09-08-2019, 03:02 AM
(08-08-2019, 11:03 AM)suneeellpandit Wrote: "राज के हाथ धीरे धीरे सरिता कर कंधों से फिसलते हुए उसकी बाजुओं से होते हुए सरिता की कमर पर आ गये। राज अपनी गर्दन सरिता की गर्दन के करीब करके होल से सांस अंदर खींचता है। जिसका एहसास सरिता को भी हो जाता है। सरिता राज के चेहरे को अपनी गर्दन के करीब पाकर अपबी गर्दन एक दम मदहोशी के हाल में पीछे की तरफ राज के कंधे पर गिरा देती है।"
आह !!! बहुत ही सुंदर और मनभावन विस्तृत विवरण किया है आपने श्रीमान \ देखकर और पड़कर दिल अत्यंत संतुष्ट और कामुक हो गया \ आपके द्वारा किया हुआ विस्तृत विवरण अत्यंत ही मोहक होता है \ आप एक एक बारीकी को पकड़ कर उसको शकल देने में माहिर हैं \ इश्वर आपको सलामत रखे और आप ऐसे ही लिखतें रहें और स्वस्थ रहें \
yr): :)
आपका भी बहुुुत बहुत शुक्रिया....
Aapko bahut bahut thanks aapne meri kahani ke bhavanatmak pahluon ko us kahani ki samjh ko bina kisi chalachitr ke samjhne ka prayaas kiya...
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