09-08-2019, 05:52 PM
इस पर मैंने कहा- अच्छा चलो, जब दरवाज़ा बजे तो चुपचाप उसे खोल देना। जो भी हो उसे अंदर आने देना ताकि कोई और न जग जाए। जो बात करनी है अंदर ही करना। उपासना का चैट में जवाब आया कि क्यों मज़ाक़ करते हो यार?
इतने में मैं अपने कमरे से निकल कर उपासना के कमरे की तरफ गया। रात के करीब डेढ़ बजे थे। इसीलिए सब सो चुके थे। जैसे ही मैंने गेट बजाया, उपासना ने दरवाजा खोला। मैंने बिना कोई बात किए उसे कमरे के अंदर धकेल कर कमरे का दरवाजा लगा लिया और उपासना से कहा- लो उपासना, आ गया असली लंड लेकर ... कर लो अपने मन की।
उपासना- ओह माय गॉड ... ये कैसे सम्भव है। मैं विक्रम तुमसे ये सब बातें कर रही थी? और तुम्हें कैसे पता चला कि वो मैं ही हूं।
विक्रम- उपासना, अब मौका मिला है तो क्या ये बातें करने में समय निकाल दोगी। राजवीर भैया का तो तुम्हें शायद ही मिले। आज मेरा ही लन्ड ले लो।
अब उपासना के लिए शर्म और नखरे करने की कोई गुंजाइश तो रह नहीं गयी थी। हमने करीब 1 महीने तक सेक्स संबंधी क्या क्या बातें की थी यह हम ही जानते हैं। हम दोनों ने तो एक-दूसरे से अपनी सेक्स संबंधी कल्पना भी जाहिर की थी कि कैसे मैं अपने साथी के स्तन और चूत को चूसूंगा और चुदाई करूंगा। उपासना ने भी ऐसी कई बातें की थीं कि वह कैसे अपने साथी के लन्ड को चाट-चाट कर मजे देगी।
अतः हमने आव देखा न ताव एक दूसरे को कसकर चूमने चाटने लगे। जब चुम्बनों कि बरसात खत्म हुई तो हमने एक दूसरे के सारे वस्त्र उतारने में जरा भी समय बर्बाद नहीं किया। उस वक्त मैंने अपने सामने उपासना को खड़ा किया और उसे अच्छे से ऊपर से नीचे तक निहारा। उस समय उपासना के 32 के स्तन और 26 की कमर और गांड का आकार भी 32 का ही था। गोरे रंग के जिस्म पर ये छरहरी काया। क्या खुशबू थी उपासना के जिस्म की।
उपासना- मैंने भी जब विक्रम का लंड देखा तो इसकी कायल हो गई। फ़ोटो में इसका वो आकार नजर नहीं आया था जो वास्तव में था। ये फोटो से ज्यादा आकर्षक था। करीब साढ़े 7 इंच का लन्ड खड़ा-खड़ा मेरी चूत के लिए चिकना पानी छोड़ रहा था। मुझे तो विक्रम के साथ वो सब करना था जो कि मैंने इतने दिनों तक आपको तृप्ति भाभी के साथ करते देखा था। मुझमें सेक्स की भूख भरी पड़ी थी। मेरा बदन यह सोच-सोच कर सिहर उठा था कि आज उंगलियों की जगह असली का लिंग मेरी चूत में धक्के देगा। मैंने विक्रम से मेरी सबसे पसंदीदा चुदाई के आसन में आने को कहा। विक्रम जानता था कि मैं 69 की बात कर रही हूं। अतः मेरे बिस्तर पर हम दोनों 69 के आसन में आकर एक दूसरे के गुप्तांगों को चूसने लगे।
विक्रम- उपासना की चूत के पानी ने मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दिया था और तभी उपासना मेरे मुंह में अपनी लाल चूत को दबाती रही। उसने मेरा लन्ड अपने मुंह में पूरा अंदर ले लिया और बड़ी बेदर्दी से चूस चूस के ऊपर नीचे करती रही।
मैंने उपासना के स्तनों को चूसने की इच्छा जताई तो उपासना ने सीधे होकर अपना एक स्तन मेरे मुंह में दे दिया और अपने हाथ से मेरे सिर को उसके स्तनों में दबाने लगी। मैंने उसके दूसरे स्तन को हाथ में लेकर अपने हाथों से मसलना शुरू किया। करीब 20 मिनट के इस फोरप्ले के बाद उपासना ने अपनी गीली चूत मेरे सामने करके अपनी टांगें चौड़ी कर दीं। मैंने उसके ऊपर आते हुए अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया जो कि एक बार में गुप्प से अंदर चला गया क्योंकि उत्तेजना में चिकनाई ही इतनी थी। मैंने अपनी पूरी जान लगाकर उपासना की चूत में धक्के दिए जिसे उपासना बड़ी ही शिद्दत से ग्रहण कर रही थी। कोई नहीं कह सकता था कि यह उपासना की पहली चुदाई है।
