09-08-2019, 11:37 AM
मैं- अरे विजय, तू कहीं पोकर खेलने के बारे में तो नहीं सोच रहा? जिसमें (मैं रुक गया।)
प्रिया- जिसमें क्या...??
रणविजय- जिसमें हारने वाला अपना एक कपड़ा उतारता है।
तृप्ति- सो फनी! हमें ऐसा कोई खेल नहीं खेलना! कोई सिंपल सा गेम खेलो।
रणविजय- यार कोई बच्चे थोड़े ही हैं जो नॉर्मल गेम खेलें। इट्स एक्साइटिंग एंड न्यू... तभी तो अपना टूर नया और यादगार बनेगा। वरना जो कल रात किया था वही रोज करने मे क्या मजा है।
मैं- हाँ यार, मैं भी तृप्ति से यही बोल रहा था कि कुछ यादगार करेंगे।
प्रिया- नहीं, मुझे ऐसा यादगार नहीं चाहिए।
तृप्ति- चलो स्ट्रेट का ट्राई करते हैं।
प्रिया- क्या तृप्ति, तुम भी इनके साथ?
तृप्ति- मैं समझती हूँ इनका तरीका... ये हमें नंगी करके मजे लेना चाहते हैं। लेकिन मेरा चैलेंज है कि इनकी बिल्ली इनको ही म्याऊँ बुलवा दूँगी।
प्रिया-लेकिन हार गये तो?
तृप्ति- तो अपने हज़्बेंड ही हैं यार, इनको मना लेंगे अपने तरीके से, कि हमें कपड़े न खोलने पड़ें।
रणविजय- अच्छा! ये कोई बात नहीं होती। रूल इज रूल।
मैं- अरे ठीक है। एक बार शुरू तो करते हैं।
(प्रिया कुनमुनाती रह गई।)
पत्ते बँट गए, रणविजय हार गया, उसने अपनी टीशर्ट उतारी, अंदर बनियान नहीं थी तो ऊपर से नंगा हो गया। सचमुच उसकी बॉडी सिक्स पैक वाली थी। मैंने तारीफ की, तृप्ति आँखें फाड़े उसके पैक देख रही थी।
दूसरी बार प्रिया हारी, उसने टॉप खोलने से मना कर दिया। काफ़ी समझाने के बाद बहुत शर्माते हुए उसने अपना टॉप खोला।
ओ माय गॉड!!!! उसको काली ब्रा में देखकर मेरे दिमाग़ ठिकाने नहीं रहा, क्या शेप था... शानदार उभार... बड़े बड़े तीखे समोसों के साइज के... नजरें नहीं हटा पा रहा था। (लेकिन दूसरों का ख्याल करके लगातार देखने से बच रहा था।)
उसके इस रूप से कमरे का माहौल बदलने लगा था।
इस बार तृप्ति हारी, पहले से प्रिया के ब्रा में होने से वह ज्यादा देर तक नखरे नहीं कर पाई। उसके कसे हुए गोल स्तन अपने भार से बस जरा से ही लटके पूरे घमंड से सीने पर विराजमान थे, देख कर विजय की आँखें नशीली हो गईं। (अब सबका ध्यान खेल पर कम, एक दूसरे के शरीर पर अधिक था।)
प्रिया- जिसमें क्या...??
रणविजय- जिसमें हारने वाला अपना एक कपड़ा उतारता है।
तृप्ति- सो फनी! हमें ऐसा कोई खेल नहीं खेलना! कोई सिंपल सा गेम खेलो।
रणविजय- यार कोई बच्चे थोड़े ही हैं जो नॉर्मल गेम खेलें। इट्स एक्साइटिंग एंड न्यू... तभी तो अपना टूर नया और यादगार बनेगा। वरना जो कल रात किया था वही रोज करने मे क्या मजा है।
मैं- हाँ यार, मैं भी तृप्ति से यही बोल रहा था कि कुछ यादगार करेंगे।
प्रिया- नहीं, मुझे ऐसा यादगार नहीं चाहिए।
तृप्ति- चलो स्ट्रेट का ट्राई करते हैं।
प्रिया- क्या तृप्ति, तुम भी इनके साथ?
तृप्ति- मैं समझती हूँ इनका तरीका... ये हमें नंगी करके मजे लेना चाहते हैं। लेकिन मेरा चैलेंज है कि इनकी बिल्ली इनको ही म्याऊँ बुलवा दूँगी।
प्रिया-लेकिन हार गये तो?
तृप्ति- तो अपने हज़्बेंड ही हैं यार, इनको मना लेंगे अपने तरीके से, कि हमें कपड़े न खोलने पड़ें।
रणविजय- अच्छा! ये कोई बात नहीं होती। रूल इज रूल।
मैं- अरे ठीक है। एक बार शुरू तो करते हैं।
(प्रिया कुनमुनाती रह गई।)
पत्ते बँट गए, रणविजय हार गया, उसने अपनी टीशर्ट उतारी, अंदर बनियान नहीं थी तो ऊपर से नंगा हो गया। सचमुच उसकी बॉडी सिक्स पैक वाली थी। मैंने तारीफ की, तृप्ति आँखें फाड़े उसके पैक देख रही थी।
दूसरी बार प्रिया हारी, उसने टॉप खोलने से मना कर दिया। काफ़ी समझाने के बाद बहुत शर्माते हुए उसने अपना टॉप खोला।
ओ माय गॉड!!!! उसको काली ब्रा में देखकर मेरे दिमाग़ ठिकाने नहीं रहा, क्या शेप था... शानदार उभार... बड़े बड़े तीखे समोसों के साइज के... नजरें नहीं हटा पा रहा था। (लेकिन दूसरों का ख्याल करके लगातार देखने से बच रहा था।)
उसके इस रूप से कमरे का माहौल बदलने लगा था।
इस बार तृप्ति हारी, पहले से प्रिया के ब्रा में होने से वह ज्यादा देर तक नखरे नहीं कर पाई। उसके कसे हुए गोल स्तन अपने भार से बस जरा से ही लटके पूरे घमंड से सीने पर विराजमान थे, देख कर विजय की आँखें नशीली हो गईं। (अब सबका ध्यान खेल पर कम, एक दूसरे के शरीर पर अधिक था।)