07-01-2019, 12:00 PM
Part - 20
आज काफी अच्छी नींद आयी, पूरी रात बस रीना भाभी को याद करता रहा और मुठ मरता रहा, मेरी किस्मत भी अजीब है जब मिलती है तो दिन में दो तीन चूत मिल जाती है और नहीं तो साला हाथ से काम चलाना पड़ता है, और आज रात वैसे ही कटी,
सुबह समय से उठ कर नहा धो कर ऑफिस के लिए निकल रहा था,
माँ बोली “नाश्ता करके जा, बहु ने स्पेशल बनाया है”
तभी दूसरी तरफ से रीना भाभी आ रही थी, आज पहली बार मैं उनको एक औरत के रूप में देख रहा था जिसका पति दुबई में था और वो लगभग 1 साल से लंड के लिए तड़प रही थी,
रीना भाभी बोली “आ जाओ देवर जी, आपके लिए स्पेशल है, देसी घी में बनाया है, आपको बड़ी मेहनत करनी पड़ती है न”
मैं बोला “ सो तो है भाभी”
रीना भाभी की आँखों में देखा तो लगा की वासना के डोरे तैर रहे है और ये अभी मुझसे चुदाई के लिए कहने लगेगी,
लेकिन एक भारतीय नारी इतनी आसानी से अपने देवर से कैसे कह सकती है, लाज शर्म की बेड़ियाँ जो होती है, अगर कोई औरत इन बेड़ियों को तोड़ दे तो मजा भरपूर ले सकती है लेकिन साथ ही साथ समाज की नजरों से गिर जाती है, इसलिए जो भी हो घर में तो सबसे बढ़िया है, और शायद यही रीना भाभी सोच रही थी, इसलिए उन्होंने मुझपर मेहरबानियाँ शुरू कर दी थी,
फिर इधर उधर की बात करते हुवे नाश्ता खाके मैं ऑफिस की तरफ चला गया, और ये सोचते हुवे जा रहा था, “कि आज शाम को क्या होने वाला है” रीना भाभी किस तरह से मुझे रिझायेंगी”??
ऑफिस में आज बहुत चहल पहल थी, सप्ताह का पहला दिन था,
उसका पहला कारण था, महीने के कुछ आखिरी दिन चल रहे थे, इसी वजह से सेल्स टीम पर दबाव था और मैं तो सेल टीम का ही एक हिस्सा था, मेरा टारगेट पूरा था और पूरा क्या टारगेट से कुछ अधिक ही था,
दूसरा कारण था हमारी नए सहकर्मी रश्मि, जिसने आज ही हमारी टीम ज्वाइन की थी, मैं सीधा अपने चैम्बर में गया,
और अपने काम में लग गया, रश्मि मेरे चैम्बर के दरवाजे पर आयी, मैं सर झुकाए मेरा काम कर रहा था,
रश्मि “ क्या मैं अन्दर आ सकती हु सर ?”
मैं सर उठा कर उसकी तरफ देखते हुवे बोला “ जी आइये” आप कौन?
रश्मि “मेरा नाम रश्मि है और मैंने आज ही ऑफिस ज्वाइन किया है”
मैं “टीम में आपका स्वागत है” आइये बेठिये न खड़ी क्यों है’
रश्मि “धन्यवाद सर”
मैं “देखो रश्मि सब लोग मुझे यहाँ पर सन्नी बुलाते आप भी कृपया मुझे मेरे नाम से बुलाये, सर काफी अटपटा लगता है,
रश्मि “ठीक है सर”
मैं “ फिर से सर “
और फिर दोनों हंस पड़ते है,
थोड़ी देर काम की बात करते हुवे हम लोगों ने चाय मेरे केबिन में माँगा ली, चाय पी के वो चली गयी अपनी डेस्क पर,
पूरा दिन ऑफिस के काम में ही निकल गया, बीच में माँ का फोन भी आया, आते समय बाजार से कुछ लाने के लिए बोला था,
शाम को घर जाने के लिए ऑफिस से निकला तो देखा की रश्मि ऑफिस की बिल्डिंग के दरवाजे पर खडी है
मैं “अरे क्या हुवा, आप घर नहीं जा रही क्या?
