06-08-2019, 09:33 AM
(This post was last modified: 06-12-2020, 01:16 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
गोरी गोरी कांख
और जब मम्मी की काँखों की ओर उन्होंने हाथ बढ़ाया तो एक बार फिर डांट पड़ गयी ,
" अरे उसी हाथ से नीडल वर्क कर रहे हो और उसी हाथ से , ... कपडे पर पसीने का दाग नहीं पड़ जाएगा। "
वो मेरा मतलब समझ रहे थे ,दिल से चाहते भी वही थे लेकिन मम्मी की एक बार उन्होंने देखा बस मम्मी की मुस्कराहट से उन्हें ग्रीन सिग्नल मिल गया।
आँचल अभी भी गिरा हुआ था , हलके प्याजी ब्लाउज से मम्मी के गोरे गदराये भारी भारी जोबन छलक रहे थे।
बस उनके होंठ सीधे मम्मी की दूधिया काँखों के बीच, पहले तो उन्होंने उस चुहचुहाते पसीने की बूँद को हलके से चूम लिया और जब उन्हें मम्मी की ओर से कोई प्रतिरोध नहीं मिला तो बस , ...
वो पागल नहीं हुए।
पहले तो हलके हलके फिर तेजी से कभी वो किस करते तो कभी लिक करते , उनकी जीभ पसीने से भरी कांख के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ,
एक नशीली तीखी मतवाली गंध मम्मी की गोरी मांसल काँखों से निकल रही थी। और जैसे चुम्बक की तरह उन्हें वहां खींच रही थी।
मम्मी ने अपना हाथ उनके सर के ऊपर रख कर ,काँख समेट ली और अब उनकी सर ,मम्मी की कांख के बीच फंसा ,दबा स्मूदरड ,लेकिन उन्हें बहुत अछ्छा लगा रहा था। सडप सडप की आवाज पूरी जीभ निकाल के वो ,
और उसके साथ साथ, ...
मम्मी का स्लीवलेस ब्लाउज सिर्फ बहुत ज्यादा लो कट ही नहीं था,साइड से भी वो डीप कट था यानी अब उन्हें बगल से मम्मी के खुले उरोजों की पूरी झलक ही नहीं स्पर्श भी मिल रहा था। स्पर्श ही नहीं स्वाद भी ,
और असर नीचे हुआ उसका , उनका खूँटा आलमोस्ट उछल कर उस लुंगी बनी साड़ी से बाहर आ गया।
मम्मी ने भी जैसे अनजाने में उसपर अपना हाथ रख दिया ,और हलके हलके ,....
धीरे धीरे दबाने मसलने लगीं।
और ये सब जैसे अनजाने में हो रहा हो ,मम्मी का ध्यान अभी भी उनके निडल वर्क को चेक करने में ही लगा था।
लेकिन मालुम उन्हें भी था , मम्मी को भी और मुझे भी ,... कुछ भी अनजाने में नहीं हो रहा है।
अचानक फोन की घंटी बजी और मैं फोन उठाने चली गयी।
सोफी थी ,वही ब्यूटी पार्लर वाली जादूगरनी ,जिसने इन्हें अपनी क्षत्रछाया में ले लिया था और जिसे मम्मी ने ढेर सारे काम पकड़ाए थे इनके 'सुधार' के लिए।
कुछ देर उसने काम की बातें की ,कुछ देर गप्पे , और जब मैं फिर सास दामाद की ओर मुड़ी तो गर्मी काफी बढ़ चुकी थी।
निडल वर्क का कपडा सरक कर कब का पलंग के कोने में जा पड़ा था।
जुलाई की उमस भरी गर्मी तो थी ही ,ऊपर से पावर कट।
मम्मी को थोड़ा पसीना आता भी ज्यादा था। पसीने से उनका पतले कपडे का ब्लाउज एकदम उनके उभारों से चिपक गया था। और वैसे भी वो बहुत ज्यादा झलकउवा था , 'सब कुछ ' दिख रहा था।
गोरे गोरे गुदाज मांसल उभार ,एकदम ब्लाउज से चिपके, मम्मी की शियर पारदर्शी लेसी हाफ कप स्किन कलर की ब्रा कुछ भी छिपा ढँक नहीं पा रही थी।
न सिर्फ उनके इंच भर के कड़े मस्त निपल साफ़ साफ दिख रहे थे ,बल्कि चारो ओर का ब्राउन गोल गोल अरियोला भी खुल के झलक रहा था।
और इसी एक झलक के लिए तो वो कब से बेचैन थे।
और इस गर्मी में एक अलग तरह की गर्मी 'उन्हें ' बेचैन कर रही थी ,
फिर देह गंध ,पसीने की , रूप के नशे की ,...
