04-08-2019, 01:27 AM
दोनों का झगड़ा शांत हो चुका था,,, और उन दोनों के साथ साथ गांव की सभी औरतें,,, सुगंधा को जाते हुए देख रही थी,,, एक औरत होने के बावजूद भी उन औरतों की नजर सुगंधा की मटकती हुई लाजवाब भराव दार,,, गांड पर ही टिकी हुई थी,,, गांव की औरतों का इस तरह से सुगंधा की खूबसूरती को नींहारना हीै इस बात की शाबीती देता था कि, सुगंधा की खूबसूरती को लेकर औरतों में भी किस तरह का आकर्षण था। जब औरतों का यह हाल था तो मर्दों का क्या हाल होता होगा,,, सुगंधा की खूबसूरती और उसकी मटकी हुई गांड को देखकर उनमें से एक औरत गर्म आहह भरते हुए बोली,,,
![[Image: 5d11d2391bd7d.jpg]](https://i.ibb.co/3kdNhDz/5d11d2391bd7d.jpg)
upload images
![[Image: 5d31cee556e35.jpg]](https://i.ibb.co/WnwgFxS/5d31cee556e35.jpg)
काश भगवान ने मुझको भी मालकिन जैसी खूबसूरत बनाए होते तो मजा आ जाता,,,
हां तब तो तेरा आदमी तेरी बुर में दिन-रात लंड डालकर पड़ा रहता है,,,,।( तभी उनमें से एक औरत टहाके लगा कर बोली ,, )
वह तो अब भी मेरी बुर में लंड डालकर पड़ा रहता है लेकिन साला वह भी मालकिन का ही दीवाना है,,,।
क्यों क्या हुआ?
वह जब भी मुझे चोदता है तो चोदते चोदते बोलता है कि,, मालकिन कितनी खूबसूरत है मालकिन की चूचीया कितनी बड़ी-बड़ी हैं मालकिन की गांड कितनी मस्त है,,, मालकिन की बुर कितनी मस्त होगी उस में लंड डालकर चोदने में कितना मजा आएगा
बाप रे यह सब कहता है तब तू क्या करती है?
मैं एक लात मारकर उसे खटिया पर से नीचे गिरा देती हूं और बोलती हूं कि जा जाकर मालकिन को ही चोद ले,,,
( उसके इतना कहते ही सभी औरतें हंसने लगी और अपने काम में लग गई।)
सुगंधा अपनी मस्ती में उबड़ खाबड़ रास्तों से खेतों की तरफ चली जा रही थी,,,, सुगंधा की भराव दार मटकती हुई गांड मर्दों पर अपना असर दिखा रही थी,,,, इस उम्र में भी सुगंधा की जवानी का जलवा बरकरार था। अपनी सास के द्वारा दी गई जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही थी और इसी बीच वह अपने पति द्वारा संतुष्टि नहीं पा रही थी लेकिन फिर भी सुगंधा अजीब मिट्टी की बनी हुई थी कि अपने सारे भी जरूरत पूरी ना होने के बावजूद भी वह तनिक भर भी विचलित नहीं हुई थी ना तो उसके कदम ही कहीं भटके थे और ना ही उसे अपने पति से किसी भी प्रकार का ग्लानी ही था,,,, वह तो बहुत खुश थी।,,, ऐसा नहीं था कि उसे अपनी शारीरिक अपेक्षाओं की उपेक्षा के बारे में ज्ञात नहीं था लेकिन वह शायद अपने मन से अपनी इस परिस्थिति के बारे में समझौता कर ली थी और उसे यह भी ज्ञात था कि उसके खूबसूरत बदन को ना जाने कितनी नजरें घुरती रहती हैं।
लेकिन इस बात से उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता था वह अपनी मस्ती में ही कहीं भी आती जाती थी,,, क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि गांव में ऐसा कोई भी शख्स नहीं है जो कि उसके साथ गलत हरकत कर सके याद उसके मुंह पर उसे अश्लील बातें कह सकें,,,
इसलिए तो सुगंधा ज्यादातर खेतों की तरफ या गाँव मे अकेले ही घूमा करती थी ।,,,,