रश्मि “नहीं मैं वो अपने पति का इंतज़ार कर रही थी, हम लोग इस शहर में कल ही शिफ्ट हुवे है, अभी हम लोग एक रिश्तेदार के यहाँ रुके है, आज अब हम लोग हमारे के एक घर देखने के लिए जायेंगे किराये से,
उसने जब ये कहा की वो उसके पति का इंतज़ार कर रही है तो मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा,
मैं थोड़े अनमने ढंग से बोला “बेस्ट ऑ लक” कुछ जरूरत हो तो बताना, मेरा घर यही पास में ही है”
रश्मि “ठीक है”
फिर मैं वहाँ से बाजार गया माँ के लिए कुछ सामान लिया और मेरे घर आ गया,
देखा मेरी बहन अनीता आयी हुई है और रीना भाभी कही जाने की तैयारी कर रही है, रीना भाभी का भाई आया हुवा था उन्हें लिवाने के लिए, मैं उनके भाई से मिलते हुवे
मैं “अरे आप, कब आये, सब कुशल मंगल तो है न,
भाभी का भाई “हाँ जी सब बढ़िया है, वो मेरी मौसी की लड़की की शादी है इसलिए रीना को लिवाने के लिए आया था”
मैं सोचा “आज ये हो क्या रहा है? रश्मि का पति है जब की वो कुंवारी लग रही थी, उसपे कुछ करने की सोच रहा था और सोच रहा था की आज शायद रीना भाभी, लेकिन ये भी जा रही है, आज का दिन ही ख़राब है साला, मूड ऑफ हो गया,
फिर मैं वही बैठ के उनसे बात करने लगा,
आप लोग ये सोच रही होंगे कि घर में सब की बात होती है लेकिन मेरे पिताजी के बारे में नहीं होती तो आप को बता दू कि वो धार्मिक क़िस्म के व्यक्ति है इसलिए हमेशा पूजा पाठ में ही रहते है और घर का पूरा जिम्मा मेरी माँ को दिया हुवा है”
खाना खाके वो लोग रीना भाभी को ले के चले गए
उनके जाने के बाद मैं भी कपडे बदल कर कामिनी की दुकान की तरफ चला गया,
राज और श्याम दोनों ही अभी तक नहीं आये थी,
श्याम को फोन करने पर पता चला की वो भी कही व्यस्त है,
लेकिन राज वो तो आ गया था लेकिन अब कहा व्यस्त है, साला रजनी के साथ चुदाई में व्यस्त होगा,
कामिनी दुकान के काम में व्यस्त थी, उसने तो आज देखा भी नहीं, साला ये KLPD मेरे साथ ही क्यों हो रहा है,
फिर ये सोच कर सिगरेट पीते पीते राज के घर गया की देखता हु साला कर क्या रहा है, उनके घर पहुँच कर तो देखा राकेश जी (नीतू के पति) आये हुवे है और राज के साथ बैठ कर खाना खा रहे है”
उनको देखते ही झटका सा लगा और ये सोचा “ये लो नीतू भी नहीं और राज आ गया तो रजनी भी नहीं,
राज “आजा भाई, खाना खाले,
मैं “ नहीं यार खाके आया हु,
राकेश जी “आइये न खाइए हमारे साथ”
मैं मन ही मन सोच रहा था कि “सालो साथ ही खिलाना है अपनी बीवी के साथ खिलावो”
मैंने फिर मना कर दिया”
नीतू और रजनी शायद मेरी हालत समझ रही थी”
नीतू “मैं बताती हु, इसकी तबीयत थोड़ी ख़राब है, परसों रात को जब ये यहाँ हमारे घर सोया था तब से खराब है, परसों रात को तो मैंने इसको दवाई दी थी और कल भी दिन में रजनी भाभी से दवाई ले के गया, फिर भी लगता तबीयत सही हुई नहीं अभी तक,” और मेरी तरफ आँख मार दी
मैं “हाँ नीतू दी, जब तक दवाई का असर रहता है तब तक सही है, लेकिन जैसे ही असर उतरता है और दवाई की जरूरत महसूस होने लगती है”
रजनी “तो फिर किसी अच्छे से डाक्टर को दिखाओ”
मैं “सोचा तो कुछ ऐसा ही था की हमारे फॅमिली डाक्टर को दिखा दू लेकिन वो आज किसी शादी की वजह से शहर से बाहर चली गयी”
रजनी इस बात को समझ गयी कि मैं रीना भाभी की बात कर रहा हु तो वो बोली “अरे हाँ उनका फोन आया था मुझे” मेरा भी चेकअप का अपोइन्टमेट कैंसिल कर दिया था उन्होंने “
राज “तो भाई जाके आराम कर और बता देना अगर कुछ जरूरत हो तो”
मैं उन सब को बाय बोलता हुवा फिर कामिनी की दुकान पर आ गया, उस वक़्त कामिनी पैसो का हिसाब जोड़ रही थी,
मैं “ओ हो बड़े पैसे गिने जा रहे है” मैं भी थोड़ी सहायता कर दू??”
