08-08-2019, 10:53 AM
मैं मन ही मन मुस्कुराई कि राहुल मुझे मालूम है तुम बार-बार वापिस आओगे. पर मुझे अच्छा नहीं लगा कि राहुल मुझसे मिले बग़ैर कैसे चला गया? तभी सोफ़े के कुशन के नीचे दबे क़ागज़ पर मेरी निगाह पड़ी. एक ही सांस में मैं पढ़ गई. लिखा था-गुस्ताख़ी करने जा रहा था. अच्छा हुआ तुमने बहकते क़दमों को रोक दिया. थैंक्यू. बग़ैर मिले जा रहा हूं. माफ़ करना.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
