08-08-2019, 10:55 AM
पर राहुल स्वयं शादीशुदा होते हुए मौक़े का फ़ायदा नहीं उठा रहा था क्या? मुझे ख़ुद पर ग़ुस्सा आ रहा था कि क्यों मैंने एक अजनबी पर इतना विश्वास किया कि उसे जीवनसाथी बनाने के सपने देखने लगी! पर फिर भी, अभी तो कुछ नहीं बिगड़ा था. मैंने ख़ुद को एक फिसलन भरे रास्ते पर फिसलने से रोक लिया था, इस अनुभूति से मुझे जो राहत मिली उसे मैं बयान नहीं कर सकती. साथ ही रात की उस घटना ने मुझे यह सबक दिया कि कभी भी, कहीं भी कोई भी, किसी भी रूप में हमारा फ़ायदा उठा सकता है, उसका प्रतिकार करने का हममें साहस होना चाहिए.
मैं न जाने कितनी देर तक इसी अन्तर्द्वन्द्व से जूझती रही. तभी भाभी ने आकर कमरे में झांका,‘अरे रानू, तू तो अभी तक वैसी की वैसी बैठी है? कब तैयार होगी? देख वो लोग तो आ भी गए हैं.’
ड्रॉइंग रूम से मेहमानों के आने की हलचल की आवाज़ें आ रही थीं. मैंने गुलाबी सिल्क की साड़ी पलंग से उठाते हुए कहा,‘बस भाभी, मैं जल्दी से तैयार होकर अभी आई.’
मैं न जाने कितनी देर तक इसी अन्तर्द्वन्द्व से जूझती रही. तभी भाभी ने आकर कमरे में झांका,‘अरे रानू, तू तो अभी तक वैसी की वैसी बैठी है? कब तैयार होगी? देख वो लोग तो आ भी गए हैं.’
ड्रॉइंग रूम से मेहमानों के आने की हलचल की आवाज़ें आ रही थीं. मैंने गुलाबी सिल्क की साड़ी पलंग से उठाते हुए कहा,‘बस भाभी, मैं जल्दी से तैयार होकर अभी आई.’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