कामिनी “सहायता नहीं पूरा काम तुझ से ही करवाऊंगी पर आज सिग्नल रेड है”
मैं फिर से अपनी किस्मत को कोसते हुवे अपने घर की तरफ आ रहा था, जैसे ही सुमन आंटी के घर के सामने से गुजरा तो देखा की उनके घर कुछ उठा पटक की आवाज आ रही है, शायद सामान इधर उधर करने की,
तभी एक आदमी बाहर आया और बाहर कड़ी टेम्पो में बैठ कर चला गया, उसके जाने के तुरंत बाद सुमन आंटी आयी दरवाजा बंद करने”
सुमन आंटी मुझे देखते हुवे “अरे सन्नी कहा चला गया था इतने दिन, उस दिन के बाद आज दिखाई दिया है (उसस दिन मतलब जिस दिन उनकी चुदाई की थी)
मैं “वो थोडा का कम में व्यस्त था” कहो तो आज आ जाऊँ”
सुमन आंटी थोडा मायूस होकर बोली “दिल में तो बहुत है पर आज नहीं वो सुरेश था न किरायेदार जो उपर वाले कमरे में रहता था, वो चला गया था मकान खाली, करके उसकी जगह नए किरायेदार आये है”
मैं “साला आज मेरा बेडलक ही ख़राब है” और मायूस होकर अपने घर आ गया,
अब जब शेर के मुंह खून लगा जाये और उसको शिकार न मिले तब उसे चैन नहीं आता, और वही हालत मेरी थी, लेकिन किया भी क्या जा सकता है,
यही सोच कर मोबाइल में पोर्न विडियो देखने लगा, फिर मन नहीं लग रहा था, क्या करू,?
थोड़ी देर ऐसे ही सोचते सोचते सिगरेट लेके छत पर चला गया, सिगरेट पीते पीते देखा की सुमन आंटी के नए किरायेदार के कमरे (वो कमरा छत पर था) से खिल खिलाने की आवाज आ रही थी और साथ ही सिस्करियो की,
मुझे लगा क्या ये सुमन आंटी ने आते ही नए किरायेदार को फंसा लिया,
ये सोच कर कि अंदर कौन है और क्या चल रहा है देखता हु, मैं उनकी छत पर आ गया,
अन्दर झाकं कर देखा तो ये क्या” ये तो रश्मि है” वही जिसने आज मेरे ऑफिस में ज्वाइन किया था,
और वो अपने पति से चुदवा रही थी
आआह्ह्ह.. आआह्ह्ह.. चिल्लाते हुए रश्मि अपनी गांड उछाल रही थी.
आज रश्मि का जोश सातवें आसमान पे था और पंकज भी उसे चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था. वो बस अपनी बीवी को रगड़ कर चोदना चाहता था.
रश्मि ने बताया की उसकी शादी को 5 साल हो गए थे.
