08-08-2019, 10:53 AM
जब भाभी कपड़े बदलने अपने कमरे में गई तो मैं भी उनके पीछे-पीछे चल दी. समझ नहीं आ रहा था कि बात कहां से शुरू करूं? बड़े संकोच से मैंने कहना शुरू किया,‘भाभी, कल आपकी मौसी का लड़का यहां आया था... हां क्या नाम है उसका...?’ मैंने बनते हुए पूछा.
‘कौन राहुल? कैसे आना हुआ उसका? अकेले ही आया था या उसकी बीवी भी साथ थी?’ भाभी ने साड़ी को तह करते हुए पूछा.
‘राहुल की बीवी?’ सुनते ही मैं मानो आसमान से ज़मीन पर आ गिरी.
भाभी मेरी ओर पीठ किए अलमारी में से कपड़े निकाल रही थीं. उन्हें मेरी इस हालत का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था.
पर मैंने जल्दी ही अपने आप को संभाल लिया और कहा,‘आया तो अकेला ही था. सुखिया ने बढ़िया खाना बनाकर खिला दिया था. रात को वहीं सोफ़े पर सो गया और सुबह न जाने कब चला गया, मालूम ही नहीं पड़ा. जाते समय मिलकर भी नहीं गया,’ मैं बड़ी सफ़ाई से सारी बातें छुपा गई. अब कहने को क्या बचा था?
‘कौन राहुल? कैसे आना हुआ उसका? अकेले ही आया था या उसकी बीवी भी साथ थी?’ भाभी ने साड़ी को तह करते हुए पूछा.
‘राहुल की बीवी?’ सुनते ही मैं मानो आसमान से ज़मीन पर आ गिरी.
भाभी मेरी ओर पीठ किए अलमारी में से कपड़े निकाल रही थीं. उन्हें मेरी इस हालत का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था.
पर मैंने जल्दी ही अपने आप को संभाल लिया और कहा,‘आया तो अकेला ही था. सुखिया ने बढ़िया खाना बनाकर खिला दिया था. रात को वहीं सोफ़े पर सो गया और सुबह न जाने कब चला गया, मालूम ही नहीं पड़ा. जाते समय मिलकर भी नहीं गया,’ मैं बड़ी सफ़ाई से सारी बातें छुपा गई. अब कहने को क्या बचा था?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
