09-08-2019, 06:48 PM
मेरी प्यारी तृप्ति, क्या तुम्हें पता है कि उपासना भी कई सालों से मुझे वासना की नजरों से देखती आई है? उसने कई बार हमें हमारे कमरे में चुदाई करते देखा है और हमेशा मन में यही सोचा है कि काश तृप्ति की जगह वह (उपासना) मेरे (राजवीर) साथ मेरा लंड अपनी चूत में डलवा कर अपनी प्यास बुझा पाती। क्यों उपासना सही कहा ना मैंने?
उपासना- हां भाभी, राज भैया सही कह रहे हैं। सच बताऊं तो मैं आपकी शादी के वक्त से ही राज भैया का लंड अपने हर छेद में डलवा कर तांडव करना चाहती हूं।
तृप्ति- इट्स रियली अनबीलिवेबल! (यह वास्तव में अविश्वसनीय है) किंतु मेरे पीछे से आप सबके मन में इतने पापड़ बेले जा रहे थे यह तो मुझे पता भी नहीं था।
मैं- जानू कुछ समय पहले मुझे भी इसके बारे में कुछ नहीं पता था और मैं भी तुम्हारी तरह ही हैरान था लेकिन थोड़ी देर बाद हैरानी की जगह वासना ने ले ली। यह सोच कर खुश हूं कि उपासना जैसी शानदार शरीर वाली स्त्री के साथ संबंध बनाने में कितना मजा आएगा और तुम भी सोचो कि विक्रम के लंबे लंड का स्वाद कैसा होगा।
मैं तृप्ति को समझा ही रहा था कि विक्रम उत्तेजना वश बोल पड़ा- तो भाभी जान, क्या आप तैयार हैं?
तृप्ति- हां मेरे देवर जी, आज हो ही जाए आपका इंतकाम और पुराने प्यार की इंतहा।
तृप्ति के इस डायलॉग पर हम चारों हंसने लगे।
विक्रम- तो क्या इसी पलंग को चुदाई का महा मंच बनाया जाए? क्या सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम रखा जाए?
तृप्ति- जीवन बहुत बड़ा है देवर जी, सब कुछ अगर एक ही रात में कर लेंगे तो कल क्या करेंगे? मेरी अनुपस्थिति में दोस्ती आपकी और आपके भाई राजवीर और उपासना की हुई है। मैं आपकी इस दोस्ती में शामिल नहीं थी इसलिए मैं आप सब से खुली नहीं हूं। इस तरह पति और देवरानी के सामने खुलकर तुम्हारे लंड को गांड उठा उठाकर नहीं ले पाऊंगी।
उपासना- सच कहा भाभी। पति के सामने जेठ जी का लंड चूसने में शर्म तो आएगी ही।
उपासना की इस बात पर हम चारों की हँसी एक बार फिर कमरे में गूंज उठी।
मैं- तो ठीक है, आज की चुदाई केवल अपने बदले हुए साथी के साथ अर्थात एक रात के लिए बदले हुए पति के साथ कीजिए। हम भी एक रात के लिए बदली हुई बीवी को चोद लेते हैं। सामूहिक याराना अगली बार करेंगे।
अतः सबकी सहमति के अनुसार आज हमने अलग-अलग ही चुदाई करने का फैसला किया इस तरह मैं उपासना को अपनी गोद में उठाकर दूसरे कमरे अर्थात विक्रम और उपासना के कमरे में ले गया। इस कमरे में विक्रम और तृप्ति को युद्ध स्तर पर चुदाई करने के लिए अकेले छोड़ दिया।
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उपासना- हां भाभी, राज भैया सही कह रहे हैं। सच बताऊं तो मैं आपकी शादी के वक्त से ही राज भैया का लंड अपने हर छेद में डलवा कर तांडव करना चाहती हूं।
तृप्ति- इट्स रियली अनबीलिवेबल! (यह वास्तव में अविश्वसनीय है) किंतु मेरे पीछे से आप सबके मन में इतने पापड़ बेले जा रहे थे यह तो मुझे पता भी नहीं था।
मैं- जानू कुछ समय पहले मुझे भी इसके बारे में कुछ नहीं पता था और मैं भी तुम्हारी तरह ही हैरान था लेकिन थोड़ी देर बाद हैरानी की जगह वासना ने ले ली। यह सोच कर खुश हूं कि उपासना जैसी शानदार शरीर वाली स्त्री के साथ संबंध बनाने में कितना मजा आएगा और तुम भी सोचो कि विक्रम के लंबे लंड का स्वाद कैसा होगा।
मैं तृप्ति को समझा ही रहा था कि विक्रम उत्तेजना वश बोल पड़ा- तो भाभी जान, क्या आप तैयार हैं?
तृप्ति- हां मेरे देवर जी, आज हो ही जाए आपका इंतकाम और पुराने प्यार की इंतहा।
तृप्ति के इस डायलॉग पर हम चारों हंसने लगे।
विक्रम- तो क्या इसी पलंग को चुदाई का महा मंच बनाया जाए? क्या सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम रखा जाए?
तृप्ति- जीवन बहुत बड़ा है देवर जी, सब कुछ अगर एक ही रात में कर लेंगे तो कल क्या करेंगे? मेरी अनुपस्थिति में दोस्ती आपकी और आपके भाई राजवीर और उपासना की हुई है। मैं आपकी इस दोस्ती में शामिल नहीं थी इसलिए मैं आप सब से खुली नहीं हूं। इस तरह पति और देवरानी के सामने खुलकर तुम्हारे लंड को गांड उठा उठाकर नहीं ले पाऊंगी।
उपासना- सच कहा भाभी। पति के सामने जेठ जी का लंड चूसने में शर्म तो आएगी ही।
उपासना की इस बात पर हम चारों की हँसी एक बार फिर कमरे में गूंज उठी।
मैं- तो ठीक है, आज की चुदाई केवल अपने बदले हुए साथी के साथ अर्थात एक रात के लिए बदले हुए पति के साथ कीजिए। हम भी एक रात के लिए बदली हुई बीवी को चोद लेते हैं। सामूहिक याराना अगली बार करेंगे।
अतः सबकी सहमति के अनुसार आज हमने अलग-अलग ही चुदाई करने का फैसला किया इस तरह मैं उपासना को अपनी गोद में उठाकर दूसरे कमरे अर्थात विक्रम और उपासना के कमरे में ले गया। इस कमरे में विक्रम और तृप्ति को युद्ध स्तर पर चुदाई करने के लिए अकेले छोड़ दिया।
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