03-08-2019, 12:18 PM
महसूस करने का सुख डॉग नहीं पाया था और ना ही सुगंधाको ही,,, अद्भुत सुख का एहसास करा पाया था,,,, सुगंधा को इस बात का दुख अब तक अखर रहा था कि ना तो वह कुछ कर पाया और ना ही उसे कुछ करने दिया यही बात सोचते हुए वह अपने दोनों खरबूजो पर हथेली का स्पर्श कराकर हटा ली और अपना मन भटकने ना देकर तुरंत अपनी पेंटी को दोनों हाथों से पकड़कर नीचे की तरफ सरकाते हुए अपनी दुधिया चिकनी लंबी लंबी टांगों से होते हुए नीचे की तरफ लाई है और अगले ही पल अपनी पेंटी को भी ें उतार फेंकी,,,, अब सुगंधा बाथरूम में संपूर्ण नग्नवस्था में थी,,, इस समय सुगंधा स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी,,,। इस पल का नजारा किसी के भी लंड से पानी फेंक देने के लिए काफी था। गोरा गोरा बदन कामुकता से भरा हुआ, लंबे काले काले घने बाल जो कि उसकी कमर के नीचे भराव दार उन्नत नितंबों को स्पर्श करते थे, गोल चेहरा भरा हुआ किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं था जवानी से भरे हुए बदन पर सुगंधा की तनी हुई दोनों चूचियां कुदरत के द्वारा दी हुई संपूर्ण जवानी को पुरस्कृत करते हुए मैडल की तरह लग रही थी।
पेट पर चर्बी का नामोनिशान नहीं था हालांकि सुगंधा किसी भी प्रकार का योग व्यायाम नहीं करती थी लेकिन जिस तरह से सारा दिन हुआ इधर उधर दौड़ती फिरती हुई काम करती और करवाती थी,,, इस कारण से उसका बदन इस उम्र में भी पूरी तरह से कसा हुआ था। मोटी मोटी चिकनी जांघें केले के तने के समान नजर आती थी,, जिसे हाथों से सहैलाना और चूमना हर मर्द की ख्वाहिश थी।,,,
जिस तरह की खूबसूरती से भरी हुई सुगंधा थी उसी तरह से बेहद खूबसूरत उसकी बेशकीमती बुर थी। जिसका आकार केवल एक हल्की सी दरार के रूप में नजर आ रही थी। हल्की सी उपसी हुई,,, या युं कहलो की गरम रोटी की तरह फुली हुई थी जिस पर हल्के हल्के सुनहरी रंग की झांटों का झुरमुट बेहद हसीन लग रहा था।,,,,। यह औरत के बदन का वह बेशकीमती हिस्सा था,,, जिसे पाने के लिए दुनिया का हर मर्द कुछ भी कर जाने को तैयार रहता है। और यह तो सुगंधा की बुर थी, जिसके बारे में सोच कर ही ना जाने रोज कितने लोग अपना पानी निकाल देते थे।
सुगंधा का कसा हुआ बदन और उसकी पतली दरार रुपी बुर को देखकर यह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था कि वह एक बेटे की मां है।
https://ibb.co/y41c7Jk
समय धीरे धीरे काफी बीत चुका था इसलिए सुगंधा जल्दी जल्दी स्नान करके तैयार हो गई,,,, हल्की गुलाबी रंग की साड़ी में सुगंधा बला की खूबसूरत लग रही थी। बेला जल्दी से नाश्ता तैयार कर दी थी और सुगंधा के लिए नाश्ता परोस कर बाकी के काम में जुट गई थी।
सुगंधा नाश्ता खत्म करके खेतों की तरफ जाने के लिए तैयार हो गई थी और घर से बाहर निकलते निकलते वह बेला को,, आवाज लगाते हुए बोली।
बेला औ बेला कहां रह गई,,,,,,,?
