09-08-2019, 06:43 PM
मैंने निर्देश देते हुए कहा- आप में से महिला साथी तृप्ति की चूत चाट कर उसे चिकना बनाएगी तथा पुरुष साथी तृप्ति के स्तनों को अपने मुलायम हाथों से मलमल कर अपने मुंह में उसके स्तनों को दबाकर तृप्ति को उत्तेजना के चरम पर पहुंचाने की कोशिश करेगा।
फिर मैंने तृप्ति को संबोधित करते हुए कहा- मेरी प्यारी जान तृप्ति, जब तुम्हारी चूत उत्तेजना के कारण चिकनाई से लबालब हो जाएगी, तब हमारा पुरुष साथी तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल देगा और जब तुम्हें तुम्हारी चूत में कोई लंड घुसता हुआ महसूस हो तो समझ जाना 12:00 बज गये हैं और तुम्हारा जन्मदिन शुरू हो गया है। अर्थात ठीक 12:00 बजे तुम्हारी चूत में तुम्हारे पति के अलावा किसी और मर्द का लिंग होगा जो कि तुमने पहले कभी नहीं लिया हो। उसके बाद चूत में इस नए लंड के कुछ मखमली धक्के खिलाकर हम तुम्हारी आंखें खोल कर तुम से साक्षात होंगे कि यह नए साथी हैं कौन। उसके बाद तुम्हारे मन के कुछ सवालों को हल करके हम आज ऐतिहासिक बीवियों और पतियों की अदला-बदली कर चुदाई को अंजाम देंगे।
मेरा इशारा पाकर उपासना और विक्रम, तृप्ति की तरफ लपके। विक्रम ने तृप्ति के गोरे-गोरे स्तनों पर अपना हाथ रखा और उसके गुलाबी निप्पलों को उंगलियों से छेड़ने लगा। उसके बाद उसने तृप्ति की गर्दन पर चुम्बन करते हुए अपनी जुबान को तृप्ति के स्तनों पर घुमाया। विक्रम का खड़ा लिंग यह बयां कर रहा था कि वह कितना उत्तेजित है। थोड़ी देर तृप्ति के स्तनों को आराम से चूसने और चाटने के बाद विक्रम अपने होश खो बैठा और बड़े जोर-जोर से दरिंदों की तरह तृप्ति के स्तनों को नोंचने लगा और मुंह से काटने लगा। 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि उसने तृप्ति के गोरे-गोरे स्तनों को अपने हाथों, नाखूनों और दांतों से काट काट कर पूर्ण रूप से लाल कर दिया। लेकिन तृप्ति दर्द से नहीं, उत्तेजना से सिसकारियां भरने लगी थी।
उधर उपासना अपनी जुबान को तृप्ति की साफ-सुथरी गुलाबी चूत की फांकों पर घुमा रही थी। कभी-कभी वह तृप्ति की चूत का दाना अपनी जुबान में लेकर दबा देती, इस तरह अपने शरीर पर हो रहे दोहरे प्रहार को तृप्ति उत्तेजना की वजह से संभाल नहीं पा रही थी और अपनी गांड उठाकर सीने को यथासंभव विक्रम के मुंह पर दबाकर अपनी असहाय हालत बयान कर रही थी। ऐसी उत्तेजना के कारण तृप्ति की चूत से उत्तेजना का पानी बहने लगा। चूंकि 12:00 बजने वाले थे और उसमें केवल एक ही मिनट बाकी था इसलिए मैंने विक्रम को ताली बजाकर इशारा किया कि वह अपनी जगह ले ले। अतः उपासना और विक्रम ने अपनी जगह बदली इस तरह उपासना अब तृप्ति के स्तनों पर तथा विक्रम तृप्ति की चूत के वहां पर अपनी स्थिति जमा कर बैठ गये।
12:00 बजने से आधा मिनट पहले विक्रम अपना लौड़ा तृप्ति की चूत के बाहर रगड़ने लगा और उसके लिंग मुंड को तृप्ति की चूत की चिकनाई से चिकना करने लगा। विक्रम का लंड जब तृप्ति की चूत पर रगड़ता तो तृप्ति उत्तेजना में अपनी चूत को विक्रम के लंड की तरफ आगे करती, लेकिन विक्रम अपने लंड को पीछे हटा लेता। जैसे ही 12:00 बजे, मैं जोर से चिल्ला उठा- हैप्पी बर्थडे डार्लिंग तृप्ति!