उनके होंठ कांख से सरक कर बूब्स के खुले साइड के हिस्से पे आ चुके थे, कभी जीभ से वो मम्मी की गोरी गोरी चूंची की साइड पे वो फ्लिक करते तो कभी चाट लेते।
मम्मी ने उनका एक हाथ पकड़ के जैसे सहारे के लिए अपने दूसरे बूब्स के ऊपर रख दिया था
और अपने इरादे को एकदम साफ़ करने के लिए उनकी हथेली को सीधे अपने निपल के ऊपर रख कर खुल के दबा भी रही थीं।
हिम्मत पा कर के उनकी नदीदी उँगलियाँ ,मम्मी के खूब गहरे लो कट ब्लाउज के झरोखे से ,
क्लीवेज को अब खुल के छू रही थीं।
लेकिन सिर्फ वही नहीं ,मम्मी भी अब खुले खेल पे आगयी थीं।
उनका बोनर ,पगलाया ,बौराया मम्मी की साडी बनी लुंगी से बाहर आ चुका था और अब मम्मी की मुट्ठी में कैद था
एक झटके में मम्मी ने कस के मुठियाया और उनका मोटा मांसल सुपाड़ा बाहर।
खूँटा मम्मी की पकड़ से बाहर निकल आया लेकिन मम्मी का हमला अब सीधा और तेज हो गया था।
मम्मी ने अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उनके सुपाड़े को जोर से दबोच रखा था और उसे रगड़ मसल रही थीं।
कुछ देर बाद उनका बड़ा शार्प नाख़ून सीधे उनके बॉल्स से शुरू हो के ,कड़े तने मांसल खूंटे के निचले भाग को रगड़ता खरोंचता सीधे पेशाब के छेद तक
और अब साथ में ,टिपिकल मम्मी उवाच ,
" बहन के भंडुए खूँटा तो खूब मस्त खड़ा किया है।
देख बहुत जल्द जाएगा ये तेरी माँ के भोंसडे में,
हचक हचक के चोदना उसके भोंसडे को ,
अरे बहुत रस है उस के भोंसडे में , बोल बहनचोद मन कर रहा है न माँ के भोंसडे को चोदने का , ... "
उन का मुंह तो मम्मी की पसीने से भीगी कांख और साइड से खुले बूब्स के बीच फंसा ,दबा था ,
लेकिन जो उनके मुंह से आवाजें निकली तो उसे सिर्फ हामी ही कहा जा सकता है।
वैसे भी मम्मी के सामने हामी के अलावा वो कुछ सोच भी नहीं सकते थे।
और अब मम्मी खुल के उनके तन्नाए लन्ड को मुठिया रही थीं। और साथ में ,
" अरे घबड़ा मत ,जल्द ही जिस भोंसडे से निकला है न उसी में घुसड़वाउंगी।
और अपने सामने। हचक के पेलना दोनों चूंची पकड़ के। बहुत मजा आएगा ,कोई ना नुकुर नहीं समझे मादरचोद। अरे मादरचोद होने का मजा ही अलग है ,मेरे मुन्ने को सब मजा दिलवाऊंगी ,बहन का माँ का। "
मम्मी का दूसरा हाथ भी खाली नहीं बैठा था , वो उनके खुले सीने पे उनके निपल के चारो ओर ,उनकी तर्जनी हलके हलके सहलाते बहुत प्यार से धीरे धीरे जैसे नयी लौंडिया को पटाने के लिए उसके नए आये अंकुर के चारो ओर हलके सहलाये, बस उसी तरह ,.... और अचानक जोर से मम्मी ने उनके निपल को स्क्रैच कर दिया।
ये बात मुझे भी मालुम थी और मम्मी को भी कि ,उनके निपल किसी नयी जवान होती लौंडिया से कम सेंसिटिव नहीं है।
