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Incest भैया ने बालकनी में चोदा
#15
‘‘स्मिता से मिलने आया हूं,’’ अनिमेष ने झेंपते हुए कहा.

‘‘वह तुम से नहीं मिलना चाहती,’’ कह कर उन्होंने तड़ाक से दरवाजा बंद करने की नाकामयाब कोशिश की.

‘‘बड़े भैया,’’ अनिमेष ने बड़े सम्मान से कहा, ‘‘आप से तो बात कर सकता हूं, या आप भी मुझ से बात नही करेंगे?’’

भैया ने सोचते हुए कहा, ‘‘हां, मैं तुम से बात कर सकता हूं. पर याद रखना, मुझे तुम मूर्ख मत समझना.’’

अनिमेष ने झुक कर उन के घुटने छूते हुए कहा, ‘‘ऐसी जुर्रत कर सकता हूं क्या?’’

‘‘ठीक है, अंदर आ जाओ.’’ स्मिता ने अनिमेष को देखा तो पास आ गई. दोनों एकदूसरे को देख रहे थे. बड़े भैया ने डांट कर कहा, ‘‘सिम्मी, तू अंदर जा. तेरा यहां कोई काम नहीं है.’’ स्मिता सहम कर अंदर चली गई. चाय मेज पर रखी थी. बड़े भैया ने चाय का प्याला भर कर अनिमेष की ओर बढ़ाया. ‘‘यहां क्यों आए हो?’’ बड़े भैया ने तीखे स्वर में प्रश्न किया.

‘‘मैं स्मिता को लेने आया हूं.’’

‘‘वह तुम्हारे साथ नहीं जाएगी,’’ बड़े भैया ने दृढ़ स्वर में कहा, ‘‘वह तुम्हारा घर हमेशाहमेशा के लिए छोड़ आई है. यहां उसे कोई तकलीफ नहीं है.’’

अनिमेष ने झिझकते हुए कहा, ‘‘दरअसल, कुछ गलतफहमी हो गई है, मैं उसे दूर करने आया हूं.’’

‘‘गलतफहमी? कैसी गलतफहमी?’’ बड़े भैया ने क्रोध से कहा, ‘‘क्या तुम उसे एक नौकरानी की तरह नहीं रखते? जब तुम उसे बाहर काम करने के लिए भेजते हो तो क्या तुम्हारा और तुम्हारे घर वालों का यह कर्तव्य नहीं कि घर के कार्यों में उस का हाथ बंटाएं?’’

‘‘यही उसे समझाना चाहता हूं कि आगे से ऐसा नहीं होगा. बस, उसे थोड़ा मेरे मातापिता से इज्जत से पेश आना चाहिए.’’

‘‘तुम्हारा मतलब है मेरी बहन बदतमीज है?’’ बड़े भैया ने क्रोध से पूछा. अनिमेष ने तुरंत बचाव करते हुए कहा, ‘‘जी नहीं, मैं ने ऐसा नहीं कहा. मैं ने कहा, थोड़ा सम्मान से पेश आए. आखिर वे मेरे मातापिता हैं.’’

‘‘ओह,’’ बड़े भैया ने व्यंग्य से कहा, ‘‘सम्मान से पेश नहीं आती. पढ़ा कर तो तुम भी आते हो. क्या आते ही झाड़ूपोंछा और खाना बनाने लगते हो? थोड़ी देर तो नवाब साहब की तरह बैठ कर चायनाश्ते का इंतजार करते ही हो?’’ अनिमेष उत्तर के लिए सही शब्द न पा सका. उस की जीभ लड़खड़ा गई. ‘‘अरे, आते ही थकीमांदी लड़की से सब यह उम्मीद करें कि काम में जुट जाए और सम्मान से भी पेश आए? यह सोच कर तुम ने एक पढ़ीलिखी लड़की के साथ बड़ा अन्याय किया है,’’ बड़े भैया ने सिर हिलाते हुए कहा.

‘‘भैया, आप समझ नहीं रहे हैं,’’ अनिमेष ने तीव्र स्वर में कहा, ‘‘वह किसी भी सूरत में मुझ से और मेरे परिवार से घुलमिल कर नहीं रहना चाहती.’’

‘‘यानी तुम ने उसे और उस ने तुम्हें समझने में भूल की है. यह शादी तुम ने भावना में बह कर जल्दबाजी में कर ली?’’ भैया ने तीखा प्रश्न किया.

‘‘जी, ऐसा तो नहीं था,’’ अनिमेष ने हकलाते हुए कहा, ‘‘हम ने सारे पहलुओं पर अच्छी तरह से गौर कर लिया था.’’

‘‘असलियत की दुनिया कल्पना के संसार से बहुत अलग होती है न दामाद बाबू,’’ बड़े भैया ने कटु व्यंग्य से पूछा, ‘‘अब जब समझ ही लिया है कि यह शादी एक भूल थी तो यहां क्या करने आए हो?’’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बड़े भैया - by neerathemall - 08-08-2019, 10:16 AM
RE: भैया ने बालकनी में चोदा - by neerathemall - 08-08-2019, 10:34 AM



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