्रेरणा मेरे पास लेटी थी और मैंने उसको एक करवट सुलाया और उसके पीछे लेट कर अपना एक हाथ उसके पेट पर राख दिया। फिर मैंने उस से पूछा की ऐसे ही पकड़ा था न मिहिर ने!
प्रेरणा ने बोला की नहीं, मिहिर ने उसको और कास के पकड़ा था। मैं अब प्रेरणा के पीछे से जाकर चिपक गया और अपने हाथ से उसका पेट पकडे राख। मेरे लंड का हिस्सा सीधा जाकर प्रेरणा की गाँड से चिपक गया और मेरे लंड का मोटापन प्रेरणा के पटले गाउन में उसकी गाँड की दरार में छु गया।
मैने प्रेरणा से फिर पूछा की इस तरह से पकड़ा था मिहिर ने और प्रेरणा ने भरी आवाज में हामी भर। मैं उसके साथ ऐसे ही चिपक कर लेटा रहा और उसके पेट पर हाथ लगाए राख। प्रेरणा की मुलायम गाँड से चिपक कर मेरे लंड को भी शांति मिल रही थी। मैं सोचने लगा की ग़लती से ही सही पर मिहिर ने प्रेरणा के शारीर की नजाकत को अच्छे से फील किया होगा। शायद यही कारण था की प्रेरणा इतनी उन-कफोर्टिब्ले हो गयी थी। मैंने अब उसको पूछा की मिहिर का एक हाथ उसके पेट पर था तो दूसरा कहा था।