09-08-2019, 02:22 PM
अगले दिन श्लोक के माता-पिता का फोन पर आदेश आया कि श्लोक का बिजनेस सफल हो जाने पर श्लोक हिमाचल जाकर अनंत बाबा से आशीर्वाद ले ले जिसके कहने पर श्लोक ने अपना बिजनेस शुरू किया था। (अनंत बाबा का श्लोक और तृप्ति के परिवार पर बड़ा आशीर्वाद था। अनंत बाबा ने मेरे ससुराल अर्थात श्लोक के परिवार को लेकर जो भी भविष्यवाणी की थी वह हमेशा से ही सच साबित हुई थी। जैसे तृप्ति की शादी एक समृद्ध परिवार में होना उसका हमेशा से खुश रहना। श्लोक किसी की नौकरी ना कर कर खुद एक बड़ी कंपनी का मालिक बन जाने की भविष्यवाणी अनंत बाबा ने पहले ही कर दी थी।) श्लोक ने उसी विश्वास से अपनी इतनी बड़ी नौकरी छोड़कर मेरे बिजनेस में हाथ डाला था और इसी विश्वास के कारण हमारा बिज़नेस इतना ऊपर पहुंचा। श्लोक अपने बिजनेस के सफल हो जाने पर अनंत बाबा के आश्रम को कुछ धन गुप्तदान करना चाहता था, यह बात केवल उसने मुझे ही बताई थी, अतः घरवालों की आज्ञा के कारण हम चारों ने हिमाचल जाने की योजना बनाई और हम चारों 15 दिन बाद अनंत बाबा से मिलने हिमाचल प्रदेश चले गए।
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हम बाबा के आश्रम पहुंचे, जहां लंबे इंतजार के बाद बाबा हम से मिलने के लिए अपने मठ से बाहर आए। वास्तव में आनंद बाबा एक अलग ही हस्ती थी, वह आजकल के बाबाओं की तरह ढोंगी, पाखंडी नहीं थे, जितना बोलते थे वह सच बन जाता था, अन्यथा वे कुछ बोलते ही नहीं थे, अगर कोई आशीर्वाद मांगता था तो केवल अपना हाथ उठा देते थे। इस समृद्ध परिवार का पहले भी गुप्त दान देने की वजह से श्लोक को वे जानते थे अतः उन्होंने अपनी मुस्कान के साथ हम चारों का स्वागत किया।
हाथ उठाने के बाद सीमा ने आखिर बाबा से पूछ लिया- बाबा, अब तो हमारे जीवन में सब कुछ सही चलेगा ना?
इस पर बाबा थोड़ी देर चुप रह कर बोले- बेटी, आगे का जीवन बेहद सुखद मय है तुम सबका, किंतु एक संकट तो आना है, आप दोनों चली जाओ, हम श्लोक को यह बात बताएंगे। तृप्ति और सीमा दोनों को बाबा ने जाने को कहा।
श्लोक- बाबा, कैसे संकट के बात कर रहे हो आप?
