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Incest हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है
#74
यह सब सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया.. मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और दबाने को बोला। मैं उसके निपल्स काटने लगा.. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं।
मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था.. मैंने उसकी पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत दबाई.. तो उसने एक लंबी साँस ली- आआहह भैया.. बस करो!

मैंने पजामी को खोलने की कोशिश की ताकि उसकी गुलाबी चुत देख पाऊँ।

वो मुझे अपने से दूर करते हुए बोली- मेरे सैंया होश में आओ, हम खुली छत पर हैं, इधर कोई आ जाएगा तो देख लेगा। रात को मेरी जवानी का, मेरे बदन का पूरा मजा लूटना.. सब्र का फल मीठा होता है।

मैंने पूछा- कब?? मैं पागल हो चुका हूँ तेरे लिए..!
वो मुस्कुराई और बोली- रात को सेकेंड फ्लोर पर जो स्टोर रूम है, वहाँ आ जाना। गाँव में सब जल्दी सो जाते हैं, मैं वहीं मिलूंगी। फर्स्ट फ्लोर पर सामान पड़ा है.. तो उधर कोई नहीं होगा।

मैंने उसको किस किया और नीचे जाकर काम करने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Messages In This Thread
REसाहित्य - by neerathemall - 01-08-2019, 03:29 AM
RE: हाए भैय्या,धीरे से, बहुत मोटा है - by neerathemall - 14-08-2019, 03:02 PM



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