जी आई मालकिन. ( बेला भी रसोईघर से लगभग भागते हुए सुगंधा के पास आई)
रोहन उठा कि नहीं,,,,,
जी नहीं मालकिन रोहन बाबू अभी तक सो रहे हैं,,,
अरे तो जाओ उसे जगाओ कब तक सोता रहेगा,,,,
जी मालकिन अभी जा रही हूं ( और इतना कह कर बेला रोहन को जगाने के लिए जाने लगी और सुगंधा खेतों की तरफ निकल गई)
बेला इसी तरह से दिन भर अपनी मालकिन के हुक्म पर बिना थके लगी रहती थी। इसी वजह से सुगंधा भी बेला को अधिक मानती थी सुगंधा खेतों की तरफ चली गई थी और बेला रोहन को जगाने के लिए उसके कमरे की तरफ जा रही थी, रोहन सुगंधा का बेटा था ज्योति हाई कॉलेज पास कर चुका था लेकिन पढ़ाई में उसका बिल्कुल भी मन नहीं लगता था गांव के आवारा छोकरो के साथ थोड़ी बहुत उसकी संगत हो चुकी थी। सुगंधा इसलिए उसके साथ बेहद शख्ती से काम करती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह भी उसके बाप की तरह निकम्मा ना हो जाए,,,,
बेला रोहन के कमरे के करीब पहुंची तोे देखी की दरवाजा हल्का सा खुला हुआ है,,,,,
यह रोहन बाबू भी ना,,, ना जाने कब समझेंगे,,,,, बिल्कुल भी समझ नहीं है कि दरवाजा बंद करके रखें,,,,, ( बेला मन ही मन में बड़बड़ाते हुए कमरे के अंदर प्रवेश की,,,)
रोहन बाबू औ रोहन बाबू यह देखो (जमीन पर गिरी हुई तकिए को उठाते हुए ) कौन सी चीज कहां गिरी पड़ी है इसका इन्हें भान ही नहीं है,,,, (तकिए को उठा कर बिस्तर पर रखते हुए)
अरे उठ जाइए रोहन बाबू वरना मालकिन गुस्सा करेंगी,,,,
(
इतना कहते हुए बिना की नजर चादर के उठे हुए भाग पर पड़ी तो वह एकदम से दंग रह गई,,, और बेला का दंग हो जाना लाजिमी था क्योंकि वह चादर रोहन की टांगों के बीचो-बीच उठा हुआ था जैसे कि छोटा सा तंबू हो,, और खेली खाई बेला को समझते देर नहीं लगी कि यह चादर किस वजह से उठी हुई है,,, वह एक तक उस उठे हुए भाग को देख रही थी वह रोहन को जगाना भूल गई उसके मन में अजीब से ख्याल आने लगे,,,, बेला यह तो अच्छी तरह से समझ गई थी कि चादर का यह हिस्सा रोहन के लंड की वजह से ही उठा हुआ है,,, लेकिन बेला के लिए हैरान करने वाली बात यह थी कि रोहन की उम्र के मुताबिक चादर का उठा हुआ आकार कुछ ज्यादा ही बड़ा और तगड़ा लग रहा था। एक पल के लिए तो लंड के आकार के बारे में सोच कर ही बेला के तन बदन में झुनझुनी सी फैल गई,,,,, और उसकी मांसल जांघों के बीच कसमसाहट भरी लहर दौड़ने लगी,,,,,,,
बेला आई तो थी रोहन को जगाने लेकिन रोहन के लंड की वजह से बने तंबू को देख कर रोहन को जलाना भूल गई अब उसके मन में अजीब अजीब से ख्याल घूम रहे थे,,, अब उसके मन में ऐसा आ रहा था, की वो चादर हटा कर देखें रोहन का हथियार कैसा है क्योंकि औरत का मन होने के नाते उसके मन में रोहन के लंड को देखने की उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी।
बेला अपनी उत्सुकता को रोक नहीं पा रही थी उसके हाथ खुद ब खुद आगे बढ़ते जा रहे थे,,। वह चादर को अपने हाथ में पकड़ ली थी,,,,
पेट पर चर्बी का नामोनिशान नहीं था हालांकि सुगंधा किसी भी प्रकार का योग व्यायाम नहीं करती थी लेकिन जिस तरह से सारा दिन हुआ इधर उधर दौड़ती फिरती हुई काम करती और करवाती थी,,, इस कारण से उसका बदन इस उम्र में भी पूरी तरह से कसा हुआ था। मोटी मोटी चिकनी जांघें केले के तने के समान नजर आती थी,, जिसे हाथों से सहैलाना और चूमना हर मर्द की ख्वाहिश थी।,,,
जिस तरह की खूबसूरती से भरी हुई सुगंधा थी उसी तरह से बेहद खूबसूरत उसकी बेशकीमती बुर थी। जिसका आकार केवल एक हल्की सी दरार के रूप में नजर आ रही थी। हल्की सी उपसी हुई,,, या युं कहलो की गरम रोटी की तरह फुली हुई थी जिस पर हल्के हल्के सुनहरी रंग की झांटों का झुरमुट बेहद हसीन लग रहा था।,,,,। यह औरत के बदन का वह बेशकीमती हिस्सा था,,, जिसे पाने के लिए दुनिया का हर मर्द कुछ भी कर जाने को तैयार रहता है। और यह तो सुगंधा की बुर थी, जिसके बारे में सोच कर ही ना जाने रोज कितने लोग अपना पानी निकाल देते थे।
सुगंधा का कसा हुआ बदन और उसकी पतली दरार रुपी बुर को देखकर यह अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था कि वह एक बेटे की मां है।
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समय धीरे धीरे काफी बीत चुका था इसलिए सुगंधा जल्दी जल्दी स्नान करके तैयार हो गई,,,, हल्की गुलाबी रंग की साड़ी में सुगंधा बला की खूबसूरत लग रही थी। बेला जल्दी से नाश्ता तैयार कर दी थी और सुगंधा के लिए नाश्ता परोस कर बाकी के काम में जुट गई थी।
सुगंधा नाश्ता खत्म करके खेतों की तरफ जाने के लिए तैयार हो गई थी और घर से बाहर निकलते निकलते वह बेला को,, आवाज लगाते हुए बोली।
बेला औ बेला कहां रह गई,,,,,,,?
