09-08-2019, 07:08 PM
उपासना की इस धुआंधार चुदाई से हम दोनों की टांगों ने जवाब दे दिया था क्योंकि ज्यादातर चुदाई हमने हमारे टांगों के बल पर ही की थी। जिसके कारण हम थक कर बिस्तर पर आकर लेट गए। हम दोनों बिस्तर पर नंग-धड़ंग पड़े हुए थे और हमारी सांसें तेज चल रही थीं।
हमारी चुदाई रुकने से जैसे ही शांति हुई तो पास वाले कमरे से तृप्ति और विक्रम के कमर और कूल्हों की टकराहट की जोरदार पट-पट वाली आवाज हमारे कमरे तक आ रही थी जिसे सुनकर हम दोनों की हंसी छूट गई।
उपासना ने कहा- देवर और भाभी की जोरदार चुदाई चल रही है। विक्रम आज तृप्ति को बुरी तरह चोद देगा।
इस पर मैंने उपासना से कहा- मेरी प्यारी जानू, तुम तृप्ति को नहीं जानती। विक्रम तृप्ति को नहीं बल्कि तृप्ति विक्रम की इस प्रकार चुदाई करेगी कि सुबह अगर विक्रम ने दर्द से अपना लंड नहीं पकड़ लिया तो मेरा नाम बदल देना।
इस प्रकार दोनों की हंसी फिर छूट गई।
उपासना बोली- विक्रम का लंबा लन्ड तृप्ति की चूत की इतनी गहराई तक जाएगा कि आपका वहां तक नहीं पहुंचता होगा।
इस पर मैंने उपासना को जवाब दिया कि मेरा लंड भी तो तुम्हारी चूत की चौड़ाई को बढ़ाता हुआ अंदर गया है। इतना चौड़ा कि विक्रम पहले कभी नहीं कर पाया होगा।
इस तरह की उत्तेजना भरी बातों के कारण हम दोनों के गुप्तांगों ने एक बार फिर हमारे दिमाग को इशारा दिया कि एक घमासान चुदाई फिर हो जानी चाहिए। इसलिए मैंने जैसे ही उपासना के स्तनों को पकड़ते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास बढ़ाया, इस पर उपासना ने मुझे रोकते हुए कहा- आप की पहली चुदाई ने मजे के साथ दर्द भी दिया है। अबकी बार इस तरह से चुदाई करते हैं कि चुदाई के साथ सिकाई भी हो जाए।
हमारी चुदाई रुकने से जैसे ही शांति हुई तो पास वाले कमरे से तृप्ति और विक्रम के कमर और कूल्हों की टकराहट की जोरदार पट-पट वाली आवाज हमारे कमरे तक आ रही थी जिसे सुनकर हम दोनों की हंसी छूट गई।
उपासना ने कहा- देवर और भाभी की जोरदार चुदाई चल रही है। विक्रम आज तृप्ति को बुरी तरह चोद देगा।
इस पर मैंने उपासना से कहा- मेरी प्यारी जानू, तुम तृप्ति को नहीं जानती। विक्रम तृप्ति को नहीं बल्कि तृप्ति विक्रम की इस प्रकार चुदाई करेगी कि सुबह अगर विक्रम ने दर्द से अपना लंड नहीं पकड़ लिया तो मेरा नाम बदल देना।
इस प्रकार दोनों की हंसी फिर छूट गई।
उपासना बोली- विक्रम का लंबा लन्ड तृप्ति की चूत की इतनी गहराई तक जाएगा कि आपका वहां तक नहीं पहुंचता होगा।
इस पर मैंने उपासना को जवाब दिया कि मेरा लंड भी तो तुम्हारी चूत की चौड़ाई को बढ़ाता हुआ अंदर गया है। इतना चौड़ा कि विक्रम पहले कभी नहीं कर पाया होगा।
इस तरह की उत्तेजना भरी बातों के कारण हम दोनों के गुप्तांगों ने एक बार फिर हमारे दिमाग को इशारा दिया कि एक घमासान चुदाई फिर हो जानी चाहिए। इसलिए मैंने जैसे ही उपासना के स्तनों को पकड़ते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास बढ़ाया, इस पर उपासना ने मुझे रोकते हुए कहा- आप की पहली चुदाई ने मजे के साथ दर्द भी दिया है। अबकी बार इस तरह से चुदाई करते हैं कि चुदाई के साथ सिकाई भी हो जाए।