09-08-2019, 03:12 PM
सायंकाल को सामूहिक चुदाई का आयोजन होना था।
तो दिन भर की छोटी मोटी घटनाओं का बखान करने से बेहतर में आपको उसी समय ले चलता हूं जहाँ सामूहिक घमासान शुरू होने वाला था।
#
रात के खाने के बाद करीब 10 बजे:
हमें कमरे से बाहर रखा गया था क्योंकि हमें हमारी बीवियाँ सरप्राइज देना चाहती थी। शायद वे सामूहिक चुदाई के मंच को सजाना संवारना चाहती थी। वे दोनों मेरे कमरे में थी।
करीब 10:30 बजे दोनों की बीवियों ने हमें अंदर कमरे से आवाज दी और आने की अनुमति दी। जब हम कमरे में प्रविष्ट हुए तो देखा
मेरे कमरे को दोनों बीवियों ने गुलाबों और मोमबत्तियों से सजा दिया था। पूरा कमरा मन्द मन्द सुगंध से महक रहा था। होम थिएटर के स्पीकरों में बहुत ही मधुर आवाज में रोमांटिक संगीत चल रहा था। फ्लैट की छत की लाइटिंग के रंग बिरंगे प्रकाश में बिछा हुआ पलंग ऐसा लग रहा था कि मानो किसी भव्य प्रोग्राम के लिए सजाया गया मंच। ये महिलाएं ही हैं जो किसी भी कार्य को अच्छी तरह पूर्ण करने की व्यवस्था में इस प्रकार के कार्य कर लेती है। जहां तक हम मर्दों की बात है, हमें तो ऐसे कार्यक्रम आयोजन से पहले केवल चूत ही चूत दिखाई देती है। हमारा मन बस यह सोचता रहता है कि आज किसकी चुदाई कैसे करनी है। अर्थात् जहाँ दिखा चीरा, वहीं डाल देंगे खीरा।
दिन भर में की गई बातों से सब एक दूसरे से बेहद खुल चुके थे। अतः शर्माने मनाने की औपचारिकता में कोई भी अपना मजा खराब नहीं करना चाहता था
यह एक भव्य रात थी जो दोबारा आयोजित करने पर भी ऐसा मजा नहीं देने वाली थी क्योंकि यह पहली बार था। दोनों बीवियों ने इसकी तैयारी इतनी ही भव्यता के साथ की थी। कमरे के माहौल से जब नजर हटी और दीवार के पास सटे हुए सोफे पर पड़ी तो देखा कि तृप्ति और सीमा केवल अंतर्वस्त्रों ब्रा और पैंटी में अपनी एक एक टांग सोफे पर तथा एक टांग नीचे रखकर अपने स्तनों को आगे कर कर बहुत ही कामुक तरीके से खड़े होकर हमें रोमांचित करने के लिए खड़ी हुई हैं। यहां कोई स्विमिंग पूल नहीं था किंतु दोनों ने अपनी महंगी महंगी बिकिनियाँ पहनी हुई थी।
बीती रात में श्लोक और मैंने सीमा और तृप्ति की चुदाई की थी, उन्हें नग्न भी देखा था किंतु आज जिस प्रकार अपने रूप से यह काम की देवियां कयामत ढा रही थी, ऐसा लग रहा था कि हम दोनों को पहली बार ही देख रहे हैं।
काले रंग के अंतवस्त्र पहने हुए तृप्ति के स्तन और कूल्हे इतने उत्तेजित कर रहे थे जैसे मानो साक्षात् संजना खान अपना अंग प्रदर्शन कर रही हो। उसकी सफेद रंग की गोरी टांगें कमरे के छत की गुलाबी लाइट की रोशनी में गुलाबी नजर आ रही थी। यह नजारा देखकर श्लोक का हाथ अकस्मात उसके लिंग पर चला गया और वह पजामे के ऊपर से ही अपना लिंग सहलाने लगा।
सोफे के दूसरी बगल में सीमा अपने उत्तेजित करने वाले स्तनों तथा पिछवाड़े को बाहर निकाले हुए खड़ी थी। सीमा भी बालों से लेकर टांगों तक गुलाबी प्रकाश में पूरे गुलाबी नजर आ रही थी।
सीमा- कैसा लगा कमरे का नजारा?
श्लोक- बेहद शानदार ... कोई जवाब नहीं ... ना तो सजाए हुए कमरे के रोमांटिक माहौल का ... और ना ही दोनों रूप की परियों का!
