09-08-2019, 11:49 AM
प्रिया ने कहा कि मुझे भी तो अपना फोरप्ले पूरा करने दो? (शायद वह मेरे लिंग को चूसना चाहती थी),
पर मैंने कहा एक बार और मुझे तुम्हें किस करने दो, मेरा मन नहीं भर रहा है, उसके बाद जो चाहे करना। अभी हमारे पास 15 मिनट और हैं। मेरा लिंग पूरी तरह से तन चुका था, हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे पड़े हुए थे। एक-दूसरे का स्पर्श हमें बेहद उत्तेजित कर रहा था। मैंने अपने लिंग को प्रिया की योनि की लम्बाई पर लगाया। जैसे ही योनि पर लिंग का स्पर्श हुआ प्रिया की हल्की सी सिसकारी निकल गई। मैं बाहर बाहर ही लिंग को प्रिया की योनि पर घिसने लगा। साथ ही मैं उसके स्तनों को भी चूस रहा था। उसकी योनि बड़ी तेजी से पानी छोड़ रही थी, उस पानी की चिकनाहट मुझे अपने लिंगमुंड पर महसूस हो रही थी। lस्तनों को चुसवाते-चुसवाते और लिंग को अपनी चूत पर रगड़वाते रगड़वाते प्रिया की उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि वह अनायास ही अपनी चूत को मेरे लिंग की तरफ धकेलने लगी।
उसकी इस हरकत से मैं जीत की खुशी से भर उठा, अभी कुछ देर पहले ना-ना कर रही इस परी को आखिरकार मैं उसे इस स्थिति में ले ही आया था कि वह खुद ही चुदने के लिए जोर लगा रही थी। लेकिन मैं उसे इतनी जल्दी संतुष्टि नहीं देना चाहता था, अभी उसे और उत्तेजित करना था। जैसे ही वह योनि को ऊपर ठेलती, मैं अपने लिंग को पीछे कर लेता। मुझे हँसी भी आ रही थी। औरत की शर्म उसे कुछ बोलने नहीं दे रही थी जबकि औरत की बेसम्हाल उत्तेजना उसे लिंग-प्राप्ति हेतु जोर-जोर कमर हिलवा रही थी।
मैंने पूछा- तुम्हारा आधा घंटा खत्म होने वाला है, शायद तुम मेरे लिंग को चूसना चाहोगी?
वह कुछ नहीं बोली। उसकी जैसी दशा थी, बोल भी क्या पाती! बस अपनी चूत को मेरे लिंग पर धकेलती हुई अपनी इच्छा का इज़हार करती रही। वह ठीक घड़ी आ गई थी। अपने को उसके स्त्री शरीर में समा देने का, जिसके सपने मैं कब से देख रहा था। मैंने मौके की नजाकत को समझा। इससे पहले कि इसका ज़मीर जागे, मुझे अपने लिंग को अंदर डाल देना होगा।
अबकी बार उसकी चूत का धक्का आया तो मैं पीछे नहीं हुआ, अपने को स्थिर रहने दिया।
उसकी अति चिकनी चूत-गली में मेरा लिंगमुंड अपने-आप जरा सा दाखिल हो गया। किंतु उस अति उत्तेजना की अवस्था में भी प्रिया को बाहर की चिंता थी, बोली- विजय और तृप्ति आते ही होंगे।
मैंने कहा- चिंता मत करो शायद वे भी हमारी तरह उत्तेजना में बह गए होंगे। और अगर आएंगे भी, तो लॉक लगा हुआ है हम अपने कपड़े पहन लेंगे।
प्रिया ने कहा- यह गलत है।
किंतु मैंने धक्के देना शुरू कर दिया, मैंने कहा- मुझे नहीं लगता कि अब विजय और तृप्ति भी आएंगे। तुमने हमें इतना उत्तेजित कर दिया है कि अब यह उत्तेजना उसी पर खत्म होगी जिसके लिए शुरू हुई है। अब इस मजे को खराब न करो। मैं उसको आलिंगन में पकड़े रहा और नीचे कमर जोर-जोर चलाकर लिंग को उसकी योनि में कूटना शुरु कर दिया। दोनों बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गए थे इसलिए थोड़ी देर में दोनों स्खलित हो गए। साँसों पर नियंत्रण पाकर मैंने घड़ी देखी। आधे से ज्यादा घंटा बीत गया था। दोनों के मन में यह संतुष्टि हो गई थी कि अब हमारे पार्टनर इस कमरे में नहीं आएंगे, अब हम यहीं पर रहकर पूरी रात मजा ले सकते हैं।
थोड़ी देर बाद मैंने प्रिया की कामना पूरी की, वह मेरे लिंग को चूसना चाहती थी, मैं पीठ के बल लेट गया, वह मेरे ऊपर अपने रेशमी बदन को सरकाती हुई आई और तब मुझे पता चला कि योनि के होठों में ही नहीं उसके मुँह के होंठों में भी कितना मजा है। मैंने खुशी से आँखें मूंद लीं, वो ऐसे लिंग चूस रही थी जैसे कोई अंग्रेजी ब्लू फिल्म की हीरोइन हो। न अभी की चुदाई से लगे वीर्य की परवाह न अंदर मुँह में स्खलित हो जाने का डर। मैं बेहद निश्चिंतता से चरम सुख आने पर उसके मुँह में स्खलित हो गया, निकलते वीर्य को वह सुड़कती चली गई।
