04-08-2019, 01:24 AM
बेला के साथ साथ रोहन की भी सांसे तीव्र गति से चल रही थी।,,, रोहन को अपनी चूचियां दिखाकर उसको तड़पता हुआ देखकर बेला को मजा आ रहा था।,,, बेला चुटकी लेते हुए अंजान बनती हुई बोली।,,
ऐसे क्या देख रहे हैं रोहन बाबू,,,( इतना कहते हुए बेला अपनी छातियों की तरफ नजर दौड़ाई और,,,
ब्लाउज में से झांक रही अपनी चूचियों को देखकर अनजान बनते हुए बोली,,,,।)
ओहहहहहहह,,, तो यहां टकटकीे लगाए देख रहे हैं रोहन बाबू,,,,,(बेला मुस्कुराकर खड़ी हुई और शरारती अंदाज में मुस्कुराते हुए बोलीो।)
बड़े शरारती हो गए हो रोहन बाबू और अब तो लगता है बड़े भी हो रहे हो,,, ( इतना कहते हुए रोहन की उत्तेजना में वृद्धि करने के उद्देश्य से जानबूझकर अपने दोनों हाथों से ब्लाउज के ऊपर से अपने दोनों चुचियों को हल्के से दबाकर मानो की ब्लाउज में दोनों कबूतरों को एडजेस्ट कर रही हो इस तरह से अपने होठों को हल्के से दांत गड़ा कर बिना शर्माए रोहन की आंखों के सामने ही अपनी ब्लाउज के उपरी बटन को बंद करने लगी,,
बेला की बातों को सुनकर रोहन घबरा सा गया,,, वह शर्म के मारे अपनी नजरों को इधर-उधर घुमाने लगा लेकिन बेला की की कातिल अदाओं से अपनी नजरों को ज्यादा देर तक हटा पाना उसके बस में नहीं था। इसलिए गहरी गहरी सांसों के साथ वह बेला की मादक अदाओं को देखता रहा। रोहन की हालत को देखकर बेला समझ गई थी कि उसका निशाना ठीक जगह पर जाकर लगा है।,,, बेला नजाकत भरी चाल चलते हुए रोहन की तरफ कदम बढ़ाते हुए उसके करीब पहुंच गई इस बार वह रोहन के बिल्कुल करीब थी,,, और माद क भरे स्वर में धीरे से उसके कान में बॉली,,,,।
रोहन बाबू उठ जाइए सुबह हो गई है,,,।
( और इतना कहते हुए जब वह उठ रही थी तो जानबूझकर अपना एक हाथ चादर के अंदर तने हुए तंबू पर रखकर हल्के से दबाते हुए जानबूझकर चौकते हुए बोली,,,।)
दैया रे दैया यह क्या था । ( इतना कहकर वह उसके तने हुए तंबू की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और चुटकी लेते हुए बोली।
रोहन बाबू अब तो तुम बड़े हो गए हो और तुम्हारा वो भी,,,
( इतना कहकर बेला हंसते हुए अपनी गांड मटका कर कमरे से बाहर चली गई,,, रोहन उसे जाता हुआ देखता रहा उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था।)
सुगंधा तैयार होकर खेतों की तरफ जा रही थी, भरावदार बदन पर सुगंधा की नई साड़ी खूब जँच रही थी,, ऊंची नीची पगडंडियों से जाते हुए सुगंधा के पैर इधर-उधर पड़ रहे थे जिसकी वजह से,, सुगंधा की गोलाकार नितंब दाएं बाएं ऊपर नीचे की तरफ लचक जा रही थी और नितंबों में आ रही है लचकन,, तबले पर किसी थिऱकन की तरह पड़ रही थी,,,। यह नजारा बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,, सुगंधा की कमर बलखा जाने की वजह से जिस तरह से उसकी गांड ऊपर नीचे हिल रही थी,,, देखने वालों की हालत खराब हुई जा रही थी,,,, इस तरह से सुगंधा का गांड मटका के चले जाना किसी के भी लंड में से पानी छोड़ देने के लिए काफी था।,, वैसे भी सुगंधा के बदन का नई नई साड़ी इस तरह से चिपकी हुई थी कि उसके भरावदार बदन का हर एक कटाव हर एक अंग अपना आकार लिए हुए स्पष्ट रूप से नजर आ रहा था।
