09-08-2019, 02:28 PM
अगले दिन ऑफिस में
श्लोक- यार पापा पर कैसा संकट आने वाला है?
मैं- अरे साले साहब, अगर पापा पर संकट आने वाला है तो उनका दामाद किस काम आएगा, है तो आपके ससुर ही, आप उनकी मदद कर देना और उन्हें इसके बारे में थोड़ा सचेत कर देना ताकि वे अपने कदम फूंक-फूंक कर रखें। उनकी बातें करने के बाद हम थोड़ी देर बाद नार्मल बातों पर आने लगे।
श्लोक- लेकिन सीमा मुझसे बार-बार पूछती रहती है कि बाबा ने कौन से संकट के बारे में कहा, मैं उसे क्या जवाब दूं समझ नहीं आता। तब मेरे दिमाग में एक विचार आया,
मैंने कहा- उन्हें क्या जवाब देना है, मैं समझ गया हूं, आज रात को इकट्ठे होकर बात करेंगे और बाबा की कही हुई बातें उन्हें बताएंगे। बस तुम हां में हां मिलाते रहना, बाकी सब मुझ पर छोड़ दो।
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शाम को खाने के बाद हम चारों बात करने के लिए छत पर इकट्ठे हुए। खुशगवार मौसम था, ठंडी हवा चल रही थी।
सीमा -अब बता भी दीजिए कि बाबा ने क्या कहा था हम दोनों सोच सोच कर बहुत परेशान हो रही हैं।
श्लोक- यह बात आपको जीजा जी बताएंगे, बताइए जीजाजी।
मैं- देखो यार, मैं इन बाबाओं को नहीं मानता था लेकिन उनकी सारी भविष्यवाणी आज तक तो सही साबित हुई है। यह अपने परिवार को लेकर ही नहीं, और भी कई लोगों के लिए बाबा ने सच्ची बातें बताई हैं। सोचने समझने की बात तो है अगर उन्होंने कोई संकट बताया है तो हम उसका इलाज करें क्योंकि उन्होंने कहा था कि अगर तुम सूझबूझ से काम लोगे तो उस संकट से बचा जा सकता है।
तृप्ति- लेकिन संकट क्या है?
मैं बताने लगा: सुनिए, बाबा ने कहा कि श्लोक और राजवीर जिस बिजनेस को कर रहे हैं वह आगे जाकर बहुत ही बड़ा रूप लेने वाला है। आने वाले समय पर सीमा, श्लोक और तृप्ति, राजवीर को पुत्र धन प्राप्त होगा। यहां तक सब खुशी से चलेगा किंतु उसके बाद पुत्रों की वजह से पारिवारिक कलह का जन्म होगा। पहले बच्चों की वजह से लड़ाइयां होगी और उसके बाद बिजनेस में उनके अधिकार के लिए। और यह लड़ाई इतना बड़ा रूप लेगी के कारोबार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।
तब श्लोक ने पूछा- तो बाबा इसका क्या उपाय है?
मैं- बाबा बोले, किसी पूजा-पाठ से यह समस्या समाप्त नहीं होने वाली है, इसका उपाय तो तुम चारों को खुद ही करना पड़ेगा। परिस्थितियों या अपने परिवार को ऐसा बनाना होगा कि कोई पराया ना लगे! इतना कहकर बाबा ने हाथ उठाया और चले गए।
तृप्ति- नहीं नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। मैं और सीमा तो कभी पैसों के लिए लड़ नहीं सकते। हमारे बीच में ऐसी कोई लड़ाई नहीं होगी। सीमा का बेटा मेरा बेटा, मेरा बेटा सीमा का बेटा, दोनों को अगर किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी अपने बिजनेस में मिले तो हमें इसका कोई दुख नहीं होगा। आप लोग भी समझदार हैं मुझे नहीं लगता साले और जीजा में इस प्रकार की लड़ाई होगी?
मैं- जी हां, हम बहुत ही समझदार हैं किंतु बाबा की भविष्यवाणियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज की दुनिया में तो भाई भाई का सगा नहीं होता हम तो फिर भी जीजा साले हैं। और ननद भाभियों की तो कहां पटती है। यह तो बहुत कम देखने को मिलता है। क्या पता भविष्य में अभी के जैसा व्यवहार आप दोनों का हमेशा हमेशा रहे। क्योंकि किसी मां के लिए अपने बच्चे से बड़ा नहीं होता!
