07-01-2019, 12:12 PM
भाग - 55
शोभा- ओह रतनऊऊउ हाँ.. चोद मुझे… मात्त्तत्त रुक्ककक नाआ… चोद मुझे.. ओह्ह..।
रतन ने एक बार फिर से रज्जो की तरफ देखा.. जो शोभा की चूत में पूरे घुसे हुए लण्ड को देख रही थी.. उसने अपने लण्ड को धीरे-धीरे आधे से ज्यादा बाहर निकाला और फिर एक जोरदार धक्के के साथ शोभा की चूत में पेल दिया।
रतन की जाँघें शोभा के भारी-भारी चूतड़ों से जा टकराईं और कमरे मैं ‘ठप’ की जोरदार आवाज़ गूँज उठी।
शोभा- ओह्ह रतन मेरे..ए..ए जान.. ओह चोद.. अपनी काकी को.. आह.. आह.. हाँ और जोर्.. से चोद..।
रतन ने तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए। रतन का लण्ड शोभा की चूत से निकल रहे पानी से एकदम सन गया था और तेज़ी से शोभा की चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
अपने सामने हो रही इस जोरदार चुदाई से रज्जो की चूत भी पानी छोड़ने लगी.. अचानक से रतन ने रज्जो को उसके दोनों कंधों से पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया और उसे शोभा.. जो कि नीचे लेटी हुई थी.. उसके ऊपर ले आया..। अब रज्जो शोभा के पेट के ऊपर दोनों तरफ टाँगें किए हुए बैठी थी।
रतन की इस हरकत से रज्जो एकदम से हड़बड़ा गई और खड़ी हो गई। लेकिन अब भी उसकी टाँगें शोभा के कमर के दोनों तरफ थीं।
उसका चेहरा रतन की तरफ और पीठ शोभा के तरफ.. जैसे ही रज्जो खड़ी हुई।
रतन ने अपने दोनों हाथों को उसके लहँगे के अन्दर डाल दिया और उसके टाँगों को नीचे से मसलते हुए.. ऊपर की और ले जाने लगा।
रज्जो का पूरा बदन रतन के हाथों को अपनी टाँगों पर महसूस करके झनझना उठा।
उसकी हालत हर पल बिगड़ती जा रही थी.. उसके टाँगें बुरी तरह थरथरा रही थी.. रतन के हाथ उसके टाँगों पर ऊपर की ओर बढ़ते हुए.. उसके जाँघों पर आ चुके थे।
रतन ने उसकी चिकनी और गुंदाज जाँघों को धीरे-धीरे अपने हाथों में भर कर मसलना शुरू कर दिया।
रज्जो की चूत अब और गरम हो चुकी थी और फिर रतन ने वो किया.. जिससे रज्जो की साँसें मानो जैसे थम गई हों।
उसने रज्जो की चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे खींच दिया और उसके दोनों पैरों को एक-एक करके ऊपर उठाते हुए उसकी टाँगों से निकाल कर एक तरफ फेंक दिया।
रतन नीचे से लगातार अपनी कमर हिलाते हुए.. शोभा की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करता हुआ उससे चोदे जा रहा था और शोभा की मस्ती और मदहोशी भरी सिसकियों का रज्जो के ऊपर अजीब सा नशा छाने लगा था।
रतन ने फिर से रज्जो को पकड़ कर नीचे बैठा दिया। अब रज्जो अपने घुटनों के बल शोभा के पेट के ऊपर थी।
रतन ने शोभा की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए.. रज्जो के चेहरे को अपने हाथों में भर कर अपनी तरफ खींचा और उसके गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर लिया।