देख के लगा रहा था की उनकी सेक्स लाइफ शुरू से ही अच्छी होगी,
पंकज “रश्मि पिछले 1 साल में तुम्हारी वासना बढ़ने लगी है, हालाँकि मुझको भी इससे कोई शिकायत नहीं है,
रश्मि को चुदाई देखते हुए मेरी नज़र रश्मि के चूचों पे पड़ी. रश्मि के 36C के भारी भारी मम्मे पंकज के हर धक्के से ताल से ताल मिला रहे थे.
26 साल की उम्र में भी रश्मि ने खुद को फिट कर रखा था. उसका 36-28-34 का फिगर किसी को भी पागल करने के लिए काफी था.
बेड के कोने पे लेटी रश्मि ने अपनी टांगें पंकज की कमर में डाल रखी थीं. पंकज बेड के नीचे खड़ा हुआ रश्मि की चुत में अपना लंड अन्दर बाहर.. अन्दर बाहर कर रहा था.
पंकज शायद जान गया होगा था कि रश्मि किसी भी पल झड़ सकती है और पंकज भी झड़ने ही वाला था.
पंकज ने झुक कर रश्मि का एक निप्पल मुँह में ले लिया और दूसरे को मरोड़ने लगा. पंकज के झुकने से उसके लंड के ऊपर का हिस्सा रश्मि की चूत के दाने को रगड़ने लगा.
उससे ऐसा करते देख मेरी भी हालत खराब हो रही थी और कब मैंने मेरा लंड बाहर निकल कर मुठ मारने लगा पता भी नहीं चला,
अपने दाने और मम्मे पर हुए इस हमले से रश्मि पिघलने लगी "आआह्ह्हह आआआअह्ह्ह. और जोर से पंकज.. जोर से चोदो.. चूस लो मेरे मम्मों को.. आह.. और जोर से डालो.. आआह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह…"
इसी वक्त अपनी कमर उठाते हुए रश्मि झड़ने लगी. पंकज भी रश्मि की चुत की गर्मी सहन नहीं कर पाया और रश्मि की चुत में झड़ते हुए रश्मि के ऊपर गिर गया...
रश्मि को पंकज का भार अपने बदन पे अच्छा लग रहा था. दोनों हांफते हुए एक दूसरे से लिपट गए और नींद के आगोश में समा गए.
आज काफी अच्छी नींद आयी, पूरी रात बस रीना भाभी को याद करता रहा और मुठ मरता रहा, मेरी किस्मत भी अजीब है जब मिलती है तो दिन में दो तीन चूत मिल जाती है और नहीं तो साला हाथ से काम चलाना पड़ता है, और आज रात वैसे ही कटी,
सुबह समय से उठ कर नहा धो कर ऑफिस के लिए निकल रहा था,
माँ बोली “नाश्ता करके जा, बहु ने स्पेशल बनाया है”
तभी दूसरी तरफ से रीना भाभी आ रही थी, आज पहली बार मैं उनको एक औरत के रूप में देख रहा था जिसका पति दुबई में था और वो लगभग 1 साल से लंड के लिए तड़प रही थी,
रीना भाभी बोली “आ जाओ देवर जी, आपके लिए स्पेशल है, देसी घी में बनाया है, आपको बड़ी मेहनत करनी पड़ती है न”
मैं बोला “ सो तो है भाभी”
रीना भाभी की आँखों में देखा तो लगा की वासना के डोरे तैर रहे है और ये अभी मुझसे चुदाई के लिए कहने लगेगी,
लेकिन एक भारतीय नारी इतनी आसानी से अपने देवर से कैसे कह सकती है, लाज शर्म की बेड़ियाँ जो होती है, अगर कोई औरत इन बेड़ियों को तोड़ दे तो मजा भरपूर ले सकती है लेकिन साथ ही साथ समाज की नजरों से गिर जाती है, इसलिए जो भी हो घर में तो सबसे बढ़िया है, और शायद यही रीना भाभी सोच रही थी, इसलिए उन्होंने मुझपर मेहरबानियाँ शुरू कर दी थी,
फिर इधर उधर की बात करते हुवे नाश्ता खाके मैं ऑफिस की तरफ चला गया, और ये सोचते हुवे जा रहा था, “कि आज शाम को क्या होने वाला है” रीना भाभी किस तरह से मुझे रिझायेंगी”??