लेकिन राजवीर और तृप्ति भाभी की चुदाई देख देख कर उपासना इतनी परिपक्व हो गयी थी। उपासना स्वयं अपने आपको मेरे लन्ड में रगड़ दिलवा रही थी। उसकी इस कला ने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। करीब 20 मिनट की घमासान चूत चुदाई के बाद हम दोनों साथ में स्खलित हुए और एक दूसरे से कसकर लिपट गए।
10 मिनट बाद उपासना ने फिर से मेरा लिंग चूसना शुरू किया और खड़ा करके फिर से उस पर बैठ गयी और अपनी चूत में मेरा लन्ड ले कर अपनी गांड को ऊपर नीचे करके लेने लगी। उसके उचकते हुए स्तनों को मैंने अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया। जब वह गांड हिलाते हिलाते थक गई तो मैंने उसे पेट के बल लेटाकर उसके ऊपर आकर उसकी गदराई गांड के नीचे चूत में लन्ड ठेल कर पीछे से उसकी चूत चुदाई शुरु की और फिर से दोनों झड़ गए।
अब हम दोनों का हाल बुरा था। करीब 3 बजने वाले थे इसलिए कपड़े पहन कर मैं अपने कमरे में आ गया।
इस तरह की चुदाई का मजा मैंने अपने जीवन में कभी नहीं लिया था। कॉलेज के समय में चुदाइयाँ तो बहुत की थीं मगर उपासना ने जिस तरह से अपनी चूत चुदवाई मैं उसका कायल हो गया था।
उपासना- और मेरी तो यह पहली चुदाई थी। मैं तो उस खुमारी से दिन-रात बाहर निकल ही नहीं पा रही थी।
विक्रम- फिर ये हमारे लिए लगभग रोज की बात हो गई। सबके सोने के बाद हमारा ये चुदाई घमासान रोज होता।
उपासना- हम दोनों एक दूसरे से इतने खुश थे कि हमने एक दूसरे से शादी का मन भी बना लिया।
विक्रम- और इस से पहले कि पिताजी उपासना के लिए लड़का देखना शुरू करते उससे पहले ही मैंने मां के द्वारा उनके कान में यह बात डाल दी कि मैं उपासना से शादी करना चाहता हूं क्योंकि उपासना पिताजी के दोस्त की बेटी थी और आज के इस युग में अच्छा लड़का ढूंढना मुश्किल था जो कि किसी लड़की को दुख ना दे, अतः पिताजी को यह प्रस्ताव अच्छा लगा और हम दोनों की शादी पिताजी ने करवा दी।
इतने में मैं अपने कमरे से निकल कर उपासना के कमरे की तरफ गया। रात के करीब डेढ़ बजे थे। इसीलिए सब सो चुके थे। जैसे ही मैंने गेट बजाया, उपासना ने दरवाजा खोला। मैंने बिना कोई बात किए उसे कमरे के अंदर धकेल कर कमरे का दरवाजा लगा लिया और उपासना से कहा- लो उपासना, आ गया असली लंड लेकर ... कर लो अपने मन की।
उपासना- ओह माय गॉड ... ये कैसे सम्भव है। मैं विक्रम तुमसे ये सब बातें कर रही थी? और तुम्हें कैसे पता चला कि वो मैं ही हूं।
विक्रम- उपासना, अब मौका मिला है तो क्या ये बातें करने में समय निकाल दोगी। राजवीर भैया का तो तुम्हें शायद ही मिले। आज मेरा ही लन्ड ले लो।
अब उपासना के लिए शर्म और नखरे करने की कोई गुंजाइश तो रह नहीं गयी थी। हमने करीब 1 महीने तक सेक्स संबंधी क्या क्या बातें की थी यह हम ही जानते हैं। हम दोनों ने तो एक-दूसरे से अपनी सेक्स संबंधी कल्पना भी जाहिर की थी कि कैसे मैं अपने साथी के स्तन और चूत को चूसूंगा और चुदाई करूंगा। उपासना ने भी ऐसी कई बातें की थीं कि वह कैसे अपने साथी के लन्ड को चाट-चाट कर मजे देगी।
अतः हमने आव देखा न ताव एक दूसरे को कसकर चूमने चाटने लगे। जब चुम्बनों कि बरसात खत्म हुई तो हमने एक दूसरे के सारे वस्त्र उतारने में जरा भी समय बर्बाद नहीं किया। उस वक्त मैंने अपने सामने उपासना को खड़ा किया और उसे अच्छे से ऊपर से नीचे तक निहारा। उस समय उपासना के 32 के स्तन और 26 की कमर और गांड का आकार भी 32 का ही था। गोरे रंग के जिस्म पर ये छरहरी काया। क्या खुशबू थी उपासना के जिस्म की।
