09-08-2019, 05:31 PM
अब आगे की कहानी सुनो…
हमारे, मतलब तृप्ति और मेरे रिश्ते को लगभग आधा साल हुआ था। हमने इस दौरान पार्क में, कॉलेज में मौका देखकर खूब चुम्मा चाटी की। फिर एक बार की बात है जब मेरा जन्मदिन आया। मैंने कॉलेज से बाहर आकर होटल में एक शानदार कमरा बुक किया और वहीं जन्मदिन मनाने के बहाने तृप्ति को बुलाया। आज मैं जन्मदिन के तोहफे के बहाने कॉलेज की सबसे सुंदर परी को चोद-चोद कर लाल करना चाहता था। अतः मेरे प्यार की खातिर तृप्ति आयी। उसने नीली जीन्स और सफेद टी-शर्ट पहनी थी। भूरे और सुनहरे रंग किए हुए बाल थे उसके जो कि अच्छे खासे संयम वाले आदमी का भी लंड खड़ा कर दें। टाईट जीन्स में उसकी गांड का आकार और सफेद टी-शर्ट में उसके उभरे हुए सन्तरे लंड में झनझनाहट पैदा करने लगे थे।
उसने मुझे किस करके जन्मदिन की शुभकामना दी। उसके बाद हमने केक काटा। उसने मुझे केक खिलाया पर मैंने मना किया और पहले उसे खाने को कहा। मैं अपने हाथ में लेकर उसे केक खिलाने लगा। लेकिन चालाकी से मैंने उस केक को उसके पूरे चेहरे पर रंग दिया और कहा कि अब मुझे तुम्हारे गालों से केक खाना है। तृप्ति नीचे चेहरा करके मुस्कुराने लगी और इसी मुस्कुराहट को उसकी हां समझ कर उसके गालों से अपनी जीभ लगाकर मैं केक को खाने लगा। फिर इसी तरह से मैंने उसके पूरे चेहरे को साफ किया। फिर उसने भी अपने हाथों में केक लेकर मेरे गालों पर लगाया और मेरे चेहरे को अपने प्यारे से होंठों से साफ करने लगी। हमने एक दूसरे के होंठों को अपने अपने होंठों में दबाकर उन्हें चूसना चाटना शुरू कर दिया। फिर मैंने अपनी जीभ को तृप्ति की गर्दन पर घुमाना शुरू किया। तृप्ति मेरी इस हरकत से सिहर उठी। उसने भी मेरे चेहरे पर चुम्बन की बरसात कर दी। मैंने अपने हाथ को उसके स्तनों पर ले जाकर टी-शर्ट के ऊपर से दबाना शुरू किया। इस पर तृप्ति का गोरा चेहरा पूरा लाल हो गया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। तृप्ति ने अपना चेहरा शर्म से झुका लिया। लेकिन अब जो नजारा मेरी आँखों के सामने था उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता क्योंकि यह नजारा कुछ शीघ्रपतन वाले मर्दों के पानी की पिचकारी, बिना लंड पर हाथ लगाए ही छुड़वाने के लिए काफी था। काले रंग की ब्रा में सफेद और गुलाबी रंग की मिश्रित चमड़ी वाली हसीना जिसकी कमर पर उसकी अति उत्तेजक नाभि थी। ब्रा के इलास्टिक ने उसके सफेद गोरे जिस्म पर जो गुलाबी रेखा बनाई थी उसने मेरे शरीर की नस-नस के खून के एक-एक कतरे को एक नई सरसराहट से सिरमौर कर दिया था। मैंने आव देखा न ताव, ब्रा सहित तृप्ति के स्तनों को मुंह में दबा लिया। तृप्ति भी अपने स्तन मेरे मुंह में जोर से दबाने लगी।