यह बेहद मजेदार था। शायद जिंदगी में पहला ऐसा आनंददायी ब्लो-जॉब।
पर मैंने कहा एक बार और मुझे तुम्हें किस करने दो, मेरा मन नहीं भर रहा है, उसके बाद जो चाहे करना। अभी हमारे पास 15 मिनट और हैं। मेरा लिंग पूरी तरह से तन चुका था, हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे पड़े हुए थे। एक-दूसरे का स्पर्श हमें बेहद उत्तेजित कर रहा था। मैंने अपने लिंग को प्रिया की योनि की लम्बाई पर लगाया। जैसे ही योनि पर लिंग का स्पर्श हुआ प्रिया की हल्की सी सिसकारी निकल गई। मैं बाहर बाहर ही लिंग को प्रिया की योनि पर घिसने लगा। साथ ही मैं उसके स्तनों को भी चूस रहा था। उसकी योनि बड़ी तेजी से पानी छोड़ रही थी, उस पानी की चिकनाहट मुझे अपने लिंगमुंड पर महसूस हो रही थी। lस्तनों को चुसवाते-चुसवाते और लिंग को अपनी चूत पर रगड़वाते रगड़वाते प्रिया की उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि वह अनायास ही अपनी चूत को मेरे लिंग की तरफ धकेलने लगी।
उसकी इस हरकत से मैं जीत की खुशी से भर उठा, अभी कुछ देर पहले ना-ना कर रही इस परी को आखिरकार मैं उसे इस स्थिति में ले ही आया था कि वह खुद ही चुदने के लिए जोर लगा रही थी। लेकिन मैं उसे इतनी जल्दी संतुष्टि नहीं देना चाहता था, अभी उसे और उत्तेजित करना था। जैसे ही वह योनि को ऊपर ठेलती, मैं अपने लिंग को पीछे कर लेता। मुझे हँसी भी आ रही थी। औरत की शर्म उसे कुछ बोलने नहीं दे रही थी जबकि औरत की बेसम्हाल उत्तेजना उसे लिंग-प्राप्ति हेतु जोर-जोर कमर हिलवा रही थी।
मैंने पूछा- तुम्हारा आधा घंटा खत्म होने वाला है, शायद तुम मेरे लिंग को चूसना चाहोगी?
वह कुछ नहीं बोली। उसकी जैसी दशा थी, बोल भी क्या पाती! बस अपनी चूत को मेरे लिंग पर धकेलती हुई अपनी इच्छा का इज़हार करती रही। वह ठीक घड़ी आ गई थी। अपने को उसके स्त्री शरीर में समा देने का, जिसके सपने मैं कब से देख रहा था। मैंने मौके की नजाकत को समझा। इससे पहले कि इसका ज़मीर जागे, मुझे अपने लिंग को अंदर डाल देना होगा।
अबकी बार उसकी चूत का धक्का आया तो मैं पीछे नहीं हुआ, अपने को स्थिर रहने दिया।
उसकी अति चिकनी चूत-गली में मेरा लिंगमुंड अपने-आप जरा सा दाखिल हो गया। किंतु उस अति उत्तेजना की अवस्था में भी प्रिया को बाहर की चिंता थी, बोली- विजय और तृप्ति आते ही होंगे।
मैंने कहा- चिंता मत करो शायद वे भी हमारी तरह उत्तेजना में बह गए होंगे। और अगर आएंगे भी, तो लॉक लगा हुआ है हम अपने कपड़े पहन लेंगे।
प्रिया ने कहा- यह गलत है।
किंतु मैंने धक्के देना शुरू कर दिया, मैंने कहा- मुझे नहीं लगता कि अब विजय और तृप्ति भी आएंगे। तुमने हमें इतना उत्तेजित कर दिया है कि अब यह उत्तेजना उसी पर खत्म होगी जिसके लिए शुरू हुई है। अब इस मजे को खराब न करो। मैं उसको आलिंगन में पकड़े रहा और नीचे कमर जोर-जोर चलाकर लिंग को उसकी योनि में कूटना शुरु कर दिया। दोनों बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गए थे इसलिए थोड़ी देर में दोनों स्खलित हो गए। साँसों पर नियंत्रण पाकर मैंने घड़ी देखी। आधे से ज्यादा घंटा बीत गया था। दोनों के मन में यह संतुष्टि हो गई थी कि अब हमारे पार्टनर इस कमरे में नहीं आएंगे, अब हम यहीं पर रहकर पूरी रात मजा ले सकते हैं।
थोड़ी देर बाद मैंने प्रिया की कामना पूरी की, वह मेरे लिंग को चूसना चाहती थी, मैं पीठ के बल लेट गया, वह मेरे ऊपर अपने रेशमी बदन को सरकाती हुई आई और तब मुझे पता चला कि योनि के होठों में ही नहीं उसके मुँह के होंठों में भी कितना मजा है। मैंने खुशी से आँखें मूंद लीं, वो ऐसे लिंग चूस रही थी जैसे कोई अंग्रेजी ब्लू फिल्म की हीरोइन हो। न अभी की चुदाई से लगे वीर्य की परवाह न अंदर मुँह में स्खलित हो जाने का डर। मैं बेहद निश्चिंतता से चरम सुख आने पर उसके मुँह में स्खलित हो गया, निकलते वीर्य को वह सुड़कती चली गई।
यह बेहद मजेदार था। शायद जिंदगी में पहला ऐसा आनंददायी ब्लो-जॉब।