Thread Rating:
  • 16 Vote(s) - 2.38 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery रीमा की दबी वासना
रोहिणी उसको गुदगुदी करने लगती है, रीमा खिलखिलाने लगती है और रोहिणी भी | दोनों एक दुसरे में गुताम्गुथा हो बिस्तर पर पसर जाती है | कुछ देर तक रोहिणी रीमा के निश्छल निष्कपट सौन्दर्य को निहारती रहती है | रीमा के गुलाबी प्यास अधर न चाहते हुए भी रोहिणी के ओंठो से चिपक गए | 



[Image: 16496580.gif]
रीमा और रोहिणी एक-दूसरे को बाहों में भरे हुए थी रीमा का हाथ कहा धीरे-धीरे रोहिणी के शरीर के ऊपर से फिसलता  हुआ उसकी कमर के नीचे कमर पहुंच गया, रोहिणी के शरीर में एक अनचाही ही मधुर तरंग दौड़ गयी | उसकी बाहों में थो खूबसूरत रीमा, और दोनो में हंसी मजाक तो होता था लेकिन इतना करीब दोनों कभी नहीं आयी थी की एक दुसरे की सांसे महसूस कर सके | रीमा का हाथ सीधे रोहिणी के नाड़े पर जकल अटक गया | उसने एक उँगली रोहिणी नाड़े में फंसाई और रोहिणी की कमर में बंधा  पजामे का नाडा खीचने लगी |  दोनों के होंठ एक दूसरे से सटे हुए थे दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रही थी दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे | रोहिणी ने भी अपने हाथ रीमा की लेगिंग्स में घुसेड़ दिए और उसके नाजुक स्थूल बड़े बड़े चुताड़ो को सहलाने लगी | दोनों एक दुसरे से कसकर चिपकी हुई थी | दोनों ही एक दूरे के ओंठो का रस पी जाने को बेताब थी दोनों बारी बारी से एक दुसरे के गुलाबी ओंठो को निचोड़ने लगाती |  जैसे जैसे रीमा रोहिणी का नाडा खीच रही थी ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बीच के रिश्ते की मर्यादा का पर्दा भी साथ में खिचता चला जा रहा है | दोनों के बीच की रिश्तो की दीवार ढहने लगी थी और अब दोनों बस दो जवान तड़पते जिस्म भर थे | रीमा ने पजामा खोलते ही अपने हाथ रोहिणी के पजामे में घुसा दिए और अपनी कोमल उंगलियों से रोहिणी की उस वर्जित इलाके की बनावट कसावट और गर्माहट का अनुभव करने लगी | उसकी उंगलियों की संवेदनाये ही उसे बिना आँखों से देखे रोहिणी के स्त्रीत्व की बनावट के दर्शन कराने में सफल हो रही थी | रीमा के हाथ चूत त्रिकोण से फिसलते हुए उसके निचले हिस्से में चले गए जहाँ रोहिणी की कमसिन चूत अपनी मांसल जांघो के बीच में छिपी हुई थी | रीमा ने उसके खूबसूरत ओंठो की गुलाबी बनावट पर अपनी उंगलियाँ फिराई और फिर उसकी जांघो की सहलाते हुए उसके चुताड़ो की तरफ सगली गयी | रोहिणी मदहोश होने लगी थी, वो दोनों हाथो में रीमा के मांसल चूतड़ भरकर उनकी कसकर मालिश कर रही थी | 

[Image: 20821356.gif]


