09-08-2019, 06:53 PM
तृप्ति और विक्रम पलंग के पास खड़े हुए थे।
तृप्ति ने विक्रम के गले को अपने नाखूनों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और खुद से चिपका लिया। तृप्ति के नाखूनों से विक्रम की चमड़ी थोड़ी छिल गई। विक्रम ने तृप्ति की इस हरक़त की प्रतिक्रिया में अपने दोनों हाथ तृप्ति के कूल्हों के नीचे लगाए और तृप्ति को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। खड़े-खड़े विक्रम की गोद में बैठी तृप्ति विक्रम के मुंह को चूमने लगी।
विक्रम ने भी अपने होंठों को तृप्ति के होंठों के बीच में दबा दिया और दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे। थोड़ी देर बाद विक्रम ने पलंग के पास जाकर तृप्ति को जोर से पलंग पर गिरा दिया। तृप्ति को इससे झटका लगा किंतु वह गुस्सा होने की बजाए, बैठकर मुस्कराई और अपनी एक उंगली का इशारा करते हुए विक्रम को आमंत्रण दिया। विक्रम अपना आपा खोते हुए तृप्ति की तरफ झपटा। तृप्ति को सीधे कूल्हों के बल लेटा कर विक्रम तृप्ति का स्तनपान करने लगा। अपने स्तन उठाकर तृप्ति भी विक्रम के मुंह में दबाने लगी। कब से बिछुड़े दो प्रेमियों ने एक दूसरे के साथ गहरी चुम्मा चाटी की। विक्रम ने तृप्ति को घोड़ी बनाकर उसके कूल्हे के छेद में अपनी जीभ डाली और जीभ लगाकर गांड के छेद को वह जीभ से चोदने लगा। तृप्ति की सिसकारियां अब कमरे में गूंजने लगी थीं। तृप्ति ने विक्रम का सिर पकड़ कर अपनी गुलाबी चूत पर लगा दिया और अपनी चूत की फांक पर विक्रम के होंठों को रगड़वाने लगी।
विक्रम ने तृप्ति की चूत के दाने को अपने दांतों से काट कर तृप्ति के साथ शरारत की जिससे कि तृप्ति स्स्स्स्स ... की आवाज के साथ चहक उठी। विक्रम अब तृप्ति की चूत को मुंह में दबा-दबा कर गुदगुदाने लगा और तृप्ति ने अपने बढ़े हुए नाखूनों वाले हाथ को विक्रम के सिर में गड़ा कर अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। करीब 10 मिनट तक अपनी चूत चटवाने के बाद तृप्ति ने विक्रम को धक्का दिया तथा पीठ के बल सीधा लिटा कर गप्प से विक्रम का लंड मुंह में ले लिया। तृप्ति द्वारा विक्रम का लंड चाटना कोई औपचारिकता नहीं थी। वह तो पूर्ण रूप से मग्न होकर विक्रम का लिंग आइसक्रीम की तरह चूस और चाट रही थी। तृप्ति विक्रम के लंड को पूरा मुंह में अंदर लेती और फिर एकदम से बाहर निकालती। विक्रम को अपना लंड तृप्ति के गले तक लगा हुआ महसूस होता। विक्रम को ऐसा लग रहा था कि तृप्ति अपने मुंह में ही विक्रम की पूरी ताकत निचोड़ लेगी। कभी किसी भी बाला ने विक्रम के लंड को ऐसे वहशीपन से नहीं चूसा-चाटा था।
मन भरने तक तृप्ति विक्रम का लंड चूसती रही तथा उसके बाद लेटे हुए विक्रम के ऊपर आकर अपने कूल्हे विक्रम के लंड के ऊपर रखकर बैठ गई। अपने स्तनों को तृप्ति ने विक्रम के सीने के पास झुका कर उसके स्तनों का कोमल अहसास विक्रम के सीने पर करवाया तथा अपने होंठों को विक्रम के होंठों में देकर वापस चूसने में मग्न हो गई। लेकिन अब विक्रम से इंतजार नहीं हो रहा था। उसने अपना एक हाथ अपने लंड के पास ले जाकर उसे सीधा किया और तृप्ति की चूत पर टिका दिया। तृप्ति ने विक्रम की भावनाओं को समझते हुए अपनी गांड को व्यवस्थित किया और अपनी चूत में विक्रम के लंड को गप्प से ले लिया। विक्रम सीधा लेटा हुआ था और तृप्ति उसके ऊपर बैठी हुई थी। अब तृप्ति ने वैसा ही किया जैसा कि उसने राजवीर और उपासना के सामने कहा था। तृप्ति अपने नितंबों को उठाकर तथा फिर गिराकर विक्रम के लिंग को अपनी चूत से अंदर बाहर करने लगी।
