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Fantasy गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार
#55
भाग - 51



जैसे दीपा को राजू के लण्ड के सुपारे की गरमी अपनी चूत के छेद पर महसूस हुई… दीपा की जाँघें अपने आप खुलने लगीं। दीपा को यूँ मदहोश होता देख कर राजू ने धीरे-धीरे से अपनी कमर को झटका दिया…।

राजू का लण्ड दीपा की चूत के छेद पर सलवार के ऊपर से रगड़ खा गया…।

“आह राजूऊऊ”

दीपा एकदम से सिसक उठी…।
उसने राजू की बाँहों को और कसके पकड़ लिया। दीपा के होंठ काँप रहे थे.. जिसे देख कर एक बार फिर से राजू के मुँह में पानी आ गया और उसने दीपा के होंठों को अपने होंठों में लेकर फिर से चूसना शुरू कर दिया।

उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर दीपा की सलवार के नाड़े को पकड़ कर खींचना शुरू कर दिया।

राजू की इस हरकत से दीपा एकदम से चौंक गई और उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर राजू के हाथों को पकड़ कर रोकना शुरू कर दिया… पर राजू के आगे दीपा की एक नहीं चल रही थी।

राजू ने दीपा के सलवार के नाड़े को खींच कर खोल दिया। दीपा को जैसे ही अपनी सलवार के नाड़े की पकड़, अपनी कमर पर ढीली होती महसूस हुई.. उसका दिल जोरों से धड़कनें लगा.. साँसें उखड़ने लगीं. और अगले ही पल उसकी साँसें मानो जैसे थम गई हों।

राजू ने अपना एक हाथ दीपा की सलवार के अन्दर डाल कर उसकी चूत की फांकों के बीच अपनी उँगलियों को चलाना शुरू कर दिया।

दीपा किसी बिन जल मछली के तरफ फड़फड़ाने लगी।

“उम्मह ओह्ह राजू नहीं ओह आह्ह.. से..इईईईईई राजूउऊउ छोड़ दो.. ये ठीक नहीं है कुछ हो जाएगा…ओह राजू..।”

पर दीपा की बातों और दलीलों का राजू पर कोई असर नहीं हो रहा था.. वो बुरी तरह से उसकी चूत को मसलते हुए.. अपनी उँगलियों को उसकी चूत की फांकों में घुमा रहा था। दीपा ने अब अपना बदन पूरा ढीला छोड़ दिया था।

जब राजू अपनी उँगलियों से दीपा की चूत के दाने को मसलता तो दीपा का पूरा बदन खड़े-खड़े झटके खाना लगता।

उसकी चूत से कामरस बह कर राजू की उँगलियों में सनने लगा…। दीपा की मदहोशी भरी ‘आहें’ राजू को और पागल बना रही थीं।

तभी अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई.. तो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए और जल्दी से अलग हो गए। दीपा जल्दी से बिस्तर पर करवट के बल लेट गई… और उसने अपनी पीठ दरवाजे की और कर ली…।

राजू ने अपने कपड़े दुरुस्त किए और एक बार दीपा को देखा.. और फिर दरवाजा खोला.. तो सामने सीमा खड़ी थी।

“वो राजू ज़रा काम था मेरे साथ चलना.. ”

राजू ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया.. और सीमा के साथ बाहर चला गया।

राजू सीमा के साथ कमरे से बाहर चला गया। वो मन ही मन सीमा को कोस रहा था, पर नौकर था.. कर भी क्या सकता था।

सीमा का बताया हुआ काम निपटाने के बाद राजू फिर से कमरे की ओर चला गया। राजू का मन कह रहा था कि अब दीपा उसे कुछ नहीं करने देगी।

जैसे ही राजू कमरे में दाखिल हुआ.. तो उसने देखा कि दीपा अभी भी वैसे ही करवट के बल लेती हुई थी।

राजू के क़दमों की आहट सुन कर दीपा ने वैसे ही लेटे-लेटे.. अपने चेहरे को घुमा कर दरवाजे की तरफ देखा और उसकी नज़रें राजू की नज़रों से जा टकराईं।

दीपा उससे आँख नहीं मिला पाई और उसने फिर से अपना चेहरा आगे की तरफ घुमा लिया। राजू के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई… उसने दरवाजे को अन्दर से बन्द किया और बिस्तर पर करवट के बल आकर लेट गया।

वो धीरे खिसक कर दीपा के साथ एकदम से सट गया। राजू के बदन को अपने पीठ पर महसूस करते ही.. दीपा की साँसें एक बार फिर से तेज हो गईं।

राजू का तना हुआ लण्ड दीपा के चूतड़ों की गोलाइयों पर रगड़ खा रहा था.. जिसे महसूस करते ही दीपा के पूरे बदन में बिजली सी कौंध गई। उसने अपने हाथों से चादर को दबोच लिया… और उसके मुँह से मस्ती भरी ‘आह’ निकल गई।

राजू ने अपना एक हाथ आगे ले जाकर दीपा के पेट पर रख कर धीरे-धीरे घुमाना शुरू कर दिया। राजू के हाथ की ताल पर दीपा का पूरा बदन थरथराने लगा और राजू उसके पेट को अपने हाथों से सहलाते हुए.. धीरे-धीरे फिर से सलवार के नाड़े की तरफ बढ़ने लगा… और साथ ही उसने अपने दहकते हुए होंठों को दीपा की गर्दन पर लगा दिए।

“आह्ह.. राजू सी”

दीपा एकदम से सिसक उठी.. जैसे ही राजू का हाथ दीपा की सलवार के इजारबन्द तक पहुँचा.. तो राजू एकदम से दंग रह गया। दीपा की सलवार का नाड़ा अभी भी खुला था और उसकी सलवार उसकी कमर पर एकदम से ढीली थी। ये महसूस करते ही.. राजू का लण्ड एकदम से फुंफकार उठा।

राजू ने दीपा की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ घुमाते हुए.. पीठ के बल लिटा दिया।

अब उसकी आँखों के सामने दीपा आँखें बंद किए हुए तेजी से साँसें लें रही थी। वासना के कारण उसका पूरा चेहरा लाल होकर दहक रहा था.. उसकी गुंदाज चूचियां उसके साँस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थीं।

ये सब देख कर राजू मानो जैसे पागल हो गया। उसने दीपा की कमीज़ को नीचे से पकड़ क़र एक झटके से ऊपर उठा दिया।

दीपा की 32 साइज़ की चूचियाँ उछल कर बाहर आ गईं। दीपा अपनी साँसें थामे.. आने वाले पलों का इंतजार कर रही थी। उसने अपने दोनों हाथों से अपने सर के नीचे रखे तकिए को दबोच रखा था..।

उसके गुलाबी रंग के चूचुक जो एकदम तने हुए थे। उन्हें देखते ही राजू का लण्ड पजामे में झटके खाते हुए बाहर को आने को उतावला होने लगा।

राजू ने अपने पजामे के नाड़े को खोल कर पजामे को निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया और खुद दीपा के ऊपर झुक कर उसकी चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा। अपने चूचुकों पर राजू की जीभ को महसूस करते ही.. दीपा एकदम से सिहर उठी।

उसने अपने होंठों को दाँतों में भींचते हुए मादक आवाज़ें निकालना शुरू कर दिया और अपने सर के नीचे रखे तकिए को और ज़ोर से अपने हाथों में लेकर दाबना शुरू कर दिया।

“ओह्ह सी.. इईईई राजू आह्ह.. मुझे मुझे कुछ हो रहा है.. ओह बसस्स्स्सस्स करूँऊ.. आह्ह.. राजूऊ..”

राजू ने अपने मुँह को उसके चूचुक से हटाया और दीपा के चेहरे की ओर देखते हुए बोला। “क्या हो रहा है.. दीपा जी.. अच्छा नहीं लग रहा क्या.. बोलो मज़ा आ रहा है ना..?”

एक बार फिर से राजू ने दीपा के चूचुक को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया। दीपा का बदन एक बार फिर से तरतरा उठा। पूरे बदन में मस्ती और वासना की लहरें दौड़ गई ..।

दीपा- सी.. राजूऊऊ बसस्स.. नहीं ओह.. राजूऊ बहुत अच्छा लग रहा हैई.. ओह मुझे क्या हो रहा है ओह अह..इईईईई ओह्ह..।

दीपा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी.. नीचे राजू का तना हुआ लण्ड अब उसकी चूत के ऊपर और नाभि के नीचे पेट पर रगड़ खा रहा था। राजू ने दीपा के चूचुकों को चूसते हुए.. अपने दोनों हाथों को नीचे ले जाकर दीपा की सलवार को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे सरकाना शुरू कर दिया।

दीपा की सलवार उसके चूतड़ों से अटकती हुई, नीचे सरक गई और जैसे ही उसकी सलवार उसकी जाँघों तक आई.. राजू घुटनों के बल सीधा बैठ गया और उसकी सलवार को उसके पैरों से निकाल कर बिस्तर की तरफ रख दिया।

अब दीपा के बदन पर सिर्फ़ कमीज़ ही थी… जो उसकी चूचियों के ऊपर तक चढ़ी हुई थी।

जैसे ही दीपा के बदन से उसकी सलवार अलग हुई.. दीपा ने शर्मा कर अपनी जाँघों को भींच लिया।

उसके दोनों टाँगें घुटनों से मुड़ी हुई थीं और टाँगों के आपस में सटे होने के कारण दीपा की चूत की फांकों की पतली सी लकीर नीचे से साफ़ नज़र आ रही थी।

राजू ने दीपा के टाँगों को पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया.. जिससे दीपा की गोल गाण्ड बिस्तर से थोड़ा सा ऊपर उठ गई और अब दीपा की चूत की फांकों की लकीर राजू के सामने बहुत ही कामुक नज़ारा पेश कर रही थी।

राजू को अपने लण्ड के नसों में खून का बहाव और तेज होता महसूस हो रहा था। उसने दीपा की जाँघों के नीचे वाले हिस्सों को चूमते हुए। अपनी एक ऊँगली को दीपा की चूत की फांकों में आहिस्ता से घुमा दिया।

“आह.. राजूउऊउउ मुझे अब सहन नहीं हो रहा है..।” दीपा एकदम से सिसक उठी।

अब राजू एक पल के लिए भी देर नहीं करना चाहता था.. उसने धीरे-धीरे उसकी टाँगों को अपने कंधे से नीचे उतारा और उसके आपस में सटी हुई जाँघों को धीरे-धीरे खोलना शुरू कर दिया।

दीपा अपनी चूत को राजू से छुपाए रखने के लिए अपनी जाँघों को भींचने में ज़ोर लगा रही थी.. पर अब बहुत देर हो चुकी थी..।
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RE: गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार - by Starocks - 07-01-2019, 12:04 PM



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