05-08-2019, 09:47 PM
बाहर आकर खलीफा ने इन फकीरों से कहा कि इतनी रात बीत गई है, अब तुम लोग कहाँ जाओगे क्योंकि तुम इस नगर से परिचित भी नहीं हो। उन तीनों ने कहा कि हम लोग भी इसी चिंता में हैं। खलीफा ने कहा, तुम लोग हमारे साथ आओ, हम तुम्हारी सहायता करेंगे। यह कह कर खलीफा ने मंत्री के कान में कहा कि इन तीनों को अपने घर ले जाकर ठहराओ और कल मेरे दरबार में हाजिर करो। अतएव मंत्री जाफर उन तीनों फकीरों को अपने घर ले गया और इधर मसरूर सहित खलीफा भी अपने महल में आ गया।
खलीफा शयन कक्ष में जाकर अपनी शय्या पर लेट गया किंतु उसे सारी रात नींद नहीं आई। उसने जो कुछ देखा-सुना था उस का वैचित्र्य उसके चित्त से उतरता ही नहीं था। वह इसी चिंता में था कि यह बात जान ले कि जुबैदा कौन है और उसने दोनों कुतियों को क्यों मारा और फिर क्यों प्यार किया, साथ ही उसे यह जानने की भी बड़ी इच्छा थी कि अमीना के शरीर पर जो काले निशान पड़े हैं उनका क्या भेद है।
सुबह वह नित्य कर्म, नाश्ता आदि से निश्चिंत होकर दरबार में गया और सिंहासन पर बैठ गया। कुछ देर में मंत्री ने आकर उसे प्रणाम किया। खलीफा ने मंत्री से कहा, ‘जब तक मैं उन तीनों स्त्रियों और दोनों काली कुतियों का पूरा हाल न जान लूँगा मुझे चैन न मिलेगा। इसी कारण मुझे रात भर नींद नहीं आई है। तुम तुरंत जाओ और उन तीनों फकीरों और तीनों स्त्रियों को मेरे सन्मुख उपस्थित करो।’ मंत्री ने उस मकान में जाकर पिछली रात की बातों का उल्लेख किए बगैर उन तीनों स्त्रियों से कहा कि खलीफा तुम लोगों से कुछ बात करना चाहते हैं, तुम दरबार में चलो। अतएव वे तीनों अपने ऊपर बुरका डाल कर मंत्री के साथ चल दीं। रास्ते में मंत्री ने अपने घर होते हुए तीनों फकीरों को भी बगैर उन्हें कुछ बताए अपने साथ ले लिया।
खलीफा उन स्त्रियों और फकीरों को देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने तीनों स्त्रियों को अपने पीछे की ओर परदे के पीछे बिठाया ताकि दरबारियों और सेवकों पर प्रकट हो जाए कि ये सम्मानीय महिलाएँ हैं। फिर उसने उन तीनों फकीरों को जो दरअसल राजा और राजकुमार थे, उनकी प्रतिष्ठा के अनुसार अपने समीप आसन दिए। स्त्रियों के आसन ग्रहण करने के बाद खलीफा ने उनकी ओर मुँह करके कहा, ‘कल रात मैंने मोसिल के व्यापारी के रूप में तुमसे भेंट की थी। हमारी बातों से तुम लोगों को कुछ दुख हुआ था और इसीलिए तुम हम लोगों से नाराज हुई थीं। मैंने आज जो तुम्हें बुलाया है वह इसलिए नहीं कि मैं तुम लोगों को कोई दंड देना चाहता हूँ। मैंने वह बात तो भुला दी है। मैं तुम्हारे आने से बड़ा प्रसन्न हूँ। तुममें जो सद्बुद्धि है वह यदि बगदाद की सारी स्त्रियों में आ जाए तो कितना अच्छा हो। यद्यपि हमने अपना वादा तोड़ कर तुम्हें दुख पहुँचाया किंतु फिर भी तुमने हम लोगों पर कृपा करके हमें छोड़ दिया।’
खलीफा ने आगे कहा, ‘कल रात में मोसिल का व्यापारी था और तुम्हारे आदेश में था। इस समय मैं हारूँ रशीद, अब्बास वंश का सातवाँ खलीफा और हजरत मुहम्मद का वंशज हूँ। मैंने तुम्हें इसलिए बुलाया है कि मैं जानूँ कि तुम कौन हो और तुम तीनों में से एक स्त्री के कंधों पर काले निशान किसलिए हैं।’ यद्यपि खलीफा ने यह सब स्पष्ट शब्दों में उनसे कहा था तथापि मंत्री ने एक बार फिर इन बातों को दुहरा दिया। यह सुनकर जुबैदा ने आप बीती आरंभ कर दी।
