04-08-2019, 01:29 AM
खेती की जमीन होने की वजह से जमीन पर सूखे हुए पत्ते का ढेर लगा हुआ था जिसकी वजह से सुगंधा आहिस्ता आहिस्ता अपने पैरों को उस पर रखते हुए आगे बढ़ रही थी ताकि आवाज ना हो,,,, वैसे भी ट्यूबवेल चलने की वजह से आवाज आना संभव नहीं था फिर भी सुगंधा पूरी तरह से एहतियात बरत रही थी धीरे धीरे कर के पास टूटे हुए मकान के करीब पहुंच गई मकान के करीब पहुंचते ही अंतिम से आ रही आवाज साफ सुनाई देने लगी,,,,
वह कितने बड़े बड़े हैं रे तेरे,,,, इसे तो मैं दबा दबाकर पीऊंगा।,,,,,
( सुगंधा मर्दाना आवाज में इतनी सी बात सुनते ही सन्न रह गई,, उसी समझते देर नहीं लगी कि अंदर क्या हो रहा है। सुगंधा का उत्सुक मन अंदर झांकने के लिए व्याकुल होने लगा और वह इधर-उधर नजरे थोड़ा कर ऐसी जगह ढूंढने लगे कि जहां से अंदर का दृश्य देखा जा सके टूटी फूटी झोपड़ी होने की वजह से जगह-जगह से ईंटे निकल चुकी थी,,, सुगंधा अपने आप को कच्ची दीवार में से निकली हुई ईद की दरार में से अंदर झांकने से रोक नहीं पाई और उसने अपने चारों तरफ नजरे जुड़ा कर इस बात की तसल्ली कर ली थी कोई उसे देख तो नहीं रहा है और तसल्ली करने के बाद अपनी कारी कजरारी आंखों को टूटी हुई ईंट की दरार से सटा दी,,,,,,
सुगंधा इस समय उस बच्चे की तरह व्याकुल और ऊत्सुक हुए जा रही थी जिस तरह से,,, एक बच्चा बाइस्कोप के पिटारे में से ढक्कन हटाकर अंदर की फिल्म देखने के लिए होता है।
उसी तरह से बाइस्कोप के पिटारे का ढक्कन खुल चुका था और सुगंधा का व्याकुल मन इधर उधर ना होकर केवल टूटी हुई झोपड़ीी के अंदर स्थिर हो चुका था।,,,
निकली हुई ईंट की दरार में से,, अंदर का दृश्य देखते ही सुगंधा पूरी तरह से सन्न हो गई,,, अंदर एक गांव का ही 35 वर्षीय आदमी जोकि एकदम हट्टा कट्टा लेकिन सांवले रंग का था वह गांव की है एक औरत की बड़ी-बड़ी चुचियों को दोनों हाथों से दबाते हुए पी रहा था,,, यह नजारा सुगंधा के लिए बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था। पल भर में ही सुगंधा की सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,,, एक बार अंदर का नजारा देखने पर सुगंधा की नजरें हद नहीं रही थी वह व्याकुल मन से अंदर का नजारा देखने लगी वह आदमी जोर जोर से उस औरत की दोनों चुचियों को दबा दबा कर जितना हो सकता था उतना मुंह में भरकर पी रहा था। और वह औरत अपनी स्तन चुसाई का भरपूर आनंद लूटते हुए बोल रही थी।
आहहहहहहहह,,,,, और जोर जोर से पी मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,,,।
( उस औरत की बेशर्मी भरी बातें सुनकर सुगंधा थोड़ी सी विचलित हो रही थी,,, कि एक औरत भला इस तरह की गंदी बातें कैसे बोल सकती है क्योंकि आज तक सुगंधा में इस तरह की बातें अपने पति के साथ कभी नहीं की थी,,,, फिर भी ना जाने की सुगंधाको उस औरत की बातें सुनकर अंदर ही अंदर आनंद की अनुभूति हो रही थी सुगंधा बार बार अपने चारों तरफ नजरें दौड़ा ले रही थी कि कोई से इस स्थिति में ना देख ले,,,,।
मेरी रानी आज बहुत दिनों बाद तु मिली है मुझे आज तो तुझे जी भर कर चोदुंगा,,,,
इसीलिए तो मैं आई हूं मेरे राजा,,, जब तक तेरा लंड मेरी बुर में नहीं जाता तब तक चुदाई का मजा ही नहीं आता,,,,