रीमा ने रोहिणी की पजामे को नीचे खिसकाना शुरू कर दिया | दोनों के गुलाबी ओंठ आज एक दुसरे को निचोड़ देने को बेताब थे | नीचे दोनों के हाथ और उंगलिया क्या कर रहे है इसकी खबर से पूरी तरह से बेपरवाह उनके गुलाबो ओंठ एक दुसरे में गुथम गुथा थे और बेतहाशा एक दुसरे का रसपान कर रहे थे | रीमा रोहिणी के पजामे को उसके घुटनों तक ले गयी इसके बाद रोहिणी ने अपने पैरो से ही पजामे को नीचे खिसकाकर अपने पैरो से अलग कर दिया | उसकी कसी पैंटी में लिपटे उसके अर्द्ध नंग्न मांसल भरी भरकम चूतड़ बेपर्दा हो गए | रीमा का बदन अभी कपड़ो से ढका हुआ था , उम्र में बड़ी होने और सेक्स का ज्यादा अनुभव भी होने के कारन रोहिणी के अन्दर एक पल को लगा की रीमा तो उससे आगे निकलती जा रही है | उन्होंने अपने अहम् को संतुष्ट करने को रीमा की लेगिंग्स को जबदस्ती नीचे खिसकाना शुरू कर दिया | रीमा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया | रीमा बस रोहिणी को चूमने में लगी रही और उसके नाजुक हाथ रोहिणी के कोमल बदन पर फिसलते रहे | रोहिणी ने रीमा की लेगिंग्स खिसकाकर उसके घुटनों तक कर दी और उसके गुलाबी मांसल चुताड़ो एक चपत लगा दी | 
रीमा के मुहँ से एक हल्की मीठी सीत्कार भरी चीख निकल गयी - आआऔऊऊऊच  | 
रीमा ने भी रोहिणी के ओंठो को अपने दांत के नीचे  भींच लिया  | अब बारी चीखने की रोहिणी की थी - आआआऊऊऊउ | 
रीमा द्वारा इतनी तेजी से दी गयी प्रतिक्रिया से रोहिणी हैरान रह गयी | 
उसने भी रीमा के चुताड़ो को पूरी ताकत से भींच लिया और कहने लगी - मेरी कट्टो रानी तो बिजली से भी तेज है, मुझे पता था बहुत आग भरी है तेरे इस खूबसूरत बदन में  | रोहिणी ने एक हाथ पीछे से निकाल कर उसके स्तन की एक चूंची कसकर मसल दी | 
रीमा के मुहँ से फिर से हल्की चीख निकल गयी - आआऔऊऊऊच  दिदिदिद प्लीज ................|  
रोहिणी - प्लीज क्या........तू न मिर्च से भी तीखी है ये तो मुझे पता चल गया, तुझे तो बस चीखना पड़ेगा, अगर किसी ने खाने की सोची तो अपना मुहँ ही जला लेगा, इतना पक्का है | रीमा ने अपनी तनी हुए उन्नत पहाड़ियों की नुकीली चोटी को मसल रहे रोहिणी की हाथ को वहां से हटा कर फिर से चूतड़ की तरफ बढ़ा दिया | रोहिणी समझ गयी अभी रीमा बस अपने चुताड़ो को मालिश करवाना चाहती है | रोहिणी ने फिर से रीमा की चूतड़ अपनी हथलियो में भींच लिए और उन्हें मसलने लगी | रीमा  भी अपने हाथ कसकर रोहिणी की गर्दन के पीछे जमा दिए और उसके चेहरे को अपने चेहरे की तरफ ठेल दिया  | नतीजा दोनों के ओंठ एक दुसरे में कसकर चिपक गए | रीमा ने अपनी लम्बी गीली जीभ रोहिणी के मुहँ में ठेल दी | रोहिणी के लिए ये नया नहीं था लेकिन चौकाने वाला जरुर था | कम से कम उसे रीमा से ये उम्मीद नहीं थी | उसे एक पल लगा रीमा की इस हरकत को आत्मसात करने में फिर उसने अपने ओंठो की गुलाबी सुरंग में रीमा की जीभ को जकड लिया और उसके कसकर चूसने लगी और उसके ओंठ रीमा की गीली गुलाबी जीभ पर फिसलने लगे | 

[Image: 18309351.gif]

