09-08-2019, 03:59 PM
(This post was last modified: 09-08-2019, 04:04 PM by usaiha2. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरे लिए बीती रात एक पहेली थी जिसे मैं सुलझाना चाहता था और इसीलिए मैंने अपने घर की छत पर विक्रम (अपने छोटे भाई) को बात करने के लिए बुलाया। मैं उसका इंतज़ार कर रहा था और इंतजार करते-करते बीते हुए समय की घटनाओं को याद करने लगा।
विक्रम यानि कि मेरा छोटा भाई। उसकी आयु 24 साल की थी। वह 3 साल पहले ही बैंग्लोर से अपनी पढ़ाई पूरी करके घर लौट था और वहाँ हमारे उत्पाद के उत्पादन के काम को देख रहा था। विक्रम की शादी उपासना (20) से हुई थी। उपासना मेरे पिताजी के मित्र की पुत्री थी। मेरे पिता और उपासना के पिता पक्के मित्र थे। एक कार दुर्घटना में उपासना के पिता चल बसे और उसके दुख में 2 महीने बाद ही उपासना की माँ का भी देहांत हो गया था। अतः उपासना की माँ की अंतिम इच्छा थी कि 14 साल की उपासना को उसके परिवार वालों के भरोसे न छोड़कर हमारे पिता की छत्रछाया में ही रखा जाए। उपासना हमारे साथ ही बड़ी हुई। कुछ सालों में विक्रम पढ़ाई करने बंगलूरू चला गया।
उसके बाद मेरा विवाह तृप्ति से हुआ। मेरे तृप्ति से विवाह के 3 साल बाद हम घरवालों को पता चला कि विक्रम और उपासना एक दूसरे से प्रेम करते हैं और विवाह करना चाहते हैं। अतः पिताजी ने उनकी इच्छा पूरी की और उपासना की माँ की इच्छा के अनुसार उपासना को हमारे घर में रखने की जिम्मेदारी भी पूरी हो गयी क्योंकि उपासना शायद ही इस घर से ज्यादा कहीं और दूसरे घर में खुश रह पाती। उपासना-विक्रम अब शादीशुदा थे और अब हमारे यानि तृप्ति-राजवीर के पास जयपुर आ रहे थे।
उपासना और विक्रम दोनों बेहद सुंदर थे और साथ मिलकर परफेक्ट कपल का उदाहरण प्रस्तुत करते थे। उपासना का शरीर तृप्ति की तरह ही भरा-पूरा था जो कि टीवी ऐक्ट्रेस रश्मि देसाई से मेल खाता है। 35 के स्तन, 26 की कमर और 35 के कूल्हे. चेहरा भी रश्मी देसाई की तरह ही गोल, सुंदर, नशीली आंखों वाला था। विक्रम भी आजकल के दाढ़ी भरे चेहरे वाले मर्दों के जैसे ही मॉडल की तरह का लुक रखता था।
दोनों जयपुर आए और साथ रहने लगे। अब यहाँ दो भाई (मैं और विक्रम) अपनी बीवियों के साथ रहते थे जिनमें कोई वासना या गलत सोच का स्थान नहीं था। हम एक साधारण परिवार की तरह अपने जीवन का यापन करने लगे थे। हँसी-मजाक एक परिवार की तरह होता और सब हँसी-खुशी रह रहे थे। विक्रम ने व्यापार में श्लोक की भूमिका ले ली थी और उसका भली-भाँति निर्वाह कर रहा था। उधर श्लोक भी गुजरात में व्यापार को लेकर सफल था। विक्रम को यहां आए करीब 3 महीने गुजर गए थे।
सब कुछ ठीक चल रहा था।
तभी एक शाम श्लोक और सीमा का फ़ोन आया। वो हम दोनों को कुछ दिन के लिए अहमदाबाद बुलाना चाहते थे। मगर व्यापार को छोड़कर जाना मुश्किल था। उनका मकसद शायद वही सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम हो या अदला-बदली वाली चुदाई रहा होगा। ये भी सच था कि हमें उस अदला-बदली की काफी याद आती थी। सीमा को चोदने के लिए कभी भी लंड फड़फड़ा उठता था। शायद यही हाल श्लोक का तृप्ति के लिए हो रहा होगा। सीमा और श्लोक के द्वारा काफी मिन्नतें करने के बाद मैंने तृप्ति को उनके पास भेजने की अनुमति दे दी। यहां मेरे पास विक्रम और उपासना थे। एक बहन का भाई के पास रहने चले जाना साधारण बात थी और इसमें किसी को कोई शक नहीं था। लेकिन वास्तविकता क्या थी इससे मैं अच्छे तरीके से परिचित था।
