05-08-2019, 10:43 PM
मजदूर ने कहा, 'मेरी मालकिन, आप तो अत्यंत चतुर और बुद्धिमती हैं लेकिन आप मुझे भी निरक्षर और गँवार न समझें। यह तो भाग्य की बात है कि मुझे पेट पालने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है वरना मैंने बहुत-सी इतिहास और ज्ञान की पुस्तकें पढ़ी हैं। आप कहें तो आपको एक कहावत आपकी सेवा में उपस्थित करूँ। यह कहावत है कि बुद्धिमान को चाहिए कि चतुर व्यक्ति से अपना भेद न छुपाए क्योंकि चतुर व्यक्ति को किसी का भेद छुपाए रखना आता है। अगर आप मुझ पर अपना कोई भेद प्रकट करेंगी तो वह ऐसा ही होगा जैसे कोई चीज किसी कमरे में बंद करके ताला लगा दिया जाए और ताले की चाबी खो जाए।
जुबैदा समझ गई कि यह मजदूर बुद्धिमान और पढ़ा-लिखा है और इसका साथ करने में कोई बुराई नहीं और इसे अपने साथ बिठा कर खाना भी खिलाया जा सकता है। फिर भी उसने उसकी बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए मजाक में कहा, 'देखो भाई, हमने तो पैसा और मेहनत लगा कर इस भोजन को तैयार किया है, तुमने तो इस पर कुछ खर्च नहीं किया। फिर तुम्हें अपने खाने में क्यों सम्मिलित करें?' साफी ने भी उससे कहा, 'तुमने यह कहावत तो सुनी होगी कि छूछा किन पूछा।'
जुबैदा समझ गई कि यह मजदूर बुद्धिमान और पढ़ा-लिखा है और इसका साथ करने में कोई बुराई नहीं और इसे अपने साथ बिठा कर खाना भी खिलाया जा सकता है। फिर भी उसने उसकी बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए मजाक में कहा, 'देखो भाई, हमने तो पैसा और मेहनत लगा कर इस भोजन को तैयार किया है, तुमने तो इस पर कुछ खर्च नहीं किया। फिर तुम्हें अपने खाने में क्यों सम्मिलित करें?' साफी ने भी उससे कहा, 'तुमने यह कहावत तो सुनी होगी कि छूछा किन पूछा।'
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.