रोहिणी के हाथ रीमाँ के मांसल चुताड़ो पर फिसल रहे थे और रीमा ने रोहिणी के चेहरे को थाम रखा था | और दोनों के गीली गुलाबी जीभे एक दुसरे के मुहँ में सरपट फिसल रही थी | रोहिणी के जीभ अपनी गुलाबी गुफा से निकल कर रीमा के ओंठो को चीरते हुए उसकी गुलाबी गुफा में जा रही थी और रीमा की गुलाबी जीभ रोहिणी की गुफा में | रोहिणी को अब तक समझ आ गया था, रीमा क्यों बाकि दुनिया से अलग है | जीभ और ओंठ के ऐसे खेल उसने भी खेले है लेकिन ये बस चंद पल के होते है | आज तो उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई किसी गहरी झील की गुफा की लहरों में उसकी नाव नुमा जीभ हिलकोरे लेते हुए आगे तक फिसलती जा रही है | उसके ऊपर सुहागा ये की दोनों इतनी करीब थी की एक दूसरे की सांसे को न केवल महसूस कर सकती थी बल्कि उन्हें पीकर अपने अन्दर समाहित कर सकती थी | दोनों की भाप बनकर निकलने वाली सांसे उनके चेहरे और ओंठो की तपिश और बढ़ा रही थी | हर पल हर स्पर्श हर  साँस का अहसास उसे आज बस रीमा के साथ हुआ | कमरे और मन में इतनी शांति थी की आज न केवल वो अपनी धड़कने सुन पा रही थी बल्कि अपनी गरम सांसे भी गिन पा रही थी | वो इन खेलो में बहुत एक्सपर्ट थी लेकिन ये स्पर्श ये अहसास उसे सायद आजतक नहीं महसूस हुआ था | रीमा की गीली जीभ अपनी गीली जीभ को नुरा कुश्ती करने का गीला रोमांचकारी अहसास | वासना की कितने रूप है और किन किन रूपों में इसे वो भोग सकती है शायद उसे भी नहीं पता था | दोनों एक दुसरे से चिपके हुए एक दुसरे के मुहँ में अपनी अपनी गरम भाप भरी सांसे समाते हुए काफी देर तक ऐसे ही अपनी अपनी जीभो से एक दुसरे के मुहँ में खेलती रही | 

रोहिणी रीमा से अलग हुई | रीमा अलग नहीं होना चाहती थी लेकिन कुछ कर न सकी | रोहिणी ने रीमा की आँखों में झाँका | दोनों की आँखों में वासना के सुर्ख डोरे तैर रहे थे | रोहिणी के अलग होने से रीमा को अपने होने का अहसास हुआ | जब उसे अहसास हुआ वो रोहिणी जीजी के साथ तो शर्म से झेंप गयी लेकिन इससे पहले उसके अन्दर की ग्लानी और शर्म उसे आकर घेर ले रोहिणी उसके ऊपर छा गयी | रोहिणी नहीं चाहती थी जो माहौल बना है वो यू की दकियानुकुसी में खराब हो जाये | वो नहीं चाहती थी की रीमा शर्म हया और ग्लानी के जाल में फंसकर फिर से अपनी एकाकी दुनिया में चली जाये | रीमा रोहिणी के साथ सहज रहती थी बोलती थी बाते करती थी लेकिन उसका ये पहलू उसने कभी जाहिर नहीं होने दिया | रोहिणी इस रीमा को नहीं खोना चाहती थी | ये उसके लिए थोड़ा आश्चर्य चकित करने वाला था लेकिन रीमा का ये रूप उसे पसंद था, बिंदास उन्मुक्त रीमा | उसके जिस्म में एक जादू था और इसका अहसास बस उसी को हो सकता था जो उसके करीब हो, न केवल शरीर से बल्कि मन से भी | अगर वो इन्सान मन से करीब नहीं तो रीमा के भेद खोल पाना मुश्किल है, रीमा को बस उसका विश्वास चाहिए था, जैसे ही उसने वो महसूस कर लिया फिर वो जादू की परी बन जाती थी ऐसी परी जो सिर्फ स्वर्ग की सैर कराती है |  वो थोड़ा बहुत तो रीमा का मन पढ़ ही