अगले ही पल रज्जो की आँखें बंद हो गईं।
रतन ने एक हाथ रज्जो की कमर में डाल कर अपनी तरफ सरका रखा था और उसने अपने दूसरे हाथ को रज्जो के लहँगे के नीचे से अन्दर डाल दिया।
जैसे ही रतन का हाथ रज्जो की चूत की फांकों को लगा.. रज्जो एकदम से कसमसा गई और वो रतन से और चिपक गई।
पीछे से अपनी काकी सास की मादक सिसकारियाँ सुन कर उसका और बुरा हाल होता जा रहा था।
रतन ने अपने धक्कों की रफ्तार और बढ़ा दी थी और उसका लण्ड ‘फच्च’ की आवाज़ करता हुआ.. शोभा की पनियाई हुई चूत में अन्दर-बाहर होने लगा।
रतन ने अब रज्जो का निचला होंठ अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया और साथ ही उसने अपनी दोनों बाँहों को उसकी कमर में कसकर अपने से सटा रखा था।
नीचे लेटी शोभा को रतन ने आँखों से कुछ इशारा किया और शोभा ने पीछे से रज्जो का लहंगा उठा कर उसकी गाण्ड को अपने हाथों में भरते हुए मसलना शुरू कर दिया।
रज्जो एकदम से चौंक उठी.. पर रतन ने उसे अपनी बाँहों में ज़ोर से कस रखा था.. जिससे वो चाह कर भी हिल नहीं पा रही थी।
शोभा ने रज्जो के दोनों चूतड़ों को फैला कर अपनी एक ऊँगली उसके गाण्ड के छेद पर लगा दिया।
रज्जो का पूरा बदन ऐसे काँप गया.. जैसे उसे करेंट लग गया हो.. उसका पूरा बदन कामुकता के कारण थरथरा रहा था।
शोभा ने उसकी गाण्ड के छेद को अपनी ऊँगली से धीरे-धीरे कुरदेना शुरू कर दिया।
रज्जो अब पगलाती जा रही थी और मदहोशी की आलम में डूबती हुई रज्जो ने अपने हथियार डाल दिए।
रतन ने अपना एक हाथ उसकी कमर से हटा कर उसके लहँगे के नीचे से डाल कर उसकी चूत की क्लिट को अपनी उँगलियों से मसलना शुरू कर दिया और उसने अपने होंठों को रज्जो के होंठों से अलग कर लिया।
रतन ने देखा रज्जो का चेहरा लाल हो कर दहक रहा था.. पूरा चेहरे पसीने से तर हो चुका था.. होंठ काँप रहे थे और वो तेज़ी से साँसें ले रही थी।
उधर नीचे.. रतन के धक्कों की रफ़्तार पूरी तेज़ी पर थी.. रतन के हर धक्के के साथ रज्जो और शोभा दोनों का बदन बुरी तरह से हिल रहा था।
शोभा- आह्ह.. रतन चोद मुझे.. दिखा दे इस छिनाअलल्ल्ल को.. तू.. मुझे कितना प्यार करता है.. ओह मेरी चूत आह्ह.. रतन।
उधर रज्जो का भी बुरा हाल था.. पीछे से शोभा काकी उसके गाण्ड के छेद को कुरेद रही थी और आगे से रतन उसकी चूत को मसल रहा था।
“आह्ह.. आहह.. माआआ.. मुझे कुछ हो रहा है ओह्ह..”
रज्जो सिसकते हुए बोल उठी।
उधर शोभा की जांघें भी आपस में सटने लगीं.. उसकी चूत ने रतन के लण्ड पर कसाव और बढ़ा दिया था और वो काँपते हुए झड़ने लगी। “आह्ह.. रतनऊऊ.. निकल गया.. रे..ओह्ह.. मेरे..ए..ए चूततत.. भोसड़ीईईई हो गई रे..ए.. ओह रतन.. ऊऊउउह..”