थोड़े समय बाद उससे रहा नहीं गया। उसने स्वयं ही अपनी ब्रा से अपने दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया। तृप्ति के स्तनों के ऊपर के चूचुक गुलाबी रंग के थे। मैं उसके एक चूचुक को अपने हाथ में तथा दूसरे चूचुक को अपने मुंह में लेकर अपनी भड़ास उसके स्तनों पर निकालने लगा। तृप्ति उत्तेजना में पागल होकर अपने पूरे शरीर को मेरे मुंह के अंदर दबाने की कोशिश करने लगी थी। मैंने तृप्ति के स्तनों के साथ उसके पेट और कमर को भी काफी चूमा और चाटा। जब मुझे लगा कि अब काफी समय तक फोरप्ले हो गया है और तृप्ति भी काफी उत्तेजित हो गई है, मैंने अपना हाथ उसके जींस के बटन पर लगाया तथा उसे खोलने का प्रयत्न करने लगा, लेकिन तृप्ति ने मेरे हाथ को उसके जींस के बटन से हटा दिया। मैं फिर अपना हाथ तृप्ति के जींस के बटन पर ले कर गया किंतु तृप्ति ने मेरा हाथ फिर हटा दिया।
मैंने तृप्ति से कहा- माय डार्लिंग तृप्ति, आई वांट टू फक यू। प्लीज़ कोऑपरेट मी। (प्रिय मैं तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, कृपया मेरा साथ दो)। इस पर तृप्ति ने जवाब दिया- डार्लिंग, वी ऑलरेडी क्रॉस्ड आवर लिमिट (प्रिय हम पहले ही हमारी सीमा पर कर चुके हैं) अब इससे ज्यादा मैं साथ नहीं दे पाऊंगी।
विक्रम- प्लीज तृप्ति, मैं इतना करके अधूरा नहीं रह सकता। मुझे तुम्हारी चुदाई करनी है।
तृप्ति- ओह मेरे विक्रम। मेरी कुछ सीमाएं हैं जो मैंने तय की हैं। मैं शादी से पहले ये नहीं कर सकती। मैं तुमसे प्यार करती हूं और शादी करने के लिए तैयार हूं। उसके बाद मैं पूरी तुम्हारी हो जाऊंगी जान। उस वक्त मेरे सिर पर हवस का शेर सवार था। कोई तृप्ति के साथ इतना बढ़कर पीछे नहीं हट सकता था क्योंकि तृप्ति चीज ही ऐसी थी।
अतः पता नहीं क्यों मुझे तृप्ति पर गुस्सा आ गया और मैंने उसे गुस्से में भला-बुरा कह दिया।
मैंने तृप्ति से कहा- अगर मेरे जन्मदिन के दिन तुम एक अच्छी गर्लफ्रेंड बन कर मेरे मन की इच्छा पूरी नहीं कर सकती तो तुम क्या एक अच्छी बीवी बन पाओगी? इस पर मुझे शक है। धन्यवाद जो तुमने मुझे इतना सब करने का मौका दिया। न जाने कितनों के साथ ऐसी टेस्ट ड्राइव करके मुझे शादी का ज्ञान दे रही हो। मैंने यह बात गुस्से-गुस्से में गलत कह दी थी जिसका मुझे उसी क्षण अहसास हो गया था किंतु अपने घमंड वाले रवैये के कारण मैं उसे मना नहीं सका और उससे माफी नहीं मांग सका। तृप्ति की आंखों में आंसू थे और वह रोते-रोते अपने कपड़े पहनने लगी और मुझसे सॉरी बोल कर चली गई।
जब मेरे सिर से हवस का भूत उतरा तब मुझे अहसास हुआ की तृप्ति वास्तव में कितनी अच्छी लड़की है। ऐसी लड़की पत्नी के रूप में किसी भाग्य वाले को ही मिलेगी जो कि इतनी आगे बढ़ कर भी अपने यौवन को भंग होने से बचा ले। उसके बाद मैंने तृप्ति से माफी मांगने की काफी कोशिशें कीं किंतु तृप्ति ने मुझे कभी भाव नहीं दिया। वह मुझसे बुरी तरह से नाराज हो गई थी। अब मुझे तृप्ति से सच्चा प्यार होने लगा था। लेकिन उसने कभी मेरी एक बात नहीं मानी। मैंने उसे चिढ़ाने के लिए कॉलेज के काफी लड़कियां पटाईं। लेकिन तृप्ति का दिल कभी नहीं पिघला। मैंने गुस्से में कई लड़कियों से संबंध बनाए लेकिन उसकी कमी को पूरी नहीं कर पाया और एक दिन ऐसा आया जब फाइनल वर्ष पूरा होने पर तृप्ति चली गयी।