पा रही थी | रीमा के ऊपर जाते ही उसके अपने पैरो से रीमा की जांघे फैला दी और अपनी जांघो को उसकी जांघो के बीच में भर दिया | उसके चेहरे को कसकर अपने हाथो में थाम लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगी | वो किसी भी हाल रीमा के दिल के कोने तक जाना चाहती थी, उसकी सारी बाते जानना चाहती थी जो आज तक उसने नहीं बताई, उसके मन में क्या है उसे जानना था भले ही ओंठो से न सही लेकिन रीमा बोलती तो है, वो भले ही अपने ओंठ सिल ले लेकिन वो अपने जिस्म को नहीं रोक पाती, वो बोलने लगता है बस उसको समझने वाला चाहिए | रीमा भी खुद को रोक नहीं पाई और रोहिणी के साथ बहती चली गयी | उसके ओंठ भी रोहिणी के ओंठो के साथ चिपकते चले गए | दोनों के गुलाबी ओंठो में नुरा कुस्ती फिर से शुरू हो गयी | दोनों कमर के नीचे बस पैंटी में अपने गोर बदन को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी | दोनों के भारी भरकम मांसल बड़े बड़े चूतड़ कमरे की रोशनी में अलग ही दमक रहे थे | दोनों एक दुसरे से चिपकी एक दूसरे में गुथमगुथा एक दुसरे को बेहताशा चूम रही थी | 

[Image: 21405638.gif]
धीरे धीरे  दोनों का एक एक हाथ एक दूसरे के चूतड़ पर फिसलने लगा दोनों एक-दूसरे के बड़े मांसल चूतड़ों को अपनी हथेली में भरकर के मालिश कर रही थी उसे रगड़ रही थी उसे सहला रही थी और एक दूसरे के होठों को चिपकाए हुए एक दूसरे के होठों का रस पी रही थी  दोनों की आंखों में इस समय हवस का नशा पूरी तरह नजर आ रहा था  और दोनों अपने रिश्ते की मर्यादा को टाक पर रखकर  एक दूसरे की बाहों में समाकर एक दूसरे के बदन को आपस में रगड़ रही थी और अपनी जवानी को और ज्यादा भड़का रही थी दोनों के अन्दर की दबी हुई वासना अब उफान मारने लगी थी | रोहिणी की जांघे रीमा की जांघो के बीच धंसी उसकी जांघो से रगड़ खा रही थी | एक दुसरे से रगड़ते बदन से दोनो के बदनो में गर्मी बढ़ने लगी थी | छाती से छाती रगड़ रही थी पेट से और पैंटी से पैंटी रगड़ खा रही थी | दोनों की पैंटी में कैद उनके स्त्रीत्व का अभिमान उनकी गुलाबी कसी हुई चूत में हलचल होने लगी थी | उसकी चूत की सुरंग में होने वाली हलचल की तरंगे अब दोनों के दिलो दिमाग तक पंहुचने लगी थी | दोनों आपस में इस कदर वासना में डूब चुकी थी की उन्हें अहसास ही नहीं था की उन्ही से चंद कदम दूर कोई और इन्सान भी है जो उनकी इस नुरा कुश्ती की सिसकारियां सुनकर जाग सकता है | रोहिणी ने रीमा की स्तनों पर अपने हाथ जमा दिया | 
मेरिउसकी आँखों में एकटक देखते हुए रोहिणी - बता मेरी कट्टो रानी, कैसा लग रहा है | रीमा ने आत्मीयता से आंखे से इशारा किया |
रोहिणी ने उसकी चुन्ची को जोर से मसलते हुए - बोल न मेरी कट्टो रानी, मजा आ रहा है और जोर से रगडू |
रीमा इस मीठे दर्द से हलके से चीख उठी - आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह |
रोहिणी - मजा आ रहा है मेरी परी को और जोर से मसलू | इतना कहकर उन्होंने और जोर से निप्पल मसल दिया |
रीमा की इस बार चीख निकल गयी - आआआआऐईईईई दीदी दिद्द्दद्द्द |
रीमा ने भी अपने हाथो में रोहिणी के स्तनों को भर लिया और मसलने लगी | रीमा और रोहिणी के गरम बदन में अब हलचल बढ़ने लगी थी | लगातार एक दुसरे का मर्दन करने से उसकी चूत में गीलापन आना शुरू हो गया था | रीमा ने रोहिणी के बड़े बड़े सुडौल स्तनों पर से हाथ हटाया और उसके टॉप में उंगली फंसाकर उसे ऊपर को खीचने लगी |  कमरे के बाहर अंधेरा था और कमरे के अंदर रोशनी भरपूर थी इसलिए कमरे के बाहर से अगर कोई देखता तो कमरे के अंदर का वह वासना का नंगा नाच का नजारा साफ-साफ देख सकता था रीमा और रोहिणी एक दूसरे की बाहों में समाए हुए थी | दोनों की जुल्फे बिखरी हुई थी, दोनों एक दुसरे से चिपकी हुई थी, दोनों एक दुसरे को चूम रही थी |
[Image: 17109963.gif]
 दोनों के भारी भारी गोरे गोरे गुलाबी मांसल  चूतड़ बस एक पतली सी पैंटी से ढके हुए थे बाकी सब कुछ उसका साफ साफ दिख रहा था ऊपर उसने टॉप पहनी हुई थी | दोनों अब मदहोश होने लगी थी रीमा को तो पहले से होशो हवास  नहीं था वह अपनी वासना में इस कदर खो गई थी कि आसपास का उसे होश ही नहीं रहा था वह बेतहाशा रोहिणी को चूम रही थी उसका यह किसी औरत के साथ पहला अनुभव था और इसीलिए उसके अंदर की उत्तेजना अब लगातार उफान मार रही थी वह बेतहाशा उन्हीं को चूमे जा रही थी और उसके उसके चूतड़ों को सहला रही थी उसके बाद रोहिणी ने अपने हाथो को उठाते हुए रीमा के चूतड़ों पर जमा दिया और उसको  अपनी जांघों की गिरफ्त में ले लिया | रीमा भी रोहिणी की गिरफ्त में समाती चली गई |  धीरे-धीरे रोहिणी बिस्तर पर लेट गई और रीमा उसके ऊपर आ गई थी रोहिणी ने अपनी दोनों जांघों को कसकर रीमा की कमर के ऊपर सटा दिया था जिससे कि रीमा रोहिणी की जांघों की सख्त  गिरफ्त में पूरी तरह से बंध गयी  हालांकि दोनों के होंठ एक दूसरे से अभी भी चिपके हुए थे और लगातार दोनों एक दूसरे को चूम रही थी 


[Image: 27359.gif]|
अब रीमा धीरे-धीरे अपने शरीर को झटके देकर रोहिणी को चूम रही थी रोहिणी भी रीमा की गर्दन पर हाथ रख कर के उसको तेजी से अपनी ठेल रही थी और रीमा के लगने वाले झटकों से दोनों एक दूसरे से कस के रगड़ खा रहे थे और दोनों के बदन की गर्मी अब पसीने में बदलने लगी थी |  दोनों की सांसो में तेजी थी, धड़कने धक धक कर रही थी और नाक से निकलने वाली गरम भाप एक दुसरे के चेहरे को तपा रही थी | दोनों की उत्तेजना अपने अपने उफान पर की तरफ बढ़ने लगी थी दोनों गर्म गर्म सांसे एक दूसरे में घुलने लगी थी उनके बदन की गर्मी से निकलने वाला पसीना उसके जिस्उमो को गीला करने लगा | रीमा की जुल्चाफे चारों तरफ बिखरी हुई थी और रोहिणी बार-बार उन्हें संभालती लेकिन रीमा की उत्तेजना कुछ ज्यादा ही थी और वह रोहिणी पर ऐसे टूटे पड़ रही थी