रतन ने अब पूरी ताक़त के साथ शोभा को चोदना शुरू कर दिया और रज्जो को घूरते हुए शोभा की चूत में पानी छोड़ने लगा।
इधर रज्जो की चूत में जमा पानी भी पिघल कर बाहर आने लगा..।
रज्जो तो मानो जैसे किसी और ही दुनिया में पहुँच गई हो। उसका बदन रह-रह कर झटके खाने लगा और उसकी चूत से तो जैसे पानी का सैलाब बह निकाला।
रज्जो का पूरा बदन झड़ने के कारण थरथर काँप रहा था.. उसकी कमर रह-रह कर झटके खा रही थी। वो आँखें बंद किए हुए.. अपनी सांसों को सामान्य करने के कोशिश कर रही थी।
शोभा की चूत रतन के लण्ड से निकले पानी से पूरी तरह भर चुकी थी.. रतन का लण्ड जैसे ही.. सिकुड़ कर शोभा की चूत से बाहर आया.. रतन शोभा की जाँघों के बीच से हट कर उसके साथ लेट गया।
रज्जो अभी भी शोभा की कमर के दोनों तरफ पैर करे ऊपर बैठी हुई थी।
ये देख कर शोभा ने पीछे से उसका लहंगा उठा कर.. अपनी एक ऊँगली उसकी चूत की फांकों में फिरा दी।
रज्जो का बदन एक बार फिर से काँप गया। उसने पीछे मुड़ कर शोभा की तरफ देखा.. तो रतन और शोभा दोनों साथ लेटे हुए उसकी तरफ देख रहे थे।
रज्जो अपनी इस हालत पर बुरी तरह शर्मा गई और वो उठ कर जैसे ही खड़ी हुई.. रतन ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसको अपनी दूसरी तरफ लिटा लिया।
रतन आज अपनी किस्मत पर बड़ा इतरा रहा था और सच में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं.. जो दो गठीले बदन वाली औरतों के बीच में सोते हों।
रज्जो अभी भी अपनी उखड़ी हुई सांसों को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही थी।
अगली सुबह..
दूसरी तरफ सीमा के घर पर पिछली रात दीपा पर बहुत भरी गुज़री। क्यों कि रात को सीमा उसके साथ सोई थी.. सारी रात उसने अपनी और राजू की पहली चुदाई के बारे में सोचते हुए करवटें लेकर निकाली थी और सुबह उसका मूड थोड़ा अपसैट लग रहा था।
राजू को दीपा के चेहरे से अंदाज़ा हो गया था कि दीपा कल रात से उसे याद कर रही है और सुबह-सुबह ही सेठ गेंदामल दीपा और राजू को लेने के लिए सीमा के मायके पहुँच गया था।
शोभा- ओह रतनऊऊउ हाँ.. चोद मुझे… मात्त्तत्त रुक्ककक नाआ… चोद मुझे.. ओह्ह..।
रतन ने एक बार फिर से रज्जो की तरफ देखा.. जो शोभा की चूत में पूरे घुसे हुए लण्ड को देख रही थी.. उसने अपने लण्ड को धीरे-धीरे आधे से ज्यादा बाहर निकाला और फिर एक जोरदार धक्के के साथ शोभा की चूत में पेल दिया।
रतन की जाँघें शोभा के भारी-भारी चूतड़ों से जा टकराईं और कमरे मैं ‘ठप’ की जोरदार आवाज़ गूँज उठी।
शोभा- ओह्ह रतन मेरे..ए..ए जान.. ओह चोद.. अपनी काकी को.. आह.. आह.. हाँ और जोर्.. से चोद..।
रतन ने तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए। रतन का लण्ड शोभा की चूत से निकल रहे पानी से एकदम सन गया था और तेज़ी से शोभा की चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
अपने सामने हो रही इस जोरदार चुदाई से रज्जो की चूत भी पानी छोड़ने लगी.. अचानक से रतन ने रज्जो को उसके दोनों कंधों से पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया और उसे शोभा.. जो कि नीचे लेटी हुई थी.. उसके ऊपर ले आया..। अब रज्जो शोभा के पेट के ऊपर दोनों तरफ टाँगें किए हुए बैठी थी।
रतन की इस हरकत से रज्जो एकदम से हड़बड़ा गई और खड़ी हो गई। लेकिन अब भी उसकी टाँगें शोभा के कमर के दोनों तरफ थीं।
उसका चेहरा रतन की तरफ और पीठ शोभा के तरफ.. जैसे ही रज्जो खड़ी हुई।
रतन ने अपने दोनों हाथों को उसके लहँगे के अन्दर डाल दिया और उसके टाँगों को नीचे से मसलते हुए.. ऊपर की और ले जाने लगा।