बाबा- बेटा, मैंने सीमा के मस्तक की रेखाओं को पढ़ा है और मुझे ज्ञात हुआ है कि 2 साल बाद उसके पिता पर बहुत बड़ा आर्थिक संकट आने वाला है। किंतु यह बात तुम उसे मत बताना, वरना वह परेशान हो जाएगी। हां, जितना हो सकता है उसे अपने पिता के साथ समय बिताने का समय दे देना। मैं ऐसी बातें कभी किसी को नहीं बोलता, केवल सुखद बातें बोलता हूं लेकिन तुम्हारा परिवार मेरे लिए बहुत खास है इसलिए मैंने तुम्हें इसके लिए सचेत किया है। और आगे कोई संकट नहीं। बाबा यह बात बोल कर उठ कर चले गए।
मैंने और श्लोक ने आश्रम से गुप्त दान की औपचारिकताओं को पूर्ण किया और दोनों अपने अपने होटल में लौट आए। सीमा और तृप्ति ने बहुत पूछने की कोशिश की कि बाबा किस संकट के बारे में बात कर रहे थे किंतु हमने उनको कुछ नहीं बताया। यहां सब हमने अपनी अपनी बीवियों के साथ हनीमून की तरह समय बिताया किंतु एक दूसरे की बीवी पर कोई बुरी नजर नहीं डाली अर्थात यह एक साधारण टूर था। अपनी अपनी बीवियों के साथ जिसमें चुदाई और उत्तेजना का समावेश था। हां श्लोक और मैं, हम दोनों एक दूसरे की बीवियों को देख कर आंखें तो सेक ही लेते थे।
हम अगले दिन वापस जयपुर के लिए रवाना हो गए और जयपुर पहुंच गए।
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हम बाबा के आश्रम पहुंचे, जहां लंबे इंतजार के बाद बाबा हम से मिलने के लिए अपने मठ से बाहर आए। वास्तव में आनंद बाबा एक अलग ही हस्ती थी, वह आजकल के बाबाओं की तरह ढोंगी, पाखंडी नहीं थे, जितना बोलते थे वह सच बन जाता था, अन्यथा वे कुछ बोलते ही नहीं थे, अगर कोई आशीर्वाद मांगता था तो केवल अपना हाथ उठा देते थे। इस समृद्ध परिवार का पहले भी गुप्त दान देने की वजह से श्लोक को वे जानते थे अतः उन्होंने अपनी मुस्कान के साथ हम चारों का स्वागत किया।
हाथ उठाने के बाद सीमा ने आखिर बाबा से पूछ लिया- बाबा, अब तो हमारे जीवन में सब कुछ सही चलेगा ना?
इस पर बाबा थोड़ी देर चुप रह कर बोले- बेटी, आगे का जीवन बेहद सुखद मय है तुम सबका, किंतु एक संकट तो आना है, आप दोनों चली जाओ, हम श्लोक को यह बात बताएंगे। तृप्ति और सीमा दोनों को बाबा ने जाने को कहा।
श्लोक- बाबा, कैसे संकट के बात कर रहे हो आप?
बाबा- बेटा, मैंने सीमा के मस्तक की रेखाओं को पढ़ा है और मुझे ज्ञात हुआ है कि 2 साल बाद उसके पिता पर बहुत बड़ा आर्थिक संकट आने वाला है। किंतु यह बात तुम उसे मत बताना, वरना वह परेशान हो जाएगी। हां, जितना हो सकता है उसे अपने पिता के साथ समय बिताने का समय दे देना। मैं ऐसी बातें कभी किसी को नहीं बोलता, केवल सुखद बातें बोलता हूं लेकिन तुम्हारा परिवार मेरे लिए बहुत खास है इसलिए मैंने तुम्हें इसके लिए सचेत किया है। और आगे कोई संकट नहीं। बाबा यह बात बोल कर उठ कर चले गए।
मैंने और श्लोक ने आश्रम से गुप्त दान की औपचारिकताओं को पूर्ण किया और दोनों अपने अपने होटल में लौट आए। सीमा और तृप्ति ने बहुत पूछने की कोशिश की कि बाबा किस संकट के बारे में बात कर रहे थे किंतु हमने उनको कुछ नहीं बताया। यहां सब हमने अपनी अपनी बीवियों के साथ हनीमून की तरह समय बिताया किंतु एक दूसरे की बीवी पर कोई बुरी नजर नहीं डाली अर्थात यह एक साधारण टूर था। अपनी अपनी बीवियों के साथ जिसमें चुदाई और उत्तेजना का समावेश था। हां श्लोक और मैं, हम दोनों एक दूसरे की बीवियों को देख कर आंखें तो सेक ही लेते थे।
हम अगले दिन वापस जयपुर के लिए रवाना हो गए और जयपुर पहुंच गए।