जैसे कई दिन की भूखी शेरनी खाने पर टूट पड़ती है | रीमा लगातार अपनी कर हिलाकर अपने चूत वर्जित चूत त्रिकोण को रोहिनई के चूत त्रिकोण पर रगड़ रही थी | पैंटी के ऊपर सी ही दोनों की खूबसूरत चूत की घाटी आपस में रगड़ खा रही थी |  रोहिणी भी  लगातार रीमा के होठों से को चूम रही थी उसके चेहरे को चाट रही थी और उसके बदन को सहला रही थी | उसके बाद रोहिणी रीमा को बांहों में भरे भरे उलटा हो गयी | अब रीमा नीचे थी और रोहिणी ऊपर |  उसने रीमा को चूमना शुरू किया था रोहिणी का हाथ  रीमा की कमर पर उसको पकड़ के अच्छे से उसे अपने जिस्म की तरफ ठेल रहा था  | इसी बीच रोहिणी ने रीमा को बिस्तर पर उलटा लिटा दिया | उसकी छातियाँ बिस्तर में धंस गयी और उसके मांसल भारी भरकम चूतड़ ऊपर को हवा में उठ गए | रोहिणी अब तक रीमा के हाथो में खेल रही थी उसे लगा अब उसे भी तेजी दिखानी चाहिए और रीमा के जिस्म में उफान मरती उसकी वासना की आग को ठंडा करने का कुछ इंतजाम करना चाहिए | उसने रीमा के चुताड़ो को मसलते हुए उसकी पैंटी को नीचे खिसका दिया | रीमा की वर्जित गुलाबी चूत घाटी बेपर्दा हो गयी | हमेशा की तरह खूबसूरत दमकती चमकती उसकी गुलाबी चूत अपनी ओंठो की सख्त जकड़न से पूरी तरह बंद थी | उसकी चूत पर नजर डालते ही रोहिणी के अन्दर इर्ष्या और खुसी दोनों एक साथ दौड़ गयी | वो रीमा की चूत की खूबसूरत बनावट से जलन खा रही थी लेकिन उसकी अपनी सगी भौजाई इतनी खूबसूरत है ये सोचकर ख़ुशी के मारे फूले नहीं समां रही थी और उसे उसकी खूबसूरती न केवल देखने को मिल रही है बल्कि भोगने को भी मिल रही है | उसके हाथ की उंगलिया रीमा की उस वर्जित घाटी में उतर चुकी थी | रीमा की अन्दर उमड़ रहे वासना के तूफ़ान को अब चूर चूर करने का टाइम आ गया था और रोहिणी जानती थी अब रीमा को क्या चाहिए | अब उसे न कोमल स्पर्श की जरुरत है न जादुई चुम्बन की | रीमा वो दौर लांघकर आगे आ चुकी थी | उसके तपते बदन की गर्मी ये बताने की लिए काफी थी की रीमा अब उत्तेजना से पूरी तरह से नहा चुकी है | उसकी चूत से निकलने वाले चूत रस ने उसके ओंठो को भिगो दिया था | रोहिणी ने अपनी सारी उंगलियों को उससे गीला किया | रोहिणी ने अपनी कोमल उंगलियों का स्पर्श एक दो बार रीमा के चूत के ओंठो पर किया और फिर उसकी चूत की दरार पर एक गीली उंगली फिराई | रीमा वासना में  सिसक उठी | रोहिणी समझ गयी रीमा को क्या चाहिए |  रोहिणी से कसकर रीमाकी  चूत को मसलना चालू कर दिया, जीतनी तेज जीतनी ताकत से मसल सकती थी वो अपना हाथ रीमा की चूत घाटी में हिलाने लगी | रीमा के मुहँ से सिसकारियो की बौछार फुट पड़ी | रीमा ने मुठ्उठिया भींच ली और कसकर बेड की चादर को जकड लिया | रीमा के  मुहँ से निकलने वाली तेज सिसकारियो से कमरा गुजने लगा | रोहिणी सतर्क हो गयी उसे लगा ऐसे तो रीमा पुरे घर को जगा कर रख देगी | उसने झट से अपना एक हाथ से रीमा के मुहँ को दबा