( दोनों की गंदी बातें सुगंधा के तन बदन में आग लगा रही थी एक तो बरसों बाद उसने इस तरह का नजारा देखी थी क्योंकि बरसो गुजर गए थे उसे शारीरिक संबंध बनाए,,,, इसलिए आज अपनी आंखों से इस तरह का नजारा देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी।,,, सुगंधा का मन इधर-उधर हो रहा था गांव में उसकी बहुत इज्जत है अगर किसी की भी नजर इस तरह से पड़ जाती तो उसके बारे में क्या सोचेगा इसलिए वह वहां से जाना चाहती थी वह वहां से नजर हटाने ही वाली थी कि,,, उस औरत ने उसकी पजामे की डोरी खोल कर ऊसके ख ड़े लंड को पकड़कर हिलाना शुरू कर दी,,, उस औरत की हरकत को देखकर सुगंधा का धैर्य जवाब देने लगा,,,, उसके कदम फिर से वही ठिठक गए और वह ध्यान से उस नजारे को देखने लगी,,, उस औरत ने जिस लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर हिला रही थी वह पूरी तरह से एकदम काला था। उस आदमी का इतना कड़क लंड देखकर सुगंधा अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,,
दोनों पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे टूटी हुई झोपड़ी में जिस तरह का खेल चल रहा है उसे देखकर सुगंधा भी धीरे-धीरे उत्तेजना की तरफ बढ़ रही थी उसकी जांघों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी थी सुगंधा अभी कुछ समझ पाती इससे पहले ही उस आदमी ने उस औरत को घुमाया और जैसे औरत भी सब कुछ समझ गई हो वह खुद-ब-खुद अपनी पेटीकोट को पकड़कर कमर तक उठा दी और झुक गई सुगंधा देखकर उत्तेजित होने लगी उसका चेहरा सुर्ख लाल होने लगा,, क्योंकि वह जानती थी कि इससे आगे क्या होने वाला है।,,
गहरी सांसे लेते हुए सुगंधा अंदर का नजारा देखती रही और वह आदमी उस औरत को चोदना शुरू कर दिया,,, उस औरत की चीख और गर्म पिचकारी की आवाज सुनकर सुगंधा को समझते देर नहीं लगी की वह औरत,,, मजे ले लेकर उस आदमी से चुड़वा रही थी। और वह आदमी भी उसकी कमर थामे उस औरत को चोद रहा था। सुगंधा का वहां खड़ा रहना उसके बस में नहीं था क्योंकि उसे अपने बदन में हो रही हलचल असामान्य लग रही थी ।वह वहां से सीधे घर की तरफ चल दी
वह कितने बड़े बड़े हैं रे तेरे,,,, इसे तो मैं दबा दबाकर पीऊंगा।,,,,,
( सुगंधा मर्दाना आवाज में इतनी सी बात सुनते ही सन्न रह गई,, उसी समझते देर नहीं लगी कि अंदर क्या हो रहा है। सुगंधा का उत्सुक मन अंदर झांकने के लिए व्याकुल होने लगा और वह इधर-उधर नजरे थोड़ा कर ऐसी जगह ढूंढने लगे कि जहां से अंदर का दृश्य देखा जा सके टूटी फूटी झोपड़ी होने की वजह से जगह-जगह से ईंटे निकल चुकी थी,,, सुगंधा अपने आप को कच्ची दीवार में से निकली हुई ईद की दरार में से अंदर झांकने से रोक नहीं पाई और उसने अपने चारों तरफ नजरे जुड़ा कर इस बात की तसल्ली कर ली थी कोई उसे देख तो नहीं रहा है और तसल्ली करने के बाद अपनी कारी कजरारी आंखों को टूटी हुई ईंट की दरार से सटा दी,,,,,,
सुगंधा इस समय उस बच्चे की तरह व्याकुल और ऊत्सुक हुए जा रही थी जिस तरह से,,, एक बच्चा बाइस्कोप के पिटारे में से ढक्कन हटाकर अंदर की फिल्म देखने के लिए होता है।
उसी तरह से बाइस्कोप के पिटारे का ढक्कन खुल चुका था और सुगंधा का व्याकुल मन इधर उधर ना होकर केवल टूटी हुई झोपड़ीी के अंदर स्थिर हो चुका था।,,,
