09-08-2019, 11:36 AM
तृप्ति- यू डर्टी माइंड! ऐसा नहीं है। वो प्रिया उसके जिम की आदत से परेशान है। कह रही थी सुबह रोज इतना समय बर्बाद करते हैं। बिना जिम के भी तो लोग फिट रह सकते हैं। जैसे कि राजवीर l
मैं- ओह सचमुच प्रिया ने मेरे बारे मे ऐसा कहा?
तृप्ति- हाँ, लेकिन ज्यादा खुश न हो, क्योंकि मुझे अब तुम्हारे सिक्स पैक चाहिए, घर जाते ही फटाफट तैयारी शुरू कर देना।
मैं- अच्छा! मुझसे न होगी इतनी मेहनत। कोई सिक्स पैक वाला ढूंढ कर कर लो अपने मन की
तृप्ति- मर जाओगे इस गम से कि मैंने किसी और से अपने मन की कर ली। तो जाओ माफ किया।
ऐसे बातें करते हुए हमको नींद आ गई।
अगली सुबह नाश्ते की टेबल पर चारों बैठे थे, हमारा प्लान शुरू करने का समय आ गया था।
मैंने पूछा- कैसी रही रात... होटल का रूम तो ठीक था ना?
विजय- हा यार, रियली, हमने तो रखे हुए सारे फर्नीचर का खूब उपयोग किया।
प्रिया शरमा गई, उसने विजय को धीरे से मारा- चुप रहो l
मैं- अरे यार प्रिया, क्यों मार रही हो उसे? इसी के लिए तो हम यहाँ आए हैं। सबको पता है। देखो, तृप्ति ने तो बाथटब से रात का पैसा वसूल करवा दिया मेरा।
चारों हँसने लगे।
रणविजय- भाई यहाँ का पॉर्न मूवी कलेक्शन भी जोरदार था। एक थ्रीसम वाली मूवी थी। मजा आ गया। उसमें यार बताऊँ क्या होता है?
प्रिया ने विजय को फिर मारा- यार हद कर रहे हो। उनके रूम में भी डीवीडी है, उनको तुम्हारी देखी सुनाना जरूरी है क्या?
रणविजय- चलो यार, आज साथ में कुछ मस्ती करते हैं।
मैं- कैसी मस्ती? मस्ती तो यार अपनी बीवियों के साथ ही अच्छी लगती है।
रणविजय- हाँ तो सब होंगे ना साथ में।
तृप्ति कभी मुझे कभी रणविजयको देख रही थी, कैसी मस्ती?
(हम रणविजय के कमरे में इकट्ठा हुए रात के 9 बजे थे l)
विजय- ताश खेलते हैं, चलो बताओ ताश खेलना किस किस को नहीं आता।
(हमें पता था कि ताश खेलना चारों को आता है।)
मैं- ओह सचमुच प्रिया ने मेरे बारे मे ऐसा कहा?
तृप्ति- हाँ, लेकिन ज्यादा खुश न हो, क्योंकि मुझे अब तुम्हारे सिक्स पैक चाहिए, घर जाते ही फटाफट तैयारी शुरू कर देना।
मैं- अच्छा! मुझसे न होगी इतनी मेहनत। कोई सिक्स पैक वाला ढूंढ कर कर लो अपने मन की
तृप्ति- मर जाओगे इस गम से कि मैंने किसी और से अपने मन की कर ली। तो जाओ माफ किया।
ऐसे बातें करते हुए हमको नींद आ गई।
अगली सुबह नाश्ते की टेबल पर चारों बैठे थे, हमारा प्लान शुरू करने का समय आ गया था।
मैंने पूछा- कैसी रही रात... होटल का रूम तो ठीक था ना?
विजय- हा यार, रियली, हमने तो रखे हुए सारे फर्नीचर का खूब उपयोग किया।
प्रिया शरमा गई, उसने विजय को धीरे से मारा- चुप रहो l
मैं- अरे यार प्रिया, क्यों मार रही हो उसे? इसी के लिए तो हम यहाँ आए हैं। सबको पता है। देखो, तृप्ति ने तो बाथटब से रात का पैसा वसूल करवा दिया मेरा।
चारों हँसने लगे।
रणविजय- भाई यहाँ का पॉर्न मूवी कलेक्शन भी जोरदार था। एक थ्रीसम वाली मूवी थी। मजा आ गया। उसमें यार बताऊँ क्या होता है?
प्रिया ने विजय को फिर मारा- यार हद कर रहे हो। उनके रूम में भी डीवीडी है, उनको तुम्हारी देखी सुनाना जरूरी है क्या?
रणविजय- चलो यार, आज साथ में कुछ मस्ती करते हैं।
मैं- कैसी मस्ती? मस्ती तो यार अपनी बीवियों के साथ ही अच्छी लगती है।
रणविजय- हाँ तो सब होंगे ना साथ में।
तृप्ति कभी मुझे कभी रणविजयको देख रही थी, कैसी मस्ती?
(हम रणविजय के कमरे में इकट्ठा हुए रात के 9 बजे थे l)
विजय- ताश खेलते हैं, चलो बताओ ताश खेलना किस किस को नहीं आता।
(हमें पता था कि ताश खेलना चारों को आता है।)