05-08-2019, 10:43 PM
इन बातों का बेचारे मजदूर के पास कोई उत्तर न था और उसने कहा कि आप लोग ठीक कहती हैं, मैं जा रहा हूँ। लेकिन अमीना ने अपनी बहनों से उसकी वकालत की और कहा, 'इसे यहीं रहने दो। यह अपनी बातों से हमारा मनोरंजन करेगा और अपने विनोदी स्वभाव के कारण हमें हँसाता रहेगा। तुम्हें नहीं मालूम यह जबर्दस्त किस्म का मसखरा है। बाजार में यहाँ तक सारे रास्ते यह हँसी-मजाक की बातों से मुझे हँसाता आया है।' मजदूर को अमीना की बातें सुनकर बड़ा संतोष हुआ। उसने कहा, 'आप लोगों की बड़ी कृपा होगी अगर मुझे अपने साथ रहने दें। मैं गरीब हूँ किंतु किसी का उपकार मुफ्त में नहीं लेना चाहता। और तो मेरे पास कुछ नहीं लेकिन अपनी कृपा के बदले यह मजदूरी जो आपने मुझे दी है वह स्वीकार कर लीजिए।' यह कहकर मजदूर ने जुबैदा के सामने मजदूरी के पैसे बढ़ा दिए।
जुबैदा ने मुस्कराकर कहा, 'हम दी हुई चीज वापस नहीं लेते। तुम हमारे साथ रह कर हमारे खान-पान में सम्मिलित हो सकते हो। लेकिन शर्त यह है कि हम लोग चाहे जो कुछ करें उसके बारे मे तुम हमसे कुछ नहीं पूछोगे।' मजदूर ने यह स्वीकार कर लिया।
जुबैदा ने मुस्कराकर कहा, 'हम दी हुई चीज वापस नहीं लेते। तुम हमारे साथ रह कर हमारे खान-पान में सम्मिलित हो सकते हो। लेकिन शर्त यह है कि हम लोग चाहे जो कुछ करें उसके बारे मे तुम हमसे कुछ नहीं पूछोगे।' मजदूर ने यह स्वीकार कर लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.