उपासना- मैंने भी जब विक्रम का लंड देखा तो इसकी कायल हो गई। फ़ोटो में इसका वो आकार नजर नहीं आया था जो वास्तव में था। ये फोटो से ज्यादा आकर्षक था। करीब साढ़े 7 इंच का लन्ड खड़ा-खड़ा मेरी चूत के लिए चिकना पानी छोड़ रहा था। मुझे तो विक्रम के साथ वो सब करना था जो कि मैंने इतने दिनों तक आपको तृप्ति भाभी के साथ करते देखा था। मुझमें सेक्स की भूख भरी पड़ी थी। मेरा बदन यह सोच-सोच कर सिहर उठा था कि आज उंगलियों की जगह असली का लिंग मेरी चूत में धक्के देगा। मैंने विक्रम से मेरी सबसे पसंदीदा चुदाई के आसन में आने को कहा। विक्रम जानता था कि मैं 69 की बात कर रही हूं। अतः मेरे बिस्तर पर हम दोनों 69 के आसन में आकर एक दूसरे के गुप्तांगों को चूसने लगे।
विक्रम- उपासना की चूत के पानी ने मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दिया था और तभी उपासना मेरे मुंह में अपनी लाल चूत को दबाती रही। उसने मेरा लन्ड अपने मुंह में पूरा अंदर ले लिया और बड़ी बेदर्दी से चूस चूस के ऊपर नीचे करती रही।
मैंने उपासना के स्तनों को चूसने की इच्छा जताई तो उपासना ने सीधे होकर अपना एक स्तन मेरे मुंह में दे दिया और अपने हाथ से मेरे सिर को उसके स्तनों में दबाने लगी। मैंने उसके दूसरे स्तन को हाथ में लेकर अपने हाथों से मसलना शुरू किया। करीब 20 मिनट के इस फोरप्ले के बाद उपासना ने अपनी गीली चूत मेरे सामने करके अपनी टांगें चौड़ी कर दीं। मैंने उसके ऊपर आते हुए अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया जो कि एक बार में गुप्प से अंदर चला गया क्योंकि उत्तेजना में चिकनाई ही इतनी थी। मैंने अपनी पूरी जान लगाकर उपासना की चूत में धक्के दिए जिसे उपासना बड़ी ही शिद्दत से ग्रहण कर रही थी। कोई नहीं कह सकता था कि यह उपासना की पहली चुदाई है।
लेकिन राजवीर और तृप्ति भाभी की चुदाई देख देख कर उपासना इतनी परिपक्व हो गयी थी। उपासना स्वयं अपने आपको मेरे लन्ड में रगड़ दिलवा रही थी। उसकी इस कला ने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। करीब 20 मिनट की घमासान चूत चुदाई के बाद हम दोनों साथ में स्खलित हुए और एक दूसरे से कसकर लिपट गए।
10 मिनट बाद उपासना ने फिर से मेरा लिंग चूसना शुरू किया और खड़ा करके फिर से उस पर बैठ गयी और अपनी चूत में मेरा लन्ड ले कर अपनी गांड को ऊपर नीचे करके लेने लगी। उसके उचकते हुए स्तनों को मैंने अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया। जब वह गांड हिलाते हिलाते थक गई तो मैंने उसे पेट के बल लेटाकर उसके ऊपर आकर उसकी गदराई गांड के नीचे चूत में लन्ड ठेल कर पीछे से उसकी चूत चुदाई शुरु की और फिर से दोनों झड़ गए।
अब हम दोनों का हाल बुरा था। करीब 3 बजने वाले थे इसलिए कपड़े पहन कर मैं अपने कमरे में आ गया।
इस तरह की चुदाई का मजा मैंने अपने जीवन में कभी नहीं लिया था। कॉलेज के समय में चुदाइयाँ तो बहुत की थीं मगर उपासना ने जिस तरह से अपनी चूत चुदवाई मैं उसका कायल हो गया था।
उपासना- और मेरी तो यह पहली चुदाई थी। मैं तो उस खुमारी से दिन-रात बाहर निकल ही नहीं पा रही थी।
विक्रम- फिर ये हमारे लिए लगभग रोज की बात हो गई। सबके सोने के बाद हमारा ये चुदाई घमासान रोज होता।
उपासना- हम दोनों एक दूसरे से इतने खुश थे कि हमने एक दूसरे से शादी का मन भी बना लिया।
विक्रम- और इस से पहले कि पिताजी उपासना के लिए लड़का देखना शुरू करते उससे पहले ही मैंने मां के द्वारा उनके कान में यह बात डाल दी कि मैं उपासना से शादी करना चाहता हूं क्योंकि उपासना पिताजी के दोस्त की बेटी थी और आज के इस युग में अच्छा लड़का ढूंढना मुश्किल था जो कि किसी लड़की को दुख ना दे, अतः पिताजी को यह प्रस्ताव अच्छा लगा और हम दोनों की शादी पिताजी ने करवा दी।