ऑफिस में आज बहुत चहल पहल थी, सप्ताह का पहला दिन था,
उसका पहला कारण था, महीने के कुछ आखिरी दिन चल रहे थे, इसी वजह से सेल्स टीम पर दबाव था और मैं तो सेल टीम का ही एक हिस्सा था, मेरा टारगेट पूरा था और पूरा क्या टारगेट से कुछ अधिक ही था,
दूसरा कारण था हमारी नए सहकर्मी रश्मि, जिसने आज ही हमारी टीम ज्वाइन की थी, मैं सीधा अपने चैम्बर में गया,
और अपने काम में लग गया, रश्मि मेरे चैम्बर के दरवाजे पर आयी, मैं सर झुकाए मेरा काम कर रहा था,
रश्मि “ क्या मैं अन्दर आ सकती हु सर ?”
मैं सर उठा कर उसकी तरफ देखते हुवे बोला “ जी आइये” आप कौन?
रश्मि “मेरा नाम रश्मि है और मैंने आज ही ऑफिस ज्वाइन किया है”
मैं “टीम में आपका स्वागत है” आइये बेठिये न खड़ी क्यों है’
रश्मि “धन्यवाद सर”
मैं “देखो रश्मि सब लोग मुझे यहाँ पर सन्नी बुलाते आप भी कृपया मुझे मेरे नाम से बुलाये, सर काफी अटपटा लगता है,
रश्मि “ठीक है सर”
मैं “ फिर से सर “
और फिर दोनों हंस पड़ते है,
थोड़ी देर काम की बात करते हुवे हम लोगों ने चाय मेरे केबिन में माँगा ली, चाय पी के वो चली गयी अपनी डेस्क पर,
पूरा दिन ऑफिस के काम में ही निकल गया, बीच में माँ का फोन भी आया, आते समय बाजार से कुछ लाने के लिए बोला था,
शाम को घर जाने के लिए ऑफिस से निकला तो देखा की रश्मि ऑफिस की बिल्डिंग के दरवाजे पर खडी है
मैं “अरे क्या हुवा, आप घर नहीं जा रही क्या?
रश्मि “नहीं मैं वो अपने पति का इंतज़ार कर रही थी, हम लोग इस शहर में कल ही शिफ्ट हुवे है, अभी हम लोग एक रिश्तेदार के यहाँ रुके है, आज अब हम लोग हमारे के एक घर देखने के लिए जायेंगे किराये से,
उसने जब ये कहा की वो उसके पति का इंतज़ार कर रही है तो मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा,
मैं थोड़े अनमने ढंग से बोला “बेस्ट ऑ लक” कुछ जरूरत हो तो बताना, मेरा घर यही पास में ही है”
रश्मि “ठीक है”
फिर मैं वहाँ से बाजार गया माँ के लिए कुछ सामान लिया और मेरे घर आ गया,
देखा मेरी बहन अनीता आयी हुई है और रीना भाभी कही जाने की तैयारी कर रही है, रीना भाभी का भाई आया हुवा था उन्हें लिवाने के लिए, मैं उनके भाई से मिलते हुवे
मैं “अरे आप, कब आये, सब कुशल मंगल तो है न,
भाभी का भाई “हाँ जी सब बढ़िया है, वो मेरी मौसी की लड़की की शादी है इसलिए रीना को लिवाने के लिए आया था”
मैं सोचा “आज ये हो क्या रहा है? रश्मि का पति है जब की वो कुंवारी लग रही थी, उसपे कुछ करने की सोच रहा था और सोच रहा था की आज शायद रीना भाभी, लेकिन ये भी जा रही है, आज का दिन ही ख़राब है साला, मूड ऑफ हो गया,
फिर मैं वही बैठ के उनसे बात करने लगा,
आप लोग ये सोच रही होंगे कि घर में सब की बात होती है लेकिन मेरे पिताजी के बारे में नहीं होती तो आप को बता दू कि वो धार्मिक क़िस्म के व्यक्ति है इसलिए हमेशा पूजा पाठ में ही रहते है और घर का पूरा जिम्मा मेरी माँ को दिया हुवा है”
खाना खाके वो लोग रीना भाभी को ले के चले गए
उनके जाने के बाद मैं भी कपडे बदल कर कामिनी की दुकान की तरफ चला गया,
राज और श्याम दोनों ही अभी तक नहीं आये थी,
