09-08-2019, 07:06 PM
उसने मुझे कमरे में रखी लकड़ी की कुर्सी पर बिठाया जिस पर हाथ का सहारा रखने वाले हत्थे नहीं थे बल्कि केवल पीछे ही पीठ का सहारा लेने के लिए व्यवस्था थी। मैं उपासना के कहे अनुसार उस कुर्सी पर अपना खड़ा लिंग लिए बैठ गया। उसके बाद उपासना अपनी गांड मटकाती हुई मेरे पास आई और अपने स्तन को मेरे सीने पर दबाते हुए मेरे लिंग को अपनी चूत में समाहित किए हुए मेरी तरफ मुंह करके मेरी गोद में बैठ गई। अब उपासना के स्तन मेरे सीने पर स्पर्श कर रहे थे। उपासना ने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी टांगों को नीचे फर्श पर लगाकर अपनी टांगों के इस्तेमाल से अपने आप को ऊपर नीचे करना शुरू किया जिससे कि मेरा खड़ा लिंग उपासना की चूत में अंदर-बाहर होने लगा। मुझे उपासना की चुदाई का यह तरीका बेहद खास लगा।
थोड़ी देर में उपासना के पांव की गति तेज हो गई। उसके गोल-गोल बड़े-बड़े स्तन मेरे सीने से टकराने लगे। उपासना ने गति इतनी तेज कर ली कि वह अब अपनी सांसों पर संयम नहीं कर पा रही थी। उसने अपने मुंह को मेरे मुंह से अलग किया और अति उत्तेजना में आह ... आह ... की ध्वनि निकाल कर मेरे लंड पर उछल-कूद करने लगी। उपासना अपनी गांड का इस्तेमाल इस प्रकार कर रही थी कि जब भी ऊपर होकर नीचे की तरफ आती तो मेरी जांघों पर टकराकर पट-पट की जोरदार ध्वनि उत्पन्न करती। जब उपासना के पांव जवाब देने लगे तो मैंने अपनी टांगों का इस्तेमाल करते हुए उपासना की चूत की गहराई तक अपने लंड को पहुंचाना शुरू किया और करीब 5 से 7 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों की टांगों ने जवाब दे दिया। अब हमने अपनी सेक्स स्थिति बदलने की सोची।
उपासना ने अपनी गीली चूत में से सना हुआ मेरा लंड बाहर निकाला और कमरे की स्टडी टेबल पर अपने स्तनों को टिका दिया। उपासना अपने पांव पर खड़ी होकर अपने पूरे शरीर को टेबल पर लेटा चुकी थी। उसने अपनी गर्दन और स्तनों को टेबल पर लेटा कर अपने हाथों को पीछे मोड़कर अपने कूल्हे को अपने हाथ से जोर से थपथपाया और कहा- कम ऑन राज, माय ऐस्स इज वेटिंग फॉर यू। (आओ राज, मेरी गांड का छेद तुम्हारा इंतजार कर रहा है) उपासना की यह संजना मुझे भा गई। मैं कुर्सी से उठकर उसकी तरफ गया और उसके पीछे खड़े होकर उसकी गांड पर जोर से थप्पड़ मारा। दोस्तो, वास्तव में क्या गांड थी उपासना की, गोलाकार गोरे रंग की गांड। अगर कोई टाइट कपड़ों में ऐसे ही देख ले तो उससे मुट्ठ मारे बिना नहीं रहा जाए और यह तो मेरे सामने अपने असली रंग को दर्शाती हुई नंगी गांड थी।
मैंने उपासना के बालों को पीछे खींचते हुए उसकी चूत में अपना लंड ठेल दिया और अपनी पूरी जान लगा कर उपासना की चूत को चोदने लगा। कमरे में जोरदार फच-फच की आवाज गूंजने लगी। जब मेरा लिंग उपासना की चूत के चिकने पानी से पूर्ण रूप से चिकना हो गया तब मैंने उसे उपासना की गांड के छेद पर टिका कर अंदर डालने का प्रयास किया। उपासना भी अपनी गांड का उद्घाटन विक्रम से शादी से पहले ही करवा चुकी थी इसलिए मेरे लंड ने उपासना की गांड में जाने में ज्यादा समय नहीं लगाया। मेरा लंड उपासना की गांड में तो चला गया था लेकिन मैं उसमें अभी तक धक्का नहीं मार पाया था क्योंकि लंड को अंदर बाहर करने में मुझे उपासना की गांड का कसाव कुछ ज्यादा ही महसूस हो रहा था।