दूसरा हाथ जो मुठिया रहा था जोर जोर से ,
एक बार फिर खूंटे को खुला छोड़ के नीचे बॉल्स पे ,हलके से सहलाते सहलाते उन्हें उसे जोर से दबा दिया और एक बार फिर नाख़ून फिर बॉल्स के पीछे पिछवाड़े के छेद तक स्क्रैच कर रहा था और वापस वहां से खूँटा जहाँ बॉल्स से मिलता है , उस जगह को पहले खूब जोर से दबाया और फिर लंबे शार्प नाख़ून से लन्ड के बेस से लेकर सुपाड़े तक स्क्रैच करते ,
" बोल चोदेगा न अपनी माँ को ,इसी मस्त लन्ड से उसके भोंसडे को , बोल ,बोल चढ़ेगा न उसके ऊपर , चोदेगा न अपनी माँ के भोसड़े को "
और अबकी साफ़ साफ़ जवाब सुनने के लिए मम्मी ने उनके सर को आजाद कर दिया अपनी कांख और उभारों के बीच से ,
और खुल के बोला भी उन्होंने ,
" हाँ मम्मी चोदूँगा। "
लेकिन मम्मी के लिए इतना काफी नहीं था। जब तक अपने दामाद से अपनी समधन के लिए खुल के वो गाली न सुन ले ,
" अरे मुन्ने खुल के बोल न ,किस के भोंसडे को चोदेगा,बोल साफ़ साफ़। "
मम्मी ने जोर से उनके खूंटे को दबाते पूछा।
और मेरे कान को विश्वास नहीं हुआ ,उन्होंने एकदम खुल के बोला लेकिन उनकी आवाज कुछ कुछ घंटी में दब गयी।
बेल दुबारा बजी।
" मंजू बाई होगी ,आज दोपहर से वो काम पे आने वाली थी। "
बिजली भी आगयी , पंखा फिर से चलने लगा।
और जब मम्मी की काँखों की ओर उन्होंने हाथ बढ़ाया तो एक बार फिर डांट पड़ गयी ,
" अरे उसी हाथ से नीडल वर्क कर रहे हो और उसी हाथ से , ... कपडे पर पसीने का दाग नहीं पड़ जाएगा। "
वो मेरा मतलब समझ रहे थे ,दिल से चाहते भी वही थे लेकिन मम्मी की एक बार उन्होंने देखा बस मम्मी की मुस्कराहट से उन्हें ग्रीन सिग्नल मिल गया।
आँचल अभी भी गिरा हुआ था , हलके प्याजी ब्लाउज से मम्मी के गोरे गदराये भारी भारी जोबन छलक रहे थे।
बस उनके होंठ सीधे मम्मी की दूधिया काँखों के बीच, पहले तो उन्होंने उस चुहचुहाते पसीने की बूँद को हलके से चूम लिया और जब उन्हें मम्मी की ओर से कोई प्रतिरोध नहीं मिला तो बस , ...
वो पागल नहीं हुए।
पहले तो हलके हलके फिर तेजी से कभी वो किस करते तो कभी लिक करते , उनकी जीभ पसीने से भरी कांख के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ,
एक नशीली तीखी मतवाली गंध मम्मी की गोरी मांसल काँखों से निकल रही थी। और जैसे चुम्बक की तरह उन्हें वहां खींच रही थी।
मम्मी ने अपना हाथ उनके सर के ऊपर रख कर ,काँख समेट ली और अब उनकी सर ,मम्मी की कांख के बीच फंसा ,दबा स्मूदरड ,लेकिन उन्हें बहुत अछ्छा लगा रहा था। सडप सडप की आवाज पूरी जीभ निकाल के वो ,
और उसके साथ साथ, ...