रज्जो का पूरा बदन रतन के हाथों को अपनी टाँगों पर महसूस करके झनझना उठा।
उसकी हालत हर पल बिगड़ती जा रही थी.. उसके टाँगें बुरी तरह थरथरा रही थी.. रतन के हाथ उसके टाँगों पर ऊपर की ओर बढ़ते हुए.. उसके जाँघों पर आ चुके थे।
रतन ने उसकी चिकनी और गुंदाज जाँघों को धीरे-धीरे अपने हाथों में भर कर मसलना शुरू कर दिया।
रज्जो की चूत अब और गरम हो चुकी थी और फिर रतन ने वो किया.. जिससे रज्जो की साँसें मानो जैसे थम गई हों।
उसने रज्जो की चड्डी को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे खींच दिया और उसके दोनों पैरों को एक-एक करके ऊपर उठाते हुए उसकी टाँगों से निकाल कर एक तरफ फेंक दिया।
रतन नीचे से लगातार अपनी कमर हिलाते हुए.. शोभा की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करता हुआ उससे चोदे जा रहा था और शोभा की मस्ती और मदहोशी भरी सिसकियों का रज्जो के ऊपर अजीब सा नशा छाने लगा था।
रतन ने फिर से रज्जो को पकड़ कर नीचे बैठा दिया। अब रज्जो अपने घुटनों के बल शोभा के पेट के ऊपर थी।
रतन ने शोभा की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए.. रज्जो के चेहरे को अपने हाथों में भर कर अपनी तरफ खींचा और उसके गुलाबी होंठों को अपने होंठों में भर लिया।
अगले ही पल रज्जो की आँखें बंद हो गईं।
रतन ने एक हाथ रज्जो की कमर में डाल कर अपनी तरफ सरका रखा था और उसने अपने दूसरे हाथ को रज्जो के लहँगे के नीचे से अन्दर डाल दिया।
जैसे ही रतन का हाथ रज्जो की चूत की फांकों को लगा.. रज्जो एकदम से कसमसा गई और वो रतन से और चिपक गई।
पीछे से अपनी काकी सास की मादक सिसकारियाँ सुन कर उसका और बुरा हाल होता जा रहा था।
रतन ने अपने धक्कों की रफ्तार और बढ़ा दी थी और उसका लण्ड ‘फच्च’ की आवाज़ करता हुआ.. शोभा की पनियाई हुई चूत में अन्दर-बाहर होने लगा।
रतन ने अब रज्जो का निचला होंठ अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया और साथ ही उसने अपनी दोनों बाँहों को उसकी कमर में कसकर अपने से सटा रखा था।
नीचे लेटी शोभा को रतन ने आँखों से कुछ इशारा किया और शोभा ने पीछे से रज्जो का लहंगा उठा कर उसकी गाण्ड को अपने हाथों में भरते हुए मसलना शुरू कर दिया।
रज्जो एकदम से चौंक उठी.. पर रतन ने उसे अपनी बाँहों में ज़ोर से कस रखा था.. जिससे वो चाह कर भी हिल नहीं पा रही थी।
शोभा ने रज्जो के दोनों चूतड़ों को फैला कर अपनी एक ऊँगली उसके गाण्ड के छेद पर लगा दिया।
रज्जो का पूरा बदन ऐसे काँप गया.. जैसे उसे करेंट लग गया हो.. उसका पूरा बदन कामुकता के कारण थरथरा रहा था।
शोभा ने उसकी गाण्ड के छेद को अपनी ऊँगली से धीरे-धीरे कुरदेना शुरू कर दिया।
रज्जो अब पगलाती जा रही थी और मदहोशी की आलम में डूबती हुई रज्जो ने अपने हथियार डाल दिए।
रतन ने अपना एक हाथ उसकी कमर से हटा कर उसके लहँगे के नीचे से डाल कर उसकी चूत की क्लिट को अपनी उँगलियों से मसलना शुरू कर दिया और उसने अपने होंठों को रज्जो के होंठों से अलग कर लिया।
रतन ने देखा रज्जो का चेहरा लाल हो कर दहक रहा था.. पूरा चेहरे पसीने से तर हो चुका था.. होंठ काँप रहे थे और वो तेज़ी से साँसें ले रही थी।
उधर नीचे.. रतन के धक्कों की रफ़्तार पूरी तेज़ी पर थी.. रतन के हर धक्के के साथ रज्जो और शोभा दोनों का बदन बुरी तरह से हिल रहा था।
शोभा- आह्ह.. रतन चोद मुझे.. दिखा दे इस छिनाअलल्ल्ल को.. तू.. मुझे कितना प्यार करता है.. ओह मेरी चूत आह्ह.. रतन।
उधर रज्जो का भी बुरा हाल था.. पीछे से शोभा काकी उसके गाण्ड के छेद को कुरेद रही थी और आगे से रतन उसकी चूत को मसल रहा था।
“आह्ह.. आहह.. माआआ.. मुझे कुछ हो रहा है ओह्ह..”