हमारे, मतलब तृप्ति और मेरे रिश्ते को लगभग आधा साल हुआ था। हमने इस दौरान पार्क में, कॉलेज में मौका देखकर खूब चुम्मा चाटी की। फिर एक बार की बात है जब मेरा जन्मदिन आया। मैंने कॉलेज से बाहर आकर होटल में एक शानदार कमरा बुक किया और वहीं जन्मदिन मनाने के बहाने तृप्ति को बुलाया। आज मैं जन्मदिन के तोहफे के बहाने कॉलेज की सबसे सुंदर परी को चोद-चोद कर लाल करना चाहता था। अतः मेरे प्यार की खातिर तृप्ति आयी। उसने नीली जीन्स और सफेद टी-शर्ट पहनी थी। भूरे और सुनहरे रंग किए हुए बाल थे उसके जो कि अच्छे खासे संयम वाले आदमी का भी लंड खड़ा कर दें। टाईट जीन्स में उसकी गांड का आकार और सफेद टी-शर्ट में उसके उभरे हुए सन्तरे लंड में झनझनाहट पैदा करने लगे थे।
उसने मुझे किस करके जन्मदिन की शुभकामना दी। उसके बाद हमने केक काटा। उसने मुझे केक खिलाया पर मैंने मना किया और पहले उसे खाने को कहा। मैं अपने हाथ में लेकर उसे केक खिलाने लगा। लेकिन चालाकी से मैंने उस केक को उसके पूरे चेहरे पर रंग दिया और कहा कि अब मुझे तुम्हारे गालों से केक खाना है। तृप्ति नीचे चेहरा करके मुस्कुराने लगी और इसी मुस्कुराहट को उसकी हां समझ कर उसके गालों से अपनी जीभ लगाकर मैं केक को खाने लगा। फिर इसी तरह से मैंने उसके पूरे चेहरे को साफ किया। फिर उसने भी अपने हाथों में केक लेकर मेरे गालों पर लगाया और मेरे चेहरे को अपने प्यारे से होंठों से साफ करने लगी। हमने एक दूसरे के होंठों को अपने अपने होंठों में दबाकर उन्हें चूसना चाटना शुरू कर दिया। फिर मैंने अपनी जीभ को तृप्ति की गर्दन पर घुमाना शुरू किया। तृप्ति मेरी इस हरकत से सिहर उठी। उसने भी मेरे चेहरे पर चुम्बन की बरसात कर दी। मैंने अपने हाथ को उसके स्तनों पर ले जाकर टी-शर्ट के ऊपर से दबाना शुरू किया। इस पर तृप्ति का गोरा चेहरा पूरा लाल हो गया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। तृप्ति ने अपना चेहरा शर्म से झुका लिया। लेकिन अब जो नजारा मेरी आँखों के सामने था उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता क्योंकि यह नजारा कुछ शीघ्रपतन वाले मर्दों के पानी की पिचकारी, बिना लंड पर हाथ लगाए ही छुड़वाने के लिए काफी था। काले रंग की ब्रा में सफेद और गुलाबी रंग की मिश्रित चमड़ी वाली हसीना जिसकी कमर पर उसकी अति उत्तेजक नाभि थी। ब्रा के इलास्टिक ने उसके सफेद गोरे जिस्म पर जो गुलाबी रेखा बनाई थी उसने मेरे शरीर की नस-नस के खून के एक-एक कतरे को एक नई सरसराहट से सिरमौर कर दिया था। मैंने आव देखा न ताव, ब्रा सहित तृप्ति के स्तनों को मुंह में दबा लिया। तृप्ति भी अपने स्तन मेरे मुंह में जोर से दबाने लगी।