सुगंधा अपनी मस्ती में खेतों की तरफ चली जा रही थी गांव के सभी मर्द बूढ़े हो या जवान सभी नजरें चुराकर सुगंधा की तरफ देखकर गरम आए भर रहे थे,,, गांव में ऐसा कोई भी शख्स नहीं था जो कि सुगंधा को आंख उठाकर नजर से नजर मिला कर देख सके,, क्योंकि सुगंधा का रुतबा इस तरह का था गांव के सभी लोगों की जमीन के साथ-साथ कुछ ना कुछ सुगंधा के पास गिरवी रखा हुआ था और,,,, गांव की सारे मजदूर सुगंधा के खेतों में मजदूरी करके ही अपना जीवन बसर कर रहे थे,,,, लेकिन इस बात का जरा भी घमंड सुगंधाको नहीं था बल्कि वह तो हमेशा ही गांव वालों की जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी इसलिए गांव भर में सुगंधा की साख और इज्जत बहुत ज्यादा थी।,,,
लेकिन कुदरत ने सुगंधा को कुछ ज्यादा ही खूबसूरती बक्स दी थी,,, जिसकी वजह से ना चाहते हुए भी गांव घर के मर्दों की नजर सुगंधा के मद भरे जवान बदन पर पड़ी ही जाती थी,,,,
सुगंधा उबड़ खाबड़ रास्तों को पार करते हुए खेतों की तरफ चली जा रही थी गांव भर के लोग जहां भी मिलते थे उसे जी मालकिन नमस्ते मालकिन करके उसकी इज्जत में इजाफा कर रहे थे और वह भी मुस्कुरा कर सबका अभिवादन स्वीकार कर रही थी।
थोड़ी ही दूर पर गांव की औरतें इकट्ठा होकर दो औरतों के झगड़े का आनंद लूट रही थी दोनों खूब एक दूसरे को गाली गलौज करते हुए लड़ रहे थे तभी एक औरत की नजर सामने से आ रही सुगंधा पर पड़ी,,,। सुगंधा पर नजर पड़ते ही वह जोर से बोली,,,
वह देखो मालकिन आ रही है,,,,।
( इतना सुनते ही गांव की सभी औरतें सुगंधा की तरफ देखने लगी क्योंकि वह लोग जानती थी कि सुगंधा झगड़े को सुलझा देगी,,,, सुगंधा भी गांव की औरतों को इस तरह से इकट्ठा हुआ देखकर उनके पास जाकर बोली,,,।)
तुम लोग इतनी भीड़ क्यों लगा रखे हो क्या हो रहा है इधर,,,,
( तभी उनमें से एक औरत ने सुगंधाको सारा मामला बता दी और सुगंधा उसकी बात सुनकर थोड़ा नाराजगी भरे स्वर में उन दोनों औरताें से बोली,,,)
यह तुम लोग क्या लगा रखी हो इतनी बड़े हो गई हो लेकिन फिर भी बच्चों की तरह झगड़ती हो, इतराती गाली गलौज करके एक दूसरे से लड़ो गे तो यह सब असर तुम्हारे बच्चों पर भी जाएगा अरे अपनी तो जैसे-तैसे गुजार ले रहे हो अपने बच्चों के बारे में तो सोचो,,,, तुम लोगों में जरा भी अक्ल नहीं हैं।,,,
( सुगंधा दोनों औरतों को नाराजगी भरे स्वर में डांट रही थी,,, और वह दोनों नजरे नीचे झुकाए सुगंधा की बात सुन रही थी,,, सुगंधा उन दोनों के झगड़े को सुलझा दी थी और जाते-जाते बोली,,,।)
आइंदा अगर मैंने तुम दोनों कोई तरह से लड़ते झगड़ते पाई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और इतना कहकर वह खेतों की तरफ जाने लगी,,,