लिया | अब उसकी चूत के ओंठो और दाने के तेज रगड़न से उसकी चूत में उठने वाली वासना की तरंगो के दिलो दिमाग तक तक पंहुचने से निकलाने वाली सिसकारियां मुहँ में ही घुटकर रह जा रही थी | रीमा कराह रही थी तड़प रही और अपने अन्दर ही उस तड़प को घोटे ले रही थी | रोहिणी ने अपने हाथ की तेजी बरक़रार रखी, उसके दूसरे हाथ ने सख्ती से रीमा का मुहँ बंद कर रखा था | रोहिणी रीमा के कान में कुछ बडबडा रही थी जो  रीमा के बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा था | बेताह्सा गुलाबी चूत रगड़े  जाने से उसके अन्दर उठने वाली तरंगो ने उसके तन बदन में आग लगा दी और वो उसे मुहँ की सिकरियो के जरिये बाहर भी नहीं निकाल पा रही थी जब उससे रहा नहीं गया तो उसने रोहिणी का हाथ खीच लिया | रोहिणी ने उसके मुहँ पर से पकड़ ढीली कर दी, रीमा तेजी से हांफते हुए लम्बी साँस लेने लगी और खुद को नियंत्रित करने लगी | 
[Image: 20746222.gif]


 अपने चूत दाने और चूत के ओंठो होठों पर खेलती फिसलती हुई तेज उंगलियों के कारण रीमा से जैसे पागल सी हो गई थी लेकिन रोहिणी को पता था कि क्या करना है उसने लगातार रीमां की चूत के चूत दाने को कसकर मसलना जारी रखा रीमा के अंदर से उठाने वाली कामुक तरंगो की मादक सिसकारियां उसके मुहँ में आकर घुट जा रही थी रीमा ने कसकर अपने ओंठ भींच रहे थे ताकि उसकी दबी वासना की कामुक आवाज कमरे के बाहर के बाहर न जा पाए | 


रीमा तो अपनी चूत के इस तरह से रगड़े जाने के कारण जैसे पागल सी हो गई थी उसे लगा कि अब उससे रहा नहीं जाएगा इसलिए उसने झट से अपने आप को पलट लिया और रोहिणी के गुलाबी ओंठो से अपने गुलाबी ओंठ सटा दिए | 
[Image: 7723694.gif]
उसने अपनी लंबी  जुबान निकाली और रोहिणी के मुहँ में ठेल दी | रोहिणी अपने मुहँ में उसकी गीली जीभ लेकर उसके चूसने लगी | दोनों ने एक दुसरे के गले में बाँहे डाल दी और एक दुसरे के ओंठो से फिर से अपने ओंठ सटा दिए | अब दोनों एक दुसरे के आगोश में थी | दोनों की बिखरी हुई जुल्फे उन्ही के पसीने से नहाये बदन पर चारो तरफ बिखरी हुई थी | दोनों की  गुलाबी जवानी एक दूसरे से टकरा रही थी दोनों की गरम पसीने से नहाये बदन  एक दूसरे से चिपके हुए थे | दोनों की गर्म सांसे एक दूसरे में घुल रही थी दोनों के गुलाबी जीभे एक दूसरे के गुलाबी ओंठो को चीर कर एक दुसरे के मुहँ में समां जाने को आतुर थी | दोनों के नरम बदन एक दूसरे का जादुई स्पर्श पाकर के आनंद में डूबे जा रहे थे | दोनों के अंदर की अनछुई वासना, एक औरत का दूसरी को स्पर्श,  एक दूसरे की गहराई में इस तरह जाना | दोनों के  आनंद की कोई सीमा नहीं थी | 