मम्मी का स्लीवलेस ब्लाउज सिर्फ बहुत ज्यादा लो कट ही नहीं था,साइड से भी वो डीप कट था यानी अब उन्हें बगल से मम्मी के खुले उरोजों की पूरी झलक ही नहीं स्पर्श भी मिल रहा था। स्पर्श ही नहीं स्वाद भी ,
और असर नीचे हुआ उसका , उनका खूँटा आलमोस्ट उछल कर उस लुंगी बनी साड़ी से बाहर आ गया।
मम्मी ने भी जैसे अनजाने में उसपर अपना हाथ रख दिया ,और हलके हलके ,....
धीरे धीरे दबाने मसलने लगीं।
और ये सब जैसे अनजाने में हो रहा हो ,मम्मी का ध्यान अभी भी उनके निडल वर्क को चेक करने में ही लगा था।
लेकिन मालुम उन्हें भी था , मम्मी को भी और मुझे भी ,... कुछ भी अनजाने में नहीं हो रहा है।
अचानक फोन की घंटी बजी और मैं फोन उठाने चली गयी।
सोफी थी ,वही ब्यूटी पार्लर वाली जादूगरनी ,जिसने इन्हें अपनी क्षत्रछाया में ले लिया था और जिसे मम्मी ने ढेर सारे काम पकड़ाए थे इनके 'सुधार' के लिए।
कुछ देर उसने काम की बातें की ,कुछ देर गप्पे , और जब मैं फिर सास दामाद की ओर मुड़ी तो गर्मी काफी बढ़ चुकी थी।
निडल वर्क का कपडा सरक कर कब का पलंग के कोने में जा पड़ा था।
जुलाई की उमस भरी गर्मी तो थी ही ,ऊपर से पावर कट।
मम्मी को थोड़ा पसीना आता भी ज्यादा था। पसीने से उनका पतले कपडे का ब्लाउज एकदम उनके उभारों से चिपक गया था। और वैसे भी वो बहुत ज्यादा झलकउवा था , 'सब कुछ ' दिख रहा था।
गोरे गोरे गुदाज मांसल उभार ,एकदम ब्लाउज से चिपके, मम्मी की शियर पारदर्शी लेसी हाफ कप स्किन कलर की ब्रा कुछ भी छिपा ढँक नहीं पा रही थी।
न सिर्फ उनके इंच भर के कड़े मस्त निपल साफ़ साफ दिख रहे थे ,बल्कि चारो ओर का ब्राउन गोल गोल अरियोला भी खुल के झलक रहा था।
और इसी एक झलक के लिए तो वो कब से बेचैन थे।
और इस गर्मी में एक अलग तरह की गर्मी 'उन्हें ' बेचैन कर रही थी ,
फिर देह गंध ,पसीने की , रूप के नशे की ,...
उनके होंठ कांख से सरक कर बूब्स के खुले साइड के हिस्से पे आ चुके थे, कभी जीभ से वो मम्मी की गोरी गोरी चूंची की साइड पे वो फ्लिक करते तो कभी चाट लेते।
मम्मी ने उनका एक हाथ पकड़ के जैसे सहारे के लिए अपने दूसरे बूब्स के ऊपर रख दिया था
और अपने इरादे को एकदम साफ़ करने के लिए उनकी हथेली को सीधे अपने निपल के ऊपर रख कर खुल के दबा भी रही थीं।
हिम्मत पा कर के उनकी नदीदी उँगलियाँ ,मम्मी के खूब गहरे लो कट ब्लाउज के झरोखे से ,
क्लीवेज को अब खुल के छू रही थीं।
लेकिन सिर्फ वही नहीं ,मम्मी भी अब खुले खेल पे आगयी थीं।
उनका बोनर ,पगलाया ,बौराया मम्मी की साडी बनी लुंगी से बाहर आ चुका था और अब मम्मी की मुट्ठी में कैद था
एक झटके में मम्मी ने कस के मुठियाया और उनका मोटा मांसल सुपाड़ा बाहर।
खूँटा मम्मी की पकड़ से बाहर निकल आया लेकिन मम्मी का हमला अब सीधा और तेज हो गया था।
मम्मी ने अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच उनके सुपाड़े को जोर से दबोच रखा था और उसे रगड़ मसल रही थीं।
