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Fantasy गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार
#56
भाग - 52

अब तो उसकी चूत की फाँकें भी राजू के लण्ड की गरमी का अहसास पाने के लिए फुदक रही थीं और राजू ने धीरे-धीरे दीपा की जाँघों को पूरा खोल दिया।

उफ्फ क्या नज़ारा था सामने.. एकदम कसी हुई कोरी चूत.. दोनों फाँकें आपस में सटी हुईं.. जो मुश्किल से थोड़ा सा खुल पा रही थीं। जो शायद दीपा की चूत में हो रहे संकुचन के कारण हो रहा था और उसकी चूत से काम-रस बह कर नीचे उसकी गाण्ड के छेद की तरफ जा रहा था।

दीपा इतनी मस्त हो चुकी थी…कि उसकी गाण्ड अपने आप ऊपर की ओर उठने लगी.. जिससे उसकी चूत राजू के लण्ड के मोटे के सुपारे पर दबाने लगी और राजू के लण्ड का सुपारा दीपा की चूत की फांकों को फ़ैलाता हुआ अन्दर की ओर घुसने लगा और जैसे ही राजू के गरम सुपारे ने दीपा की चूत की गुलाबी छेद को छुआ.. तो वो एकदम सिसक उठी।

दीपा- आह.. उइईईईई.. राजू ओह्ह.. बहुत मजा आ रहा है.. और करो ना.. आह.. आह राजू..।

राजू ने दीपा के होंठों से अपने होंठों को अलग करते हुए कहा- क्या करूँ दीपा जी..?

राजू की बात सुन कर दीपा एकदम शर्मा गई और एक हलकी से मुस्कराहट उसके होंठों पर फ़ैल गई।

उसने कहा- आह.. अब और बर्दास्त.. नहीं हो रहा है..।

राजू ने दीपा की दोनों चूचियों को मसलते हुए कहा- आह.. बोलो ना क्या करूँ..?

दीपा- आह्ह.. चोदो मुझे…

उधर नीचे राजू के लण्ड का दहकता हुआ सुपारा दीपा की चूत के छेद पर रगड़ खा रहा था और दीपा वासना के सागर में डूबती जा रही थी। अब वो और मस्त होकर सिसिया रही थी।

राजू ने अपने लण्ड को ठीक दीपा की चूत पर सैट किया और दीपा के कानों के पास अपने होंठों को ले जाकर कहा।

राजू- दीपा जी.. पहली बार चुदवा रही हो.. थोड़ा दर्द होगा..।

दीपा- आह.. मुझसे अब्ब्ब्ब और इंतजार नहीं हो रहा..आ..।

राजू ने घुटनों के बल बैठते हुए दीपा की टाँगों को खोल कर घुटनों से मोड़ कर ऊपर उठा दिया और एक जोरदार धक्का मारा…।

राजू का लण्ड दीपा की चूत के कसे छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर घुसते हुए.. उसके कुंवारेपन की सील को तोड़ कर आधे से ज्यादा अन्दर जा घुसा।

दीपा- आह्ह.. माआआआआअ …

दीपा के बदन में एकदम से दर्द की तेज लहर दौड़ गई.. उसे अपनी चूत का छेद एकदम फैला हुआ महसूस होने लगा था और उसे लग रहा था जैसे इस दर्द से उसकी जान ही निकल जाएगी।

पर किसी तरह से दीपा ने अपनी आवाज़ को दबा लिया था.. जिससे उसकी दर्द भरी आवाज़ उस कमरे में ही घुट कर रह गई।

दीपा- ऊ..ओह्ह माआआअ.. बहुत दर्द हो रहा है.. राजू बाहर निकालो इसे…।

राजू- सीईई..चुप करो.. कुछ नहीं होगा.. थोड़ी देर सबर करो… फिर सब ठीक हो जाएगा।

दीपा ने रुआंसी सी आवाज़ में कहा- आह.. नहीं मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा.. इसे बाहर निकाल लो.. बहुत दर्द हो रहा है.. मेरी फटी जा रही है।

राजू ने दीपा के आवाज़ को दबाने के लिए उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और उसके दोनों चूचुकों को अपने हाथों की उँगलियों में धीरे-धीरे मसलने लगा।

हर पल दीपा का दर्द कम होता जा रहा था और उसे राजू के लण्ड की गरमी अपनी चूत में बहुत आनन्द-दायक लग रही थी।

जब राजू ने दीपा के होंठों से अपने होंठों को अलग किया.. तो उसने दीपा के चेहरे की तरफ देखा।

दीपा की आँखें बंद थीं और उसके चेहरे पर अब दर्द के भाव थे।

राजू- अभी भी बहुत दर्द हो रहा है क्या ?

दीपा- हाँ.. पर अब कम है।

ये सुन कर राजू के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई और उसने झुक कर दीपा की एक चूची को मुँह में भर लिया और उसके चूचुक के चारों और जीभ घुमाते हुए..

