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Misc. Erotica रेशमा - मेरी पड़ोसन
Update 34

अब कहानी अवी की जुवानी


पहला दिन कैसे गया ये मैं ही जानता हूँ
शाम तक मैं इतना खो गया रेशमा की यादो मे कि मैं उसकी छवि को किस कर रहा था लिफ्ट मे
मुझे ऐसा लगा कि मैं ने रेशमा को किस किया पर वो रेशमा नही उसकी मिरर इमेज थी
इस की वजह से मैं रेशमा के सामने शर्मिंदा महसूस कर रहा था
पर रेशमा ने उस पर कुछ नही कहा
मैं रूम मे आकर तो इसी बात पर सोच रहा था
दोपेहर मे लंच भी नही किया
और रोज रेशमा के यहाँ डिन्नर करता था पर आज वहाँ जा भी नही पाउन्गा
और मेरे यहाँ तो खाने का कोई इंतज़ाम नही था
ये बात मेरे दिमाग़ मे तब आई जब 11 बज गये रात के
पेट मे चूहे नाच रहे थे
भूक से बेहाल हो रहा था मैं
और इतनी रात मे आस पास कुछ नही था
मुझे रेल स्टेशन तक जाना होगा वहाँ होटेल मे खाना मिल सकता है
पर वहाँ जाउन्गा कैसे और आउन्गा कैसे
और आते आते तो 2 तो बज ही जाएँगे
मैं अपने घर मे खाने का सामान देखने लगा पर कुछ नही मिला
कैसे मिलता सुबह का नाश्ता रेशमा के यहाँ , लंच ऑफीस मे और रात का डिन्नर रेशना के यहाँ ,
यही तो चल रहा था
अब तो बस सामने वाली आंटी काम आ सकती है
मिसेज़ गुप्ता से कुछ खाने की माँग लेता हूँ
अगर कुछ खाया नही तो नींद नही आएगी और कल भी मैं सोया नही था
मिसेज़ गुप्ता को डिस्र्टुब करना ठीक नही लग रहा पर भूक लगती है तो कुछ नही देखना पड़ता
मैं मिसेज़ गुप्ता के घर की बेल बजाई
उनके जैसी दादी को डिस्टर्ब करना ठीक नही लग रहा था
पर सुना है वो जल्दी सोते नही है
मिस्टर गुप्ता ने तो जल्दी डोर खोल दिया मतलब अब तक वो सोए नही थे
मिस्टर गुप्ता- अवी बेटा तुम , इतनी रात को
अवी- सॉरी अंकल डिस्टर्ब करने को
मिस्टर गुप्ता- बिना वजह डिस्ट्रब किया हो तो लाठी पड़ेगी बताओ क्यूँ याद किया
अवी- अंकल एक छोटा काम था पर कैसे कहूँ समझ नही आ रहा
मिस्टर गुप्ता- अंकल कहते हो तो मैं अपना ही हुआ ना , अब बोलो क्या कहना था
अवी- अंकल वो मैं
मिस्टर गुप्ता- अब बोलते हो कि लाठी मारू
अवी- अंकल भूक लगी थी , आपके यहाँ कुछ खाने को है
मेरी बात पर मिस्टर गुप्ता हँसने लगे
मिस्टर गुप्ता - अंदर आओ
और मिस्टर गुप्ता ने दूसरा डोर खोला , बड़ा सेफ रहते है ,
मिस्टर गुप्ता- अब बताओ क्या हुआ
अवी- भूक लगी है , आज ऑफीस मे इतना काम था कि लंच नही किया ,फिर यहाँ आते ही सो गया
मिस्टर गुप्ता- और अभी उठे तो भूख लगी हैना
अवी- हाँ , क्या आपके यहाँ खाना बचा है , अगर नही तो कोई बात नही है , आंटी को खाना बनाने
को मत लगा देना
मिस्टर गुप्ता- खाना तो हम अपने लिए ही बनाते है , कुछ बचता ही नही है
अवी- कोई बात नही , मैं बाहर देखता हूँ कोई दुकान खुली हो
मिस्टर गुप्ता- जा कहाँ रहे हो , मुझे तुम्हारी आंटी से पूछने दो
अवी- उनको क्यूँ तकलीफ़ देना , मैं मनेज कर लूँगा
मिसेज़ गुप्ता- कौन आया है , और आप किस से बात कर रहे है
अंदर से आंटी की आवज़ आई
मिस्टर गुप्ता- अवी है , उसको भूक लगी है , कुछ बचा है खाना , या फ्रूट दूं अवी को
मिसेज़ गुप्ता- रुकिये मैं आती हूँ
अवी- आंटी अंदर क्या कर रही है ,कहीं आपने सोते हुए उनको जगाया तो नही
मिस्टर गुप्ता- तुम्हारी आंटी तो एक बार बात करने लगती है तो रुकती नही है
अवी- कौन है अंदर
मेरे सवाल ख़तम होने से पहले मिसेज़ गुप्ता बाहर आ गयी
मिसेज़ गुप्ता-अवी, भूक लगी है ,
अवी- हाँ
मिसेज़ गुप्ता- तुम्हारी किस्मत अच्छी है जो रेशमा आज हमारे लिए खाना लेकर आई , पर हमारी किस्मत
खराब थी कि हमारा खाना हो गया था
मिस्टर गुप्ता- रेशमा बेटी खाना लाई थी मुझे तो बताया भी नही
मिसेज़ गुप्ता- आओ चुप रहिए , अवी बैठो मैं खाना लेकर आती हूँ
और मिसेज़ गुप्ता मेरे लिए रेशमा के हाथो का खाना लेकर आ गयी