निकली हुई ईंट की दरार में से,, अंदर का दृश्य देखते ही सुगंधा पूरी तरह से सन्न हो गई,,, अंदर एक गांव का ही 35 वर्षीय आदमी जोकि एकदम हट्टा कट्टा लेकिन सांवले रंग का था वह गांव की है एक औरत की बड़ी-बड़ी चुचियों को दोनों हाथों से दबाते हुए पी रहा था,,, यह नजारा सुगंधा के लिए बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था। पल भर में ही सुगंधा की सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,,, एक बार अंदर का नजारा देखने पर सुगंधा की नजरें हद नहीं रही थी वह व्याकुल मन से अंदर का नजारा देखने लगी वह आदमी जोर जोर से उस औरत की दोनों चुचियों को दबा दबा कर जितना हो सकता था उतना मुंह में भरकर पी रहा था। और वह औरत अपनी स्तन चुसाई का भरपूर आनंद लूटते हुए बोल रही थी।
आहहहहहहहह,,,,, और जोर जोर से पी मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,,,।
( उस औरत की बेशर्मी भरी बातें सुनकर सुगंधा थोड़ी सी विचलित हो रही थी,,, कि एक औरत भला इस तरह की गंदी बातें कैसे बोल सकती है क्योंकि आज तक सुगंधा में इस तरह की बातें अपने पति के साथ कभी नहीं की थी,,,, फिर भी ना जाने की सुगंधाको उस औरत की बातें सुनकर अंदर ही अंदर आनंद की अनुभूति हो रही थी सुगंधा बार बार अपने चारों तरफ नजरें दौड़ा ले रही थी कि कोई से इस स्थिति में ना देख ले,,,,।
मेरी रानी आज बहुत दिनों बाद तु मिली है मुझे आज तो तुझे जी भर कर चोदुंगा,,,,
इसीलिए तो मैं आई हूं मेरे राजा,,, जब तक तेरा लंड मेरी बुर में नहीं जाता तब तक चुदाई का मजा ही नहीं आता,,,,
( दोनों की गंदी बातें सुगंधा के तन बदन में आग लगा रही थी एक तो बरसों बाद उसने इस तरह का नजारा देखी थी क्योंकि बरसो गुजर गए थे उसे शारीरिक संबंध बनाए,,,, इसलिए आज अपनी आंखों से इस तरह का नजारा देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी।,,, सुगंधा का मन इधर-उधर हो रहा था गांव में उसकी बहुत इज्जत है अगर किसी की भी नजर इस तरह से पड़ जाती तो उसके बारे में क्या सोचेगा इसलिए वह वहां से जाना चाहती थी वह वहां से नजर हटाने ही वाली थी कि,,, उस औरत ने उसकी पजामे की डोरी खोल कर ऊसके ख ड़े लंड को पकड़कर हिलाना शुरू कर दी,,, उस औरत की हरकत को देखकर सुगंधा का धैर्य जवाब देने लगा,,,, उसके कदम फिर से वही ठिठक गए और वह ध्यान से उस नजारे को देखने लगी,,, उस औरत ने जिस लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर हिला रही थी वह पूरी तरह से एकदम काला था। उस आदमी का इतना कड़क लंड देखकर सुगंधा अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,,
दोनों पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे टूटी हुई झोपड़ी में जिस तरह का खेल चल रहा है उसे देखकर सुगंधा भी धीरे-धीरे उत्तेजना की तरफ बढ़ रही थी उसकी जांघों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी थी सुगंधा अभी कुछ समझ पाती इससे पहले ही उस आदमी ने उस औरत को घुमाया और जैसे औरत भी सब कुछ समझ गई हो वह खुद-ब-खुद अपनी पेटीकोट को पकड़कर कमर तक उठा दी और झुक गई सुगंधा देखकर उत्तेजित होने लगी उसका चेहरा सुर्ख लाल होने लगा,, क्योंकि वह जानती थी कि इससे आगे क्या होने वाला है।,,
गहरी सांसे लेते हुए सुगंधा अंदर का नजारा देखती रही और वह आदमी उस औरत को चोदना शुरू कर दिया,,, उस औरत की चीख और गर्म पिचकारी की आवाज सुनकर सुगंधा को समझते देर नहीं लगी की वह औरत,,, मजे ले लेकर उस आदमी से चुड़वा रही थी। और वह आदमी भी उसकी कमर थामे उस औरत को चोद रहा था। सुगंधा का वहां खड़ा रहना उसके बस में नहीं था क्योंकि उसे अपने बदन में हो रही हलचल असामान्य लग रही थी ।वह वहां से सीधे घर की तरफ चल दी