मैं- समझ नहीं आ रहा कि यह सुगंधित अविस्मरणीय मंच आज हमारी युद्धभूमि बनने वाला है। जहाँ दो चूत और दो लंड एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए मिलकर प्रतिस्पर्धा करेंगे।
श्लोक- मुझसे अब बातें नहीं हो रही है जीजा जी। समय आ गया है कि मैं अब बाहुबली बन जाऊं।
इतना कहकर श्लोक तृप्ति के पास गया और उसकी गोरी कमर को पकड़ कर उसको अपनी बांहों में भींच लिया और दोनों एक दूसरे को चूसने लगे चाटने लगे और एक दूसरे में मग्न होकर एक दूसरे के लबों को आंखें बंद करके चूसने लगे।
यह देखकर सीमा अपनी गोरी जांघ सोफे से हटाकर मेरे पास आई और उसके लबों को मेरे लबों से लगा दिया। सीमा के होठों के नशे में हम दोनों की आंखें कब बंद हो गई और एक दूसरे में हम कब खो गए, पता ही नहीं चला।
तो दिन भर की छोटी मोटी घटनाओं का बखान करने से बेहतर में आपको उसी समय ले चलता हूं जहाँ सामूहिक घमासान शुरू होने वाला था।
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रात के खाने के बाद करीब 10 बजे:
हमें कमरे से बाहर रखा गया था क्योंकि हमें हमारी बीवियाँ सरप्राइज देना चाहती थी। शायद वे सामूहिक चुदाई के मंच को सजाना संवारना चाहती थी। वे दोनों मेरे कमरे में थी।
करीब 10:30 बजे दोनों की बीवियों ने हमें अंदर कमरे से आवाज दी और आने की अनुमति दी। जब हम कमरे में प्रविष्ट हुए तो देखा
मेरे कमरे को दोनों बीवियों ने गुलाबों और मोमबत्तियों से सजा दिया था। पूरा कमरा मन्द मन्द सुगंध से महक रहा था। होम थिएटर के स्पीकरों में बहुत ही मधुर आवाज में रोमांटिक संगीत चल रहा था। फ्लैट की छत की लाइटिंग के रंग बिरंगे प्रकाश में बिछा हुआ पलंग ऐसा लग रहा था कि मानो किसी भव्य प्रोग्राम के लिए सजाया गया मंच। ये महिलाएं ही हैं जो किसी भी कार्य को अच्छी तरह पूर्ण करने की व्यवस्था में इस प्रकार के कार्य कर लेती है। जहां तक हम मर्दों की बात है, हमें तो ऐसे कार्यक्रम आयोजन से पहले केवल चूत ही चूत दिखाई देती है। हमारा मन बस यह सोचता रहता है कि आज किसकी चुदाई कैसे करनी है। अर्थात् जहाँ दिखा चीरा, वहीं डाल देंगे खीरा।
दिन भर में की गई बातों से सब एक दूसरे से बेहद खुल चुके थे। अतः शर्माने मनाने की औपचारिकता में कोई भी अपना मजा खराब नहीं करना चाहता था
यह एक भव्य रात थी जो दोबारा आयोजित करने पर भी ऐसा मजा नहीं देने वाली थी क्योंकि यह पहली बार था। दोनों बीवियों ने इसकी तैयारी इतनी ही भव्यता के साथ की थी। कमरे के माहौल से जब नजर हटी और दीवार के पास सटे हुए सोफे पर पड़ी तो देखा कि तृप्ति और सीमा केवल अंतर्वस्त्रों ब्रा और पैंटी में अपनी एक एक टांग सोफे पर तथा एक टांग नीचे रखकर अपने स्तनों को आगे कर कर बहुत ही कामुक तरीके से खड़े होकर हमें रोमांचित करने के लिए खड़ी हुई हैं। यहां कोई स्विमिंग पूल नहीं था किंतु दोनों ने अपनी महंगी महंगी बिकिनियाँ पहनी हुई थी।
बीती रात में श्लोक और मैंने सीमा और तृप्ति की चुदाई की थी, उन्हें नग्न भी देखा था किंतु आज जिस प्रकार अपने रूप से यह काम की देवियां कयामत ढा रही थी, ऐसा लग रहा था कि हम दोनों को पहली बार ही देख रहे हैं।
काले रंग के अंतवस्त्र पहने हुए तृप्ति के स्तन और कूल्हे इतने उत्तेजित कर रहे थे जैसे मानो साक्षात् संजना खान अपना अंग प्रदर्शन कर रही हो। उसकी सफेद रंग की गोरी टांगें कमरे के छत की गुलाबी लाइट की रोशनी में गुलाबी नजर आ रही थी। यह नजारा देखकर श्लोक का हाथ अकस्मात उसके लिंग पर चला गया और वह पजामे के ऊपर से ही अपना लिंग सहलाने लगा।
सोफे के दूसरी बगल में सीमा अपने उत्तेजित करने वाले स्तनों तथा पिछवाड़े को बाहर निकाले हुए खड़ी थी। सीमा भी बालों से लेकर टांगों तक गुलाबी प्रकाश में पूरे गुलाबी नजर आ रही थी।
सीमा- कैसा लगा कमरे का नजारा?
श्लोक- बेहद शानदार ... कोई जवाब नहीं ... ना तो सजाए हुए कमरे के रोमांटिक माहौल का ... और ना ही दोनों रूप की परियों का!
मैं- समझ नहीं आ रहा कि यह सुगंधित अविस्मरणीय मंच आज हमारी युद्धभूमि बनने वाला है। जहाँ दो चूत और दो लंड एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए मिलकर प्रतिस्पर्धा करेंगे।
श्लोक- मुझसे अब बातें नहीं हो रही है जीजा जी। समय आ गया है कि मैं अब बाहुबली बन जाऊं।
इतना कहकर श्लोक तृप्ति के पास गया और उसकी गोरी कमर को पकड़ कर उसको अपनी बांहों में भींच लिया और दोनों एक दूसरे को चूसने लगे चाटने लगे और एक दूसरे में मग्न होकर एक दूसरे के लबों को आंखें बंद करके चूसने लगे।
यह देखकर सीमा अपनी गोरी जांघ सोफे से हटाकर मेरे पास आई और उसके लबों को मेरे लबों से लगा दिया। सीमा के होठों के नशे में हम दोनों की आंखें कब बंद हो गई और एक दूसरे में हम कब खो गए, पता ही नहीं चला।