लगा नही था कि कभी रेशमा के हाथो का खाना मिलेगा
पर किस्मत देखो कि रेशमा और मैं दूर जाने के बाद भी पास आ रहे है
हमारी किस्मत ही हमे मिला रही है
मैं तो खाना देखते ही उस पे टूट पड़ा
भूक तो लगी थी उपर से रेशमा के हाथ का खाना मिलते ही पेट के साथ दिल को भी सुकून मिला
रेशमा यही थी जो मुझे बेडरूम से देख रही थी
मुझे इस तरह खाना खाते हुए देख कर शायद उसको समझ मे आया होगा कि मैं दिन भर भूका
ही रहा उसकी यादो मे
रेशमा ने भी कुछ खाया नही होगा
रेशमा भी अब घर जाकर खाना खा पाएगी
मिसेज़ गुप्ता-बेटा आराम से खाना खाओ
अवी- बहुत भूक लगी है , सुबह से कुछ नही खाया है
मिस्टर गुप्ता- ऑफीस के कामो मे इतना मत डूब जाओ कि खुद को ही भूल जाओ
अवी- मैं किसी और की यादो मे डूबा था
मिसेज़ गुप्ता- क्या कहा
अवी- कुछ नही , खाना बहुत स्वादिष्ट है
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा बेटी के हाथो मे जादू है , मैं तो तुम्हारे चक्कर मे भूल गयी कि वो
बेडरूम मे अकेली होगी
अवी- क्या मैं पूछ सकता हूँ कि वो अब तक यहाँ क्यूँ है
मिसेज़ गुप्ता- क्या ?
अवी- मेरा मतलब है उसको कोई परेशानी तो नही सता रही है , जैसे अकेले होने की जिस से वो आपके
पास आई है
मिसेज़ गुप्ता- मैं भी यही सोच रही थी , रेशमा तो बता ही नही रही थी
अवी- अकेले रहने से उसको अपनो की याद आई होगी , आप आज उसको अपने पास रखिए , माँ का प्यार
मिलते ही उसको अच्छा लगेगा
मिसेज़ गुप्ता- सही कहा तुमने , उसको मैं यही रोकती हूँ , और उसको कहूँगी कि कुछ दिनो के लिए अपने
मायके चली जाए
अवी- मैं तो कहता हूँ उसको जॉब छोड़ कर अपने हज़्बेंड के पास जाना चाहिए , अकेलापन बहुत
डेंजर होता है
मिस्टर गुप्ता- तुम समझदार हो
मिसेज़ गुप्ता-अकेली रहती है बिचारी , ना मायके जाती है और ना उसका हज़्बेंड आता है , मुझे तो उसके
हज़्बेंड पे बहुत गुस्सा आता है जो फूल सी बच्ची को अकेला छोड़ दिया है
अवी- सबकी अपनी अपनी वजह होती है , रेशमा आपकी बात ज़रूर मानेगी , आप उसको मायके जाने की बात
करना ,
मिसेज़ गुप्ता- ज़रूर करूँगी
अवी- और इस स्वादिष्ट खाने के लिए आप का शुक्रिया
मिस्टर गुप्ता- शुक्रिया कहा तो लाठी पड़ेगी , और ऐसे आते रहना , हमे अच्छा लगता है
अवी- जी , अब मैं चलता हूँ
और मैं अपने अपार्टमेंट मे आ गया
रेशमा हमारी बात सुन रही थी
मैं चाहता था कि रेशमा मुझसे दूर रहे
वो दूर रहेगी तो हम दोनो के लिए अच्छा होगा
उसके दूर जाने से मैं अपना ध्यान खुद पर लगा पाउन्गा
रेशमा मेरे सामने नही आई
उसको लगा कि मैं अब भी उसकी भलाई के बारे में सोच रहा हूँ
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RE: रेशमा - मेरी पड़ोसन - by Vikram@ - 07-08-2019, 11:11 AM



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