खलीफा शयन कक्ष में जाकर अपनी शय्या पर लेट गया किंतु उसे सारी रात नींद नहीं आई। उसने जो कुछ देखा-सुना था उस का वैचित्र्य उसके चित्त से उतरता ही नहीं था। वह इसी चिंता में था कि यह बात जान ले कि जुबैदा कौन है और उसने दोनों कुतियों को क्यों मारा और फिर क्यों प्यार किया, साथ ही उसे यह जानने की भी बड़ी इच्छा थी कि अमीना के शरीर पर जो काले निशान पड़े हैं उनका क्या भेद है।
सुबह वह नित्य कर्म, नाश्ता आदि से निश्चिंत होकर दरबार में गया और सिंहासन पर बैठ गया। कुछ देर में मंत्री ने आकर उसे प्रणाम किया। खलीफा ने मंत्री से कहा, ‘जब तक मैं उन तीनों स्त्रियों और दोनों काली कुतियों का पूरा हाल न जान लूँगा मुझे चैन न मिलेगा। इसी कारण मुझे रात भर नींद नहीं आई है। तुम तुरंत जाओ और उन तीनों फकीरों और तीनों स्त्रियों को मेरे सन्मुख उपस्थित करो।’ मंत्री ने उस मकान में जाकर पिछली रात की बातों का उल्लेख किए बगैर उन तीनों स्त्रियों से कहा कि खलीफा तुम लोगों से कुछ बात करना चाहते हैं, तुम दरबार में चलो। अतएव वे तीनों अपने ऊपर बुरका डाल कर मंत्री के साथ चल दीं। रास्ते में मंत्री ने अपने घर होते हुए तीनों फकीरों को भी बगैर उन्हें कुछ बताए अपने साथ ले लिया।
खलीफा उन स्त्रियों और फकीरों को देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने तीनों स्त्रियों को अपने पीछे की ओर परदे के पीछे बिठाया ताकि दरबारियों और सेवकों पर प्रकट हो जाए कि ये सम्मानीय महिलाएँ हैं। फिर उसने उन तीनों फकीरों को जो दरअसल राजा और राजकुमार थे, उनकी प्रतिष्ठा के अनुसार अपने समीप आसन दिए। स्त्रियों के आसन ग्रहण करने के बाद खलीफा ने उनकी ओर मुँह करके कहा, ‘कल रात मैंने मोसिल के व्यापारी के रूप में तुमसे भेंट की थी। हमारी बातों से तुम लोगों को कुछ दुख हुआ था और इसीलिए तुम हम लोगों से नाराज हुई थीं। मैंने आज जो तुम्हें बुलाया है वह इसलिए नहीं कि मैं तुम लोगों को कोई दंड देना चाहता हूँ। मैंने वह बात तो भुला दी है। मैं तुम्हारे आने से बड़ा प्रसन्न हूँ। तुममें जो सद्बुद्धि है वह यदि बगदाद की सारी स्त्रियों में आ जाए तो कितना अच्छा हो। यद्यपि हमने अपना वादा तोड़ कर तुम्हें दुख पहुँचाया किंतु फिर भी तुमने हम लोगों पर कृपा करके हमें छोड़ दिया।’
खलीफा ने आगे कहा, ‘कल रात में मोसिल का व्यापारी था और तुम्हारे आदेश में था। इस समय मैं हारूँ रशीद, अब्बास वंश का सातवाँ खलीफा और हजरत मुहम्मद का वंशज हूँ। मैंने तुम्हें इसलिए बुलाया है कि मैं जानूँ कि तुम कौन हो और तुम तीनों में से एक स्त्री के कंधों पर काले निशान किसलिए हैं।’ यद्यपि खलीफा ने यह सब स्पष्ट शब्दों में उनसे कहा था तथापि मंत्री ने एक बार फिर इन बातों को दुहरा दिया। यह सुनकर जुबैदा ने आप बीती आरंभ कर दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.