कुछ देर बाद सुगंधा खेतों में पहुंच चुकी थी जहां पर गेहूं की कटाई चल रही थी मजदूर अपना अपना काम बखूबी कर रहे थे क्योंकि वह लोग भी जानते थे कि वैसे तो उनकी मालकिन नरम दिल की है लेकिन अगर दिए गए काम में किसी भी प्रकार की लापरवाही बरती जाती थी तो वह बेहद शख्ति से काम लेती थी और उसे मजदूरी से हटा भी देती थी।,,,,, इसलिए तो सारे मजदूर अपना अपना काम बड़ी इमानदारी से कर रहे थे,,,
सुगंधा खेत के किनारे खड़ी होकर मुआयना कर रही थी चारों तरफ गेहूं लहलहा रहे थे जहां तक नजर जा रही थी वहां तक सुगंधा की ही जमीन थी,,, मजदूर लगे हुए थे काम बराबर हो रहा था यह सब देख कर सुगंधा खुश हो रही थी। खेतों में काम करा रहे लाला जोकि सुगंधा का लेखा-जोखा वही संभालता था और यह बहुत ही पुराना नौकर था जो कि अभी भी बड़ी इमानदारी से अपना काम कर रहा था। 60 वर्षीय लाला की नजर जैसे ही सुगंधा पर पड़ी वह खेतों में से जल्दी जल्दी सुगंधा की तरफ चला आ रहा था। जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में उसके पैर लड़खड़ा जा रहे थे जिसे देख कर,,, सुगंधा बोली,,
संभाल कर लाला जी कहीं गिर मत जाइएगा,,,,
( सुगंधा लाला जी की बहुत इज्जत करती थी क्योंकि वह उसके पिता के समान था और लाला जी भी सुगंधा को अपनी बेटी ही मानता था और सुगंधा की बात सुनकर जल्दी-जल्दी वह सुगंधा के पास पहुंच गया और बोला,,,।)
अरे बिटिया का ज़रूरत थी तुम्हें इधर आने की,,,
हम सब कुछ संभाल लेते,,,,।
हम जानते हैं चाचा जी की आप सब कुछ संभाल लेते और अब तक सब कुछ संभालते तो आ ही रहे हैं,,, वह तो मेरा मन किया सौ मैं आ गई,,,,।
कोई बात नहीं बिटिया आ गई तो अच्छा ही हुआ,,, रामू को कुछ पैसों की जरूरत थी,,, उसे अस्पताल जाना था , ।
हां हां क्यों नहीं बुलाओ रामू को कहां है?
अभी बुलाए देते हैं मालकिन,,, रामु ओ रामु,,, जल्दी आ,,, मालकिन तुझे बुला रही है।
( खेतों में काम कर रहा रामू जैसे ही लाला की आवाज सुना सारे काम तुरंत छोड़ कर लाला के पास भागता हुआ आया और आते ही,,, सुगंधाको नमस्कार करते हुए बोला)
राम-राम मालकिन( इतना कहते हुए वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।)
कितने रुपयो की जरूरत है तुम्हें अस्पताल जाने के लिए,,,
तीन चार सौ मिल जाते तो मालकिन काम हो जाता,,,
( इतना सुनते ही सुगंधा अपने पर्स में से 500 500 के दो नोट निकालकर रामू को थामाते हुए बोली।)
अच्छे से इलाज करवाना और पैसों की जरूरत हो तो बेझिझक मांग लेना,,,
( सुगंधा के दिए हुए पैसे और सुगंधा की बात सुनकर रामु बहुत खुश हो गया,,, और सुगंधा की जय बोल कर वह ावापस खेतो मे जाकर काम करने लगा।,,,)
![[Image: 5d11d2391bd7d.jpg]](https://i.ibb.co/3kdNhDz/5d11d2391bd7d.jpg)
upload images
![[Image: 5d31cee556e35.jpg]](https://i.ibb.co/WnwgFxS/5d31cee556e35.jpg)
काश भगवान ने मुझको भी मालकिन जैसी खूबसूरत बनाए होते तो मजा आ जाता,,,
हां तब तो तेरा आदमी तेरी बुर में दिन-रात लंड डालकर पड़ा रहता है,,,,।( तभी उनमें से एक औरत टहाके लगा कर बोली ,, )
वह तो अब भी मेरी बुर में लंड डालकर पड़ा रहता है लेकिन साला वह भी मालकिन का ही दीवाना है,,,।
क्यों क्या हुआ?
वह जब भी मुझे चोदता है तो चोदते चोदते बोलता है कि,, मालकिन कितनी खूबसूरत है मालकिन की चूचीया कितनी बड़ी-बड़ी हैं मालकिन की गांड कितनी मस्त है,,, मालकिन की बुर कितनी मस्त होगी उस में लंड डालकर चोदने में कितना मजा आएगा
बाप रे यह सब कहता है तब तू क्या करती है?