करीब 4 से 5 बार धीरे-धीरे यह कार्य करने के बाद तृप्ति ने अपनी गति बहुत तेज कर दी और वह अपनी गांड को विक्रम का लंड अपनी चूत में समाहित किए हुए जोर-जोर से उठा कर गिराने लगी। तृप्ति के कूल्हे और विक्रम की जांघों के बीच टकराने के कारण पूरे कमरे में पट-पट की जोरदार ध्वनि आने लगी। यह ध्वनि इतनी तेज थी कि बगल के कमरे में चुदाई कर रहे राजवीर और उपासना भी आसानी से सुन सकते थे। इस उत्तेजना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई से विक्रम की भी अति उत्तेजना में आह-आह की आवाज कमरे में गूंजने लगी। तृप्ति ने थोड़ी देर के बाद अपनी स्थिति बदली। अपने चेहरे को उसने विक्रम की टांगों की तरफ किया। जैसा कि विक्रम पहले की तरह ही सीधा लेटा था, अब उसे तृप्ति की नंगी गोरी पीठ और गांड नजर आ रही थी। तृप्ति ने केवल अपना चेहरा दूसरी तरफ करके वापस विक्रम के लंड को अपनी चूत में रखा और अपनी गांड को जोर-जोर से विक्रम का लंड अंदर लिए हुए ही उठाने व गिराने लगी।
विक्रम ने तृप्ति को उठाया और डॉगी पोजिशन में व्यवस्थित कर अपना लंड तृप्ति की चूत में फिर डाल दिया। अपने एक हाथ से वह तृप्ति की गांड पर जोर-जोर से मारने लगा और तृप्ति की गांड को लाल करते हुए अंग्रेजी भाषा में ओ यस ... ओ यस ... करने लगा। थोड़ी देर के बाद जब विक्रम को अहसास हुआ कि तृप्ति की इस तरह की चुदाई से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं है और वह पहले की तरह सिसकारियां नहीं ले रही है तब उसने तृप्ति की कमर को पकड़कर अपने लंड की तरफ जोर से दबाया और अपने लंबे लिंग की चोट तृप्ति की चूत की गहराई तक की। तृप्ति दर्द से कराह उठी लेकिन उत्तेजना के कारण उत्साहित होकर अपनी गांड मटकाती रही। विक्रम ने एक हाथ से तृप्ति की गांड पर अपने हाथ जोर से मसले तथा एक हाथ में तृप्ति के बालों को लेकर उन्हें पीछे खींचने लगा, यह काफी उत्तेजित करने वाली अवस्था थी। इस तरह की 'सजा और मजा' का आनंद दोनों ने तब तक उठाया जब तक तृप्ति की कमर दर्द न करने लगी।
तृप्ति ने कहा- विक्रम बहुत हो गया। मैं अब झड़ने वाली हूँ। तुम भी यह बारी खत्म करो।
तृप्ति ने विक्रम के गले को अपने नाखूनों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और खुद से चिपका लिया। तृप्ति के नाखूनों से विक्रम की चमड़ी थोड़ी छिल गई। विक्रम ने तृप्ति की इस हरक़त की प्रतिक्रिया में अपने दोनों हाथ तृप्ति के कूल्हों के नीचे लगाए और तृप्ति को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। खड़े-खड़े विक्रम की गोद में बैठी तृप्ति विक्रम के मुंह को चूमने लगी।
विक्रम ने भी अपने होंठों को तृप्ति के होंठों के बीच में दबा दिया और दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे। थोड़ी देर बाद विक्रम ने पलंग के पास जाकर तृप्ति को जोर से पलंग पर गिरा दिया। तृप्ति को इससे झटका लगा किंतु वह गुस्सा होने की बजाए, बैठकर मुस्कराई और अपनी एक उंगली का इशारा करते हुए विक्रम को आमंत्रण दिया। विक्रम अपना आपा खोते हुए तृप्ति की तरफ झपटा। तृप्ति को सीधे कूल्हों के बल लेटा कर विक्रम तृप्ति का स्तनपान करने लगा। अपने स्तन उठाकर तृप्ति भी विक्रम के मुंह में दबाने लगी। कब से बिछुड़े दो प्रेमियों ने एक दूसरे के साथ गहरी चुम्मा चाटी की। विक्रम ने तृप्ति को घोड़ी बनाकर उसके कूल्हे के छेद में अपनी जीभ डाली और जीभ लगाकर गांड के छेद को वह जीभ से चोदने लगा। तृप्ति की सिसकारियां अब कमरे में गूंजने लगी थीं। तृप्ति ने विक्रम का सिर पकड़ कर अपनी गुलाबी चूत पर लगा दिया और अपनी चूत की फांक पर विक्रम के होंठों को रगड़वाने लगी।