थोड़े समय बाद उससे रहा नहीं गया। उसने स्वयं ही अपनी ब्रा से अपने दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया। तृप्ति के स्तनों के ऊपर के चूचुक गुलाबी रंग के थे। मैं उसके एक चूचुक को अपने हाथ में तथा दूसरे चूचुक को अपने मुंह में लेकर अपनी भड़ास उसके स्तनों पर निकालने लगा। तृप्ति उत्तेजना में पागल होकर अपने पूरे शरीर को मेरे मुंह के अंदर दबाने की कोशिश करने लगी थी। मैंने तृप्ति के स्तनों के साथ उसके पेट और कमर को भी काफी चूमा और चाटा। जब मुझे लगा कि अब काफी समय तक फोरप्ले हो गया है और तृप्ति भी काफी उत्तेजित हो गई है, मैंने अपना हाथ उसके जींस के बटन पर लगाया तथा उसे खोलने का प्रयत्न करने लगा, लेकिन तृप्ति ने मेरे हाथ को उसके जींस के बटन से हटा दिया। मैं फिर अपना हाथ तृप्ति के जींस के बटन पर ले कर गया किंतु तृप्ति ने मेरा हाथ फिर हटा दिया।
मैंने तृप्ति से कहा- माय डार्लिंग तृप्ति, आई वांट टू फक यू। प्लीज़ कोऑपरेट मी। (प्रिय मैं तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, कृपया मेरा साथ दो)। इस पर तृप्ति ने जवाब दिया- डार्लिंग, वी ऑलरेडी क्रॉस्ड आवर लिमिट (प्रिय हम पहले ही हमारी सीमा पर कर चुके हैं) अब इससे ज्यादा मैं साथ नहीं दे पाऊंगी।
विक्रम- प्लीज तृप्ति, मैं इतना करके अधूरा नहीं रह सकता। मुझे तुम्हारी चुदाई करनी है।
तृप्ति- ओह मेरे विक्रम। मेरी कुछ सीमाएं हैं जो मैंने तय की हैं। मैं शादी से पहले ये नहीं कर सकती। मैं तुमसे प्यार करती हूं और शादी करने के लिए तैयार हूं। उसके बाद मैं पूरी तुम्हारी हो जाऊंगी जान। उस वक्त मेरे सिर पर हवस का शेर सवार था। कोई तृप्ति के साथ इतना बढ़कर पीछे नहीं हट सकता था क्योंकि तृप्ति चीज ही ऐसी थी।
अतः पता नहीं क्यों मुझे तृप्ति पर गुस्सा आ गया और मैंने उसे गुस्से में भला-बुरा कह दिया।
मैंने तृप्ति से कहा- अगर मेरे जन्मदिन के दिन तुम एक अच्छी गर्लफ्रेंड बन कर मेरे मन की इच्छा पूरी नहीं कर सकती तो तुम क्या एक अच्छी बीवी बन पाओगी? इस पर मुझे शक है। धन्यवाद जो तुमने मुझे इतना सब करने का मौका दिया। न जाने कितनों के साथ ऐसी टेस्ट ड्राइव करके मुझे शादी का ज्ञान दे रही हो। मैंने यह बात गुस्से-गुस्से में गलत कह दी थी जिसका मुझे उसी क्षण अहसास हो गया था किंतु अपने घमंड वाले रवैये के कारण मैं उसे मना नहीं सका और उससे माफी नहीं मांग सका। तृप्ति की आंखों में आंसू थे और वह रोते-रोते अपने कपड़े पहनने लगी और मुझसे सॉरी बोल कर चली गई।
जब मेरे सिर से हवस का भूत उतरा तब मुझे अहसास हुआ की तृप्ति वास्तव में कितनी अच्छी लड़की है। ऐसी लड़की पत्नी के रूप में किसी भाग्य वाले को ही मिलेगी जो कि इतनी आगे बढ़ कर भी अपने यौवन को भंग होने से बचा ले। उसके बाद मैंने तृप्ति से माफी मांगने की काफी कोशिशें कीं किंतु तृप्ति ने मुझे कभी भाव नहीं दिया। वह मुझसे बुरी तरह से नाराज हो गई थी। अब मुझे तृप्ति से सच्चा प्यार होने लगा था। लेकिन उसने कभी मेरी एक बात नहीं मानी। मैंने उसे चिढ़ाने के लिए कॉलेज के काफी लड़कियां पटाईं। लेकिन तृप्ति का दिल कभी नहीं पिघला। मैंने गुस्से में कई लड़कियों से संबंध बनाए लेकिन उसकी कमी को पूरी नहीं कर पाया और एक दिन ऐसा आया जब फाइनल वर्ष पूरा होने पर तृप्ति चली गयी।