मैं एक लात मारकर उसे खटिया पर से नीचे गिरा देती हूं और बोलती हूं कि जा जाकर मालकिन को ही चोद ले,,,
( उसके इतना कहते ही सभी औरतें हंसने लगी और अपने काम में लग गई।)
सुगंधा अपनी मस्ती में उबड़ खाबड़ रास्तों से खेतों की तरफ चली जा रही थी,,,, सुगंधा की भराव दार मटकती हुई गांड मर्दों पर अपना असर दिखा रही थी,,,, इस उम्र में भी सुगंधा की जवानी का जलवा बरकरार था। अपनी सास के द्वारा दी गई जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही थी और इसी बीच वह अपने पति द्वारा संतुष्टि नहीं पा रही थी लेकिन फिर भी सुगंधा अजीब मिट्टी की बनी हुई थी कि अपने सारे भी जरूरत पूरी ना होने के बावजूद भी वह तनिक भर भी विचलित नहीं हुई थी ना तो उसके कदम ही कहीं भटके थे और ना ही उसे अपने पति से किसी भी प्रकार का ग्लानी ही था,,,, वह तो बहुत खुश थी।,,, ऐसा नहीं था कि उसे अपनी शारीरिक अपेक्षाओं की उपेक्षा के बारे में ज्ञात नहीं था लेकिन वह शायद अपने मन से अपनी इस परिस्थिति के बारे में समझौता कर ली थी और उसे यह भी ज्ञात था कि उसके खूबसूरत बदन को ना जाने कितनी नजरें घुरती रहती हैं।
लेकिन इस बात से उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता था वह अपनी मस्ती में ही कहीं भी आती जाती थी,,, क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि गांव में ऐसा कोई भी शख्स नहीं है जो कि उसके साथ गलत हरकत कर सके याद उसके मुंह पर उसे अश्लील बातें कह सकें,,,
इसलिए तो सुगंधा ज्यादातर खेतों की तरफ या गाँव मे अकेले ही घूमा करती थी ।,,,,
कुछ देर बाद सुगंधा खेतों में पहुंच चुकी थी जहां पर गेहूं की कटाई चल रही थी मजदूर अपना अपना काम बखूबी कर रहे थे क्योंकि वह लोग भी जानते थे कि वैसे तो उनकी मालकिन नरम दिल की है लेकिन अगर दिए गए काम में किसी भी प्रकार की लापरवाही बरती जाती थी तो वह बेहद शख्ति से काम लेती थी और उसे मजदूरी से हटा भी देती थी।,,,,, इसलिए तो सारे मजदूर अपना अपना काम बड़ी इमानदारी से कर रहे थे,,,
सुगंधा खेत के किनारे खड़ी होकर मुआयना कर रही थी चारों तरफ गेहूं लहलहा रहे थे जहां तक नजर जा रही थी वहां तक सुगंधा की ही जमीन थी,,, मजदूर लगे हुए थे काम बराबर हो रहा था यह सब देख कर सुगंधा खुश हो रही थी। खेतों में काम करा रहे लाला जोकि सुगंधा का लेखा-जोखा वही संभालता था और यह बहुत ही पुराना नौकर था जो कि अभी भी बड़ी इमानदारी से अपना काम कर रहा था। 60 वर्षीय लाला की नजर जैसे ही सुगंधा पर पड़ी वह खेतों में से जल्दी जल्दी सुगंधा की तरफ चला आ रहा था। जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में उसके पैर लड़खड़ा जा रहे थे जिसे देख कर,,, सुगंधा बोली,,
संभाल कर लाला जी कहीं गिर मत जाइएगा,,,,
( सुगंधा लाला जी की बहुत इज्जत करती थी क्योंकि वह उसके पिता के समान था और लाला जी भी सुगंधा को अपनी बेटी ही मानता था और सुगंधा की बात सुनकर जल्दी-जल्दी वह सुगंधा के पास पहुंच गया और बोला,,,।)
अरे बिटिया का ज़रूरत थी तुम्हें इधर आने की,,,
हम सब कुछ संभाल लेते,,,,।
हम जानते हैं चाचा जी की आप सब कुछ संभाल लेते और अब तक सब कुछ संभालते तो आ ही रहे हैं,,, वह तो मेरा मन किया सौ मैं आ गई,,,,।
कोई बात नहीं बिटिया आ गई तो अच्छा ही हुआ,,, रामू को कुछ पैसों की जरूरत थी,,, उसे अस्पताल जाना था , ।
हां हां क्यों नहीं बुलाओ रामू को कहां है?
अभी बुलाए देते हैं मालकिन,,, रामु ओ रामु,,, जल्दी आ,,, मालकिन तुझे बुला रही है।
( खेतों में काम कर रहा रामू जैसे ही लाला की आवाज सुना सारे काम तुरंत छोड़ कर लाला के पास भागता हुआ आया और आते ही,,, सुगंधाको नमस्कार करते हुए बोला)
राम-राम मालकिन( इतना कहते हुए वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।)
कितने रुपयो की जरूरत है तुम्हें अस्पताल जाने के लिए,,,
तीन चार सौ मिल जाते तो मालकिन काम हो जाता,,,
( इतना सुनते ही सुगंधा अपने पर्स में से 500 500 के दो नोट निकालकर रामू को थामाते हुए बोली।)
अच्छे से इलाज करवाना और पैसों की जरूरत हो तो बेझिझक मांग लेना,,,
( सुगंधा के दिए हुए पैसे और सुगंधा की बात सुनकर रामु बहुत खुश हो गया,,, और सुगंधा की जय बोल कर वह ावापस खेतो मे जाकर काम करने लगा।,,,)