06-08-2019, 04:23 AM
मैं अपने दीदी को पहले से ही लाइक करता था, और कई बार मैंने उनके जिस्म को सहलाया और चुचिया भी दबाया ये सब बात हो सकता है की दीदी को लगता था की ये सब गलती से हो गया होगा पर आज मैं आपसे कह रहा हु, मैं जान कर इस तरह की कामीणपंथी करता था, क्यों की मैं अपने बहन को चोदना चाहता था पर वो साली चुदने को तैयार ही नहीं होती थी, मैं बस मुठ मार कर ही काम चला लेता था, पर आज मेरा सपना हकीकत में बदल गया.
आज ही मेरी दीदी ससुराल से वापस आई थी, जैसा की मैंने कहा अगले सप्ताह ही मेरी बहन की शादी हुई थी पर रस्म के चलते ही उसे पांच दिन में वापस आना पड़ा, उस दिन मेरे गाँव का ट्रांसफार्मर खराब हो गया था इस वजह से लाइट नहीं थी, ज्यादा गर्मी होने की वजह से मैं छत पर खाना खाके लेता हुआ मैं मोबाइल से गाने सुन रहा था, और उसी दिन माँ और पापा दोनों बनारस पूजा करने गए थे क्यों की उनका मन्नत था, घर में मैं और मेरी बहन थी, कुछ देर बाद मेरी बहन छत पे आयी, उसकी पायल की आवाज सुनकर मैंने कहा दीदी आप भी छत पर ही सोओगे क्या? दीदी बोली हां कमल निचे बहुत ही गर्मी है, दीदी की काफी अच्छा डिओड्रेंट लगाई हुयी थी, और उनका चेहरा काफी खिला खिला लग रहा था जैसे नयी नवेली दुल्हन का लगता है, लाल लाल सूट में काफी सेक्सी लग रही थी, वो आकर मेरे बेड पर ही बैठ गयी, फिर मैंने पूछा दीदी क्या हाल है, कैसे लगे जीजाजी और आपका ससुराल, सुनते है काफी पैसे बाल है, घर में किसी चीज़ की कमी नहीं है, वो चुप हो गयी मैंने पूछा क्या बात है दीदी आप कुछ बोल नहीं रहे हो सब ठीक ठाक है ना? दीदी सिसकने लगी, मैं लेटा था उठकर बैठ गया, दीदी और रोने लगी मैंने हाथ पकड़ लिया छत पर अन्धेरा था, और मैंने कहा में आपका भाई और दोस्त दोनों हु अगर कोई प्रॉब्लम है तो मुझे बताओ मैं इसका समाधान करने की कोशिश करूंगा,
दीदी बोली की कमल क्या बताऊ तुझे तुम्हारे जीजाजी नामर्द है, उन्होंने मुझे छुआ तक नहीं, मेरी तो ज़िंदगी खराब हो गयी है, क्या करू समझ में नहीं आ रहा था मैं ये बात माँ पापा को भी नहीं बता सकता, मैं ये बात तुम्हे बता रही हु, और रोने लगी और मेरे गले से चिपक गयी, मैंने उसे हौसला दिया और कहा की कोई बात नहीं, मैं उनका इलाज करवाऊंगा, तो वो बोलने लगी कोई फायदा नहीं डॉक्टर ने कह दिया की उनका प्राइवेट पार्ट का नस ही नहीं हो, वो खड़ा नहीं हो सकता. वो काफी रो रही ही मैंने उसे धाडस बांधते हुए ना रोने की कसम दी फिर वो चुप हुई, वो बोली मैं आ रही हु कमल निचे से बिछावन लेकर मैं भी यही सो जाऊँगी तो मैंने कहा क्यों दीदी इसी बेड पे सो जाओ, वो मान गयी और हम दोनों एक ही बिछावन पे सो गए.
बात करते करते रात के करीब ११ बज गए था, धीरे धीरे हम दोनों करीब आ गए थे उनका एक पैर मेरे पैर के ऊपर था और बात चिट चल रही थी, फिर वो मेरे साइड घूम के सो गयी तो उनकी दोनों चुचिया मेरे में सट रहा था, मैं उसके पीठ को सहला रहा था उका ब्रेसियर का आकार और उभार को मैं महसूस कर रहा था, मैं उनके गदराये पीठ को सहलाते हुए मैं बात कर रहा था तभी वो बोली कमल क्या मैं एक बात कह सकती हु अगर तुम मेरी कसम खाओ की किसी से शेयर नहीं करोगे मैंने कहा नहीं दीदी बोलो मैं तुम्हारी कसम खता हु, ये राज राज ही रहेगा, दीदी बोली “क्या तुम मुझे सेक्स का आनंद दे सकते हु” मैंने कहा क्यों नहीं दीदी मैं आपसे पहले ही कह चुका हु आपके लिए कुछ भी करूंगा आप चिंता ना करो. मैंने उनको किश करना शुरू किया वो भी मुझे चूमने लगी फिर वो मेरे लुंगी के अंदर हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ ली और सोटने लगी, मैं उस उस उस आह आह आह करने लगा फिर मैंने दीदी के कपडे उतार दिए वो बोलने लगी चोद दे कमल मुझे चोद दे, मैं तुम्हारी ही होकर रह जाऊँगी, शादी शुदा होकर भी कुंवारी हु अभी तक मेरा सील नहीं टूटा है तू तोड़ दे, मैं चुद जाना चाहती हु, और वो मुझे कस के पकड़ ली और बोलने लगी जो करना है कर लो, मैं नहीं रोकूंगी.