उसकी चूची को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। दीपा के पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई.. उसका पूरा बदन एक बार फिर से मस्ती में कांपने लगा।

दीपा- ओह राजूउऊउ.. उइईईई आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. ओह अब्ब्ब्ब्ब्बबब दर्द नहीं हो रहा.. ओह राजूउऊुउउ..।

दीपा की बातें और सिसकियाँ इस बात का इशारा था.. कि अब वो चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

उसकी चूत की दीवारें राजू के लण्ड को अन्दर ही अन्दर मसल रही थीं और दीपा अपनी चूत की दीवारों पर राजू के लण्ड को महसूस करके सिकोड़ और फ़ैला रही थी।

राजू के लण्ड का अहसास दीपा को अपनी चूत के अन्दर स्वर्ग का अहसास करा रहा था.. उसकी गाण्ड अपने आप ही ऊपर-नीचे होने लगी।


जैसे राजू को इस बात कर अहसास हुआ.. उसने धीरे-धीरे अपने आधे से ज्यादा लण्ड को दीपा की चूत से बाहर निकाल लिया। राजू के लण्ड का सुपारा दीपा की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ बाहर आने लगा।

राजू के लण्ड के सुपारे की रगड़ को अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करके, दीपा के पूरे बदन में मानो जैसे बिजली कौंध गई हो, उसने अपनी बाँहों को राजू की पीठ पर कस लिया और अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उठा कर राजू के लण्ड को एक बार फिर से अपनी चूत में लेने के लिए मचल उठी।

राजू दीपा के इस उतावले पर को देख कर मन ही मन बहुत खुश हो रहा था.. उसने भी दीपा को अपनी बाँहों में भर कर एक बार फिर से अपने लण्ड को धीरे-धीरे चूत के अन्दर सरकाना शुरू कर दिया।

राजू के लण्ड के सुपारे की रगड़ को एक बार फिर से महसूस करके.. दीपा मस्ती में सिसक उठी।

“आह्ह.. राजू बहुत अच्छा लग रहा है.. करो.. ना..”

दीपा पागलों की तरह सिसयाते हुए.. अपने होंठों को राजू के कंधों और छाती पर रगड़ने लगी। जिससे राजू भी और जोश में आ गया और अपने लण्ड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।

राजू के हर धक्के के साथ दीपा के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ जाती और वो मस्त हो कर अपनी दोनों जाँघों को फैला कर अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उठा कर राजू के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में लेने के लिए तड़फ उठती।

राजू ने दीपा की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करते हुए कहा- आह दीपा जी.. आपकी चूत बहुत कसी हुई है.. क्या गरम फुद्दी है आपकी.. आह्ह.. ।

दीपा राजू की ऐसी गंदी बातें सुन कर बुरी तरह झेंप गई.. उसके दिल की धड़कनें और तेज चलने लगीं।

राजू ने दीपा के होंठों को एक बार फिर से अपने होंठों में भर लिया और उसके होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसते हुए.. दीपा की चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करते हुए धक्के लगाने लगा।

राजू के हर धक्के के साथ दीपा और मस्त और गरम होती जा रही थी। उसकी कमर अपने आप ही लगातार हिल रही थी, जैसे राजू के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में समा लेना चाहती हो, दीपा के हाथ राजू के पीठ को सहला रहे थे।

जिससे राजू का जोश हर पल बढ़ता जा रहा था और वो और तेज़ी से अपने लण्ड को चूत की अन्दर-बाहर करने लगा।

दीपा की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी और राजू का लण्ड दीपा की चूत से निकल रहे काम-रस से भीग कर आसानी से चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था और जब राजू के लण्ड का सुपारा दीपा की चूत गहराईयों में उतार कर उसकी बच्चेदानी पर लगता.. तो दीपा एकदम से मचल उठती और उसके पीठ पर अपने नाख़ून को गड़ा देती।

दीपा ने राजू के होंठों से अपने होंठों को अलग करते हुए कहा- अह राजू.. छोड़ो मुझे.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है.. उईइ आह्ह.. आह्ह.. स उम्मह बहुत मजाअ आ रहा हैईइ ओह.. धीरेए आह्ह.. आ ओह्ह राजू मैं तुममस्ीई बहुत प्यार करती हूँ..

राजू- आहाहाँ.. मेरी..ए.. रानी तुम्हें तो अब्ब्ब मैं दिन रात चोदूँगा आह.. आह्ह.. आईसे..इई चूतततत मज़ा आ गयाआ..।

दीपा अब झड़ने के बिल्कुल करीब पहुँच चुकी थी, अब वो भी पागलों की तरह राजू के यहाँ-वहाँ अपने होंठों को रगड़ रही थी और राजू लण्ड अब पूरी रफ़्तार से दीपा की चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था। एकाएक दीपा का पूरा बदन अकड़ने लगा.. उसने अपनी टाँगों को राजू की कमर पर कस लिया।

“आह्ह.. राजूऊऊ धीरे.. ओह.. मुझे मेरा पेशाब निकलने वाला है..अईइ.. ओह्ह.. मैं पागल हो जाऊँगीइइ राजू ओह..।”

जैसे ही राजू को पता चला कि दीपा अब झड़ने वाली है.. उसने अपने धक्कों की रफ़्तार को और बढ़ा दिया और दीपा की चूत से लावे की नदी बह निकली।

उसका पूरा बदन ज़ोर-ज़ोर से काँपने लगा और कमर तेज़ी से झटके खाने लगी.. दीपा बुरी तरह झड़ी थी। अपने पूरे जीवन उसे ऐसे सुख की अनुभूति नहीं हुई थी।

उसने राजू के सर को अपने बाँहों में कस लिया और पागलों की तरह राजू के होंठों को चूसते हुए.. झड़ने लगी।
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RE: गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार - by Starocks - 07-01-2019, 12:06 PM



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