और इसी आवाज के साथ विक्रम ने अपना लौड़ा एक ही बार में तृप्ति की चिकनी चूत में गप्प से डाल दिया।
फिर मैंने तृप्ति को संबोधित करते हुए कहा- मेरी प्यारी जान तृप्ति, जब तुम्हारी चूत उत्तेजना के कारण चिकनाई से लबालब हो जाएगी, तब हमारा पुरुष साथी तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल देगा और जब तुम्हें तुम्हारी चूत में कोई लंड घुसता हुआ महसूस हो तो समझ जाना 12:00 बज गये हैं और तुम्हारा जन्मदिन शुरू हो गया है। अर्थात ठीक 12:00 बजे तुम्हारी चूत में तुम्हारे पति के अलावा किसी और मर्द का लिंग होगा जो कि तुमने पहले कभी नहीं लिया हो। उसके बाद चूत में इस नए लंड के कुछ मखमली धक्के खिलाकर हम तुम्हारी आंखें खोल कर तुम से साक्षात होंगे कि यह नए साथी हैं कौन। उसके बाद तुम्हारे मन के कुछ सवालों को हल करके हम आज ऐतिहासिक बीवियों और पतियों की अदला-बदली कर चुदाई को अंजाम देंगे।
मेरा इशारा पाकर उपासना और विक्रम, तृप्ति की तरफ लपके। विक्रम ने तृप्ति के गोरे-गोरे स्तनों पर अपना हाथ रखा और उसके गुलाबी निप्पलों को उंगलियों से छेड़ने लगा। उसके बाद उसने तृप्ति की गर्दन पर चुम्बन करते हुए अपनी जुबान को तृप्ति के स्तनों पर घुमाया। विक्रम का खड़ा लिंग यह बयां कर रहा था कि वह कितना उत्तेजित है। थोड़ी देर तृप्ति के स्तनों को आराम से चूसने और चाटने के बाद विक्रम अपने होश खो बैठा और बड़े जोर-जोर से दरिंदों की तरह तृप्ति के स्तनों को नोंचने लगा और मुंह से काटने लगा। 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि उसने तृप्ति के गोरे-गोरे स्तनों को अपने हाथों, नाखूनों और दांतों से काट काट कर पूर्ण रूप से लाल कर दिया। लेकिन तृप्ति दर्द से नहीं, उत्तेजना से सिसकारियां भरने लगी थी।
उधर उपासना अपनी जुबान को तृप्ति की साफ-सुथरी गुलाबी चूत की फांकों पर घुमा रही थी। कभी-कभी वह तृप्ति की चूत का दाना अपनी जुबान में लेकर दबा देती, इस तरह अपने शरीर पर हो रहे दोहरे प्रहार को तृप्ति उत्तेजना की वजह से संभाल नहीं पा रही थी और अपनी गांड उठाकर सीने को यथासंभव विक्रम के मुंह पर दबाकर अपनी असहाय हालत बयान कर रही थी। ऐसी उत्तेजना के कारण तृप्ति की चूत से उत्तेजना का पानी बहने लगा। चूंकि 12:00 बजने वाले थे और उसमें केवल एक ही मिनट बाकी था इसलिए मैंने विक्रम को ताली बजाकर इशारा किया कि वह अपनी जगह ले ले। अतः उपासना और विक्रम ने अपनी जगह बदली इस तरह उपासना अब तृप्ति के स्तनों पर तथा विक्रम तृप्ति की चूत के वहां पर अपनी स्थिति जमा कर बैठ गये।
12:00 बजने से आधा मिनट पहले विक्रम अपना लौड़ा तृप्ति की चूत के बाहर रगड़ने लगा और उसके लिंग मुंड को तृप्ति की चूत की चिकनाई से चिकना करने लगा। विक्रम का लंड जब तृप्ति की चूत पर रगड़ता तो तृप्ति उत्तेजना में अपनी चूत को विक्रम के लंड की तरफ आगे करती, लेकिन विक्रम अपने लंड को पीछे हटा लेता। जैसे ही 12:00 बजे, मैं जोर से चिल्ला उठा- हैप्पी बर्थडे डार्लिंग तृप्ति!
और इसी आवाज के साथ विक्रम ने अपना लौड़ा एक ही बार में तृप्ति की चिकनी चूत में गप्प से डाल दिया।