जी आई मालकिन. ( बेला भी रसोईघर से लगभग भागते हुए सुगंधा के पास आई)
रोहन उठा कि नहीं,,,,,
जी नहीं मालकिन रोहन बाबू अभी तक सो रहे हैं,,,
अरे तो जाओ उसे जगाओ कब तक सोता रहेगा,,,,
जी मालकिन अभी जा रही हूं ( और इतना कह कर बेला रोहन को जगाने के लिए जाने लगी और सुगंधा खेतों की तरफ निकल गई)
बेला इसी तरह से दिन भर अपनी मालकिन के हुक्म पर बिना थके लगी रहती थी। इसी वजह से सुगंधा भी बेला को अधिक मानती थी सुगंधा खेतों की तरफ चली गई थी और बेला रोहन को जगाने के लिए उसके कमरे की तरफ जा रही थी, रोहन सुगंधा का बेटा था ज्योति हाई कॉलेज पास कर चुका था लेकिन पढ़ाई में उसका बिल्कुल भी मन नहीं लगता था गांव के आवारा छोकरो के साथ थोड़ी बहुत उसकी संगत हो चुकी थी। सुगंधा इसलिए उसके साथ बेहद शख्ती से काम करती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह भी उसके बाप की तरह निकम्मा ना हो जाए,,,,
बेला रोहन के कमरे के करीब पहुंची तोे देखी की दरवाजा हल्का सा खुला हुआ है,,,,,
यह रोहन बाबू भी ना,,, ना जाने कब समझेंगे,,,,, बिल्कुल भी समझ नहीं है कि दरवाजा बंद करके रखें,,,,, ( बेला मन ही मन में बड़बड़ाते हुए कमरे के अंदर प्रवेश की,,,)
रोहन बाबू औ रोहन बाबू यह देखो (जमीन पर गिरी हुई तकिए को उठाते हुए ) कौन सी चीज कहां गिरी पड़ी है इसका इन्हें भान ही नहीं है,,,, (तकिए को उठा कर बिस्तर पर रखते हुए)
अरे उठ जाइए रोहन बाबू वरना मालकिन गुस्सा करेंगी,,,,
(
इतना कहते हुए बिना की नजर चादर के उठे हुए भाग पर पड़ी तो वह एकदम से दंग रह गई,,, और बेला का दंग हो जाना लाजिमी था क्योंकि वह चादर रोहन की टांगों के बीचो-बीच उठा हुआ था जैसे कि छोटा सा तंबू हो,, और खेली खाई बेला को समझते देर नहीं लगी कि यह चादर किस वजह से उठी हुई है,,, वह एक तक उस उठे हुए भाग को देख रही थी वह रोहन को जगाना भूल गई उसके मन में अजीब से ख्याल आने लगे,,,, बेला यह तो अच्छी तरह से समझ गई थी कि चादर का यह हिस्सा रोहन के लंड की वजह से ही उठा हुआ है,,, लेकिन बेला के लिए हैरान करने वाली बात यह थी कि रोहन की उम्र के मुताबिक चादर का उठा हुआ आकार कुछ ज्यादा ही बड़ा और तगड़ा लग रहा था। एक पल के लिए तो लंड के आकार के बारे में सोच कर ही बेला के तन बदन में झुनझुनी सी फैल गई,,,,, और उसकी मांसल जांघों के बीच कसमसाहट भरी लहर दौड़ने लगी,,,,,,,
बेला आई तो थी रोहन को जगाने लेकिन रोहन के लंड की वजह से बने तंबू को देख कर रोहन को जलाना भूल गई अब उसके मन में अजीब अजीब से ख्याल घूम रहे थे,,, अब उसके मन में ऐसा आ रहा था, की वो चादर हटा कर देखें रोहन का हथियार कैसा है क्योंकि औरत का मन होने के नाते उसके मन में रोहन के लंड को देखने की उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी।
बेला अपनी उत्सुकता को रोक नहीं पा रही थी उसके हाथ खुद ब खुद आगे बढ़ते जा रहे थे,,। वह चादर को अपने हाथ में पकड़ ली थी,,,,


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