ऐसे क्या देख रहे हैं रोहन बाबू,,,( इतना कहते हुए बेला अपनी छातियों की तरफ नजर दौड़ाई और,,,
ब्लाउज में से झांक रही अपनी चूचियों को देखकर अनजान बनते हुए बोली,,,,।)
ओहहहहहहह,,, तो यहां टकटकीे लगाए देख रहे हैं रोहन बाबू,,,,,(बेला मुस्कुराकर खड़ी हुई और शरारती अंदाज में मुस्कुराते हुए बोलीो।)
बड़े शरारती हो गए हो रोहन बाबू और अब तो लगता है बड़े भी हो रहे हो,,, ( इतना कहते हुए रोहन की उत्तेजना में वृद्धि करने के उद्देश्य से जानबूझकर अपने दोनों हाथों से ब्लाउज के ऊपर से अपने दोनों चुचियों को हल्के से दबाकर मानो की ब्लाउज में दोनों कबूतरों को एडजेस्ट कर रही हो इस तरह से अपने होठों को हल्के से दांत गड़ा कर बिना शर्माए रोहन की आंखों के सामने ही अपनी ब्लाउज के उपरी बटन को बंद करने लगी,,
बेला की बातों को सुनकर रोहन घबरा सा गया,,, वह शर्म के मारे अपनी नजरों को इधर-उधर घुमाने लगा लेकिन बेला की की कातिल अदाओं से अपनी नजरों को ज्यादा देर तक हटा पाना उसके बस में नहीं था। इसलिए गहरी गहरी सांसों के साथ वह बेला की मादक अदाओं को देखता रहा। रोहन की हालत को देखकर बेला समझ गई थी कि उसका निशाना ठीक जगह पर जाकर लगा है।,,, बेला नजाकत भरी चाल चलते हुए रोहन की तरफ कदम बढ़ाते हुए उसके करीब पहुंच गई इस बार वह रोहन के बिल्कुल करीब थी,,, और माद क भरे स्वर में धीरे से उसके कान में बॉली,,,,।
रोहन बाबू उठ जाइए सुबह हो गई है,,,।
( और इतना कहते हुए जब वह उठ रही थी तो जानबूझकर अपना एक हाथ चादर के अंदर तने हुए तंबू पर रखकर हल्के से दबाते हुए जानबूझकर चौकते हुए बोली,,,।)
दैया रे दैया यह क्या था । ( इतना कहकर वह उसके तने हुए तंबू की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और चुटकी लेते हुए बोली।
रोहन बाबू अब तो तुम बड़े हो गए हो और तुम्हारा वो भी,,,
( इतना कहकर बेला हंसते हुए अपनी गांड मटका कर कमरे से बाहर चली गई,,, रोहन उसे जाता हुआ देखता रहा उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था।)
सुगंधा तैयार होकर खेतों की तरफ जा रही थी, भरावदार बदन पर सुगंधा की नई साड़ी खूब जँच रही थी,, ऊंची नीची पगडंडियों से जाते हुए सुगंधा के पैर इधर-उधर पड़ रहे थे जिसकी वजह से,, सुगंधा की गोलाकार नितंब दाएं बाएं ऊपर नीचे की तरफ लचक जा रही थी और नितंबों में आ रही है लचकन,, तबले पर किसी थिऱकन की तरह पड़ रही थी,,,। यह नजारा बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,, सुगंधा की कमर बलखा जाने की वजह से जिस तरह से उसकी गांड ऊपर नीचे हिल रही थी,,, देखने वालों की हालत खराब हुई जा रही थी,,,, इस तरह से सुगंधा का गांड मटका के चले जाना किसी के भी लंड में से पानी छोड़ देने के लिए काफी था।,, वैसे भी सुगंधा के बदन का नई नई साड़ी इस तरह से चिपकी हुई थी कि उसके भरावदार बदन का हर एक कटाव हर एक अंग अपना आकार लिए हुए स्पष्ट रूप से नजर आ रहा था।