श्याम को फोन करने पर पता चला की वो भी कही व्यस्त है,
लेकिन राज वो तो आ गया था लेकिन अब कहा व्यस्त है, साला रजनी के साथ चुदाई में व्यस्त होगा,
कामिनी दुकान के काम में व्यस्त थी, उसने तो आज देखा भी नहीं, साला ये KLPD मेरे साथ ही क्यों हो रहा है,
फिर ये सोच कर सिगरेट पीते पीते राज के घर गया की देखता हु साला कर क्या रहा है, उनके घर पहुँच कर तो देखा राकेश जी (नीतू के पति) आये हुवे है और राज के साथ बैठ कर खाना खा रहे है”
उनको देखते ही झटका सा लगा और ये सोचा “ये लो नीतू भी नहीं और राज आ गया तो रजनी भी नहीं,
राज “आजा भाई, खाना खाले,
मैं “ नहीं यार खाके आया हु,
राकेश जी “आइये न खाइए हमारे साथ”
मैं मन ही मन सोच रहा था कि “सालो साथ ही खिलाना है अपनी बीवी के साथ खिलावो”
मैंने फिर मना कर दिया”
नीतू और रजनी शायद मेरी हालत समझ रही थी”
नीतू “मैं बताती हु, इसकी तबीयत थोड़ी ख़राब है, परसों रात को जब ये यहाँ हमारे घर सोया था तब से खराब है, परसों रात को तो मैंने इसको दवाई दी थी और कल भी दिन में रजनी भाभी से दवाई ले के गया, फिर भी लगता तबीयत सही हुई नहीं अभी तक,” और मेरी तरफ आँख मार दी
मैं “हाँ नीतू दी, जब तक दवाई का असर रहता है तब तक सही है, लेकिन जैसे ही असर उतरता है और दवाई की जरूरत महसूस होने लगती है”
रजनी “तो फिर किसी अच्छे से डाक्टर को दिखाओ”
मैं “सोचा तो कुछ ऐसा ही था की हमारे फॅमिली डाक्टर को दिखा दू लेकिन वो आज किसी शादी की वजह से शहर से बाहर चली गयी”
रजनी इस बात को समझ गयी कि मैं रीना भाभी की बात कर रहा हु तो वो बोली “अरे हाँ उनका फोन आया था मुझे” मेरा भी चेकअप का अपोइन्टमेट कैंसिल कर दिया था उन्होंने “
राज “तो भाई जाके आराम कर और बता देना अगर कुछ जरूरत हो तो”
मैं उन सब को बाय बोलता हुवा फिर कामिनी की दुकान पर आ गया, उस वक़्त कामिनी पैसो का हिसाब जोड़ रही थी,
मैं “ओ हो बड़े पैसे गिने जा रहे है” मैं भी थोड़ी सहायता कर दू??”
कामिनी “सहायता नहीं पूरा काम तुझ से ही करवाऊंगी पर आज सिग्नल रेड है”
मैं फिर से अपनी किस्मत को कोसते हुवे अपने घर की तरफ आ रहा था, जैसे ही सुमन आंटी के घर के सामने से गुजरा तो देखा की उनके घर कुछ उठा पटक की आवाज आ रही है, शायद सामान इधर उधर करने की,
तभी एक आदमी बाहर आया और बाहर कड़ी टेम्पो में बैठ कर चला गया, उसके जाने के तुरंत बाद सुमन आंटी आयी दरवाजा बंद करने”
सुमन आंटी मुझे देखते हुवे “अरे सन्नी कहा चला गया था इतने दिन, उस दिन के बाद आज दिखाई दिया है (उसस दिन मतलब जिस दिन उनकी चुदाई की थी)
मैं “वो थोडा का कम में व्यस्त था” कहो तो आज आ जाऊँ”
सुमन आंटी थोडा मायूस होकर बोली “दिल में तो बहुत है पर आज नहीं वो सुरेश था न किरायेदार जो उपर वाले कमरे में रहता था, वो चला गया था मकान खाली, करके उसकी जगह नए किरायेदार आये है”
मैं “साला आज मेरा बेडलक ही ख़राब है” और मायूस होकर अपने घर आ गया,
अब जब शेर के मुंह खून लगा जाये और उसको शिकार न मिले तब उसे चैन नहीं आता, और वही हालत मेरी थी, लेकिन किया भी क्या जा सकता है,
यही सोच कर मोबाइल में पोर्न विडियो देखने लगा, फिर मन नहीं लग रहा था, क्या करू,?