विक्रम ने तृप्ति की चूत के दाने को अपने दांतों से काट कर तृप्ति के साथ शरारत की जिससे कि तृप्ति स्स्स्स्स ... की आवाज के साथ चहक उठी। विक्रम अब तृप्ति की चूत को मुंह में दबा-दबा कर गुदगुदाने लगा और तृप्ति ने अपने बढ़े हुए नाखूनों वाले हाथ को विक्रम के सिर में गड़ा कर अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। करीब 10 मिनट तक अपनी चूत चटवाने के बाद तृप्ति ने विक्रम को धक्का दिया तथा पीठ के बल सीधा लिटा कर गप्प से विक्रम का लंड मुंह में ले लिया। तृप्ति द्वारा विक्रम का लंड चाटना कोई औपचारिकता नहीं थी। वह तो पूर्ण रूप से मग्न होकर विक्रम का लिंग आइसक्रीम की तरह चूस और चाट रही थी। तृप्ति विक्रम के लंड को पूरा मुंह में अंदर लेती और फिर एकदम से बाहर निकालती। विक्रम को अपना लंड तृप्ति के गले तक लगा हुआ महसूस होता। विक्रम को ऐसा लग रहा था कि तृप्ति अपने मुंह में ही विक्रम की पूरी ताकत निचोड़ लेगी। कभी किसी भी बाला ने विक्रम के लंड को ऐसे वहशीपन से नहीं चूसा-चाटा था।
मन भरने तक तृप्ति विक्रम का लंड चूसती रही तथा उसके बाद लेटे हुए विक्रम के ऊपर आकर अपने कूल्हे विक्रम के लंड के ऊपर रखकर बैठ गई। अपने स्तनों को तृप्ति ने विक्रम के सीने के पास झुका कर उसके स्तनों का कोमल अहसास विक्रम के सीने पर करवाया तथा अपने होंठों को विक्रम के होंठों में देकर वापस चूसने में मग्न हो गई। लेकिन अब विक्रम से इंतजार नहीं हो रहा था। उसने अपना एक हाथ अपने लंड के पास ले जाकर उसे सीधा किया और तृप्ति की चूत पर टिका दिया। तृप्ति ने विक्रम की भावनाओं को समझते हुए अपनी गांड को व्यवस्थित किया और अपनी चूत में विक्रम के लंड को गप्प से ले लिया। विक्रम सीधा लेटा हुआ था और तृप्ति उसके ऊपर बैठी हुई थी। अब तृप्ति ने वैसा ही किया जैसा कि उसने राजवीर और उपासना के सामने कहा था। तृप्ति अपने नितंबों को उठाकर तथा फिर गिराकर विक्रम के लिंग को अपनी चूत से अंदर बाहर करने लगी।
करीब 4 से 5 बार धीरे-धीरे यह कार्य करने के बाद तृप्ति ने अपनी गति बहुत तेज कर दी और वह अपनी गांड को विक्रम का लंड अपनी चूत में समाहित किए हुए जोर-जोर से उठा कर गिराने लगी। तृप्ति के कूल्हे और विक्रम की जांघों के बीच टकराने के कारण पूरे कमरे में पट-पट की जोरदार ध्वनि आने लगी। यह ध्वनि इतनी तेज थी कि बगल के कमरे में चुदाई कर रहे राजवीर और उपासना भी आसानी से सुन सकते थे। इस उत्तेजना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई से विक्रम की भी अति उत्तेजना में आह-आह की आवाज कमरे में गूंजने लगी। तृप्ति ने थोड़ी देर के बाद अपनी स्थिति बदली। अपने चेहरे को उसने विक्रम की टांगों की तरफ किया। जैसा कि विक्रम पहले की तरह ही सीधा लेटा था, अब उसे तृप्ति की नंगी गोरी पीठ और गांड नजर आ रही थी। तृप्ति ने केवल अपना चेहरा दूसरी तरफ करके वापस विक्रम के लंड को अपनी चूत में रखा और अपनी गांड को जोर-जोर से विक्रम का लंड अंदर लिए हुए ही उठाने व गिराने लगी।
विक्रम ने तृप्ति को उठाया और डॉगी पोजिशन में व्यवस्थित कर अपना लंड तृप्ति की चूत में फिर डाल दिया। अपने एक हाथ से वह तृप्ति की गांड पर जोर-जोर से मारने लगा और तृप्ति की गांड को लाल करते हुए अंग्रेजी भाषा में ओ यस ... ओ यस ... करने लगा। थोड़ी देर के बाद जब विक्रम को अहसास हुआ कि तृप्ति की इस तरह की चुदाई से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं है और वह पहले की तरह सिसकारियां नहीं ले रही है तब उसने तृप्ति की कमर को पकड़कर अपने लंड की तरफ जोर से दबाया और अपने लंबे लिंग की चोट तृप्ति की चूत की गहराई तक की। तृप्ति दर्द से कराह उठी लेकिन उत्तेजना के कारण उत्साहित होकर अपनी गांड मटकाती रही। विक्रम ने एक हाथ से तृप्ति की गांड पर अपने हाथ जोर से मसले तथा एक हाथ में तृप्ति के बालों को लेकर उन्हें पीछे खींचने लगा, यह काफी उत्तेजित करने वाली अवस्था थी। इस तरह की 'सजा और मजा' का आनंद दोनों ने तब तक उठाया जब तक तृप्ति की कमर दर्द न करने लगी।
तृप्ति ने कहा- विक्रम बहुत हो गया। मैं अब झड़ने वाली हूँ। तुम भी यह बारी खत्म करो।