उपासना बोली- राज, तुम्हारा लंड विक्रम से ज्यादा मोटा है। इसलिए मुझे अपनी गांड में दर्द की अनुभूति हो रही है। कृपया थोड़ा आराम से करना। उपासना ने तो मुझसे अपना लंड अंदर-बाहर आराम से करने की गुजारिश की किंतु विक्रम से थोड़ा ज्यादा मोटा होने की तारीफ मुझे कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर गई। अतः मैंने दरिंदे की तरह अपने लिंग को उपासना की गांड के छेद के बाहरी मुंह तक निकाला और एकदम से जोर से अंदर पेल दिया। उपासना यह झटका संभाल नहीं पाई और उसके मुंह से 'ओ बहन चोद ...' की गाली निकल गई। मुझे उसके द्वारा निकाली गई गाली ने और उत्तेजित किया और मैंने फिर अपने लंड को बाहर निकाल कर फिर जोर से उसकी गांड में ठेला। इस बार उसने मुझसे मादरचोद कहा और जोर-जोर से कहने लगी कि अपने लंड को मेरी गांड से बाहर निकालो।
जैसा कि मैंने कहा था, मैंने अपनी उत्तेजना में अपना आपा खो कर अपने धक्कों की गति और तेज कर दी इस तरह मेरी कमर और उपासना की गांड की टकराहट से जोरदार आवाजें आने लगी। थोड़ी देर बाद उपासना की गांड के छेद ने मेरे लंड को एडजस्ट कर लिया और उपासना भी इस गांड चुदाई का मजा लेने लगी। उपासना की कसमसाई गांड में झटके लगा-लगा कर मुझे अहसास हुआ कि अब मैं झड़ने वाला हूं। अतः मैने अपना लिंग उपासना की गांड से निकाल कर इसी स्थिति में उसकी चूत में पेल दिया और उसकी चूत को अपने लंड से फाड़ने लगा।
उपासना जोर से अंग्रेजी में फक फक फक ... बकने लगी। थोड़ी देर में उपासना की चूत ने मेरे लंड पर हल्का सा फव्वारा छोड़ दिया तथा मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया।
थोड़ी देर में उपासना के पांव की गति तेज हो गई। उसके गोल-गोल बड़े-बड़े स्तन मेरे सीने से टकराने लगे। उपासना ने गति इतनी तेज कर ली कि वह अब अपनी सांसों पर संयम नहीं कर पा रही थी। उसने अपने मुंह को मेरे मुंह से अलग किया और अति उत्तेजना में आह ... आह ... की ध्वनि निकाल कर मेरे लंड पर उछल-कूद करने लगी। उपासना अपनी गांड का इस्तेमाल इस प्रकार कर रही थी कि जब भी ऊपर होकर नीचे की तरफ आती तो मेरी जांघों पर टकराकर पट-पट की जोरदार ध्वनि उत्पन्न करती। जब उपासना के पांव जवाब देने लगे तो मैंने अपनी टांगों का इस्तेमाल करते हुए उपासना की चूत की गहराई तक अपने लंड को पहुंचाना शुरू किया और करीब 5 से 7 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों की टांगों ने जवाब दे दिया। अब हमने अपनी सेक्स स्थिति बदलने की सोची।