अगले दिन तृप्ति अहमदाबाद के लिए निकल गयी।
विक्रम यानि कि मेरा छोटा भाई। उसकी आयु 24 साल की थी। वह 3 साल पहले ही बैंग्लोर से अपनी पढ़ाई पूरी करके घर लौट था और वहाँ हमारे उत्पाद के उत्पादन के काम को देख रहा था। विक्रम की शादी उपासना (20) से हुई थी। उपासना मेरे पिताजी के मित्र की पुत्री थी। मेरे पिता और उपासना के पिता पक्के मित्र थे। एक कार दुर्घटना में उपासना के पिता चल बसे और उसके दुख में 2 महीने बाद ही उपासना की माँ का भी देहांत हो गया था। अतः उपासना की माँ की अंतिम इच्छा थी कि 14 साल की उपासना को उसके परिवार वालों के भरोसे न छोड़कर हमारे पिता की छत्रछाया में ही रखा जाए। उपासना हमारे साथ ही बड़ी हुई। कुछ सालों में विक्रम पढ़ाई करने बंगलूरू चला गया।
उसके बाद मेरा विवाह तृप्ति से हुआ। मेरे तृप्ति से विवाह के 3 साल बाद हम घरवालों को पता चला कि विक्रम और उपासना एक दूसरे से प्रेम करते हैं और विवाह करना चाहते हैं। अतः पिताजी ने उनकी इच्छा पूरी की और उपासना की माँ की इच्छा के अनुसार उपासना को हमारे घर में रखने की जिम्मेदारी भी पूरी हो गयी क्योंकि उपासना शायद ही इस घर से ज्यादा कहीं और दूसरे घर में खुश रह पाती। उपासना-विक्रम अब शादीशुदा थे और अब हमारे यानि तृप्ति-राजवीर के पास जयपुर आ रहे थे।
उपासना और विक्रम दोनों बेहद सुंदर थे और साथ मिलकर परफेक्ट कपल का उदाहरण प्रस्तुत करते थे। उपासना का शरीर तृप्ति की तरह ही भरा-पूरा था जो कि टीवी ऐक्ट्रेस रश्मि देसाई से मेल खाता है। 35 के स्तन, 26 की कमर और 35 के कूल्हे. चेहरा भी रश्मी देसाई की तरह ही गोल, सुंदर, नशीली आंखों वाला था। विक्रम भी आजकल के दाढ़ी भरे चेहरे वाले मर्दों के जैसे ही मॉडल की तरह का लुक रखता था।
दोनों जयपुर आए और साथ रहने लगे। अब यहाँ दो भाई (मैं और विक्रम) अपनी बीवियों के साथ रहते थे जिनमें कोई वासना या गलत सोच का स्थान नहीं था। हम एक साधारण परिवार की तरह अपने जीवन का यापन करने लगे थे। हँसी-मजाक एक परिवार की तरह होता और सब हँसी-खुशी रह रहे थे। विक्रम ने व्यापार में श्लोक की भूमिका ले ली थी और उसका भली-भाँति निर्वाह कर रहा था। उधर श्लोक भी गुजरात में व्यापार को लेकर सफल था। विक्रम को यहां आए करीब 3 महीने गुजर गए थे।
सब कुछ ठीक चल रहा था।
तभी एक शाम श्लोक और सीमा का फ़ोन आया। वो हम दोनों को कुछ दिन के लिए अहमदाबाद बुलाना चाहते थे। मगर व्यापार को छोड़कर जाना मुश्किल था। उनका मकसद शायद वही सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम हो या अदला-बदली वाली चुदाई रहा होगा। ये भी सच था कि हमें उस अदला-बदली की काफी याद आती थी। सीमा को चोदने के लिए कभी भी लंड फड़फड़ा उठता था। शायद यही हाल श्लोक का तृप्ति के लिए हो रहा होगा। सीमा और श्लोक के द्वारा काफी मिन्नतें करने के बाद मैंने तृप्ति को उनके पास भेजने की अनुमति दे दी। यहां मेरे पास विक्रम और उपासना थे। एक बहन का भाई के पास रहने चले जाना साधारण बात थी और इसमें किसी को कोई शक नहीं था। लेकिन वास्तविकता क्या थी इससे मैं अच्छे तरीके से परिचित था।
अगले दिन तृप्ति अहमदाबाद के लिए निकल गयी।