इसी बीच धीरे से रीमा ने  रोशनी को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और उसकी पैंटी में हाथ घुसेड़कर उसके चूत को रगड़ने लगी | रोहिणी की सिसकारियां छुटने लगी क्योंकि रीमा का हाथ बहुत तेजी से उसके चूत के ओंठो और उसके चूत दाने पर फिसल रहा था |  रोहिणी को लगा रीमा तो बहुत ही अनुभवी खिलाडी की तरह उसके साथ खेल रही है, कहाँ वो खुद रीमा को एन्जॉय करना सिखाने आई थी लेकिन यहाँ तो रीमा ने ही समा बांध दिया | रीमा की उंगलियों का जादू वासना की तरंग बनकर रोहिणी के बदन में उतारने लगा | उसका जादुई स्पर्श, रोहिणी को पागल बनाने लगा | रीमा की उंगलियों का जड़ी न केवल रोहिणी के जवान जिस्म में वासना की आग भड़का रहा था बल्कि उसके स्पर्श के आनंद का जादू सीधे रोहिणी के दिलो दिमाग में उतरता चला जा रहा था | रीमा की नाजुक नरम उंगलियाँ उसके पैंटी के अंदर घुसकर उसकी वासना के सेण्चुटर पॉइंट चूत दाने पर फिसल रही थी और रीमा के जादुई स्पर्श के साथ में रोहिणी के शरीर में एक तरंग दौड़ जाती, वो रीमा के साथ आनंद में झूम जाती  और अपने चूतड़ उससे सटा करके अपनी कमर हिलाने लगती दोनों एक दूसरे के जिस्म से काफी देर से खेल रही थी और अब वक्त था अपने उस खेल को आगे बढ़ाने का | 
रोहिणी ने झटके से रीमा को नीचे खिसका दिया और उसकी टॉप खिसकाकर उसकी तनी हुई गोरी नरम सुडौल उन्नत पहाड़ियों की चोटियों पर अपने गुलाबी रस से भरे कांपते होठों को सटा दिया |  रीमा तो जैसे आनंद से सराबोर हो गई वह बस एकटक रोहिणी हुए आंखों की तरफ देखती रही लेकिन रोहिणी बस उसके तने हुए नरम नरम गोरे गोरे  सुडोल स्तनों की चोटियों का रसपान करने में इस तरह से खो गई है कि उसने रीमाकी तरफ देखा तक नहीं | रीमा भी इस आनंद के एहसास से मदहोशी होती चली गयी 
[Image: 14693683.gif]
  रीमा का किसी औरत के साथ ये पहला एक्सपीरियंस था   एक पुरुष के स्पर्श और स्त्री के स्पर्श का अंतर उसे साफ साफ नजर आ रहा था स्त्री के स्पर्श में नजाकत होती है नफासत होती है और वह संवेदना होती है जिसकी चाहत थी हर औरत रखती है यहाँ पुरुष वाली कठोरता नहीं थी लेकिन इस स्पर्श में एक मखमली एहसास था जो एक औरत ही औरत को दे सकती है और इसी मखमली अहसास में दो जवान जिस्म अपने आप को डुबोये हुए वासना के सागर में तैर रहे थे |  उधर रोहिणी आंख बंद करके रीमा के दोनों स्तनों को बारी-बारी से जी भर के पी रही थी उसके अंदर का सारा रस निचोड़ ले रही थी दोनों ही वासना की वासना के भंवर में डूबे हुए थे दोनों की मासूम आंखों में वासना का सुर्ख काजल भरपूर लगा हुआ था | वासना और हवस के सुर्ख डोरे दोनों की आँखों में तैर रहे थे  | उनकी गरम सांसे उनके तपते जिस्म में  उमड़ रहे जवानी के तूफान की गवाही दे रही थी | उनकी तेज धड़कने उनके जिस्म में लगी हवस की आग के उबाल की गवाही दे रही थी | दोनों जवान जिस्म  बस एक दुसरे से चिपककर एक दुसरे में समां जाने को आतुर थे |  
Like Reply


Messages In This Thread
RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 03-08-2019, 11:14 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)