उपासना ने अपनी गीली चूत में से सना हुआ मेरा लंड बाहर निकाला और कमरे की स्टडी टेबल पर अपने स्तनों को टिका दिया। उपासना अपने पांव पर खड़ी होकर अपने पूरे शरीर को टेबल पर लेटा चुकी थी। उसने अपनी गर्दन और स्तनों को टेबल पर लेटा कर अपने हाथों को पीछे मोड़कर अपने कूल्हे को अपने हाथ से जोर से थपथपाया और कहा- कम ऑन राज, माय ऐस्स इज वेटिंग फॉर यू। (आओ राज, मेरी गांड का छेद तुम्हारा इंतजार कर रहा है) उपासना की यह संजना मुझे भा गई। मैं कुर्सी से उठकर उसकी तरफ गया और उसके पीछे खड़े होकर उसकी गांड पर जोर से थप्पड़ मारा। दोस्तो, वास्तव में क्या गांड थी उपासना की, गोलाकार गोरे रंग की गांड। अगर कोई टाइट कपड़ों में ऐसे ही देख ले तो उससे मुट्ठ मारे बिना नहीं रहा जाए और यह तो मेरे सामने अपने असली रंग को दर्शाती हुई नंगी गांड थी।
मैंने उपासना के बालों को पीछे खींचते हुए उसकी चूत में अपना लंड ठेल दिया और अपनी पूरी जान लगा कर उपासना की चूत को चोदने लगा। कमरे में जोरदार फच-फच की आवाज गूंजने लगी। जब मेरा लिंग उपासना की चूत के चिकने पानी से पूर्ण रूप से चिकना हो गया तब मैंने उसे उपासना की गांड के छेद पर टिका कर अंदर डालने का प्रयास किया। उपासना भी अपनी गांड का उद्घाटन विक्रम से शादी से पहले ही करवा चुकी थी इसलिए मेरे लंड ने उपासना की गांड में जाने में ज्यादा समय नहीं लगाया। मेरा लंड उपासना की गांड में तो चला गया था लेकिन मैं उसमें अभी तक धक्का नहीं मार पाया था क्योंकि लंड को अंदर बाहर करने में मुझे उपासना की गांड का कसाव कुछ ज्यादा ही महसूस हो रहा था।
उपासना बोली- राज, तुम्हारा लंड विक्रम से ज्यादा मोटा है। इसलिए मुझे अपनी गांड में दर्द की अनुभूति हो रही है। कृपया थोड़ा आराम से करना। उपासना ने तो मुझसे अपना लंड अंदर-बाहर आराम से करने की गुजारिश की किंतु विक्रम से थोड़ा ज्यादा मोटा होने की तारीफ मुझे कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर गई। अतः मैंने दरिंदे की तरह अपने लिंग को उपासना की गांड के छेद के बाहरी मुंह तक निकाला और एकदम से जोर से अंदर पेल दिया। उपासना यह झटका संभाल नहीं पाई और उसके मुंह से 'ओ बहन चोद ...' की गाली निकल गई। मुझे उसके द्वारा निकाली गई गाली ने और उत्तेजित किया और मैंने फिर अपने लंड को बाहर निकाल कर फिर जोर से उसकी गांड में ठेला। इस बार उसने मुझसे मादरचोद कहा और जोर-जोर से कहने लगी कि अपने लंड को मेरी गांड से बाहर निकालो।
जैसा कि मैंने कहा था, मैंने अपनी उत्तेजना में अपना आपा खो कर अपने धक्कों की गति और तेज कर दी इस तरह मेरी कमर और उपासना की गांड की टकराहट से जोरदार आवाजें आने लगी। थोड़ी देर बाद उपासना की गांड के छेद ने मेरे लंड को एडजस्ट कर लिया और उपासना भी इस गांड चुदाई का मजा लेने लगी। उपासना की कसमसाई गांड में झटके लगा-लगा कर मुझे अहसास हुआ कि अब मैं झड़ने वाला हूं। अतः मैने अपना लिंग उपासना की गांड से निकाल कर इसी स्थिति में उसकी चूत में पेल दिया और उसकी चूत को अपने लंड से फाड़ने लगा।
उपासना जोर से अंग्रेजी में फक फक फक ... बकने लगी। थोड़ी देर में उपासना की चूत ने मेरे लंड पर हल्का सा फव्वारा छोड़ दिया तथा मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया।