06-08-2019, 08:38 AM
(This post was last modified: 03-12-2020, 12:25 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
नया दिन
मम्मी और मैं एक दूसरे को पकड़ के सो गए ,रात भर के जगे ,थके थे हम दोनों।
हाँ लेकिन सोने के पहले मम्मी और मैं भी ,
उनको 'बेड टी ' पिलाना नहीं भूलीं , सुनहली किरणों के साथ ,...छरर छर्र ,घल घल
दो कप।
और उनके चेहरे की ख़ुशी देखते बनती थी।
मैं और मम्मी तो सो गए लेकिन उनके जिम्मे काम बाकी था।
मंजू बाई अभी छुट्टी पर थी ,आज दोपहर को आने वाली थी।
बर्तन , झाड़ू पोंछा ,... ऊपर से मम्मी ने बोला था की ब्रेकफास्ट बना के ,खाने की तैयारी कर के ही उन्हें जगाये वो।
एक नया दिन शुरू हो गया।
मंजूबाई को आज भी नहीं आना था।
सुबह से सारा काम , झाडु पोंछा ,बरतन ,डस्टिंग , नाश्ता , खाने की पूरी तैयारी , और ऊपर से उन्हें मालूम था की मम्मी कितनी परफेक्शनिस्ट हैं ,अगर कहीं धूल का एक कण भी दिखाई दे गया न तो बस उनकी मां बहन सब एक कर देंगीं।
दस बजे हम कब बस उठ ही रहे थे ,वो बेड टी लेकर हाजिर हुए।
पहले उन्होंने खिड़की का पर्दा खोला , सावन की मुलायम धूप का एक टुकड़ा गुनगुनाता खिड़की से दाखिल हुआ। और मम्मी अंगड़ाई लेकर उठीं।
मम्मी ,... स्लीवलेस ,आलमोस्ट ट्रांसपैरेंट सिल्कन गुलाबी नाइटी , ...
जो अंगड़ाई ली उन्होंने तो उनकी गोरी गोरी मांसल बाहें ,और अंगड़ाई लेते ही उनकी काँखे , जैसे तीन दिन की बढ़ी हुयी काली काली रोमावली , काँखों में.
उनकी आँखे तो बस वहीँ चिपकी हुयी थीं।
और मेरी और मम्मी की आँखे उनके ,.. कल रात का गुलाबी साटिन पेटीकोट अभी भी उन्होंने पहन रखा था ,
और खूँटा पुरे बित्ते भर तना हुआ ,...
हम दोनों तो तीन तीन बार झड़े थे ,पर वो बिचारे भूखे प्यासे , और वो जा रात में खड़ा हुआ था तब से अभी तक ,...
मम्मी ने उनकी ओर अपने पैर बढ़ा के हलके से बोला ,
चप्पले।
गोरा गोरा तलवा महावर लगा , स्कारलेट कलर के नाख़ून , घँघरु वाले बिछुए ,चांदी की रुनझुन करती माँसल पिंडलियों से लिपटी पायल
खुद झुक के उन्होंने मम्मी के पैरों में चप्पल पहनाई।
और मम्मी भी न बस जैसे जाने अनजाने उनके पैर ने हलके से उनके खड़े खूंटे को सहला दिया।
और फिर जैसे अपने आप , झुक के उन्होंने स्कारलेट रेड नाखूनों को ,उनके पैरों को चूम लिया।
मम्मी मुस्करायी और अपने पैर ऐसे उठाये की स्लीपर का निचला हिस्सा उनके होंठों के सामने , ...
कुछ बोलना नहीं पड़ा , उन्होंने स्लीपर को भी चूम लिया और फिर मम्मी की एड़ी।
मम्मी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया ,पकड़ के उन्होंने मम्मी को बेड पर से उठा लिया और फिर कमरे से जुड़े बाथरूम में ,
बड़ी कर्टसी से उन्होंने बाथरूम का दरवाजा खोला। मम्मी अंदर गयी ,लेकिन दरवाजा मम्मी ने उठंगाये ही रखा, अंदर से।
और जब वो बाहर आयीं तो फर्श पे बैठ के बड़ी स्टाइल से झुक के उन्होंने चाय हम लोगों के प्याले में ढाली ,ब्रेकफास्ट के लिए पूछा।
लेकिन उसके बावजूद मम्मी ने टोंक ही दिया, उनके पेटीकोट की ओर इशारा करते हुए
" ये रात के लिए तो ठीक था लेकिन दिन में काम करते समय ,... मैं ले आयी थी न "
और उन्होंने इशारा समझ लिया।
ब्रेकफास्ट टेबल पर उन्होंने एक साडी ,जो माम ले आयी थीं ,
उनकी पहनी हुयी ,जो पहन पहन के उनकी देह से रगड़ के घिस गयी थी , वो ,... लुंगी ऐसे ,..
ब्रेकफास्ट एकदम गरम , कार्नफ्लेक्स ,दूध , आमलेट ,बटर्ड टोस्ट , फ्रेश फ्रूट्स , मैंगो जूस।
टेबल सिर्फ दो लोगों के लिए लगी थी लेकिन मम्मी ने उन्हें भी खींच के अपने बगल में बैठा लिया और अपनी प्लेट से ही,
और जैसे ही टेबल साफ कर के वो फ्री हुए ,मम्मी ने उन्हें बुलाया और उसी टेबल को पकड़ कर झुकने का इशारा किया ,
और उनकी लुंगी बनी साडी उठा दी।
हम दोनों मुस्करा उठे , साडी के अंदर मम्मी की उतारी हुयी पैंटी , जो कल हम लोगों ने उनके मुंह में ठुंसी थी ,
और नितम्बो पर रात के सारे निशान ,गुलाब के फूल ,अभी भी एकदम लाल लाल।
मम्मी ने प्यार से एक हाथ जोर से ,फिर से जड़ दिया और बोलीं ,
" काम ख़तम कर के जल्दी आना ,तुझे कुछ घर के काम सिखाने हैं। "
मम्मी और मैं एक दूसरे को पकड़ के सो गए ,रात भर के जगे ,थके थे हम दोनों।
हाँ लेकिन सोने के पहले मम्मी और मैं भी ,
उनको 'बेड टी ' पिलाना नहीं भूलीं , सुनहली किरणों के साथ ,...छरर छर्र ,घल घल
दो कप।
और उनके चेहरे की ख़ुशी देखते बनती थी।
मैं और मम्मी तो सो गए लेकिन उनके जिम्मे काम बाकी था।
मंजू बाई अभी छुट्टी पर थी ,आज दोपहर को आने वाली थी।
बर्तन , झाड़ू पोंछा ,... ऊपर से मम्मी ने बोला था की ब्रेकफास्ट बना के ,खाने की तैयारी कर के ही उन्हें जगाये वो।
एक नया दिन शुरू हो गया।
मंजूबाई को आज भी नहीं आना था।
सुबह से सारा काम , झाडु पोंछा ,बरतन ,डस्टिंग , नाश्ता , खाने की पूरी तैयारी , और ऊपर से उन्हें मालूम था की मम्मी कितनी परफेक्शनिस्ट हैं ,अगर कहीं धूल का एक कण भी दिखाई दे गया न तो बस उनकी मां बहन सब एक कर देंगीं।
दस बजे हम कब बस उठ ही रहे थे ,वो बेड टी लेकर हाजिर हुए।
पहले उन्होंने खिड़की का पर्दा खोला , सावन की मुलायम धूप का एक टुकड़ा गुनगुनाता खिड़की से दाखिल हुआ। और मम्मी अंगड़ाई लेकर उठीं।
मम्मी ,... स्लीवलेस ,आलमोस्ट ट्रांसपैरेंट सिल्कन गुलाबी नाइटी , ...
जो अंगड़ाई ली उन्होंने तो उनकी गोरी गोरी मांसल बाहें ,और अंगड़ाई लेते ही उनकी काँखे , जैसे तीन दिन की बढ़ी हुयी काली काली रोमावली , काँखों में.
उनकी आँखे तो बस वहीँ चिपकी हुयी थीं।
और मेरी और मम्मी की आँखे उनके ,.. कल रात का गुलाबी साटिन पेटीकोट अभी भी उन्होंने पहन रखा था ,
और खूँटा पुरे बित्ते भर तना हुआ ,...
हम दोनों तो तीन तीन बार झड़े थे ,पर वो बिचारे भूखे प्यासे , और वो जा रात में खड़ा हुआ था तब से अभी तक ,...
मम्मी ने उनकी ओर अपने पैर बढ़ा के हलके से बोला ,
चप्पले।
गोरा गोरा तलवा महावर लगा , स्कारलेट कलर के नाख़ून , घँघरु वाले बिछुए ,चांदी की रुनझुन करती माँसल पिंडलियों से लिपटी पायल
खुद झुक के उन्होंने मम्मी के पैरों में चप्पल पहनाई।
और मम्मी भी न बस जैसे जाने अनजाने उनके पैर ने हलके से उनके खड़े खूंटे को सहला दिया।
और फिर जैसे अपने आप , झुक के उन्होंने स्कारलेट रेड नाखूनों को ,उनके पैरों को चूम लिया।
मम्मी मुस्करायी और अपने पैर ऐसे उठाये की स्लीपर का निचला हिस्सा उनके होंठों के सामने , ...
कुछ बोलना नहीं पड़ा , उन्होंने स्लीपर को भी चूम लिया और फिर मम्मी की एड़ी।
मम्मी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया ,पकड़ के उन्होंने मम्मी को बेड पर से उठा लिया और फिर कमरे से जुड़े बाथरूम में ,
बड़ी कर्टसी से उन्होंने बाथरूम का दरवाजा खोला। मम्मी अंदर गयी ,लेकिन दरवाजा मम्मी ने उठंगाये ही रखा, अंदर से।
और जब वो बाहर आयीं तो फर्श पे बैठ के बड़ी स्टाइल से झुक के उन्होंने चाय हम लोगों के प्याले में ढाली ,ब्रेकफास्ट के लिए पूछा।
लेकिन उसके बावजूद मम्मी ने टोंक ही दिया, उनके पेटीकोट की ओर इशारा करते हुए
" ये रात के लिए तो ठीक था लेकिन दिन में काम करते समय ,... मैं ले आयी थी न "
और उन्होंने इशारा समझ लिया।
ब्रेकफास्ट टेबल पर उन्होंने एक साडी ,जो माम ले आयी थीं ,
उनकी पहनी हुयी ,जो पहन पहन के उनकी देह से रगड़ के घिस गयी थी , वो ,... लुंगी ऐसे ,..
ब्रेकफास्ट एकदम गरम , कार्नफ्लेक्स ,दूध , आमलेट ,बटर्ड टोस्ट , फ्रेश फ्रूट्स , मैंगो जूस।
टेबल सिर्फ दो लोगों के लिए लगी थी लेकिन मम्मी ने उन्हें भी खींच के अपने बगल में बैठा लिया और अपनी प्लेट से ही,
और जैसे ही टेबल साफ कर के वो फ्री हुए ,मम्मी ने उन्हें बुलाया और उसी टेबल को पकड़ कर झुकने का इशारा किया ,
और उनकी लुंगी बनी साडी उठा दी।
हम दोनों मुस्करा उठे , साडी के अंदर मम्मी की उतारी हुयी पैंटी , जो कल हम लोगों ने उनके मुंह में ठुंसी थी ,
और नितम्बो पर रात के सारे निशान ,गुलाब के फूल ,अभी भी एकदम लाल लाल।
मम्मी ने प्यार से एक हाथ जोर से ,फिर से जड़ दिया और बोलीं ,
" काम ख़तम कर के जल्दी आना ,तुझे कुछ घर के काम सिखाने हैं। "