थोड़ी देर ऐसे ही सोचते सोचते सिगरेट लेके छत पर चला गया, सिगरेट पीते पीते देखा की सुमन आंटी के नए किरायेदार के कमरे (वो कमरा छत पर था) से खिल खिलाने की आवाज आ रही थी और साथ ही सिस्करियो की,
मुझे लगा क्या ये सुमन आंटी ने आते ही नए किरायेदार को फंसा लिया,
ये सोच कर कि अंदर कौन है और क्या चल रहा है देखता हु, मैं उनकी छत पर आ गया,
अन्दर झाकं कर देखा तो ये क्या” ये तो रश्मि है” वही जिसने आज मेरे ऑफिस में ज्वाइन किया था,
और वो अपने पति से चुदवा रही थी
आआह्ह्ह.. आआह्ह्ह.. चिल्लाते हुए रश्मि अपनी गांड उछाल रही थी.
आज रश्मि का जोश सातवें आसमान पे था और पंकज भी उसे चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था. वो बस अपनी बीवी को रगड़ कर चोदना चाहता था.
रश्मि ने बताया की उसकी शादी को 5 साल हो गए थे.
देख के लगा रहा था की उनकी सेक्स लाइफ शुरू से ही अच्छी होगी,
पंकज “रश्मि पिछले 1 साल में तुम्हारी वासना बढ़ने लगी है, हालाँकि मुझको भी इससे कोई शिकायत नहीं है,
रश्मि को चुदाई देखते हुए मेरी नज़र रश्मि के चूचों पे पड़ी. रश्मि के 36C के भारी भारी मम्मे पंकज के हर धक्के से ताल से ताल मिला रहे थे.
26 साल की उम्र में भी रश्मि ने खुद को फिट कर रखा था. उसका 36-28-34 का फिगर किसी को भी पागल करने के लिए काफी था.
बेड के कोने पे लेटी रश्मि ने अपनी टांगें पंकज की कमर में डाल रखी थीं. पंकज बेड के नीचे खड़ा हुआ रश्मि की चुत में अपना लंड अन्दर बाहर.. अन्दर बाहर कर रहा था.
पंकज शायद जान गया होगा था कि रश्मि किसी भी पल झड़ सकती है और पंकज भी झड़ने ही वाला था.
पंकज ने झुक कर रश्मि का एक निप्पल मुँह में ले लिया और दूसरे को मरोड़ने लगा. पंकज के झुकने से उसके लंड के ऊपर का हिस्सा रश्मि की चूत के दाने को रगड़ने लगा.
उससे ऐसा करते देख मेरी भी हालत खराब हो रही थी और कब मैंने मेरा लंड बाहर निकल कर मुठ मारने लगा पता भी नहीं चला,
अपने दाने और मम्मे पर हुए इस हमले से रश्मि पिघलने लगी "आआह्ह्हह आआआअह्ह्ह. और जोर से पंकज.. जोर से चोदो.. चूस लो मेरे मम्मों को.. आह.. और जोर से डालो.. आआह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह…"
इसी वक्त अपनी कमर उठाते हुए रश्मि झड़ने लगी. पंकज भी रश्मि की चुत की गर्मी सहन नहीं कर पाया और रश्मि की चुत में झड़ते हुए रश्मि के ऊपर गिर गया...
रश्मि को पंकज का भार अपने बदन पे अच्छा लग रहा था. दोनों हांफते हुए एक दूसरे से लिपट गए और नींद के आगोश में समा गए.