रज्जो सिसकते हुए बोल उठी।
उधर शोभा की जांघें भी आपस में सटने लगीं.. उसकी चूत ने रतन के लण्ड पर कसाव और बढ़ा दिया था और वो काँपते हुए झड़ने लगी। “आह्ह.. रतनऊऊ.. निकल गया.. रे..ओह्ह.. मेरे..ए..ए चूततत.. भोसड़ीईईई हो गई रे..ए.. ओह रतन.. ऊऊउउह..”
रतन ने अब पूरी ताक़त के साथ शोभा को चोदना शुरू कर दिया और रज्जो को घूरते हुए शोभा की चूत में पानी छोड़ने लगा।
इधर रज्जो की चूत में जमा पानी भी पिघल कर बाहर आने लगा..।
रज्जो तो मानो जैसे किसी और ही दुनिया में पहुँच गई हो। उसका बदन रह-रह कर झटके खाने लगा और उसकी चूत से तो जैसे पानी का सैलाब बह निकाला।
रज्जो का पूरा बदन झड़ने के कारण थरथर काँप रहा था.. उसकी कमर रह-रह कर झटके खा रही थी। वो आँखें बंद किए हुए.. अपनी सांसों को सामान्य करने के कोशिश कर रही थी।
शोभा की चूत रतन के लण्ड से निकले पानी से पूरी तरह भर चुकी थी.. रतन का लण्ड जैसे ही.. सिकुड़ कर शोभा की चूत से बाहर आया.. रतन शोभा की जाँघों के बीच से हट कर उसके साथ लेट गया।
रज्जो अभी भी शोभा की कमर के दोनों तरफ पैर करे ऊपर बैठी हुई थी।
ये देख कर शोभा ने पीछे से उसका लहंगा उठा कर.. अपनी एक ऊँगली उसकी चूत की फांकों में फिरा दी।
रज्जो का बदन एक बार फिर से काँप गया। उसने पीछे मुड़ कर शोभा की तरफ देखा.. तो रतन और शोभा दोनों साथ लेटे हुए उसकी तरफ देख रहे थे।
रज्जो अपनी इस हालत पर बुरी तरह शर्मा गई और वो उठ कर जैसे ही खड़ी हुई.. रतन ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसको अपनी दूसरी तरफ लिटा लिया।
रतन आज अपनी किस्मत पर बड़ा इतरा रहा था और सच में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं.. जो दो गठीले बदन वाली औरतों के बीच में सोते हों।
रज्जो अभी भी अपनी उखड़ी हुई सांसों को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही थी।
अगली सुबह..
दूसरी तरफ सीमा के घर पर पिछली रात दीपा पर बहुत भरी गुज़री। क्यों कि रात को सीमा उसके साथ सोई थी.. सारी रात उसने अपनी और राजू की पहली चुदाई के बारे में सोचते हुए करवटें लेकर निकाली थी और सुबह उसका मूड थोड़ा अपसैट लग रहा था।
राजू को दीपा के चेहरे से अंदाज़ा हो गया था कि दीपा कल रात से उसे याद कर रही है और सुबह-सुबह ही सेठ गेंदामल दीपा और राजू को लेने के लिए सीमा के मायके पहुँच गया था।