सीमा- जी हां जीजू, आनंद बाबा का कहा अभी तक तो झूठ नहीं निकला है।
श्लोक- यार पापा पर कैसा संकट आने वाला है?
मैं- अरे साले साहब, अगर पापा पर संकट आने वाला है तो उनका दामाद किस काम आएगा, है तो आपके ससुर ही, आप उनकी मदद कर देना और उन्हें इसके बारे में थोड़ा सचेत कर देना ताकि वे अपने कदम फूंक-फूंक कर रखें। उनकी बातें करने के बाद हम थोड़ी देर बाद नार्मल बातों पर आने लगे।
श्लोक- लेकिन सीमा मुझसे बार-बार पूछती रहती है कि बाबा ने कौन से संकट के बारे में कहा, मैं उसे क्या जवाब दूं समझ नहीं आता। तब मेरे दिमाग में एक विचार आया,
मैंने कहा- उन्हें क्या जवाब देना है, मैं समझ गया हूं, आज रात को इकट्ठे होकर बात करेंगे और बाबा की कही हुई बातें उन्हें बताएंगे। बस तुम हां में हां मिलाते रहना, बाकी सब मुझ पर छोड़ दो।
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शाम को खाने के बाद हम चारों बात करने के लिए छत पर इकट्ठे हुए। खुशगवार मौसम था, ठंडी हवा चल रही थी।
सीमा -अब बता भी दीजिए कि बाबा ने क्या कहा था हम दोनों सोच सोच कर बहुत परेशान हो रही हैं।
श्लोक- यह बात आपको जीजा जी बताएंगे, बताइए जीजाजी।
मैं- देखो यार, मैं इन बाबाओं को नहीं मानता था लेकिन उनकी सारी भविष्यवाणी आज तक तो सही साबित हुई है। यह अपने परिवार को लेकर ही नहीं, और भी कई लोगों के लिए बाबा ने सच्ची बातें बताई हैं। सोचने समझने की बात तो है अगर उन्होंने कोई संकट बताया है तो हम उसका इलाज करें क्योंकि उन्होंने कहा था कि अगर तुम सूझबूझ से काम लोगे तो उस संकट से बचा जा सकता है।
तृप्ति- लेकिन संकट क्या है?
मैं बताने लगा: सुनिए, बाबा ने कहा कि श्लोक और राजवीर जिस बिजनेस को कर रहे हैं वह आगे जाकर बहुत ही बड़ा रूप लेने वाला है। आने वाले समय पर सीमा, श्लोक और तृप्ति, राजवीर को पुत्र धन प्राप्त होगा। यहां तक सब खुशी से चलेगा किंतु उसके बाद पुत्रों की वजह से पारिवारिक कलह का जन्म होगा। पहले बच्चों की वजह से लड़ाइयां होगी और उसके बाद बिजनेस में उनके अधिकार के लिए। और यह लड़ाई इतना बड़ा रूप लेगी के कारोबार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।
तब श्लोक ने पूछा- तो बाबा इसका क्या उपाय है?
मैं- बाबा बोले, किसी पूजा-पाठ से यह समस्या समाप्त नहीं होने वाली है, इसका उपाय तो तुम चारों को खुद ही करना पड़ेगा। परिस्थितियों या अपने परिवार को ऐसा बनाना होगा कि कोई पराया ना लगे! इतना कहकर बाबा ने हाथ उठाया और चले गए।
तृप्ति- नहीं नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। मैं और सीमा तो कभी पैसों के लिए लड़ नहीं सकते। हमारे बीच में ऐसी कोई लड़ाई नहीं होगी। सीमा का बेटा मेरा बेटा, मेरा बेटा सीमा का बेटा, दोनों को अगर किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी अपने बिजनेस में मिले तो हमें इसका कोई दुख नहीं होगा। आप लोग भी समझदार हैं मुझे नहीं लगता साले और जीजा में इस प्रकार की लड़ाई होगी?
मैं- जी हां, हम बहुत ही समझदार हैं किंतु बाबा की भविष्यवाणियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज की दुनिया में तो भाई भाई का सगा नहीं होता हम तो फिर भी जीजा साले हैं। और ननद भाभियों की तो कहां पटती है। यह तो बहुत कम देखने को मिलता है। क्या पता भविष्य में अभी के जैसा व्यवहार आप दोनों का हमेशा हमेशा रहे। क्योंकि किसी मां के लिए अपने बच्चे से बड़ा नहीं होता!
सीमा- जी हां जीजू, आनंद बाबा का कहा अभी तक तो झूठ नहीं निकला है।