कुछ देर बाद उनका बड़ा शार्प नाख़ून सीधे उनके बॉल्स से शुरू हो के ,कड़े तने मांसल खूंटे के निचले भाग को रगड़ता खरोंचता सीधे पेशाब के छेद तक
और अब साथ में ,टिपिकल मम्मी उवाच ,
" बहन के भंडुए खूँटा तो खूब मस्त खड़ा किया है।
देख बहुत जल्द जाएगा ये तेरी माँ के भोंसडे में,
हचक हचक के चोदना उसके भोंसडे को ,
अरे बहुत रस है उस के भोंसडे में , बोल बहनचोद मन कर रहा है न माँ के भोंसडे को चोदने का , ... "
उन का मुंह तो मम्मी की पसीने से भीगी कांख और साइड से खुले बूब्स के बीच फंसा ,दबा था ,
लेकिन जो उनके मुंह से आवाजें निकली तो उसे सिर्फ हामी ही कहा जा सकता है।
वैसे भी मम्मी के सामने हामी के अलावा वो कुछ सोच भी नहीं सकते थे।
और अब मम्मी खुल के उनके तन्नाए लन्ड को मुठिया रही थीं। और साथ में ,
" अरे घबड़ा मत ,जल्द ही जिस भोंसडे से निकला है न उसी में घुसड़वाउंगी।
और अपने सामने। हचक के पेलना दोनों चूंची पकड़ के। बहुत मजा आएगा ,कोई ना नुकुर नहीं समझे मादरचोद। अरे मादरचोद होने का मजा ही अलग है ,मेरे मुन्ने को सब मजा दिलवाऊंगी ,बहन का माँ का। "
मम्मी का दूसरा हाथ भी खाली नहीं बैठा था , वो उनके खुले सीने पे उनके निपल के चारो ओर ,उनकी तर्जनी हलके हलके सहलाते बहुत प्यार से धीरे धीरे जैसे नयी लौंडिया को पटाने के लिए उसके नए आये अंकुर के चारो ओर हलके सहलाये, बस उसी तरह ,.... और अचानक जोर से मम्मी ने उनके निपल को स्क्रैच कर दिया।
ये बात मुझे भी मालुम थी और मम्मी को भी कि ,उनके निपल किसी नयी जवान होती लौंडिया से कम सेंसिटिव नहीं है।
दूसरा हाथ जो मुठिया रहा था जोर जोर से ,
एक बार फिर खूंटे को खुला छोड़ के नीचे बॉल्स पे ,हलके से सहलाते सहलाते उन्हें उसे जोर से दबा दिया और एक बार फिर नाख़ून फिर बॉल्स के पीछे पिछवाड़े के छेद तक स्क्रैच कर रहा था और वापस वहां से खूँटा जहाँ बॉल्स से मिलता है , उस जगह को पहले खूब जोर से दबाया और फिर लंबे शार्प नाख़ून से लन्ड के बेस से लेकर सुपाड़े तक स्क्रैच करते ,
" बोल चोदेगा न अपनी माँ को ,इसी मस्त लन्ड से उसके भोंसडे को , बोल ,बोल चढ़ेगा न उसके ऊपर , चोदेगा न अपनी माँ के भोसड़े को "
और अबकी साफ़ साफ़ जवाब सुनने के लिए मम्मी ने उनके सर को आजाद कर दिया अपनी कांख और उभारों के बीच से ,
और खुल के बोला भी उन्होंने ,
" हाँ मम्मी चोदूँगा। "
लेकिन मम्मी के लिए इतना काफी नहीं था। जब तक अपने दामाद से अपनी समधन के लिए खुल के वो गाली न सुन ले ,
" अरे मुन्ने खुल के बोल न ,किस के भोंसडे को चोदेगा,बोल साफ़ साफ़। "
मम्मी ने जोर से उनके खूंटे को दबाते पूछा।
और मेरे कान को विश्वास नहीं हुआ ,उन्होंने एकदम खुल के बोला लेकिन उनकी आवाज कुछ कुछ घंटी में दब गयी।
बेल दुबारा बजी।
" मंजू बाई होगी ,आज दोपहर से वो काम पे आने वाली थी। "
बिजली भी आगयी , पंखा फिर से चलने लगा।