आज ही मेरी दीदी ससुराल से वापस आई थी, जैसा की मैंने कहा अगले सप्ताह ही मेरी बहन की शादी हुई थी पर रस्म के चलते ही उसे पांच दिन में वापस आना पड़ा, उस दिन मेरे गाँव का ट्रांसफार्मर खराब हो गया था इस वजह से लाइट नहीं थी, ज्यादा गर्मी होने की वजह से मैं छत पर खाना खाके लेता हुआ मैं मोबाइल से गाने सुन रहा था, और उसी दिन माँ और पापा दोनों बनारस पूजा करने गए थे क्यों की उनका मन्नत था, घर में मैं और मेरी बहन थी, कुछ देर बाद मेरी बहन छत पे आयी, उसकी पायल की आवाज सुनकर मैंने कहा दीदी आप भी छत पर ही सोओगे क्या? दीदी बोली हां कमल निचे बहुत ही गर्मी है, दीदी की काफी अच्छा डिओड्रेंट लगाई हुयी थी, और उनका चेहरा काफी खिला खिला लग रहा था जैसे नयी नवेली दुल्हन का लगता है, लाल लाल सूट में काफी सेक्सी लग रही थी, वो आकर मेरे बेड पर ही बैठ गयी, फिर मैंने पूछा दीदी क्या हाल है, कैसे लगे जीजाजी और आपका ससुराल, सुनते है काफी पैसे बाल है, घर में किसी चीज़ की कमी नहीं है, वो चुप हो गयी मैंने पूछा क्या बात है दीदी आप कुछ बोल नहीं रहे हो सब ठीक ठाक है ना? दीदी सिसकने लगी, मैं लेटा था उठकर बैठ गया, दीदी और रोने लगी मैंने हाथ पकड़ लिया छत पर अन्धेरा था, और मैंने कहा में आपका भाई और दोस्त दोनों हु अगर कोई प्रॉब्लम है तो मुझे बताओ मैं इसका समाधान करने की कोशिश करूंगा,
दीदी बोली की कमल क्या बताऊ तुझे तुम्हारे जीजाजी नामर्द है, उन्होंने मुझे छुआ तक नहीं, मेरी तो ज़िंदगी खराब हो गयी है, क्या करू समझ में नहीं आ रहा था मैं ये बात माँ पापा को भी नहीं बता सकता, मैं ये बात तुम्हे बता रही हु, और रोने लगी और मेरे गले से चिपक गयी, मैंने उसे हौसला दिया और कहा की कोई बात नहीं, मैं उनका इलाज करवाऊंगा, तो वो बोलने लगी कोई फायदा नहीं डॉक्टर ने कह दिया की उनका प्राइवेट पार्ट का नस ही नहीं हो, वो खड़ा नहीं हो सकता. वो काफी रो रही ही मैंने उसे धाडस बांधते हुए ना रोने की कसम दी फिर वो चुप हुई, वो बोली मैं आ रही हु कमल निचे से बिछावन लेकर मैं भी यही सो जाऊँगी तो मैंने कहा क्यों दीदी इसी बेड पे सो जाओ, वो मान गयी और हम दोनों एक ही बिछावन पे सो गए.
बात करते करते रात के करीब ११ बज गए था, धीरे धीरे हम दोनों करीब आ गए थे उनका एक पैर मेरे पैर के ऊपर था और बात चिट चल रही थी, फिर वो मेरे साइड घूम के सो गयी तो उनकी दोनों चुचिया मेरे में सट रहा था, मैं उसके पीठ को सहला रहा था उका ब्रेसियर का आकार और उभार को मैं महसूस कर रहा था, मैं उनके गदराये पीठ को सहलाते हुए मैं बात कर रहा था तभी वो बोली कमल क्या मैं एक बात कह सकती हु अगर तुम मेरी कसम खाओ की किसी से शेयर नहीं करोगे मैंने कहा नहीं दीदी बोलो मैं तुम्हारी कसम खता हु, ये राज राज ही रहेगा, दीदी बोली “क्या तुम मुझे सेक्स का आनंद दे सकते हु” मैंने कहा क्यों नहीं दीदी मैं आपसे पहले ही कह चुका हु आपके लिए कुछ भी करूंगा आप चिंता ना करो. मैंने उनको किश करना शुरू किया वो भी मुझे चूमने लगी फिर वो मेरे लुंगी के अंदर हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ ली और सोटने लगी, मैं उस उस उस आह आह आह करने लगा फिर मैंने दीदी के कपडे उतार दिए वो बोलने लगी चोद दे कमल मुझे चोद दे, मैं तुम्हारी ही होकर रह जाऊँगी, शादी शुदा होकर भी कुंवारी हु अभी तक मेरा सील नहीं टूटा है तू तोड़ दे, मैं चुद जाना चाहती हु, और वो मुझे कस के पकड़ ली और बोलने लगी जो करना है कर लो, मैं नहीं रोकूंगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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