सुगंधा अपनी मस्ती में खेतों की तरफ चली जा रही थी गांव के सभी मर्द बूढ़े हो या जवान सभी नजरें चुराकर सुगंधा की तरफ देखकर गरम आए भर रहे थे,,, गांव में ऐसा कोई भी शख्स नहीं था जो कि सुगंधा को आंख उठाकर नजर से नजर मिला कर देख सके,, क्योंकि सुगंधा का रुतबा इस तरह का था गांव के सभी लोगों की जमीन के साथ-साथ कुछ ना कुछ सुगंधा के पास गिरवी रखा हुआ था और,,,, गांव की सारे मजदूर सुगंधा के खेतों में मजदूरी करके ही अपना जीवन बसर कर रहे थे,,,, लेकिन इस बात का जरा भी घमंड सुगंधाको नहीं था बल्कि वह तो हमेशा ही गांव वालों की जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी इसलिए गांव भर में सुगंधा की साख और इज्जत बहुत ज्यादा थी।,,,
लेकिन कुदरत ने सुगंधा को कुछ ज्यादा ही खूबसूरती बक्स दी थी,,, जिसकी वजह से ना चाहते हुए भी गांव घर के मर्दों की नजर सुगंधा के मद भरे जवान बदन पर पड़ी ही जाती थी,,,,
सुगंधा उबड़ खाबड़ रास्तों को पार करते हुए खेतों की तरफ चली जा रही थी गांव भर के लोग जहां भी मिलते थे उसे जी मालकिन नमस्ते मालकिन करके उसकी इज्जत में इजाफा कर रहे थे और वह भी मुस्कुरा कर सबका अभिवादन स्वीकार कर रही थी।
थोड़ी ही दूर पर गांव की औरतें इकट्ठा होकर दो औरतों के झगड़े का आनंद लूट रही थी दोनों खूब एक दूसरे को गाली गलौज करते हुए लड़ रहे थे तभी एक औरत की नजर सामने से आ रही सुगंधा पर पड़ी,,,। सुगंधा पर नजर पड़ते ही वह जोर से बोली,,,
वह देखो मालकिन आ रही है,,,,।
( इतना सुनते ही गांव की सभी औरतें सुगंधा की तरफ देखने लगी क्योंकि वह लोग जानती थी कि सुगंधा झगड़े को सुलझा देगी,,,, सुगंधा भी गांव की औरतों को इस तरह से इकट्ठा हुआ देखकर उनके पास जाकर बोली,,,।)
तुम लोग इतनी भीड़ क्यों लगा रखे हो क्या हो रहा है इधर,,,,
( तभी उनमें से एक औरत ने सुगंधाको सारा मामला बता दी और सुगंधा उसकी बात सुनकर थोड़ा नाराजगी भरे स्वर में उन दोनों औरताें से बोली,,,)
यह तुम लोग क्या लगा रखी हो इतनी बड़े हो गई हो लेकिन फिर भी बच्चों की तरह झगड़ती हो, इतराती गाली गलौज करके एक दूसरे से लड़ो गे तो यह सब असर तुम्हारे बच्चों पर भी जाएगा अरे अपनी तो जैसे-तैसे गुजार ले रहे हो अपने बच्चों के बारे में तो सोचो,,,, तुम लोगों में जरा भी अक्ल नहीं हैं।,,,
( सुगंधा दोनों औरतों को नाराजगी भरे स्वर में डांट रही थी,,, और वह दोनों नजरे नीचे झुकाए सुगंधा की बात सुन रही थी,,, सुगंधा उन दोनों के झगड़े को सुलझा दी थी और जाते-जाते बोली,,,।)
आइंदा अगर मैंने तुम दोनों कोई तरह से लड़ते झगड़ते पाई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और इतना कहकर वह खेतों की तरफ जाने लगी,,,


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